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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 - अपवाह तंत्र

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 - अपवाह तंत्र भारत भौतिक पर्यावरण (Apvah Tantr) Bharat Bhautik Paryavaran

पृष्ठ संख्या: 31

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

(i) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी ‘बंगाल का शोक’ के नाम से जानी जाती थी?
(क) गंडक
(ख) कोसी
(ग) सोन
(घ) दामोदर
► (घ) दामोदर

(ii) निम्नलिखित में से किस नदी की द्रोणी भारत में सबसे बड़ी है?
(क) सिंधु
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) गंगा
(घ) कृष्णा
► (ग) गंगा

पृष्ठ संख्या: 32

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी पंचनद में शामिल नहीं है?
(क) रावी
(ख) सिंधु
(ग) चेनाब
(घ) झेलम
► (ख) सिंधु

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी में बहती है?
(क) सोन
(ख) यमुना
(ग) नर्मदा
(घ) लूनी
► (ग) नर्मदा

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा अलकनंदा व भागीरथी का संगम स्थल है?
(क) विष्णु प्रयाग
(ख) रूद्र प्रयाग
(ग) कर्ण प्रयाग
(घ) देव प्रयाग
► (घ) देव प्रयाग

2. निम्न में अंतर स्पष्ट करें:

(i) नदी द्रोणी और जल-संभर

उत्तर

नदी द्रोणीजल-संभर
बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं|छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘जल-संभर’ कहा जाता है|
इसका आकार बड़ा होता है|इसका आकार छोटा होता है|


(ii) वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप

उत्तर

वृक्षाकार अपवाह प्रारूपजालीनुमा अपवाह प्रारूप
जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो, उसे वृक्षाकार अपवाह प्रारूप कहते हैं|जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों, तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा अपवाह प्रारूप कहते हैं|
इस प्रारूप का उदाहरण उत्तरी मैदान की नदियों का अपवाह प्रारूप है|इस प्रारूप का उदाहरण हिमालय पर्वतों का अपवाह प्रारूप है|

(iii) अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप

उत्तर

अपकेंद्रीय अपवाह प्रारूपअभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप
जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हैं, तो इसे अपकेंद्रीय अपवाह प्रारूप कहते हैं|जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप कहते हैं|
अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियाँ इस अपवाह प्रतिरूप के उदाहरण हैं|राजस्थान का संभर झील इस अपवाह प्रारूप का उदाहरण है|

(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख

उत्तर

डेल्टाज्वारनदमुख
डेल्टा, नदी के मुहाने पर बनी त्रिभुजाकार आकृति होती हैं| ज्वारनदमुख, नदी के मुहाने पर निर्मित कीप आकृति होती है|
यह कम ज्वार और तटीय मैदानों के क्षेत्रों में बनता है|यह उच्च ज्वार और दरार घाटियों के क्षेत्रों में बनता है।
ये अत्यंत उपजाऊ और कृषि के लिए उपयोगी हैं।ये मछली पालन और अंतर्देशीय परिवहन के लिए उपयोगी हैं|
गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां डेल्टा बनाती हैं|नर्मदा और तापी जैसी नदियाँ ज्वारनदमुख निर्माण करती हैं|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें|

(i) भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं?

उत्तर

भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ निम्नलिखित हैं :

• एक क्षेत्र से अधिक जल का अभावग्रस्त जल वाले क्षेत्र में स्थानांतरण करके बाढ़ और सूखे की समस्या को कम किया जा सकता है|

• अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन में सुधार होगा जो पूरे देश में वस्तुओं के परिवहन को आसान बना देगा|

• यह सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा, जो उत्पादकता बढ़ाएगी|

• यह जल-विद्युत और मत्स्य पालन गतिविधियों जैसे विभिन्न अवसर प्रदान करेगा|

(ii) प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण लिखें|

उत्तर

प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण निम्नलिखित हैं :

• इन नदियों का उद्गम स्थल प्रायद्वीपीय पठार व मध्य उच्चभूमि है|

• ये मौसमी और मानसून वर्षा पर निर्भर हैं|

• इन नदियों में सुसमायोजित घाटियों के साथ छोटे तथा निश्चित मार्ग होते हैं|

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों से अधिक में न दें|

(i) उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं?

