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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 2 - दुःख का अधिकार हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 2 - दुःख का अधिकार स्पर्श भाग-1हिंदी

यशपाल

पृष्ठ संख्या: 17 

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक-दो  पंक्तियों में दीजिए -

1. किसी पोशाक देखकर हमें चलता है?

उत्तर 

किसी की पोशाक देखकर हमें समाज  उसके अधिकार और दर्जे का पता चलता है। 

2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े क्यों नही खरीद रहा था?

उत्तर

ख़रबूज़े बेचने स्त्री से कोई ख़रबूज़े इसलिए नही खरीद वह मुँह छिपाए सिर को घुटनो पर रख फफक-फफककर रो रही थी। 

3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

उत्तर 

उस स्त्री को देखकर लेखक लेखक  मन में एक व्यथा सी उठी और वो उसके रोने का कारण जानने का उपाय सोचने लगा। 

4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर 

उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में पके खरबूज चुनते समय साँप के काटने से हुई ।

5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नही देता? 

उत्तर 

 बुढ़िया के परिवार में एकमात्र कमाने वाला बेटा मर गया था। ऐसे में पैसे वापस न मिलने के डर के कारण कोई उसे  देता। 

लिखित 

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

उत्तर

मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित  है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी लोग उतने अधिक लोग प्रभावित होगें।

2. पोशाक हमारे हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

उत्तर

पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।

3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नही जान पाया?

उत्तर

लेखक की पोशाक रोने का कारण जान पाने की बीच अड़चन थी। वह फुटपाथ पर बैठकर उससे सकता था। इससे उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती। इस वजह से वह उस स्त्री के रोने का कारण नही जान पाया। 

4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

उत्तर 

भगवाना सहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था। 

5. लड़के के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?

उत्तर 

 बुढ़िया बहुत गरीब थी। लड़के की मृत्यु पर घर में जो कुछ था सब कुछ खर्च हो गया। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।

6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

उत्तर

लेखक को बुढ़िया के दुःख को देखकर अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उसके बेटे का भी देहांत हुआ था। वह दोनों के दुखों के तुलना  चाहता था। दोनों के शोक मानाने का ढंग अलग था। धनी परिवार के होने की वजह से वह उसके पास शोक मानाने को असीमित समय था और बुढ़िया के पास शोक का अधिकार नही था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

1. बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

बाज़ार के लोग खरबूज़ेबेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला लाला कह रहा था, इनके लिए अगर मरने-जीने का कोई मतलब नही है तो दुसरो का धर्म ईमान क्यों ख़राब कर रही है।

2. पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

उत्तर

पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा सांप के काटने से मर गया है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके घर का सारा सामान बेटे को बचाने में खर्च हो गया। घर में दो पोते भूख से बिलख रहे थे। इसलिए वो खरबूजे बेचने बाजार आई है।

3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या- क्या उपाय किए ?

उत्तर

लड़के के मृत्यु होने पर बुढ़िया पागल सी हो गयी। वह जो कर सकती थी उसने किया। वह ओझा को बुला लायी झाड़ना-फूंकना हुआ। नागदेवता की पूजा भी हुई। घर में जितना अनाज था दान दक्षिणा में समाप्त हो गया। परन्तु उसका बेटा बच न सका।

4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?

उत्तर

लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी।

5. इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है।यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।

पृष्ठ संख्या: 18

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -

1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

उत्तर

यहाँ लेखक ने  तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार पतंग के कट जाने पर वायु की लहरें उसे कुछ समय के लिए उड़ाती रहती हैं, एकाएक धरती से टकराने नही देतीं ठीक उसी प्रकार किन्हीं ख़ास परिस्थतियों में पोशाक हमें नीचे  झुकने से रोकती हैं।

2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

उत्तर

इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है। गरीबों को कमाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता है । परन्तु लोग कहते हैं उनके लिए रिश्ते-नाते कोई मायने नही रखते हैं। वे सिर्फ पैसों के गुलाम होते हैं। रोटी कमाना उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है।

3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।

उत्तर

शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।

भाषा अध्यन

2. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
ईमान
बदन
अंदाज़ा
बेचैनी
गम
दर्ज़ा
ज़मीन
ज़माना
बरकत

उत्तर 

ईमानज़मीर, विवेक
बदनशरीर, तन, देह
अंदाज़ाअनुमान
बेचैनीव्याकुलता, अधीरता
गमदुख, कष्ट, तकलीफ
दर्ज़ास्तर, कक्षा
ज़मीनधरती, भूमि, धरा
ज़मानासंसार, जग, दुनिया
बरकतवृद्धि, बढ़ना

पृष्ठ संख्या: 19

3. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए -

उत्तर

फफक
फफककर
दुअन्नी
चवन्नी
ईमान
धर्म
आते
जाते
छन्नी
ककना
पास
पड़ोस
झाड़ना
फूँकना
पोता
पोती
दान
दक्षिणा
मुँह
अँधेरे

4. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए −
बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।

उत्तर

1. बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
2. निर्वाह करना − परिवार का भरण-पोषण करना
3. भूख से बिलबिलाना − बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)
4. कोई चारा न होना − कोई और उपाय न होना
5. शोक से द्रवित हो जाना − दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।

5. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
(क)छन्नी-ककनाअढ़ाई-मासपास-पड़ोस
दुअन्नी-चवन्नीमुँह-अँधेरेझाड़ना-फूँकना
(ख)फफक-फफककरबिलख-बिलखकर
तड़प-तड़पकरलिपट-लिपटकर

उत्तर

(क)
1. छन्नी-ककना − मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।
2. अढ़ाई-मास − वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।
3. पास-पड़ोस − पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।
4. दुअन्नी-चवन्नी − आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।
5. मुँह-अँधेरे − वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।
6. झाड़-फूँकना − गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।
(ख)
1. फफक-फफककर − बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
2. तड़प-तड़पकर − आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।
3. बिलख-बिलखकर − बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
4. लिपट-लिपटकर − बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।

6. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :
(क)1लड़के सुबह उठते हीभूख से बिलबिलाने लगे।
2उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना हीहोगा।
3चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना हीक्यों न बिक जाएँ।
(ख)1अरे जैसीनीयत होती है, अल्ला भी वैसी हीबरकत देता है।
2भगवाना जोएक दफे चुप हुआ तोफिर न बोला।
उत्तर

()
1लड़के सुबह उठते हीभूख से बिलबिलाने लगे।
बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिलारहे थे।
2उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना हीहोगा।
बच्चों के लिए खिलौने लाने हीहोंगे।
3चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना हीक्यों न बिक जाएँ।
उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ हीक्यों न बिक जाए।
(ख)
1अरे जैसीनीयत होती है, अल्ला भी वैसी हीबरकत देता है।
जैसादूसरों के लिए करोगे वैसाही फल पाओगे।
2भगवाना जोएक दफे चुप हुआ तोफिर न बोला।
जोसमय निकल गया तोफिर मौका नहीं मिलेगा।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 - एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 - एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा स्पर्श भाग-1 हिंदी

बचेंद्री पाल

पृष्ठ संख्या: 31

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -

1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?

उत्तर 

अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहा था। 

2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?

उत्तर

लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है और यह एक फूल की तरह दिखाई देता है, जैसे माथा हो।

3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?

उत्तर

लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत शिखर पर लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा।

4. हिमस्खलन से कितने लोगो की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए?

उत्तर

हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार लोग  हुए।

5. मृत्यु के अवसाद देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?

उत्तर

मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।

6.  सहायक की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर

जलवायु अनुकूल न होने  कारण रसोई सहायक की मृत्यु हुई।

7. कैंप- चार कहाँ और कब लगाया गया?

उत्तर

कैंप-चार 29 अप्रैल, 1984 को 7900 मीटर पर साउथ कोल में लगाया गया था।

8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?

उत्तर

लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।

9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?

उत्तर

लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, "मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा। "

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए -

1. नजदीक से एवेरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?

उत्तर

नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका भौंचक्की रही गई। वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

2. डॉ मीनू मेहता ने क्या जानकारियां दीं?

उत्तर

डॉ मीनू मेहता अल्मुनियम सीढ़ियों से अस्थाई पुलों का निर्माण, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और अग्रिम दाल के अभियांत्रिक कार्यो के बारे में जानकारी दी।

3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?

उत्तर

तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

4. लेखिका को किनके चढ़ाई करनी थी?

उत्तर

लेखिका को अपने दल के साथ तथा जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। परन्तु वे लोग पीछे रह गए थे। उनके पास भारी बोझ था और वे बिना ऑक्सीजन के आ रहे थे। इस कारण उनकी गति कम हो गई थी। उनकी स्थिति देखकर लेखिका चिंतित थी।

5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

उत्तर 


लोपसांगने अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया क्योंकि तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरने से हिमपुंज बन गया था और इससे कैंप नष्ट हो गया था, लेखिका भी उसमें दब गई थीं। इसलिए लोपसांग ने छुरी से बर्फ़ काटकर लेखिका को बाहर निकाला।

6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?

उत्तर

साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी करने के लिए खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए, दूसरे सदस्यों की मदद के लिए, थरमसों को जूस व गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नो का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

उत्तर

उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल के सदस्यों को पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दल ने कैंप-एक (6000 मीटर),जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है। इसके साथ-साथ बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना जारी है। यदि हिमपात अधिक हो गया तो अभी तक किए गए सारे काम व्यर्थ हो सकते हैं।

2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?

उत्तर

बर्फ़ के खंडो का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को हिमपात कहा जाता है। हिमपात बर्फ़ (ग्लेशियर) की नदी होती है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं।

3. लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया?

उत्तर

लेखिका रात 12.30बजे अपने तम्बू में गहरी नींद में सो रही थीं तभी एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह अत्यंत तेज़ गति के साथ और गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।


4. लेखिका को देखकर 'की' हक्का-बक्का क्यों रह गया?

उत्तर

लेखिका को देखकर 'की'हक्का बक्का रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोखिम भरा था फिर भी लेखिका सबके लिए चाय व जूस लेने नीचे उतर रही थी और उसे 'की' से भी मिलना था।

5. एवेरेस्ट पर चढ़ने के लिए कितने कैंप बनाये गए? उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर

एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंप बनाए गए थे।
1. बेस कैंप- यह मुख्य कैंप था।
2. कैंप-1 −यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया। यह हिमपात के ठीक ऊपर था। इसमें सामान जमा था।
3. कैंप-2 −यह चढ़ाई के रास्ते में था।
4. कैंप-3 −इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढ़लान पर लगाया गया था। यह रंगीन नायलॉन से बना था। यहीं ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर आ गिरा था।
5. कैंप-4 −यह समुद्र तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर था। साउथ कोल स्थान पर लगने के कारण साउथ कोल कैंप कहलाया।
6. शिखर कैंप − यह अंतिम कैंप था। यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था।

पृष्ठ संख्या: 32

6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?

उत्तर

जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी। वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। लेखिका के सामने सुरक्षा का प्रश्न था। वहाँ फावड़े से बर्फ़ की खुदाई की गई ताकि स्वयं को सुरक्षित कर स्थिर किया जा सके।

7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है।

उत्तर

जब बचेंद्री अपने दल के सदस्यों के साथ साउथकोल कैंप पहुँची तो केवल वह अपने लिए नहीं सोच रही थी बल्कि अपने दल के प्रत्येक सदस्य के लिए सोच रही थी। लेखिका ने अपने साथियों के लिए जूस और चाय लेने के लिए तेज़ बर्फ़ीली हवा में भी नीचे उतरकर जोखिम भरा काम किया। इस व्यवहार से कार्य में उसके सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए  -

1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।

उत्तर

यह कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है। इन शब्दों का उल्लेख उन्होंने शेरपा कुली की मृत्यु के समाचार के बाद कहा था। उन्होंने सदस्यों के उत्साहवर्धन करते हुए अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित करना चाहा। एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोखिम भरा अभियान होता है। यहाँ इतने खतरे हैं कि कभी कभी मृत्यु भी हो सकती है। इसके लिए तैयार रहना चाहिए विचलित नहीं होना चाहिए।

2.  सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।

उत्तर

इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिमविदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं और भीज़्यादा खतरनाक बात तब होती है जब पता रहे कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता रहेगा ।

3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।

उत्तर

लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठ कर बर्फ़ पर अपना माथा लगाया और चुंबन किया। उसके बाद एक लाल कपड़े में माँ दुर्गा का चित्र और हनुमान चालीसा को लपेटा और छोटी से पूजा करके बर्फ़ में दबा दिया। इस रोमांचक यात्रा के सफलता पर वह बहुत खुश थी और सुख के क्षणों में उसने अपने माता पिता को याद किया। ।

भाषा अध्यन

1. इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए −
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायज़ा लेना, नौसिखिया

उत्तर

1. निहारा है − यह पाठ एवरेस्ट की चोटी को बचेंद्री पाल ने निहारा है।
2. धसकना-खिसकना − ये दोनों शब्द हिम-खंडो के गिरने के संदर्भ में आए हैं।
3. सागरमाथा − नेपाली एवरेस्ट चोटी को सागरमाथा कहते हैं।
4. जायज़ा लेना − यह शब्द प्रेमचंद ने कैंप के परीक्षण निरीक्षण कर स्थिति के बारे में प्रयुक्त हुआ है।
5. नौसिखिया − बचेंद्री पाल ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए यह शब्द प्रयुक्त किया है।


2. निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए −
(क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए
(ख) क्या तुम भयभीत थीं
(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री

उत्तर

(क) उन्होंने कहा "तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए"।
(ख) क्या तुम भयभीत थीं?
(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बचेंद्री?

3. नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए −
उदाहरण : हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।
टेढ़ी-मेढ़ी
गहरे-चौड़े
आस-पास
हक्का-बक्का
इधर-उधर
लंबे-चौड़े

उत्तर

टेढ़ी-मेढ़ी − यह पगडंडी बहुत टेढ़ी-मेढ़ी है।
गहरे-चौड़े − वहाँ गहरे-चौड़े गड्ढे थे।
आस-पास − गाँव के आस-पास खेत हैं।
हक्का-बक्का −उसको वहाँ देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया।
इधर-उधर − इधर-उधर की बातें करना बंद करो।
लंबे-चौड़े − यहाँ बहुत लंबे-चौड़े मैदान हैं।

पृष्ठ संख्या: 33

4. उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए −
उदाहरण : अनुकूल प्रतिकूल
नियमित −...................
आरोही ...................
सुंदर ...................
विख्यात ...................
निश्चित ...................

उत्तर

नियमित अनियमित
आरोही अवरोही
सुंदर असुंदर
विख्यात अविख्यात
निश्चित अनिश्चित


5. निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए −
जैसे : पुत्र सुपुत्र
वास व्यवस्थित कूल गति रोहण रक्षित

वास प्रवास
व्यवस्थित अव्यवस्थित
कूल प्रतिकूल
गति प्रगति
रोहण आरोहण
रक्षित आरक्षित


6.  निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए −
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
(क) मैं .............. यह कार्य कर लूँगा।
(ख) बादल घिरने के .............. ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत ............... इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को .............. गाँव जाना था।

उत्तर

(क) मैं अगले दिनयह कार्य कर लूँगा।
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बादही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत कम समय मेंइतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को सुबह तकगाँव जाना था।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - तुम कब जाओगे, अतिथि हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - तुम कब जाओगे, अतिथि स्पर्श भाग-1 हिंदी

शरद जोशी 

पृष्ठ संख्या:39  

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिए। 

1.अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर 

अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है। 

2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

उत्तर


कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं।

पृष्ठ संख्या: 40

3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर

पति ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ गले मिलकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कहकर मेहमान का स्वागत किया।

4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?

उत्तर

दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी।

5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर

तीसरे दिन अतिथि ने धोबी से कपडे धुलवाने की बात कही।

6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त  होने पर क्या हुआ?

उत्तर

सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक डिनर से खिचड़ी पर आ गए।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर

लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे।

2. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए −
(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
(ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
(ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।
(घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
(ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर

(क) जब लेखक ने अतिथि को  देखा था तब उन्हें लगा उनका खर्च बढ जायेगा इसलिए उनका बटुआ काँप गया यानी अत्यधिक खर्चे होने का एहसास हुआ।

(ख)  हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता समान माना गया है। परन्तु यही अतिथि जब ज्यादा दिन रह जाए तो वह बोझ लगने लगता और थोड़े अंशो में राक्षस प्रतीत होता है।

(ग) हर व्यक्ति अपने घर को सजाता है, सुख शान्ति स्थापित करता है। अपने घर को स्वीट होम बनाता है। लेकिंग जब कोई अनचाहा व्यक्ति आकर रहने लगता है तो वह  स्वीटनेस को काटने दौड़ने जैसा लगता है।

(घ) अतिथि लेखक के घर पर चार दिनों से रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर गेट आउट बोलने में देर नही लगाएगा।

(ड़ ) हम अतिथि को देवता मानते हैं इसलिए लेखक अपने अतिथि को बताना चाह रहा कि देवता और मनुष्य कभी एक साथ हैं। आप कृपा कर हमारे कर हमारे घर से प्रस्थान करें।


(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए -

1. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर

तीसरे दिन जब अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था चूँकि उन्हें लगा था  चले जाएंगे। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी।

2.'संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना' इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं?विस्तार से लिखिए।

उत्तर

'संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना'इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे।

3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर

जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। लंच डिनर अब खिचड़ी पर आ गए। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को 'गेट आउट' तक कहने के लिए भी तैयार हो गया।

भाषा अध्यन

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए −
चाँदज़िक्रआघातऊष्माअंतरंग

उत्तर

चाँद − राकेश, शशि, रजनीश
ज़िक्र − उल्लेख, वर्णन
आघात − हमला, चोट
ऊष्मा − गर्मी, घनिष्ठता, ताप
अंतरंग − घनिष्ठ, आंतरिक

2. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए −
()हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
.......................................................................
()किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
.......................................................................
()सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
.......................................................................
()इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
.......................................................................
()कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
.......................................................................

उत्तर

()हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।
()किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?
()सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी। (भविष्यत् काल)
()इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
इनके कपड़े यहाँ देने हैं।
()कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
ये अब नहीं टिकेंगे।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 5 - वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन् हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 5 - वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन् स्पर्श भाग-1 हिंदी

धीरंजन मालवे

पृष्ठ संख्या: 49

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर एक-दो पंक्तियों  में दीजिए - 

1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?

उत्तर

रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक वैज्ञानिक की भी जिज्ञासा रखते थे।

2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?

उत्तर

समुद्र को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं कि समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है? वह रंग कोई और क्यों नहीं होता है?

3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?

उत्तर

रामन् के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी की सशक्त नींव डाली।

पृष्ठ संख्या: 50

4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?

उत्तर

रामन् वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के द्वारा उनके कंपन के पीछे छिपे रहस्य की परतें खोलना चाहते थे।

5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?

उत्तर

सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना थी कि वह पढ़ाई करके विश्वविद्यालय के शिक्षक बनकर, अध्ययन अध्यापन और शोध कार्यों में अपना पूरा समय लगाए।

6. 'रामन् प्रभाव' की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?

उत्तर

रामन् की खोज के पीछे का सवाल 'आखिर समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों है?' हिलोरें ले रहा था।

7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?

उत्तर

प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने इन कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें फोटॉन नाम दिया।

8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?

उत्तर

रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं के बारे में खोज के अध्ययन को सहज बनाया।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?

उत्तर

कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करें, पूरा जीवन शोधकार्यों में लगा दें। उनका मन और दिमाग विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बैचेन रहता था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैग़जीन में प्रकाशित हुआ।

2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?

उत्तर

रामन् ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन कर इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है।

3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?

उत्तर

रामन् भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर थे। एक दिन प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया। इस बारे में निर्णय लेना उनके लिए अत्यंत कठिन था।सरकारी नौकरी की बहुत अच्छी तनख्वाह अनेकों सुविधाएँ छोड़कर कम वेतन, कम सुविधाओं वाली नौकरी का फैसला मुश्किल था।

4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?

उत्तर

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1924 में 'रॉयल सोसायटी' की सदस्यता प्रदान की गई। 1929 में उन्हें 'सर' की उपाधि दी गई। 1930 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार 'नोबल पुरस्कार' प्रदान किया गया। रॉयल सोसायटी का ह्यूज पदक प्रदान किया गया। फ़िलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का 'फ्रेंकलिन पदक' मिला। सोवियत संघ का अंतर्राष्ट्रीय 'लेनिऩ पुरस्कार मिला। 1954 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।

5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर

रामन् को समय-समय पर मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। इनमें से अधिकांश पुरस्कार विदेशी थे और प्रतिष्ठित भी। अंग्रेज़ों की गुलामी के दौर में एक भारतीय वैज्ञानिक को इतना सम्मान दिए जाने से भारत को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान मिला और लोगों को प्रेरणा भी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50 -60 शब्दों मेंलिखिए -

1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?

उत्तर

रामन् के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। वे सरकारी नौकरी भी करते थे जिस कारण समय का अभाव रहता था। परन्तु फिर भी रामन् फुर्सत पाते ही 'बहू बाज़ार' चले जाते। वहाँ'इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस' की प्रयोगशाला में काम करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का अभाव था लेकिन रामन् काम चलाऊ उपकरणों से भी शोध कार्य करते थे। ऐसे में अपनी इच्छाशक्ति के बलबूते पर अपना शोधकार्य करना आधुनिक हठयोग कहा गया है।

2. रामन् की खोज 'रामन् प्रभाव' क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। एक वर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल ठोस रवे से टकराते हैं तो उर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा लेते हैं दोनों स्थितियों में रंग में बदलाव आता है। इसी को 'रामन् प्रभाव' कहा गया है।

3. 'रामन् प्रभाव' की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?

उत्तर

'रामन् प्रभाव' की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में अनेक कार्य संभव हो सके। विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा।रामन् की तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देने लगी। अब पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रुप में निर्माण संभव हो गया।


4. देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।

उत्तर

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर वैज्ञानिक कार्यों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बंगलोर में शोध संस्थान की स्थापना की, इसे रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान के लिए इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका आरंभ की, करेंट साइंस नामक पत्रिका भी शुरु की, प्रकृति में छिपे रहस्यों का पता लगाया।

5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से हमें सदैव आगे बढ़ते रहने का संदेश देता है। रामन् ने संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए।व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करना चाहिए। भले ही इसके लिए सुख-सुविधाओं को त्यागना पड़े। इच्छा शक्ति से राह सदैव निकल आती है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।

(क) उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी

उत्तर

जब सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया तब उन्होंने यह सहर्ष स्वीकार किया जबकि वे तनख्वाह और सुख सुविधाओं वाले पद पर कार्यरत थे जो की उन्हें प्रोफेसर रहते नही मिलने वाला था। इससे पता चलता है कि उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।

(ख) हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।

उत्तर

हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की चीज़ें मौजूद  हैं जिसके रहस्य अभी तक  अनसुलझे हैं। वो भी किसी ऐसे व्यक्ति की तालाश जो उनको वैज्ञानिक दृष्टि से देख सके और अध्यन कर सके। उनके पहलुओं को सुलझा सके।

(ग) यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।

उत्तर

डॉ. रामन् सरकारी नौकरी करते हुए भी बहू बाजार स्थित प्रयोगशाला जाते थे। उस प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों तथा इच्छाशक्ति द्वारा अपने शोध कार्यो को संपन्न करते थे। इससे लेखक ने अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण बताया है।

(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए −
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
1. रामन् का पहला शोध पत्र ............ में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज ............... के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ................. था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ......... नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए .......... का सहारा लिया जाता था।

उत्तर

1. रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीनमें प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज भौतिकीके क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंसथा।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूटनाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपीका सहारा लिया जाता था।

पृष्ठ संख्या: 51

भाषा अध्यन

1.नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
()प्रमाण..........................
()प्रणाम.........................
()धारणा..........................
()धारण.........................
()पूर्ववर्ती.........................
()परवर्ती..........................
()परिवर्तन.........................
()प्रवर्तन.........................

उत्तर

()प्रमाण मैं यह बात प्रमाण सहित कह सकता हूँ।
()प्रणाम अपने से बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।
()धारणा धर्म के प्रति हमारी धारणा बदलनी चाहिए।
()धारण सदा स्वच्छ वस्त्र धारण करो।
()पूर्ववर्ती कई किले पूर्ववर्ती राजाओं ने बनाए।
()परवर्ती अब परवर्ती पीढ़ी ही देश की रक्षा करेगी।
()परिवर्तन अब सृष्टि में भी अनेकों परिवर्तन हो रहे हैं।
()प्रवर्तन प्रवर्तन कार्यालय में जाना है।

2. रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए −
() मोहन के पिता मन से सशक्तहोते हुए भी तन से .............. हैं।
() अस्पताल के अस्थायीकर्मचारियों को .............. रुप से नौकरी दे दी गई है।
() रामन् ने अनेक ठोस रवोंऔर ............... पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
() आज बाज़ार में देशीऔर ................... दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
() सागर की लहरों का आकर्षणउसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद ...........में परिवर्तित हो जाता है।


उत्तर

() मोहन के पिता मन से सशक्तहोते हुए भी तन से अशक्तहैं।
() अस्पताल के अस्थायीकर्मचारियों को स्थायीरुप से नौकरी दे दी गई है।
() रामन् ने अनेक ठोस रवोंऔर तरलपदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
() आज बाज़ार में देशीऔर विदेशीदोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
() सागर की लहरों का आकर्षणउसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।


3. नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है −
उदाहरण : चाऊतान को गाने-बजानेमें आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
सुख-सुविधा .............................
अच्छा-खासा .............................
प्रचार-प्रसार ............................
आस-पास ............................


उत्तर


सुख-सुविधा- रोहन को सुख-सविधामें रहने की आदत है।
अच्छा-खासा- माँ ने अच्छा-खासाखाना बनाया था।
प्रचार-प्रसार- नेताजी प्रचार-प्रसारमें लगे हैं।
आस-पास- हमारे आस-पास हरियाली है।

पृष्ठ संख्या: 52

4. प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए −
अनुस्वार
अनुनासिक
()
अंदर()ढूँढ़ते
()......................()......................
()......................()......................
()......................()......................
()......................()......................