उत्तर

भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

• इनका उद्गम स्थल हिम नदियों से ढके हिमालय पर्वत हैं|

• ये नदियाँ बारहमासी होती हैं क्योंकि इनमें हिमनद व वर्षा से जल प्राप्ति होती है|

• नदियाँ पर्वतीय इलाकों में गहरे गॉर्ज तथा V-आकार की घाटियों का निर्माण करती हैं|

• नदियाँ अभिशीर्ष अपरदन व नदी अपहरण करते हुए लंबे मार्ग तथा उबड़-खाबड़ पर्वतों से गुजरते हुए बहती हैं|

• ये युवा तथा क्रियाशील होती हैं जो घाटियों को गहरा बनाती हैं|

ये प्रायद्वीपीय नदियों से निम्नलिखित कारणों से भिन्न हैं :

• भारतीय नदियों की बहुत बड़ी द्रोणी होती है जबकि प्रायद्वीपीय नदियों की अपेक्षाकृत छोटी द्रोणी होती है|

• ये नदियाँ बारहमासी होती हैं क्योंकि इनमें हिमनद व वर्षा से जल प्राप्ति होती है जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ मानसून वर्षा पर निर्भर होती हैं|

• उत्तर भारतीय नदियाँ पूर्ववर्ती व अनुवर्ती होती हैं जो मैदानी भाग में वृक्षाकार प्रारूप बनाती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ अध्यारोपित तथा पुनर्युवनित होती हैं जो अरीय व आयताकार प्रारूप बनाती हैं|

• उत्तर भारतीय नदियाँ युवा तथा क्रियाशील होती हैं, जो घाटियों को गहरा बनाती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ प्रवणित परिच्छेदिका वाली प्रौढ़ नदियाँ हैं, जो अपने आधार तल जा पहुँची हैं|

(ii) मान लीजिए आप हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक यात्रा कर रहे हैं| इस मार्ग में आने वाली मुख्य नदियों के नाम बताएँ| इनमें से किसी एक नदी की विशेषताओं का भी वर्णन करें|

उत्तर

यदि हम हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं, तो मार्ग में गोमती, रामगंगा, राप्ती, गंडक, कोसी, कमला, सरयू, शारदा, घाघरा, महानदी और गंगा नदियाँ आएँगी|

गंडक नदी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

• यह नेपाल हिमालय में धौलागिरी व माउंट एवरेस्ट के बीच निकलती है और मध्य नेपाल को अपवाहित करती है|

• नदी दो धाराओं कालीगंडक और त्रिशूलगंगा के मिलने से बनती है|

• बिहार के चंपारण जिले में यह गंगा मैदान में प्रवेश करती है और पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी में जा मिलती है|

• इसकी लंबाई 630 कि.मी. है|



NCERT Solutions for Class 12th: Ch 2 Inverse Trigonometric Functions Exercise 2.2

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NCERT Solutions for Class 12th: 2 Inverse Trigonometric Functions Exercise 2.2 Math

Page No: 41

Exercise 2.1

Prove the following:
1. 3sin-1x = sin-1(3x – 4x3), x ∈ [-/2, 1/2]

Answer

To prove:
3sin-1x = sin-1(3x − 4x3), x ∈ [−1/2, 1/2]
Let sin-1x = θ, then x = sin θ.
We have,
RHS = sin-1(3x - 4x3)
= sin-1(3 sin θ - 4sin3θ)
= sin-1(sin 3θ) = 3θ
= 3sin-1x = LHS

2. 3cos-1x = cos-1(4x3 – 3x) x ∈ [1, 1/2]

Answer

To prove:
3cos-1x = cos-1(4x3 – 3x) x ∈ [1, 1/2].
Let cos-1x = θ, then x = cos θ.
We have,
RHS = cos-1(4x3 - 3x)
= cos-1(4cos3θ - 3cosθ)
= cos-1(cos 3θ) = 3θ
= 3cos-1x
= LHS