उत्तर

अनुस्वारअनुनासिक
()अंदर()ढूँढ़ते
()सदियों()पहुँचता
()असंख्य()सुविधाएँ
()रंग()स्थितियाँ
()नींव()वहाँ

5. पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए −
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह

उत्तर 

1. घंटो खोए रहना − वैज्ञानिक अपने प्रयोगों में घंटो खोए रहते हैं।
2. स्वाभाविक रुझान बनाए रखना − लोग अपनी रुचि के अनुसार कार्यों में स्वाभाविक रूझान बनाए रखते हैं।
3. अच्छा खासा काम किया − इस भवन पर अच्छा खासा काम किया गया है।
4. हिम्मत का काम था − उसने बच्चे को बाढ़ में से बचा कर हिम्मत का काम किया।
5. सटीक जानकारी − हमारी अध्यापिका को अपने विषय में सटीक जानकारी है।
6. काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए − आजकल बच्चे बहुत ऊँचे अंक हासिल करते हैं।
7. कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया − आज वह यह मुकाम कड़ी मेहनत के बाद खड़ा कर पाया है।
8. मोटी तनख्वाह − यह अफसर मोटी तनख्वाह पाता है।

6. पाठ के आधार पर मिलान कीजिए −
नीला कामचलाऊ
पितारव
तैनातीभारतीय वाद्ययंत्र
उपकरणवैज्ञानिक रहस्य
घटियासमुद्र
फोटॉननींव
भेदनकलकत्ता

उत्तर

नीला समुद्र
पितानींव
तैनातीकलकत्ता
उपकरणकामचलाऊ
घटियाभारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉनरव
भेदनवैज्ञानिक

7. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।

उत्तर

रंगों की सूची − बैंगनी, नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी, लाल
दस रंगों के नाम − आडू़-नारंगी, गहरा आडू़, उज्ज्वल हरा, एलिस नीला, सलेटी, ओलीवाइन, काँस्य, गुलाबी, किरमिज

8. नीचे दिए गए उदाहरण 'ही' का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने हीतैयार की थी।

उत्तर

1. राम के कारण हीयह कार्य संभव हो सका।
2. तुम हीजाकर ले आओ।
3. उस छात्र ने हीमोहन को मारा।
4. गीता हीअकेली जा रही है।
5. केवल वह हीजाएगा।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - कीचड़ का काव्य हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - कीचड़ का काव्य स्पर्श भाग-1 हिंदी

काका कालेलकर

पृष्ठ संख्या: 58

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिये -

1.  रंग की शोभा ने क्या कर दिया है?

उत्तर 

रंग की शोभा ने उतर दिशा में जमकर कमाल ही कर दिया है। 

2. बादल किसकी तरह हो गए थे?

उत्तर 

बादल स्वेत पूनी की तरह हो गए थे। 

3. लोग किन-किन चीज़ो का वर्णन करते हैं?

उत्तर

लोग आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन करते हैं।

4. कीचड़ से क्या होता है?

उत्तर

कीचड़ से शरीर गन्दा होता है और कपडे मैले होते हैं।

5. कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?

उत्तर

कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ लोग पसंद करते हैं।

6. नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?

उत्तर

नदी  के किनारे जब कीचड़ के सूखकर टुकड़े हो जाते हैं तब वे सुंदर दिखते हैं।

7. कीचड़ कहाँ सुन्दर लगता है?

उत्तर

नदी के किनारे मिलों तक फैला समतल और चिकना  कीचड़ सुन्दर लगता है।

8. 'पंक' और 'पंकज' शब्द में क्या अंतर है?

उत्तर

'पंक' शब्द का अर्थ कीचड़ तथा 'पंकज' का अर्थ कमल होता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति क्यों नही होती?

उत्तर

कीचड़ से शरीर गन्दा होता है। कपडे मैले हो जाते हैं। लोग कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को अच्छा नही लगता इसीलिए कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति नही होती।

2. जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?

उत्तर

जमीन ठोस हो जाने पर उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, बकरे इत्यादि के पदचिन्ह अंकित होते हैं।

3. मनुष्य को क्या भान होता जिससे वो कीचड़ का तिरस्कार न करता?

उत्तर

मनुष्य को अगर यह भान होता की उसका अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है तो वो कीचड़ का तिरस्कार न करता।

4. पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की क्या विशेषता होती है?

उत्तर

गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और खम्भात में महि नदी के मुख के आगे जहां तक नजर पहुंचे वहां तक सर्वत्र सनातन कीचड़ देखने मिलेगा जिसमें हाथ डूब जाने वाली बात कहना अल्पोक्ति के समान होगा। यह पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता होती है।

(ख) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

1. कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश  करता है?

उत्तर

पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर सब लोग इस रंग को पंसद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों  को भट्टी में पकाये गए मिटटी के बर्तनों के लिए यही रंग पसंद है। फोटो लेते समय उस पर कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश होते हैं।

2. कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?

उत्तर

कीचड़ सूखकर टुकड़ो में बंट जाता है, उसमे दरारें पर जाती  हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाये हुए खोपडे जैसे दिखते हैं।  नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के निशाँ अंकित हो जाते हैं जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है।

3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?

उत्तर

सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है। कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं। कुछ अधिक सूखने पर गाय, भैंस पांडे, भेड़, बकरियाँ के पदचिन्ह अंकित हो जाते  हैं। जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगो से कीचड़ को रौंदते हैं तो चिन्हों से ज्ञात होता है महिषकुल के युद्ध के वर्णन हो।


4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?

उत्तर

कवियों की धारणा केवल बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं आंतरिक सौंदर्य की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। पंकज शब्द बहुत अच्छा लगता है और पंक कहते ही बुरा सा लगता है। वे कमल को अपनी रचना में रखते हैं परन्तु पंक को अपनी रचना में नहीं लाते हैं। वे इसका तिरस्कार करते हैं। वे प्रत्यक्ष सौंदर्य की प्रशंसा करते हैं परन्तु उसको उत्पन्न करने वाले कारकों का सम्मान नहीं करते। कवियों का इस  धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य कहा है।

पृष्ठ संख्या: 59

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिये -

1. नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।

उत्तर

इस वाक्य का आशय यह है कि नदी के किनारे जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तो उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं जिसे देखने से ऐसा लगता है मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का इतिहास का वर्णन हो।

2. "आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किन्तु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।" कस-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ चर्चा न करना ही उत्तम !

उत्तर

कवियों का कहना है कि एक अच्छी और सुंदर वस्तु को स्वीकार करते हैं तो उससे जुड़ी चीज़ों को भी स्वीकार करना चाहिए। हीरा कीमती होता है परन्तु उसके उत्पादक कार्बन को ज़्यादा नहीं पूछा जाता। श्री कृष्ण को वासुदेव कहते हैं लोग उन्हें पूजते भी हैं परन्तु उनके पिता वसुदेव को भी पूजे यह ज़रूरी नहीं है। इसी तरह मोती इतना कीमती होता है लोग इसे गले में पहनते हैं पर सीप जिसमें मोती होता है इसे गले में बाँधे यह ज़रूरी नहीं है। अत: कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना बेकार है।

भाषा अध्यन

1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए −
1.जलाशय -........................
2.सिंधु-........................
3.पंकज-........................
4.पृथ्वी-........................
5.आकाश-........................

उत्तर

1.जलाशय - ताल, सरोवर, सर
2.सिंधु-जलधि, सागर, रत्नाकर
3.पंकज-कमल, जलज, अंबुज, राजीव
4.पृथ्वी-भू, भूमि, धरा, वसुधा
5.आकाश-नभ, गगन, व्योम, अंबर

2. निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए −
(क)कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।........................
(ख)क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?........................
(ग)हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।........................
(घ)पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।........................
(ङ)आप वासुदेव की पूजा करते हैं।........................

उत्तर

(क)कीचड़ का नाम लेते सब बिगड़ जाता है।कासबंध कारक
(ख)क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?नेकर्ता कारक
(ग)हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।हमारासंबध कारक, सेकरण कारक
(घ)पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।उस परअधिकरण कारक
(ङ)आप वासुदेव की पूजा करते हैं।कीसबंध कारक

3. निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए −
आकर्षकयथार्थतटस्थताकलाभिज्ञपदचिह्न
अंकिततृप्तिसनातनलुप्तजाग्रत
घृणास्पदयुक्तिशून्यवृत्ति

उत्तर

1.आकर्षकयह गमला बहुत आकर्षक है।
2.अंकितहमें वस्तु पर अंकित मूल्य पर ही वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
3.घृणास्पदवह बहुत ही घृणास्पद बातें करता है।
4.यथार्थयथार्थ से हमेशा जुड़े रहना चाहिए।
5.तृप्तिमुख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन दिया तो उसे तृप्ति हो गई।
6.युक्तिशून्यउसने बहुत ही युक्तिशून्य बातें की।
7.तटस्थताहमारा देश अक्सर बाह्रय युद्धों में तटस्थता की नीति बनाए रखता है।
8.सनातनभारत में बहुत लोग सनातन धर्म को मानते हैं।
9.वृत्ति वह बहुत अच्छी वृत्ति का व्यक्ति है।
10.कलाभिज्ञकलाभिज्ञ गन्दगी में भी सुन्दरता देखते हैं।
11.लुप्तआजकल भारतीय संस्कृति और परम्पराएं लुप्त सी हो रही हैं।
12.पदचिह्नलोगों ने गाँधी जी के पदचिह्नों पर चलकर भारत माता की सेवा की।
13.जाग्रतआजकल टेलीवीजन पर लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है।

4. नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए −
(क) देखते-देखतेवहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
....................................................................
(ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए
.....................................................................

उत्तर

(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होताहै।
(क) मेरे देखते-देखतेही वहाँ भीड़ जमा हो गई।
(ख) थोड़ी भी तबीयत खराब हो तो सीधे डाक्टर के पास पहुँचना चाहिए
(ग) कमल कीचड़ में ही पैदा होताहै।

पृष्ठ संख्या: 60

6. न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए −
(क) तुम घर ........... जाओ।
(ख) मोहन कल ............ आएगा।
(ग) उसे ......... जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो .......... प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ........... जाऊँगा।
(च) ........... वह बोला ......... मैं।


उत्तर

(क) तुम घर ...मत... जाओ।
(ख) मोहन कल ..नहीं.... आएगा।
(ग) उसे .... जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो ..मत.... प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ..नहीं..... जाऊँगा।
(च) ..... वह बोला .... मैं।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 7 - धर्म की आड़ हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 7 - धर्म की आड़ स्पर्श भाग-1 हिंदी

गणेशशंकर विद्यार्थी

पृष्ठ संख्या: 66

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -

1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर 

आज धर्म के नाम पर उत्पात, ज़िद, दंगे-फ़साद हो रहे है। 

2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होना चाहिए?

उत्तर 

धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए। 

3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन बुरा था?

उत्तर

लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया।

4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर

साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान के रक्षा के लिए जान तक दे देना वाजिब है।

5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर

शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) उत्तर दीजिए -

1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर

चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। वे इन जाहिलों के बल आधार पर अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम रखते हैं।

2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर

चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म की रक्षा के लिए जान लेने और देने वाले विचार और अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। पहले वो अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं उसके बाद स्वार्थ सिद्धि के लिए जिधर चाहे मोड़ देते हैं।

3. आनेवाल समय किस प्रकार के धर्म को नही टिकने देगा?

उत्तर

दो घंटे तक बैठकर कीजिये और पञ्च-वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार के रिश्वत दे चुकने के पश्चात, यदि आप दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने के लिए आजाद हैं तो इस धर्म को आनेवाल समय नही टिकने देगा।

4. कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा?

उत्तर

आपका जो मंन चाहे वो माने और दूसरे का जो मन चाहे वो माने। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं दुसरो के धर्म में जबरदस्ती टांग  अड़ाते हैं तो यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा।

5. पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर

पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों के बीच एक गहरी खाई है। गरीबों के कमाई से वे और अमीर बनते जा रहे हैं और उसी के बल से यह प्रयत्न करते हैं कि गरीब और चूसा जाता रहे। वे गरीबों को धन दिखाकर अपने वश में करते हैं और फिर मनमांना धन पैदा करने के लिए जोत देते हैं।

6. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से ज्यादा अच्छे हैं?

उत्तर

धार्मिक लोगों से वे ला-मज़हबी और नास्तिक लोग ज्यादा अच्छे हैं जिनका आचरण अच्छा है, जो दरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) उत्तर दीजिए -


1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर

चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। मूर्ख लोग धर्म की दुहाई देकर अपने जान की बाजियाँ लगते हैं और धूर्त लोगों का बल बढ़ाते हैन। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ मजबूत उद्योग होना चाहिए।

2. 'बुद्धि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर

'बुद्धि पर मार' का आशय है की बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए लेना और फ़िर धर्म, ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ना भिड़ाना। यह साधारण लोगो नही समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मानते हैं।

3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर

लेखक की दृष्टि में धर्म किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने का साधन ना बने। जिसका मन जो धर्म चाहे वो माने और दूसरे को जो चाहे वो माने। दो भिन्न धर्मों मानने वालो के लिए टकरा जाने का कोई स्थान ना रहे। अगर कोई व्यक्ति दूसरे के धर्म में दखल दे तो इस कार्य को स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाये।

4. महात्मा गांधी के धर्म सम्बन्धी विचारो पर प्रकाश डालिये।

उत्तर

महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। धर्म के बिना एक पग भी चलने को तैयार नहीं होते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले।

5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर

सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रख सकेंगे। दिन भर के नमाज़, रोजे और गायत्री किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति की स्वाधीनता रौंदने और उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही छोड़ सकेगा।

पृष्ठ संख्या: 67

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।

1. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर

यहाँ लेखक का आशय इस बात से है कि साधारण लोग जो की धर्म को ठीक से जानते तक नहीं, परन्तु धर्म के खिलाफ कुछ भी हो तो उबाल पड़ते हैं। चालाक लोग उनकी इस मूर्खता का फायदा उठाकर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उनसे अपने ढंग से काम करवाते हैं।

2. यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

उत्तर

धर्म ईमान के नाम पर कोई भी साधारण आदमी आराम से चालाक व्यक्तियों की कठपुतली बन जाता है। वे पहले उनके बुद्धि पर परदा दाल देता है तथा उनकी ईश्वर और आत्मा का स्थान खुद ले लेता है। उसके बाद अपने कार्यसिद्धि के लिए उन्हें लड़ता भिड़ाता रहता है।

3. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर

आप चाहे दिन भर नमाज अदा और गायत्री पढ़ लें तभी आप उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही कर सकेंगे। आने वाले समय में केवल पूजा-पाठ को ही महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि आपके अच्छे व्यवहार को परखा जाएगा और उसे महत्व दिया जाएगा।

4. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो !

उत्तर

ईश्वर द्वारा कथित इस वाक्य से लेखक कहना चाहा रहा है की जिस तरह से धर्म के नाम पर अत्याचार हो रहे हैं उसे देखकर ईश्वर को यह बतलाना पड़ेगा की पूजा-पाठ छोड़कर अच्छे कर्मा की ओर ध्यान दो। तुम्हारे मानने या ना मानने से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा। इंसान बनो और दूसरों की सेवा करो।

भाषा अध्यन

1. उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए −
1.सुगम-दुर्गम
2.धर्म-.............
3.ईमान-.............
4.साधारण-.............
5.स्वार्थ-.............
6.दुरूपयोग-.............
7.नियंत्रित-.............
8.स्वाधीनता-.............

उत्तर

1.सुगम-दुर्गम
2.धर्म-अधर्म
3.ईमान-बेईमान
4.साधारण-असाधारण
5.स्वार्थ-निस्वार्थ
6.दुरूपयोग-सदुपयोग
7.नियंत्रित-अनियंत्रित
8.स्वाधीनता-पराधीनता

2. निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए −
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तर

ला -लाइलाज, लापरवाह
बिला -बिला वजह
बे -बेजान, बेकार
बद -बददिमाग, बदमिज़ाज़
ना -नाकाम, नाहक
खुश -खुशनसीब, खुशगवार
हर -हरएक, हरदम
गैर -गैरज़िम्मेदार, गैर कानूनी

3. उदाहरण के अनुसार 'त्व' प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए −
उदाहरण : देव + त्व =देवत्व

उत्तर


1.उत्तरदायी+त्व=उत्तरदायित्व
2.महा+त्व=महत्व
3.पशु+त्व=पशुत्व
4लघु+त्व=लघुत्व
5.व्यक्ति+त्व=व्यक्तित्व
6.मनुष्य+त्व=मनुष्यत्व


4. निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण − चलते-पुरज़े

उत्तर


समझता -बूझनाछोटे -बड़े
पूजा -पाठकटे -फटे
ठीक -ठाकखट्टे -मीठे
गिने -चुनेलाल -पीले
जले -भुनेईमान - धर्म
स्वार्थ -सिद्धीनित्य -प्रति


5. 'भी' का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए −
उदाहरण − आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।

उत्तर

1. मुझे भीपुस्तक पढ़नी है।
2. राम को खाना भीखाना है।
3. सीता को भीनाचना है।
4. तुम्हें भीआना है।
5. इन लोगों को भीखाना खिलाइए।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 8 - शक्र तारे के समान हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 8 - शक्र तारे के समान स्पर्श भाग-1 हिंदी

स्वामी आनंद

पृष्ठ संख्या: 76

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -

1. महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?

उत्तर 

महादेव भाई अपना परिचय गांधीजी के 'हम्माल' तथा 'पीर-बाबर्ची-खर' के रूप में देते थे। 

2. 'यंग  इंडिया' साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?

उत्तर 

'यंग  इंडिया' साप्ताहिक के मुख्य लेखक हार्नीमैन को अंग्रेज़ सरकार ने देश निकाला  इंग्लैंड भेज दिया इसलिए लेखों की कमी रहने लगी थी।

3.गांधीजी ने 'यंग इंडिया' प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

उत्तर

गांधीजी ने 'यंग इंडिया' प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि यह हफ्ते में दो बार छपेगी।

4. गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

उत्तर

गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।

5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

उत्तर

महादेव भाई के झोलों में समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाएँ पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं।

6.महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?

उत्तर

महादेव जी ने गांधीजी द्वारा लिखित 'सत्य के प्रयोग' का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।

7.  अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?

उत्तर

अहमदाबाद से यंग इंडिया और नवजीवन नामक दो साप्ताहिक निकलते थे।

8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

उत्तर

महादेव भाई दिन में 17-18 घंटे काम करते थे।

9. महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

उत्तर

महादेव भाई से गांधीजी की निकटता निम्न वाक्य से सिद्ध होती है −'ए रे जख्म जोगे नहि जशे' − यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं।

लिखित

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30) शब्दों  लिखिए -

1. गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

उत्तर

गांधीजी जब 1919 में जलियाँ वाल बाग हत्याकांड के बाद पंजाब जा रहे थे तो पलवल रेलवे स्टेशन पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तभी गांधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

2. गाँधीजी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

उत्तर

गाँधीजी से मिलने आनेवालों से महादेव जी खुद मिलते थे, उनकी समस्याएँ सुनते, उनकी संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करते और गांधीजी को बताते। इसके बाद वे आने वालों को गांधीजी से मिलवाते थे।

3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?

उत्तर

महादेव भाई ने 'सत्य का प्रयोग' का अंग्रेज़ी अनुवाद किया जो कि गांधीजी की आत्मकथा थी। वे प्रतिदिन डायरी लिखते थे। शरद बाबू, टैगोर आदि की कहानियों का भी अनुवाद किया, 'यंग इंडिया' में लेख लिखे।

4. महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर

महादेव भाई भरी गर्मी में वर्घा से पैदल चलकर सेवाग्राम आते थे और जाते थे। 11 मील रोज़ गर्मी में पैदल चलने से स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ा और उनकी अकाल मृत्यु हो गई।


5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे?

उत्तर

महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी कहते थे कि वे सटीक होते हैं। उनमें कभी कोमा तक की गलती भी नहीं होती है। अगर किसी की टाइप करवाई हुई बातचीत में खामियां निकल जाती तो गांधीजी  उन्हें कहते महादेव के लिखे नोट से मिलान कर लेना चाहिए था ना।

पृष्ठ संख्या: 77

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60) शब्दों  लिखिए -

1. पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?

उत्तर

पंजाब में फ़ौजी शासन ने अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके, जन्म-क़ैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया। राष्ट्रीय दैनिक पत्र 'ट्रिब्यून' के संपादक को 10 साल की सज़ा मिली।

2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?

उत्तर

महादेव जी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। वे कर्तव्यनिष्ठ थे, विन्रम स्वभाव के थे, आने वालों के साथ सहयोग करते थे। उनकी लेखन शैली का सभी लोहा मानते थे। वे कट्टर विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठता और विवेक युक्त बात करते थे। देश में ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय थे। इन्हीं सब करणों से वे सबके लाडले थे।

3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं ?

उत्तर

महादेव जी की लिखावट बहुत सुंदर थी। उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। उनके लिखे नोटों में कॉमा- हलंत तक की गलती नही होती थी। वाइसराय को जाने वाले पत्र गांधीजी हमेशा महादेव जी से ही लिखाते थे। उनका लेखन सबको मंत्रमुग्ध कर देता था।  बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में उनके समान अक्षर लिखने वाला कोई नहीं था।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −

1. 'अपना परिचय उनके 'पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर' के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।'

उत्तर

महादेव जी गांधीजी के मंत्री थे। वे गांधीजी के छोटे-बड़े सभी कार्य कुशलता पूर्वक करते थे। इसी कारण वे स्वयं को गांधीजी के 'पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर' कहते थे और उसमें गौरव का अनुभव करते थे।

2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।

उत्तर

वकालत पेशे का काम झूठ को सच और सच को झूठ सिद्ध करना होता है। इसमें पूरी सच्चाई से काम नहीं होता था ।

3. देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।

उत्तर

जिस तरह शुक्रतारा थोड़े समय में ही अपनी छटा से  मोहित कर देता है और फिर छिप जाता है उसी प्रकार महादेव जी भी थोड़े ही समय में अपनी कार्यकुशलता से सबके लाडले बन गए परन्तु अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए।

4. उन पत्रों को देख देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।

उत्तर

गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव जी की लिखावट में लिखे जाते थे। जिन पत्रों को गांधीजी दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय को भेजते उन पत्रों की लिखावट की सुन्दरता देखकर वे भी दांग रह जाते।

भाषा अध्यन

1. 'इक' प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए −
सप्ताह-साप्ताहिक
साहित्य-..............
व्यक्ति-..............
राजनीति-..............
अर्थ-..............
धर्म-..............
मास-..............
वर्ष-..............

उत्तर

1.सप्ताह-साप्ताहिक
2.साहित्य-साहित्यिक
3.व्यक्ति-वैयक्तिक
4.राजनीति-राजनीतिक
5. अर्थ-आर्थिक
6.धर्म-धार्मिक
7.मास-मासिक
8.वर्ष-वार्षिक

2. नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए −
अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि
आर्य-..............आगत-..............
डर-..............आकर्षण-..............
क्रय-..............मार्ग-..............
उपस्थित-..............लोक-..............
नायक-..............भाग्य-..............

उत्तर


आर्य-अनार्य
डर-निडर
क्रय-विक्रय
उपस्थित-अनुपस्थित
नायक-अधिनायक
आगत-स्वागत
मार्ग -कुमार्ग
लोक-परलोक
भाग्य-सौभाग्य


पृष्ठ संख्या: 78

3.निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
आड़े हाथों लेनाअस्त हो जाना
दाँतों तले अँगुली दबानामंत्र मुग्ध करना
लोहे के चने चबाना
उत्तर

1. आड़े हाथों लेना- पुलिस ने चोर को आड़े हाथों ले लिया।
2. दाँतों तले अँगुली दबाना− पाँच वर्ष के बालक को कम्प्यूटर पर काम करते देखा तो सबने दाँतों तले अँगुली दबा ली।
3. लोहे के चने चबाना− आतंकवादियों ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी लोहे के चने चबवा दिए।
4. अस्त हो जाना− बहुत मेहनत के बाद भारतीय अंग्रेजी राज्य के सूर्य को अस्त करने में सफल रहे।
5. मंत्र-मुग्ध करना− उसने अपने भाषण से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

4. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
वारिस-..............जिगरी-..............कहर-..............
मुकाम-..............रूबरू-..............फ़र्क-..............
तालीम-..............गिरफ़्तार-..............

उत्तर

वारिस-वंश, उत्तराधिकारी
मुकाम-लक्ष्य, मंज़िल
तालीम-शिक्षा, ज्ञान, सीख
जिगरी-पक्का, घनिष्ठ
फ़र्क-अंतर, भेद
गिरफ़्तार-कैद, बंदी

5. उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए −
उदाहरण : गाँधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।
1. महादेव भाई अपना परिचय 'पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर' के रूप में देते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उत्तर

1. महादेव भाई अपना परिचय 'पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर' के रूप में दिया करते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 9 - रैदास हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 9 - अब कैसे छूटे राम नाम ... ऐसी लाल तुझ बिनु ... स्पर्श भाग-1 हिंदी

रैदास

पृष्ठ संख्या: 89

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे- पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण :दीपकबाती
.............................
..............................
...............................
...............................
(घ) दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
(ङ) दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसइआ


उत्तर

(क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना निम्नलिखित चीज़ों से की गई हैं−
(1) भगवान की घन बन से, भक्त की मोर से
(2) भगवान की चंद्र से, भक्त की चकोर से
(3) भगवान की दीपक से, भक्त की बाती से
(4) भगवान की मोती से, भक्त की धागे से
(5) भगवान की सुहागे से, भक्त की सोने से
(6) भगवान की चंदन से, भक्त की पानी से

(ख)
मोराचकोरा
दासारैदासा
बातीराती
धागासुहागा
(ग)
मोतीधागा
घन बनमोर
सुहागासोना
चंदन पानी
दासास्वामी
(घ) 'गरीब निवाजु' का अर्थ है, गरीबों पर दया करने वाला। कवि ने भगवान को 'गरीब निवाजु' कहा है क्योंकि ईश्वर ही गरीबों का उद्धार करते हैं, सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं।

(ङ) 'जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं, उनकी मद्द करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं।

(च) रैदास ने अपने स्वामी को गुसईया, गरीब निवाज़, गरीब निवाज़ लाला प्रभु आदि नामों से पुकारा है।

(छ)
मोरा-मोर
चंद-चन्द्रमा
बाती-बत्ती
बरै-जले
राती-रात
छत्रु-छत्र
धरै-रखे
छोति-छुआछूत
तुहीं-तुम्हीं
राती-रात
गुसइआ-गौसाई

2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क)जाकी अँग-अँग बास समानी
(ख)जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग)जाकी जोति बरै दिन राती
(घ)ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ)नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

उत्तर

(क) कवि के अंग-अंग मे राम-नाम की सुगंध व्याप्त हो गई है। जैसे चंदन के पानी में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार राम नाम के लेप की सुगन्धि उसके अंग-अंग में समा गयी है।

(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है। इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।

(ग) ईश्वर दीपक के समान है जिसकी ज्योति हमेशा जलती रहती है। उसका प्रकाश सर्वत्र सभी समय रहता है।

(घ) भगवान को लाल कहा है कि भगवान ही सबका कल्याण करता है इसके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों को ऊपर उठाने का काम करता हो।

(ङ) कवि का कहना है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।


3. रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

पहले पद का केंद्रिय भाव− जब भक्त के ह्रदय में एक बार प्रभु नाम की रट लग जाए तब वह छूट नहीं सकती। कवि ने भी प्रभु के नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। भक्त और भगवान दो होते हुए भी मूलत: एक ही हैं। उनमें आत्मा परमात्मा का अटूट संबंध है।
दूसरे पद में− प्रभु सर्वगुण सम्पन्न सर्वशक्तिमान हैं। वे निडर है तथा गरीबों के रखवाले हैं। ईश्वर अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीच को भी ऊँचा बनाने वाले हैं।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 10 - दोहे हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 10 - दोहे स्पर्श स्पर्श भाग-1 हिंदी 

रहीम

पृष्ठ संख्या: 94

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये - 

(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भांति क्यों नही हो पाता?