3. tan-12/11 + tan-17/24 = tan-11/2

Answer

To prove: tan-12/11 + tan-17/24 = tan-11/2
LHS = tan-12/11 + tan-17/24
= tan-1(48 + 77)/(264 − 14)
= tan-1125/250 = tan-11/2 = RHS

4. 2tan-11/2 + tan-11/7 = tan-131/17

Answer

To prove: 2tan-11/2 + tan-11/7 = tan-131/17
LHS = 2tan-11/2 + tan-11/7

Write the following functions in the simplest form:

Question: 5
Answer


Question: 6
Answer


Question: 7
Answer


Question: 8

Answer


Page No. 48

Question: 9
Answer


Question: 10

Answer


Find the values of each of the following:

Question: 11
Answer


Question: 12. cot (tan-1a + cot-1a)

Answer

The given function is cot(tan-1a + cot-1a).
∴ cot(tan-1a + cot-1a)
= cot (π/2) [tan-1x + cot-1x = π/2]
= 0

Question: 13

Answer
Formula used:
Question: 14.

Answer



NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - जलवायु तंत्र

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - जलवायु तंत्र भारत भौतिक पर्यावरण (Jalwayu Tantr) Bharat Bhautik Paryavaran

पृष्ठ संख्या: 58

अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

(i) जाड़े के आरंभ में तामिलनाडु के तटीय प्रदेशों में वर्षा किस कारण होती हैं?
(क) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
(ख) उत्तर-पूर्वी मानसून
(ग) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(घ) स्थानीय वायु परिसंचरण
► (ख) उत्तर-पूर्वी मानसून

(ii) भारत के कितने भू-भाग पर 75 सेंटीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है?
(क) आधा
(ख) दो-तिहाई
(ग) एक-तिहाई
(घ) तीन-चौथाई
► (घ) तीन-चौथाई

(iii) दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य ठीक नहीं है?
(क) यहाँ दैनिक तापांतर कम होता है|
(ख) यहाँ वार्षिक तापांतर कम होता है|
(ग) यहाँ तापमान सारा वर्ष ऊँचा रहता है|
(घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है|
► (घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है|

(iv) जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है, तब निम्नलिखित में से क्या होता है?
(क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है|
(ख) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान बढ़ने के कारण निम्न वायुदाब विकसित हो जाता है|
(ग) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान और वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं आता|
(घ) उत्तरी-पश्चिमी भारत में झुलसा देने वाली तेज लू चलती है|
► (क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है|

(v) कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में ‘As’ प्रकार की जलवायु कहाँ पाई जाती है?
(क) केरल और तटीय कर्नाटक में
(ख) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में
(ग) कोरोमंडल तट पर
(घ) असम व अरूणाचल प्रदेश में
► (ग) कोरोमंडल तट पर

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-से हैं?

उत्तर

भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं :

• वायुदाब एवं पवनों का धरातल पर वितरण|

• भूमंडलीय मौसम को नियंत्रित करने वाले कारकों एवं विभिन्न वायु संहतियों एवं जेट प्रवाह के अंतर्वाह द्वारा उत्पन्न उपरी वायुसंचरण, और

• शीतकाल में पशिचमी विक्षोभों तथा दक्षिण-पशिचमी मानसून काल में उष्ण कटिबंधीय अवदाबों के भारत में अंतर्वहन के कारण उत्पन्न वर्षा की अनुकूल दशाएँ|

(ii) अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?

उत्तर

विषुवत् वृत्त पर स्थित अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र है| इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें मिलती हैं| अतः इस क्षेत्र में वायु ऊपर उठने लगती है|

(iii) मानसून प्रस्फोट से आपका क्या अभिप्राय है? भारत में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले स्थान का नाम लिखिए|

उत्तर

प्रचंड गर्जन और बिजली की कड़क के साथ इन आर्द्रता भरी पवनों का अचानक चलना प्रायः मानसून का ‘प्रस्फोट’ कहलाता है|

भारत में मेघालय के मासिनराम में सबसे अधिक वर्षा होती है|

(iv) जलवायु प्रदेश क्या होता है? कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार कौन-से हैं?

उत्तर

एक जलवायु प्रदेश में जलवायवी दशाओं की समरूपता होती है, जो जलवायु के कारकों के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती हैं|

कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार हैं-
• तापमान
• वर्षण

(v) उत्तर-पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? वे चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?