उत्तर 

प्रेम का धागा एक बार टूटने के बाद उसे दुबारा जोड़ा जाए तो उसमे गाँठ पड़ जाती है। वह पहले की भाँती नही जुड़ पाती, इसमें अविश्वास और संदेह की दरार पड़ जाती है। 

(ख) हमें अपना दुख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

उत्तर

हमें अपना दुख दूसरों पर इसलिए प्रकट नही करना चाहिए क्योंकि इससे कोई लाभ नही है। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर वे उसका मजाक उड़ाते हैं।

(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

उत्तर

रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि छोटा होने के वावजूद भी वो लोगों और जीव-जंतुओं की प्यास को तृप्त करता है। सागर विशाल होने के बाद भी किसी की प्यास नही बुझा पाता।

(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

उत्तर

कवि की मान्यता है कि ईश्वर एक है। उसकी ही साधना करनी चाहिए। वह मूल है। उसे ही सींचना चाहिए। जैसे जड़ को सीचने से फल फूल मिल जाते हैं उसी तरह एक ईश्वर को पूजने से सभी काम सफल हो जाते हैं। केवल एक ईश्वर की साधना पर ध्यान लगाना चाहिए।

(ड़) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नही कर पाता?

उत्तर 

जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नही कर पाता क्योंकि उसके पास अपना कोई सामर्थ्य नही होता। कोई भी उसी की मदद करता है जिसके पास आंतरिक बल होता है नही तो कोई मदद करने नही आता। 

(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

उत्तर 

अपने पिता के वचन को निभाने के लिए अवध नरेश को चित्रकूट जाना पड़ा। 

(छ) 'नट' किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

उत्तर 

'नट'  कुंडली मारने की कला में सिद्ध कारण ऊपर चढ़ जाता है। 

(ज)'मोती, मानुष, चून' के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

मोती' के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। 'मानुष' के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। 'चून' के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता। आटे और चूना दोनों में पानी की आवश्यकता होती है।

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −

(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

उत्तर

कवि इस पंक्ति द्वारा बता रहा है की प्रेम का धागा एक बार टूट जाने पर फिर से जुड़ना कठिन होता है। अगर जुड़ भी जाए तो पहले जैसा प्रेम नही रह जाता। एक-दूसरे के प्रति अविश्वास और शंका होती रहती है।

(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

उत्तर

कवि का कहना है कि अपने दुखों को किसी को बताना नही चाहिए। दूसरे लोग सहायता नही करेंगे और उसका मजाक भी उड़ायेंगे।

(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

उत्तर

इन पंक्तियों द्वारा कवि एक ईश्वर की आराधना पर ज़ोर देते हैं। इसके समर्थन में कवि वृक्ष की जड़ का उदाहरण देते हैं कि जड़ को सींचने से पूरे पेड़ पर पर्याप्त प्रभाव हो जाता है। अलग-अलग फल, फूल, पत्ते सींचने की आवश्यकता नहीं होती।

(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

उत्तर

जिस तरह संगीत की मोहनी तान पर रीझकर हिरण अपने प्राण तक त्याग देता है। इसी प्रकार मनुष्य धन कला पर मुग्ध होकर धन अर्जित करने को अपना उद्देश्य बना लेता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वो सब कुछ त्यागने को भी तैयार हो जाता है।

(ड)  जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

उत्तर

 हरेक छोटी वस्तु का अपना अलग महत्व होता है। कपडा सिलने का कार्य तलवार नही कर सकता वहां सुई ही काम आती है। इसलिए छोटी वस्तु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

(च) पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चून।

उत्तर

जीवन में पानी के बिना सब कुछ बेकार है। इसे बनाकर रखना चाहिए, जैसे चमक या आब के बिना मोती बेकार है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन बेकार है और बिना पानी के आटा या चूना को गुंथा नही जा सकता। इस पंक्ति में पानी की महत्ता को स्पष्ट किया गया है।

पृष्ठ संख्या: 95

3. निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है −

(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
− ''जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।''

(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
− ''बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।''

(ग) पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।
− ''रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।''

4. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
उदाहण : कोय कोई , जे - जो
ज्यों----------------कछु----------------
नहिं----------------कोय----------------
धनि----------------आखर----------------
जिय----------------थोरे----------------
होय----------------माखन----------------
तरवारि----------------सींचिबो----------------
मूलहिं----------------पिअत----------------
पिआसो----------------बिगरी----------------
आवे----------------सहाय----------------
ऊबरै----------------बिनु----------------
बिथा----------------अठिलैहैं----------------
परिजाय--------------------------------

उत्तर

ज्यों-जैसेकछु-कुछ
नहि-नहींकोय-कोई
धनि-धन्यआखर-अक्षर
जिय-जीथोरे-थोड़े
होय-होनामाखन-मक्खन
तरवारि-तलवारसींचिबो-सींचना
मूलहिं-मूल कोपिअत-पीना
पिआसो-प्यासाबिगरी-बिगड़ी
आवे-आएसहाय-सहायक
ऊबरै-उबरनाबिनु-बिना
बिथा-व्यथाअठिलैहैं-हँसी उड़ाना
परिजाए-पड़ जाए


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 11 - आदमी नामा हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 11 - आदमी नामा स्पर्श भाग-1 हिंदी

नज़ीर अकबराबादी 

पृष्ठ संख्या: 99

प्रश्न अभ्यास 

(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बख़ान करती है? क्रम से लिखिए।

उत्तर

(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी में निम्नलिखित रूपों का बखान करती है−
1. आदमी का बादशाही रूप
2. आदमी का मालदारी रूप
3. आदमी का कमजोरी वाला रूप
4. आदमी का स्वादिष्ट भोजन करने वाला रूप
5. आदमी का सूखी रोटियाँ चबाने वाला रूप

(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

चारों छंदो में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों का तुलनात्मक रूप प्रस्तुत किया है −
सकारात्मक रूपनकारात्कम रूप
1. एक आदमी शाही किस्म के ठाट-बाट भोगता है।1. दूसरे आदमी को गरीबो में दिन बिताने पड़ते हैं।
2. एक आदमी मालामाल होता है2. दूसरा आदमी कमज़ोर होता जाता है।
3. एक स्वादिष्ट भोजन खाता है।3. दूसरा सूखी रोटियाँ चबाता है।
4. एक धर्मस्थलों में धार्मिक पुस्तकें पढ़ता है4. दूसरा धर्मस्थलों पर जूतियाँ चुराता है।
5. एक आदमी जानन्योछावर करता है5. दूसरा जान से मार डालता है।
6. एक शरीफ सम्मानित है6. दूसरा दुराचारी दुरव्यवहार करने वाला

(ग) 'आदमी नामा' शीर्षक कविता के इन अंशो को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?

उत्तर

'आदमी नामा' शीर्षक कविता के अंशों को पढ़कर हमारे मन में यह धारणा बनती है कि मुनष्य की अनेक प्रवृतियां है। कोई व्यक्ति धनवान है तो किसी के पास खाने को कुछ नहीं है। कुछ लोग  दूसरों की मदद करके खुश होते हैं तो कुछ दूसरों को अपमानित करके। कोई व्यक्ति शरीफ है तो कोई दुष्ट। अतः मनुष्य भाग्य और परिस्थतियों का दास होता है।

(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर

कविता का यह भाग बहुत अच्छा है −
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी
इस भाग कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों  व्याख्या की है। उन्होंने यह बतलाया है की धनवान और निर्धन दोनों आदमी ही हैं फिर भी उन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। इसी प्रकार पहलवान और कमजोर व्यक्ति भी आदमी ही हैं। सब आदमी होने के वाबजूद कोई रोज़ खाता है तो किसी को भूखा रहना पड़ता है।

(ङ)आदमी की प्रवृतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

'आदमी नामा' कविता के आधार पर आदमी की प्रवृतियाँ विभिन्न हैं। कुछ लोग बहुत अच्छे होते हैं कुछ लोग बहुत बुरे होते हैं। कुछ मस्ज़िद बनाते हैं, कुरान शरीफ़ का अर्थ बताते हैं तो कुछ वहीं जूतियाँ चुराते हैं। कुछ जान न्योछावर करते हैं, कुछ जान ले लेते हैं। कुछ दूसरों को सम्मान देकर खुश होते हैं तो कुछ अपमानित करके खुशी महसूस करते हैं।

2. निम्नलिखित अंशों को व्याख्या कीजिए −

(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी

उत्तर

यही दुनिया कई तरह के लोगों से भड़ी पड़ी है। यहाँ कोई ठाठ -बाट से जी रहा है तो किसी के के पास कुछ भी नही है। दोनों की स्थितियों में बहुत बड़ा अंतर है।

(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर

उत्तर

इस दुनिया में कुछ लोग बहुत ही शरीफ़ होते हैं तो कुछ लोग दुष्ट स्वभाव के। कुछ वजीर, कुछ बादशाह होते हैं। कुछ स्वामी तो कुछ सेवक होते हैं, कुछ लोगों के दिल के बहुत छोटे होते हैं।


3. निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए −

(क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी

उत्तर

इन पंक्तियों में व्यक्ति-व्यक्ति की रूचि और कार्यों में अंतर पर व्यंग्य किया गया है। कोई व्यक्ति मस्जिद में जाकर नमाज अदा करता है तो कोई वहीं पर जूतियाँ चुराता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने वाले भी होते हैं। इन सभी कामों को करने वाले आदमी ही करते हैं। मनुष्य के स्वभाव में अच्छाई बुराई दोनों होते हैं परन्तु वह किधर चले यह उस पर ही निर्भर करता है।

(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुन के दौड़ता है सो है वो भी आदमी

उत्तर

इन पंक्तियों में मनुष्यों के भिन्न रूपों पर व्यंग्य किया गया है। कोई आदमी दूसरों का अपमानित कर खुशी महसूस करता है तो मदद को पुकारने वाला भी आदमी ही  होता है। उसकी पुकार को सुनकर मदद करने वाला भी आदमी होता है। यानी परिस्थति बदलने पर आदमी का स्वरुप भी बदल जाता है।

पृष्ठ  संख्या: 100

4. नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)फ़न (कौशल)
राज (शासन)फन (साँप का मुहँ)
ज़रा (थोड़ा)फ़लक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा)फलक (लकड़ी का तख्ता)

ज़ फ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।

उत्तर 


बाज़बाज
नाज़नाज
कफ़कफ
फ़क्रफक्र

5. निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए −

(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना

उत्तर

(क) टुकड़े चबाना − कुछ व्यक्ति  मेहनत करके भी सूखे टूकड़े चबाता है।
(ख) पगड़ी उतारना − मोहन  श्याम की भरी सभा में पगड़ी उतारी।
(ग) मुरीद होना − उसकी बातें सुनकर मैं तो उसका मुरीद बन गया।
(घ) जान वारना − गणेश अपने भाई पर जान वारता है।
(ङ) तेग मारना − दुष्ट स्वभाव के लोग ही दूसरों को तेग मारते हैं।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 12 - एक फूल की चाह हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 12 - एक फूल की चाह स्पर्श भाग-1 हिंदी

सियारामशरण गुप्त

पृष्ठ संख्या: 109

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

1. सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृ्दय काँप उठता था।

उत्तर 

मेरा हृदय काँप उठता था
बाहर गई निहार उसे
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।

2. पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा। 

उत्तर

ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल
स्वर्ण कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि कर जाल।

3. पुजारी से प्रसाद फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन स्थिति।

उत्तर

भूल गया उसका लेना झट
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा- बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।

4. पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।

उत्तर 

अंतिम बार गोद में बेटी
तुझको ले न सका मैं हा
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर

बीमार बच्ची ने देवी माँ के प्रसाद का एक फूल की इच्छा प्रकट की।

(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर

सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता भंग करने का आरोप लगाकर दंडित किया गया।

(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर

जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया।


(ङ) इस कविता का केन्द्रिय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

इस कविता का केन्द्रिय भाव छुआछूत है। यह मानवता के नाम पर कलंक है। जन्म के आधार पर किसी को अछूत मानना एक अपराध है। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर अछूत होने पर किसी के प्रवेश पर रोक लगाना सर्वथा अनुचित है। कवि चाहता है कि इस प्रकार की सामाजिक विषमता का शीघ्र अंत हो। सभी को सामाजिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हो।

(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों बिंबों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण : अंधकार की छाया
(i) .............................                (ii) .................................
(iii) ...........................                 (iv) .................................
(v) .............................