उत्तर

उत्तर-पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ से वर्षा प्राप्त होती है| वे चक्रवात भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में लिखिए|

(i) जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य होते हुए भी, भारत की जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं| उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

मानसून के प्रभाव के कारण भारत की जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य है| भारत की जलवायु में अनेक प्रादेशिक भिन्नताएँ हैं जिन्हें पवनों के प्रतिरूप, तापक्रम और वर्षा, ऋतुओं की लय तथा आर्द्रता एवं शुष्कता की मात्रा में भिन्नता के रूप में देखा जा सकता है| इसके कई उदाहरण हैं :

• तापमान : गर्मियों में पश्चिमी मरूस्थल में तापक्रम कई बार 55 सेल्सियस को स्पर्श कर लेता है| जबकि सर्दियों में लेह के आसपास तापमान -45 सेल्सियस तक गिर जाता है| राजस्थान के चुरू जिले में जून के महीने के किसी एक दिन का तापमान 50 सेल्सियस अथवा इससे अधिक हो जाता है, जबकि उसी अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले में तापमान मुश्किल से 19 सेल्सियस तक पहुँचता है|

• वर्षा : मेघालय की खासी पहाड़ियों में स्थित चेरापूँजी और मॉसिनराम में औसत वार्षिक वर्षा 1,080 से.मी. से ज्यादा होता है| इसके विपरीत राजस्थान के जैसलमेर में औसत वार्षिक वर्षा शायद ही 9 से.मी. से अधिक होती हो|

• मानसून : जुलाई या अगस्त में, गंगा के डेल्टा तथा उड़ीसा के तटीय भागों में हर तीसरे या पाँचवें दिन प्रचंड तूफान मूसलाधार वर्षा करते हैं| जबकि इन्हीं महीनों में मात्र एक हजार किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित तमिलनाडु का कोरोमंडल तट शांत एवं शुष्क रहता है|

(ii) भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं? किसी एक मौसम की दशाओं की सविस्तार व्याख्या कीजिए|

उत्तर

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में निम्नलिखित चार स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं:

• शीत ऋतु
• ग्रीष्म ऋतु
• दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतु
• मानसून की निर्वतन की ऋतु

• शीत ऋतु : आम तौर पर उत्तरी भारत में शीत ऋतु नवंबर के मध्य से आरंभ होती है| उत्तरी मैदान में जनवरी और फरवरी सर्वाधिक ठंडे महीने होते हैं| इस समय उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत दैनिक तापमान 21 सेल्सियस से कम रहता है| रात्रि का तापमान काफी कम हो जाता है|

प्रायद्वीपीय भारत में कोई निशिचत शीत ऋतु नहीं होती| तटीय भागों में भी समुद्र के समकारी प्रभाव तथा भूमध्यरेखा को निकटता के कारण ऋतु के अनुसार तापमान के वितरण प्रतिरूप में शायद ही कोई बदलाव आता हो|

सर्दियों में भारत का मौसम सुहावना होता है| फिर भी यह सुहावना मौसम कभी-कभार हल्के चक्रवातीय अवदाबों से बाधित होता रहता है| पश्चिमी विक्षोभ कहे जाने बाले ये चक्रवात पूर्वी भूमध्यसागर पर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर चलते हुए पश्चिमी एशिया, ईरान-अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान को पार करके भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में पहुँचते हैँ|

शीतकालीन मानसून पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण वर्षा नहीं करतीं, क्योकि एक तो इनमें नमी केवल नाममात्र की होती है, दूसरे, स्थल पर घर्षण के कारण इन पवनों का तापमान बढ़ जाता है, जिससे वर्षा होने की संभावना निरस्त हो जाती है| अत: शीत ऋतु में अधिकांश भारत में वर्षा नहीं होती| अपवादस्वरुप कुछ क्षेत्रों में शीत ऋतु में वर्षा होती है, जैसे- पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर-पश्चिमी भारत में वर्षा होती है| कभी-कभी देश के मध्य भागों एवं दक्षिणी प्रायद्वीप के उत्तरी भागों में भी कुछ शीतकालीन वर्षा हो जाती है|

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - प्राकृतिक वनस्पति

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - प्राकृतिक वनस्पति भारत भौतिक पर्यावरण (Prakritik Vanspati) Bharat Bhautik Paryavaran

पृष्ठ संख्या: 69

अभ्यास

1. निम्नलिखित चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें:

(i) चंदन वन किस तरह के वन के उदाहरण हैं-
(क) सदाबहार वन
(ख) डेल्टाई वन
(ग) पर्णपाती वन
(घ) काँटेदार वन
► (ग) पर्णपाती वन

(ii) प्रोजेक्ट टाईगर निम्नलिखित में से किस उद्देश्य से शुरू किया गया है-
(क) बाघ मारने के लिए
(ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए
(ग) बाघ को चिड़ियाघर में डालने के लिए
(घ) बाघ पर फिल्म बनाने के लिए
► (ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए

(iii) नंदा देवी जीव मंडल निचय निम्नलिखित में से किस प्रांत में स्थित है-
(क) बिहार
(ख) उत्तराखंड
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) ओडिशा
► (ख) उत्तराखंड

(iv) निम्नलिखित में से कितने भारत के जीव मंडल निचय यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त हैं?
(क) एक
(ख) तीन
(ग) दो
(घ) चार
► (घ) चार

(v) वन नीति के अनुसार वर्तमान में निम्नलिखित में से कितना प्रतिशत क्षेत्र, वनों के अधीन होना चाहिए?
(क) 33
(ख) 55
(ग) 44
(घ) 22
► (क) 33

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:

(i) प्राकृतिक वनस्पति क्या है? जलवायु की किन परिस्थितियों में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं?

उत्तर

प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उसी पौधा समुदाय से है, जो लंबे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में यथासंभव स्वयं को ढाल लेती हैं|

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन उन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते है, जहॉ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है|

(ii) जलवायु की कौन-सी परिस्थितियाँ सदाबहार वन उगने के लिए अनुकूल हैं?

उत्तर

सदाबहार वन उन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते है, जहॉ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है|

(iii) सामाजिक वानिकी से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर

सामाजिक वानिकी का अर्थ है पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनरोपण|

(iv) जीवमंडल निचय को पारिभाषित करें| वन क्षेत्र और वन आवरण में क्या अंतर है?

उत्तर

जीव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय परिस्थितिक तंत्र है जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) के मानव और जीव मंडल प्रोग्राम (MAB) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है|

• वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र है, चाहे वहाँ वृक्ष हों या न हों, जबकि वन आवरण प्राकृतिक वनस्पति का झुरमुट है और वास्तविक रूप में वनों से ढका है|

• वन क्षेत्र राज्यों के राजस्व विभाग से प्राप्त होता है, जबकि वन आवरण की पहचान वायु चित्रों और उपग्रह से प्राप्त चित्रों से की जाती है|

• इंडिया स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2011 के अनुसार वास्तविक वन आवरण केवल 21.05 प्रतिशत है| उनमें से 1129 प्रतिशत भाग पर सघन बन और 8.75 प्रतिशत पर विवृत वन पाए जाते हैं|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें:

(i) वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर

वन संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :

• सामाजिक वानिकी का अर्थ है पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनरोपण| राष्ट्रीय कृषि आयोग (1976-79) ने सामाजिक वानिकी को तीन वर्गों में बाँटा है- शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी और फार्म वानिकी|

• शहरी वानिकी : शहरों और उनके इर्द-गिर्द निजी व सार्वजनिक भूमि, जैसे- हरित पट्टी, पार्क, सड़कों के साथ जगह, औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष लगाना और उनका प्रबंध शहरी वानिकी के अंतर्गत आता है|

• ग्रामीण वानिकी : ग्रामीण वानिकी में कृषि वानिकी और समुदाय कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाता है|

• कृषि वानिकी : कृषि वानिकी का अर्थ है कृषियोग्य तथा बंजर भूमि पर पेड़ और फसलें एक साथ लगाना|

• समुदाय वानिकी : समुदाय वानिकी में सार्वजनिक भूमि, जैसे- गाँव-चरागाह, मंदिर- भूमि, सड़कों के दोनों ओर, नहर किनारे, रेल पट्टी के साथ पटरी और विद्यालयों में पेड़ लगाना शामिल है|

• फार्म वानिकी : फार्म वानिकी के अंतर्गत किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्त्व वाले या दूसरे पेड़ लगाते हैं|

(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी कैसे महत्वपूर्ण है?