उत्तर

(च) (i) निज कृश रव में
(ii) स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा
(iii) जलते से अंगारे
(iv) विस्तीर्ण विशाल
(v) पतित-तारिणी पाप हारिणी

पृष्ठ संख्या: 110

2. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए −

(क) अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीतीं
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी


उत्तर 


(क) आँखें हमेशा रोती रहती हैं।  उनसे आँसू रूपी पानी बरसता रहता है। आँसू कभी समाप्त नहीं होते हैं। इन पंक्तियों में पिता के लगातार निरंतर रोने की दशा का वर्णन किया गया है।

(ख) सुखिया की चिता की आग अब बुझ गई थी। लेकिन उसे देखकर पिता के दिल में दुख से उपजी वेदना की चिता जलने लगी। अर्थ की सुंदरता यह है कि एक चिता बाहर जलकर अभी बुझी है और दूसरी चिता दिल के अंदर जलनी आरंभ हो गई है। इसमें पिता के दुख और उससे उत्पन्न वेदना का वर्णन किया गया है।

(ग) चंचल सुखिया बीमारी से पीड़ित होकर ऐसे चुपचाप लेटी हुई थी मानो उसने अटल शांति धारण कर ली हो। यहाँ नटखट बालिका का शांत भाव से पड़े रहने की दशा का वर्णन है।

(घ) मंदिर में आए लोगों ने जब सुखिया के पिता को मंदिर में देखा, तो उन्हें बड़ा गुस्सा आया। लोगों को मंदिर में एक अछूत का आना पसंद नहीं आया। वे एक अछूत का मंदिर में इस प्रकार चले आने को अनर्थ मानने लगे।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 13 - गीत - अगीत हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 13 - गीत - अगीत स्पर्श भाग-1 हिंदी 

रामधारी सिंह दिनकर

पृष्ठ संख्या: 115

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -

(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।

उत्तर

"देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।"

(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर

जब शुक गाता है तो शुकी का ह्रदय प्रसन्नता से फूल जाता है। वह उसके प्रेम में मग्न हो जाती है। शुकी के ह्रदय में भी गीत उमड़ता है, पर वह स्नेह में सनकर ही रह जाता है। शुकी अपने गीत को अभिव्यक्त नहीं कर पाती वह शुक के प्रेम में डूब जाती है पर गीत गाकर उत्तर नहीं दे पाती है।

(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?

उत्तर

प्रेमी प्रेमभरा गीत गाता है तब उसकी प्रेमिका की यह इच्छा होती है कि वह भी उस प्रेमगीत का एक हिस्सा बन जाए।वह गीत की कड़ी बनना चाहतीहै।

(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

उत्तर

'गीत अगीत' कविता के प्रथम छंद में प्रकृति का मनोहारी चित्रण है। सामने नदी बह रही है माने वह अपने कल-कल स्वर में वेदना प्रकट करती है। वह तटों को अपनी विरह व्यथा सुनाती है। उसके किनारे उगा गुलाब का पौधा हिलता रहता है मानो कह रहा हो विधाता ने मुझे भी स्वर दिया होता तो मैं भी अपनी व्यथा कह पाता। नदी गा-गाकर बह रही है और गुलाब चुपचाप खड़ा है।

(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।

उत्तर

प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों का अनन्य सम्बन्ध है।  दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। पशु-पक्षी अपने भोजन और आवास के लिए प्रकृति पर ही निर्भर करते हैं, प्रकृति पर उनका जीवन निर्भर है। कई मायनों में पशु-पक्षी प्रकृति को शुद्ध भी रखते हैं।

(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

मनुष्य को प्रकृति अनेक रूपों में आंदोलित करती है। मनुष्य का प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता है। प्रकृति का आलंबन रूप उसे भाता है तो प्रकृति का उद्दीपन रूप उसके भावों को गतिमान बनाता है। प्रकृति उसे शिक्षक के रूप में सिखाती है। मनुष्य प्रकृति को देखकर बहुत खुश होता है। नदियाँ, झरने, वृक्ष, पशु-पक्षी, पर्वत आदि और उनके स्वर सभी कुछ अद्भुत और सुन्दर लगते हैं। मनुष्य उससे केवल खुश ही नहीं होता, उससे शिक्षा भी लेता है।

(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

गीत, अगीत में बस मामूली सा अतंर है। जब मन के भाव प्रकट होते हैं, तब वे 'गीत' का रूप ले लेते हैं। जब हम उन भावों को मन ही मन अनुभव करते हैं, पर कह नहीं पाते, तब वह 'अगीत' बन जाता है। वैसे अगीत का कोई अस्तित्व नहीं होता, क्योंकि कभी न कभी उन्हें गाया भी जा सकता है। दोनों में देखने में अंतर है। जिस भावना या मनोदशा में गीत बनता है वह ही अगीत होता है।

(ज) 'गीत-अगीत' के केंद्रीय भाव को लिखिए।

उत्तर

गीत-अगीत कविता का केन्दिय भाव यह है कि गीत रचने की मनोदशा ज्य़ादा महत्व रखती है, उसको महसूस करना आवश्यक है। जैसे कवि को नदी के बहने में भी गीत का होना जान पड़ता है। उसे शुक, शुकी के क्रिया कलापों में भी गीत नज़र आता है। कवि प्रकृति की हर वस्तु में गीत गाता महसूस करता है। उनका कहना है जो गाया जा सके वह गीत है और जो न गाया जासके वह अगीत है।

2. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए -
(क) अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता

उत्तर

प्रस्तुत पंद्याश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत-अगीत' से लिया गया है। इसमें कवि एक गुलाब के पौधे की व्यथा का वर्णन करता है। इन पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि नदी के किनारे उगा गुलाब का पौधा उसके कल-कल बहने के स्वर को समझता है कि वह अपनी बात तटों से कह रही है। अगर उसे भी स्वर मिला होता तो वह भी पतझड़ की व्यथा को सुना पाता। उसके भाव गीत न होकर अगीत ही रह जाते हैं। 

(ख) गाता शुक जब किरण बसंत
छूती अंग पर्ण से छनकर

उत्तर

प्रस्तुत पंद्याश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत अगीत' से लिया गया है। यहाँ कवि शुक तथा शुकी के प्रसंग के माध्यम से गीतों के महत्व को प्रस्तुत किया है। कवि के अनुसार शुक जब डाल पर बैठकर किरण बंसती का गीत गाता है तो शुकी पर उसकी स्वर लहरी का प्रभाव पड़ता है और उसमें सिरहन होने लगती। उसकी स्वर लहरी पत्तों से छन छन कर शुकी के अंगों में समा जाती है। अर्थात शुक का गीत शुकी को इतना आकर्षक लगता कि वह उसी में खो जाती थी।

(ग) हुई न क्यों में कडी गीत की
विधना यों मन में गुनती है

उत्तर

प्रस्तुत काव्यांश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत अगीत' कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बताया कि एक प्रेमी जब संध्या के समय गीत गाता है तो उसका प्रभाव उसकी प्रेमिका पर पड़ता है। प्रेमीप्रेमिका के माध्यम से कवि ने गीतों के महत्व को स्पष्ट किया है। जब संध्या के समय शुक गीत गाता है तो उसके गीत से मंत्रमुग्ध सी शुकी उसकी ओर खिचीं चली आती है और उसके मन में एक इच्छा जन्म लेने लगती है कि काश वह उस गीत को गा सकती वह भी उसकी कड़ी बन पाती।

3. निम्नलिखित उदाहरण में 'वाक्य-विचलन'को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए −

(क) देते स्वर यदि मुझे विधाता

यदि विधावा मुझे स्वर देते।

ख) बैठा शुक उस घनी डाल पर

उस धनी डाल पर शुक बैठा है।

(ग) गूँज रहा शुक का स्वर वन में

शुक का स्वर वन में गूँज रहा है।

(घ) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की

मैं गीत की कड़ी क्यों न हो सकी।

(ङ) शुकी बैठ अंडे है सेती

शुकी बैठ कर अंडे सेती है।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 14 - अग्नि पथ हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 14 - अग्नि पथ स्पर्श भाग-1 हिंदी

हरिवंशराय बच्चन

पृष्ठ संख्या: 119

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(क) कवि ने 'अग्नि पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

उत्तर

कवि ने 'अग्नि पथ' का प्रयोग मानव जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप किया है। यह जीवन संघर्षमय है फिर भी इस पर सबको चलना ही पड़ता है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कवि का मानना है कि यह जीवन कठिनाइयों, चुनौतियों और संकटों से भरा है।

(ख) 'माँग मत', 'कर शपथ', इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर

कवि ने इन शब्दों का बार-बार प्रयोग करके जीवन की कठिनाइयों को सहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि इस मुश्किल भरे रास्ते से घबराकर रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, घबराकर हार नहीं माननी चाहिए। इसी प्रेरणा को देने के लिए कवि ने इस शब्द का बार-बारप्रयोग किया है।

(ग) 'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

'एक पत्र छाह भी माँग मत' − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −

(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी

उत्तर

इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है की जीवन कष्टों से भरा पड़ा है परन्तु व्यक्ति को इन कष्टों से जूझकर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्हें थक हार कर बीच में रुकना नही चाहिए।

(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ

उत्तर

कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने मनुष्य को आगे चलते रहने की प्रेरणा दी है क्योंकि संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है। इससे शक्ति भी क्षीण हो जाती है परन्तु मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबराकर उपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए, लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।

3. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इस कविता का मूलभाव है कि जीवन संघर्षों से भरा रहता है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर पल, हर पग पर चुनौतियाँ मिलती हैं परन्तु इन्हें स्वीकार करना चाहिए, इनसे घबरा कर पीछे नहीं हटना चाहिए, ना ही मुड़ कर देखना या किसी का सहारा लेना चाहिए। संकटों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। बिना थके, बिना रूके, बिना हार माने इस जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 15 - नए इलाके में ... खुशबू रचते हैं हाथ हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 15 - नए इलाके में ...  खुशबू  रचते हैं हाथ स्पर्श भाग-1 हिंदी 

अरुण कमल

नए इलाके में 

पृष्ठ संख्या: 124

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

उत्तर 

नए बसते इलाके में प्रतिदिन नए मकान बनते चले जा रहे हैं। इन मकानों के बनने से पुराने पेड़, खाली ज़मीन, टूटे-फूटे घर सब कुछ खत्म हो गए हैं।  कवि अपने ठिकाने पर पहुँचने के लिए निशानियाँ बनाता है, वे जल्दी मिट जाती हैं। इसीलिए कवि रास्ता भूल जाता है।

(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर

इस कविता में पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, ज़मीन का खाली टुकड़ा, बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला मकान आदि पुराने निशानों का उल्लेख है। 

(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?

उत्तर

कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि नए इलाके में प्रतिदिन परिवर्तन आ रहे हैं। उसकी पुरानी पहचान करने की निशानियाँ मिट जाती हैं।

(घ) 'वसंत का गया पतझड़' और 'बैसाख का गया भादों को लौटा' से क्या अभिप्राय है?

उत्तर

कवि ने इस पंक्तियों में तेजी से बदलते दुनिया की ओर इशारा किया है। वे बताते हैं कि जब वो नए बसते इलाके में कुछ दिनों बाद आते हैं तो उन्हें हर चीज़ नयी मालूम पड़ती है। उन्हें लगता है वो सालों बाद आये हैं।

पृष्ठ संख्या: 125

(च) इस कविता में कवि ने शहरों को किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

उत्तर

इस कविता में कवि ने शहरों की इस विडंबना की ओर संकेत किया है कि जीवन की सहजता समाप्त होती जा रही है, बनावटी चीज़ों के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है। सब आगे निकलना चाहते हैं, आपसी प्रेम, आत्मियता घटती जा रही है। लोगों की और रहने के स्थान की पहचान खोती जा रही है। स्वार्थ केन्द्रित लोगों के पास दूसरे के लिए समय ही नहीं है। आज की चीज़ कल पुरानी पड़ जाती है, कुछ भी स्थाई नहीं है।

2. व्याख्या कीजिए

(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि नए इलाके में उसकी स्मृति भी उसका साथ छोड़ देती है। यहाँ नित नई-नई इमारतें बन रही हैं। इस कारण से वह इस नए इलाके का जो रेखाचित्र बनाकर उसे याद रखता है, वह हर रोज़ बदल जाता है। इसलिए कवि को अब अपनी स्मृति पर भी भरोसा नहीं है।

(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है क्योंकि उसने अपना काफी समय अपने घर को ढूँढने में बर्बाद कर दिया। आज के इस प्रगतिशील समय में हर इंसान प्रगति की सीढ़ियों को पार करने में लगा हुआ है परन्तु कवि अपनी पहचान भी भूल गया है। समय के इस अभाव के कारण वह किसी के भी साथ आत्मीय सम्बंध नहीं बना पाता है।

योग्यता विस्तार

3. पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।

उत्तर

चैत्र, बैशाख, जेठ, अषाढ़, सावन, भादो, क्वार, कार्तिक, अगहन, पूस, माघ, फागुन।

खुशबु रचते हैं हाथ 

(क) 'खुशबु रचनेवाले हाथ' कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

उत्तर

खुशबु रचने वाले हाथ दूर दराज के सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में रहते हैं। इनके घर नालों के पास और गलियों के बीच होते हैं। इनके घरों के आस-पास कूड़े-करकट का ढेर होता है। यहाँ इतनी बदबू होती है कि सिर फट जाता है। ये सारी दुनिया की गंदगी के बीच रहते हैं जो अत्यन्त दयनीय है।

(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

उत्तर

कविता में उभरी नसों वाले हाथ, पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, गंदे कटे-पिटे हाथ, घिसे नाखुनों वाले हाथ, जूही की डाल से खूशबूदार हाथ, जख्म से फटे हाथ जैसे हाथों की चर्चा हुई है।

(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि 'खुशबू रचते हैं हाथ'?

उत्तर

कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि अगरबत्ती जिसका प्रयोग सुंगध फैलाने के लिए किया जाता है का निर्माण हाथों द्वारा किया जाता है।

(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?

उत्तर

जहाँ अगरबत्तियाँ बनती है, वहाँ का माहौल बड़ा ही गन्दा होता है। अगरबत्तियाँ गंदी बस्तियों में बनाई जाती हैं। ये बस्तियाँ अधिकतर गंदे नालों के किनारे पर स्थित होती हैं। यहाँ जगह-जगह कूड़े के ढेर व गन्दगी का राज होता है। चारों तरफ़ बदबू फैली होती है।

(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर

इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य गरीब मज़दूरों की दयनीय दशा की ओर ध्यान आकर्षित करना है। इस प्रकार कवि उनके उद्धार के प्रति चेतना जाग्रत करना चाहता है। वह चाहता है कि इन श्रमिकों की दयनीय दशा को सुधारा जाए, इनके रहने की दशा को स्वास्थ्यप्रद बनाया जाए।

2.  व्याख्या कीजिए −

(क) (i) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ

उत्तर

इन पंक्तियों में बच्चों की ओर कि इशारा किया गया है जिनके हाथ पीपल के पत्तों की तरह कोमल, नए हैं, जिनमें जूही की डाल जैसी खुशबू आती है परन्तु अगरबत्ती बनाते बनाते उनके कोमल हाथ खुरदरे हो गए हैं। उनकी कोमलता और सुगंध गायब हो जाती है।

(ii) दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ

उत्तर

कवि कहता है कि खुशबु रहने वाले हाथ अर्थात अगरबत्ती बनाने वाले लोग स्वयं कितने गंदे वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। इस गंदगी में रहकर भी इनके हाथ में कमाल का जादू है ये खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाते हैं।

(ख) कवि ने इस कविता में 'बहुवचन' का प्रयोग अधिक किया है। इसका क्या कारण है?

उत्तर

कवि ने इस कविता में किसी ख़ास एक व्यक्ति का वर्णन नही किया है बल्कि एक समाज का वर्णन किया है इस कारण इस कविता में 'बहुवचन' का प्रयोग अधिक किया है।

(ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रोयग किया है।

उत्तर

कवि ने हाथों के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रोयग किया है −
1. उभरी नसों वाले हाथ
2. गंदे नाखूनों वाले हाथ
3. पत्तों से नए हाथ
4. खुशबूदार हाथ
5. गंदे कटे पिटे हाथ
6. फटे हुए हाथ
7. खुशबू रचते हाथ


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 1 - गिल्लू हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 1 - गिल्लू संचयन भाग-1 हिंदी 

महादेवी वर्मा

पृष्ठ संख्या: 6

बोध प्रश्न 

1. सोन जूही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?

उत्तर

सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थीं।

2. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?

उत्तर

कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि वह छत पर बैठकर अपनी आवाज़ से प्रियजनों के आने की सुचना देता है। पितृपक्ष में लोग इसे आदर से बुलाकर भोजन देते हैं। इसे अनादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि इसकी आवाज़ बहुत कड़वी होती है।

3. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?

उत्तर

लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।

पृष्ठ संख्या: 7

4. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?

उत्तर

लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आकर खेलता फिर सर्र से पर्दे पर चढ़ जाता फिर उसी तेज़ी से उतरता। वह इसी तरह भाग दौड़ करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठ न जाती।

5.  गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?

उत्तर

बाहर की गिलहरियाँ खिड़की के जाली के पास बैठ कर चिक् चिक् करती। उन्हें देखकर गिल्लू उनके पास आकर बैठ जाता उसको इस तरह बाहर निहारते हुए देखकर लेखिका ने इसे मुक्त करना आवश्यक समझा। लेखिका ने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया जिससे गिल्लू बाहर आ जा सके।

6. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?

उत्तर


लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।

7. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?

उत्तर

गिल्लू ने दिन भर कुछ भी नहीं खाया न बाहर गया अंत समय की मुश्किल के बाद भी वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे पहले उसने घायल अवस्था में पकड़ा था। इन्हीं चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका अंत समय समीप है।

8. 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' −का आश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इस कथन का आशय यह है कि सुबह होते होते गिल्लू की मृत्यु हो गई और वह हमेशा के लिए सो गया ताकि वह कहीं और जन्म लेकर नए जीवन को पा सके।

9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?

उत्तर

सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि बनाई गई क्योंकि यह लता गिल्लू को बहुत पसंद थी और साथ ही लेखिका को विश्वास था कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रुप में देखेगी। जुही में जब पीले फूल लगेंगे तो लेखिका के समक्ष गिल्लू की स्मृति साकार हो जाएगी। इससे उन्हे संतोष मिलेगा।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 2 - स्मृति हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 2 - स्मृति संचयन भाग-1 हिंदी 

श्रीराम शर्मा

पृष्ठ संख्या: 17

बोध प्रश्न 

1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर

भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में पिटने का डर था।

2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तर

मक्खनपुर पढ़ने जाने के रास्ते में एक सुखा कुआँ था जिसमें साँप गिर गया था। बच्चों की टोली उस साँप की फुसकार सुनने के लिए ढेला फेंकती थी।

3.'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं' - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर

उपर्युक्त कथन लेखक बदहवास मनोदशा को स्पष्ट करता है। जिस समय लेखक कुएं में ढेला फेक रहा था उसी वक्त उसके टोपी से चिट्ठियां गिर गयीं। उसे याद नही कि ढेला साँप को लगा या नही, साँप ने फुसकार मारी या नही क्योंकि उस वक्त वह बहुत डर गया था।

4.किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर 

चिट्ठियाँ लेखक के बड़े भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

उत्तर

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया। डंडा बीच में होने से साँप उस पर वार नहीं कर पाया।

6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

भाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियाँ कुछ रस्सी मिलाकर बाँधी और धोती की सहायता से वह कुएँ में उतरा। अभी 4-5गज ऊपर ही था कि साँप फन फैलाए हुए दिखाई दिया। उसने सोचा धोती से लटककर साँप को मारा नहीं जा सकता और डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने का प्रयत्न किया तो साँप डंडे पर लिपट गया। साँप का पिछला हिस्सा लेखक के हाथ को छू गया तो उसने डंडा पटक दिया। उसका पैर भी दीवार से हट गया और धोती से लटक गया। फिर हिम्मत करके उसने कुएँ की मिट्टी साँप के एक ओर फेंकी। डंडे के गिरने और मिट्टी फेंकने से साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा। धीरे से डंडा भी उठा लिया और कुएँ से बाहर आ गया। वास्तव में यह एक साहसिक कार्य था।

7.  इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर

1. मौसम अच्छा होते ही खेतों में जाकर फल तोड़कर खाना।
2. स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करना।
3. रास्ते में आए कुएँ, तालाब, पानी से भरे स्थानों पर पत्थर फेंकना, पानी में उछलना।
4. जानवरों को तंग करते हुए चलना।
5. अपने आपको सबसे बहादुर समझना आदि अनेकों बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है।

8. 'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं' का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

मनुष्य अपनी स्थिति का सामना करने के लिए स्वयं ही अनुमान लगाता है और अपने हिसाब से भावी योजनाएँ भी बनाता है। परन्तु ये अनुमान और योजनाएँ पूरी तरह से ठीक उतरे ऐसा नहीं होता। कई बार यह गलत भी हो जाती हैं। जो मनुष्य चाहता है, उसका उल्टा हो जाता है। अत: कल्पना और वास्तविकता में हमेशा अंतर होता है।

9. 'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है' − पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 

लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा था कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अपने दृढ़ विश्वास से सफल रहा। अत: मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 - कल्लू कुम्हार की उनाकोटी हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 - कल्लू कुम्हार की उनाकोटी हिंदी

के. विक्रम सिंह


पृष्ठ संख्या: 26

बोध प्रश्न 

1. 'उनाकोटी'का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर

उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम। त्रिपुरा में एक जगह है 'उनाकोटी'। इसके लिए एक दंतकथा है कि कल्लू नाम के एक कुम्हार ने शिव के साथ रहने की प्रार्थना की। शिव ने शर्त रखी कि यदि एक रात में वह शिव की एक करोड़ मूर्ति बना देगा तो वह शिव- पार्वती के साथ कैलास पर्वत जा सकेगा। कल्लू ने मूर्तिया बनाई परन्तु एक मूर्ति रह गई और सुबह हो गई। कल्लू वहीँ रह गया। तब से इसका नाम उनाकोटी पड़ गया।

2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

दंतकथा के अनुसार कहा जाता है कि ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर गंगा को पृथ्वी पर उतारना पड़ा। परन्तु गंगा का वेग इतना तेज़ था कि यदि वह सीधी उतरती तो पृथ्वी इसके वेग से धँस जाती। इसलिए इसको रोकने के लिए शिव को तैयार किया गया कि वह गंगा को अपनी जटाओं पर उतारें ताकि उसका वेग कम हो जाए और वह धीरे-धीरे पृथ्वी पर उतरे।

3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर

कहा जाता है कि कल्लू कुम्हार के कारण ही इस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। वह शिव-पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु शिव ने एक शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की कोटि (एक करोड़)
मूर्तियाँ बनानी होगी। कल्लू कैलाश पर जाने की धुन में मूर्तियाँ बनाने में जुट गया परन्तु जब मूर्तियाँ गिनी गईं तो एक मूर्ति कम थी। शिव को उसे छुड़ाने का बहाना मिल गया तथा कल्लू कुम्हार वहीं रह गया।

4. 'मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई' लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?

उत्तर

लेखक मनु में शूटिंग करने में व्यस्त था। तभी सी. आर. पी. एफ. के एक आदमी ने बताया कि निचली पहाड़ियों पर, जहाँ दो पत्थर पड़े हैं, वहाँ दो दिन पहले एक जवान को विद्रोहियों ने मार डाला था। उसके इतना कहते ही लेखक को इतना डर लगा जैसे कि उसकी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई।

5. त्रिपुरा 'बहुधार्मिक समाज' का उदाहरण कैसे बना?

उत्तर

त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोग आते रहे। इससे यह बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बना है। यहाँ उन्नीस अनुसूचित जन जातियाँ और विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व है। यहाँ बौद्ध धर्म भी माना जाता है।

6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?

उत्तर

टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय समाज सेविका मंजु ऋषिदास और लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया नामक हस्तियों से हुआ। मंजु ऋषिदास नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थीं। उन्होंने वार्ड में नल लगवाने, नल का पानी पहुँचाने और गलियों में ईंटें बिछवाने के लिए कार्य किया था।

7. कैलाश नगर के ज़िलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

उत्तर

जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में बताया कि आलू की बुआई के लिए पारंपरिक आलू के बीजों की ज़रुरत दो मिट्रीक टन प्रति हेक्टेयर होती है जबकि टी. पी. एस. की सिर्फ़ 100 ग्राम मात्रा एक हेक्टेयर होती है। अब त्रिपुरा से टी. पी. एस. का निर्यात पड़ोसी राज्यों और देशों को भी किया जा रहा है।

8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?

उत्तर 

त्रिपुरा में अनेकों घरेलू उद्योग चलते हैं; जैसे −अगरबत्ती बनाना, बाँस के खिलौने बनाना, गले में पहनने की मालाएँ बनाना, अगरबत्ती के लिए सीकों को तैयार किया जाता है। यह गुजरात और कर्नाटक भेजी जाती है।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय संचयन भाग-1 हिंदी 

धर्मवीर भारती

पृष्ठ संख्या: 34

बोध प्रश्न 

1. लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे?

उत्तर

लेखक को तीन-तीन जबरदस्त हार्ट अटैक हुए थे, उनकी नब्ज़ और साँस भी बंद हो गई थी। डॉक्टरों ने तो उन्हें मृत घोषित कर दिया था पर डॉक्टर बोर्जेस के द्वारा दिए गए 900 वॉल्ट के शॉक से वह रिवाइव तो हो गए पर 60% हार्ट सदा के लिए नष्ट हो गया और शेष चालीस प्रतिशत पर तीन अवरोध के साथ कोई भी डॉक्टर ऑपरेशन करने से हिचक रहे थे।

2. 'किताबों वाले कमरे' में रहने के पीछे लेखक के मन में क्या भावना थी?

उत्तर

लेखक को बचपन से ही किताबें पढ़ने और सहेजने का बहुत शौक था। किताबें बचपन से लेखक की सुख-दुख की साथी थीं। दुख के समय में किताबें ही उन्हें हिम्मत देती हुई प्रतीत होती थीं। उनके मध्य लेखक स्वयं को भरा-भरा महसूस करता था। उनके प्राण इन किताबों में बसे हुए थे।

3. लेखक के घर कौन-कौन-सी पत्रिकाएँ आती थीं?

उत्तर

आर्यमित्र साप्ताहिक पत्रिका, वेदोदम, सरस्वती, गृहणी, बालसखा तथा चमचम (बाल पत्रिकाएँ) लेखक के घर आती थीं।

4. लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक कैसे लगा?

उत्तर 

लेखक के पिता नियमित रुप से पत्र-पत्रिकाएँ मँगाते थे। लेखक के लिए खासतौर पर दो बाल पत्रिकाएँ 'बालसखा' और 'चमचम' आती थीं। इनमें राजकुमारों, दानवों, परियों आदि की कहानियाँ और रेखाचित्र होते थे। इससे लेखक को पत्रिकाएँ पढ़ने का शौक लग गया। जब वह पाँचवीं कक्षा में प्रथम आया, तो उसे इनाम स्वरूप दो अंग्रेज़ी की पुस्तकें प्राप्त हुईं। पिताजी ने उन किताबों को सहेजकर रखने की प्रेरणा दी।

5. माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर क्यों चिंतित रहती थी?

उत्तर

लेखक स्कूल की किताबों को छोड़कर अन्य पत्रिकाओं को पढ़ने में बहुत रुचि होने लगा था। उसका स्कूल की किताबें पढ़ने में कम मन लगता था। माँ यह देखकर चिंतित रहने लगी थी। माँ को लगता था कि कहीं वह साधु बनकर घर छोड़कर चला न जाए।

6. स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेज़ी की दोनों पुस्तकों ने किस प्रकार लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोल दिए?

उत्तर

लेखक पाँचवीं कक्षा में प्रथम आया था। उसे स्कूल से इनाम में दो अंग्रेज़ी की किताबें मिली थीं। दोनों ज्ञानवर्धक पुस्तकें थीं। एक में पक्षियों के विषय में रोचक जानकारियाँ थीं, तो दूसरे में पानी में चलने वाले जहाज़ों की कहानियाँ थीं। एक पुस्तक ने लेखक का परिचय पक्षी जगत से कराया, तो दूसरी पुस्तक में जहाज़ में रहने वाले नाविकों, समुद्र में रहने वाले जीवों के बारे में बताया। इन्हें पढ़कर लेखक को एक नयी दुनिया के विषय में जानकारियाँ मिलीं। अतः इन पुस्तकों ने लेखक के लिए नयी दुनिया का द्वार खोल दिया।

7. आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी लाइब्रेरी है' − पिता के इस कथन से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?

उत्तर

पिताजी के इस कथन ने लेखक को पुस्तकें जमा करने की प्रेरणा दी तथा किताबों के प्रति उसका लगाव बढ़ाया। अभी तक लेखक मनोरंजन के लिए किताबें पढ़ता था परन्तु पिताजी के इस कथन ने उसके ज्ञान प्राप्ति के मार्ग को बढ़ावा दिया। उसने किताबों को सहेजना शुरू कर दिया।

8. लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर

लेखक आर्थिक तंगी के कारण पुरानी किताबें बेचकर नई किताबें लेकर पड़ता था। इंटरमीडिएट पास करने पर जब उसने पुरानी किताबें बेचकर बी.ए. की सैकंड-हैंड बुकशॉप से किताबें खरीदीं, तो उसके पास दो रुपये बच गए। उन दिनों देवदास फिल्म लगी हुई थी। उसे देखने का लेखक का बहुत मन था। माँ को फिल्में देखना पसंद नहीं था। अतः लेखक वह फिल्म देखने नहीं गया। लेखक इस फिल्म के गाने को अकसर गुनगुनाता रहता था। एक दिन माँ ने लेखक को वह गाना गुनगुनाते सुना। पुत्र की पीड़ा ने उन्हें व्याकुल कर दिया। माँ बेटे की इच्छा भाँप गई और उन्होंने लेखक को 'देवदास' फिल्म देखने की अनुमति दे दी। माँ की अनुमति मिलने पर लेखक फिल्म देखने चल पड़ा। अचानक किताबों की दुकान पर उसे देवदास पुस्तक रखी हुई दिखाई दी। उसने फिल्म देखने के स्थान पर पुस्तक खरीदने का निर्णय लिया। 10 आने में पुस्तक खरीदकर उसने बाकी पैसे माँ को दे दिए। इस प्रकार लेखक ने अपनी पहली पुस्तक खरीदी।

9.  इन कृतियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ' − का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

किताबें लेखक के सुख-दुख की साथी थीं। कई बार दुख के क्षणों में इन किताबों ने लेखक का साथ दिया था। वे लेखक की ऐसी मित्र थीं, जिन्हें देखकर लेखक को हिम्मत मिला करती थीं। किताबों से लेखक का आत्मीय संबंध था। बीमारी के दिनों में जब डॉक्टर ने लेखक को बिना हिले-डुले बिस्तर पर लेटे रहने की हिदायत दीं, तो लेखक ने इनके मध्य रहने का निर्णय किया। इनके मध्य वह स्वयं को अकेला महसूस नहीं करता था। ऐसा लगता था मानो उसके हज़ारों प्राण इन पुस्तकों में समा गए हैं। ये सब उसे अकेलेपन का अहसास ही नहीं होने देते थे। उसे इनके मध्य असीम संतुष्टि मिलती थी।  भरा-भरा होने से लेखक का तात्पर्य पुस्तकें के साथ से है, जो उसे अकेला नहीं होने देती थीं।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय संचयन भाग-1 हिंदी 

एस. के. पोट्टेकाट

पृष्ठ संख्या: 40

बोध प्रश्न 

1. लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?

उत्तर

गर्मियों में लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने गया था। गर्मी के कारण लेखक का भूख प्यास से बुरा हाल था। खाने की तलाश में वह रेलवे स्टेशन से आगे बसे गाँव की ओर चला गया। वहाँ तंग और गंदी गलियों से भरा बाज़ार था, वहाँ पर खाने पीने का कोई होटल या दुकान नहीं दिखाई दे रही थी और लेखक भूख प्यास से परेशान था। तभी एक दुकान पर रोटियाँ सेंकी जा रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और बढ़ गई। वह दुकान में चला गया और खाने के लिए माँगा। वहीं हामिद खाँ से परिचय हुआ।

2. 'काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।' हामिद ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर

हामिद खाँ को पता चला कि लेखक हिंदू है तो उसने पूछा कि क्या वह मुसलमानी होटल में खाएँगे। तब लेखक ने बताया कि हिंदुस्तान में हिंदू-मुसलमान में कोई भेद नहीं होता है। अच्छा पुलाव खाने के लिए वे मुसलमानी होटल में ही जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं होते। सब बराबर हैं। हामिद को एकदम विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसके यहाँ ऐसा नही था। वह यह सब अपनी आँखों से देखना चाहता था इसलिए उसने उपर्युक्त कथन को कहा।

3. हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?

उत्तर

लेखक ने हामिद को कहा कि वह बढ़िया खाना खाने मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं किया जाता है। सभी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। हिंदू-मुसलमान दंगे भी न के बराबर होते हैं। लेखक की इन सब बातों पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था। 

4. हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?

उत्तर

हामिद खां ने लेखक को मेहमान माना था। उसे गर्व था कि एक हिन्दू ने उसके होटल का खाना खाया था। इसलिए उसने खाने का पैसा लेने से इंकार किया।

5. मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

मालाबार में हिंदू-मुसलमान मिलकर रहते हैं,उनमें आपसी दंगे भी नहीं होते हैं। दोनों के धर्मों में कोई भेदभाव नहीं होता है।  बढ़िया खाना खाने के लिए हिंदू भी मुसलमानी होटल में खाने जाते हैं। वहाँ आपसी मेलजोल का माहौल है। मुसलमानों द्वारा भारत में स्थापित पहली मस्जिद भी इसी राज्य के 'कोडुंगल्लूर' नामक स्थान पर है।

6. तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?

उत्तर

तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में हामिद खां का विचार कौंधा जिसके होटल में उसने तक्षशिला भ्रमण के दौरान खाना खाया था। इससे लेखक के धार्मिक सहिष्णुता, हमदर्दी जैसे स्वभाव की विशेषता का परिचय मिलता है।


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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - दिये जल उठे हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - दिये जल उठे  संचयन भाग-1 हिंदी 

मधुकर उपाध्याय

पृष्ठ संख्या: 48

बोध प्रश्न 

1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया?

उत्तर

अहमदाबाद के आंदोलन के समय पटेल ने स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को भगा दिया था इसी बात का बदला लेने के लिए कलेक्टर शिलिडी ने पटेल को निषेधाज्ञा के उलंग्घन के आरोप में गिरफ़्तार करने का आदेश दिया।

2. जज को पटेल की सजा सुनाने के लिए आठ लाइन के फ़ैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

जज को पता ही नही चल रहा था की  वह पटेल को किस धारा के तहत कितनी सजा दी जानी चाहिए चूँकि पटेल ने कोई अपराध नही किया था। इसलिए जज को आठ लाइन के फ़ैसले को लिखने में डेढ़ घंटा लगा।

3. "मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।" − यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 

सरदार पटेल को तीन महीने की जेल हुई। इसके लिए उन्हें बोरसद से साबरमती जेल ले जाया जा रहा था। रास्ते में आश्रम पड़ता था। पटेल के आग्रह पर गाड़ी रोक दी गई और पटेल आश्रमवासियों से मिले। सड़क पर ही गांधी जी से भी उनकी बातचीत हुई जिसमें उन्होंने गांधी जी से यह कथन कहा। वे स्पष्ट करना चाहते थे वे जेल जा रहे हैं और अब स्वाधीनता के लड़ाई की जिम्मेवारी आपकी है।

4. "इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें" −गांधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

उत्तर

गांधी जी एक बार रास गए। वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। वहाँ सबसे आगे रास लोग रहते हैं जो दरबार कहलाते हैं। एक तरह से ये राजा की तरह होते हैं। ये रियासत के मालिक होते हैं। गोपालदास और रविशंकर महाराज जो दरबार थे, वहाँ मौजूद थे। ये दरबार लोग अपना सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए थे। उनका यह त्याग एवं हिम्मत सराहनीय है। गांधी जी ने इन्हीं के जीवन से प्रेरणा लेने को लोगों से कहा कि इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें।

5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि − 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है।'अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

गांधी जी अपनी दांडी यात्रा पर थे। उन्हें मही नदी पार करनी थी। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए थे। वे अपनी यह यात्रा किसी राजघराने के इलाके से नहीं करना चाहते थे। जब वे कनकपुरा पहुँचे तो एक घंटा देर हो गई। इसलिए गांधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन करने का निश्चय किया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े। तट पर अँधेरा था। इसके लिए लोगों ने सूझबूझ से काम लिया और थोड़ी ही देर में हज़ारों दिए जल गए। हर एक के हाथ में दीया था। इससे अँधेरा मिट गया। दूसरे किनारे भी इसी तरह लोग हाथों में दीये लेकर खड़े थे। इस प्रकार कठिन परिस्थिति में सूझबूझ से काम लिया और उसका सामना किया। गांधी जी को रघुनाथ काका ने नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।

6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपनेशब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर हज़ारों लोग अपने हाथों में जलते दिये लेकर खड़े थे क्योंकि वे गांधी जी का और उनके साथियों का इंतज़ार कर रहे थे। उस समय अँधेरा था। चारों ओर'महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय और जवाहर लाल नेहरु की जय के नारेगूँज रहे थे।

7. "यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करुँगा।" गांधी जी के इस क्थन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है।

उत्तर

गांधी जी ने दांडी यात्रा को धर्मयात्रा का नाम दिया। रास्ते में कंकरीली, रेतीली सड़के पड़ेगी। इसलिए लोगों ने गांधी जी को आधी यात्रा कार से करने का आग्रह किया। परन्तु गांधी जी ने मना कर दिया और कहा धर्मयात्रा में निकलने वाले, किसी वाहन का प्रयोग नहीं करते। इसी प्रकार महीनदी तट पर करीब चार किलोमीटर दलदली ज़मीन पर गांधी जी को चलना पड़ा। लोगों ने उन्हें कंधे पर उठाने की सलाह दी पर गांधी जी ने कहा यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करुँगा।" इस कथन से गांधी जी के साहस, देशप्रेम, कष्ट सहने की क्षमता आदि गुणों का पता लगता है।

8. गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

उत्तर

गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि वे अचानक चुपके से कोई काम नहीं करते। फिर भी ब्रिटिश सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी। इसलिए ऐहतियाती तौर पर नदी के तट से सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट करा दिया।

9.  गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

उत्तर

गांधीजी के नदी पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर खड़े रहे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी पार जाना था और वे कुछ लोगों का इंतजार कर रहे थे, जिन्हें नदी पार करानी होगी।


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