उत्तर

सरकार वन और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए नीतियाँ बना सकती है, लेकिन लोगों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है| इसमें ज्यादातर स्थानीय लोग हैं, जो जानबूझकर या अनजाने में अपने फायदे के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हुए अवैध गतिविधियों में भाग लेते हैं| वनों की कटाई, अवैध शिकार आदि के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आम लोगों के सहयोग की जरूरत है| यह इस प्रकार महत्त्वपूर्ण है :

• स्थानीय लोगों की एक नियमित बैठक आयोजित कर, उन्हें वन और वन्यजीव संरक्षण के लाभ से अवगत कराना|

• सरकारी अधिकारी उन्हें सरकार की विभिन्न नीतियों के बारे में बता सकते हैं कि वे किस प्रकार संरक्षण का हिस्सा बन सकते हैं|

• अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहन : सरकार स्थानीय लोगों को वन तथा वन्यजीवों की सुरक्षा में स्थानीय लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान कर जो दूसरों को यही काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है| धीरे-धीरे, यह बड़े पैमाने पर फैल जाएगा|

• कई गैर सरकारी संस्थाएँ भी अपने विशेषज्ञों के माध्यम से वन और वन्यजीवों के संरक्षण में लोगों को कौशल प्रदान करके इस गतिविधि में मदद कर सकते हैं|

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 6 - मृदा

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 6 - मृदा भारत भौतिक पर्यावरण (Prakritik Vanspati) Bharat Bhautik Paryavaran

पृष्ठ संख्या: 78

अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

(i) मृदा का सर्वाधिक व्यापक और सर्वाधिक उपजाऊ कौन-सा है?
(क) जलोढ़ मृदा
(ख) काली मृदा
(ग) लैटेराईट मृदा
(घ) वन मृदा
► (क) जलोढ़ मृदा

(ii) रेगर मृदा का दूसरा नाम है-
(क) लवण मृदा
(ख) शुष्क मृदा
(ग) काली मृदा
(घ) लैटेराईट मृदा
► (ग) काली मृदा

(iii) भारत में मृदा के ऊपरी पर्त ह्रास का मुख्य कारण है-
(क) वायु अपरदन
(ख) अत्यधिक निक्षालन
(ग) जल अपरदन
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (क) वायु अपरदन

(iv) भारत के सिंचित क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि निम्नलिखित में से किस कारण से लवणीय हो रही है-
(क) जिप्सम की बढ़ोत्तरी
(ख) अति सिंचाई
(ग) अति चारण
(घ) रासायनिक खादों का उपयोग
► (ख) अति सिंचाई

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए|

(i) मृदा क्या है?

उत्तर

मृदा शैल, मलवा और जैव सामग्री का सम्मिश्रण होती है जो पृथ्वी की सतह पर विकसित होते हैं| मृदा के घटक खनिज कण, ह्यूमस, जल तथा वायु होते हैं|

(ii) मृदा निर्माण के प्रमुख उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?

उत्तर

मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं- उच्चावच, जनक सामग्री, जलवायु, वनस्पति तथा अन्य जीव रूप और समय|

(iii) मृदा परिच्छेदिका के तीन संस्तरों के नामों का उल्लेख कीजिए|

उत्तर

• 'क' संस्तर सबसे ऊपरी खंड होता है, जहाँ पौधों को वृद्धि के लिए अनिवार्य जैव पदार्थों का खनिज पदार्थ, पोषक तत्त्वों तथा जल से संयोग होता है|

• 'ख’ संस्तर 'क' संस्तर तथा 'ग' संस्तर के बीच संक्रमण खंड होता है जिसे नीचे व ऊपर दोनों से पदार्थ प्राप्त होते हैं| इसमें कुछ जैव पदार्थ होते है तथापि खनिज पदार्थ का अपक्षय स्पष्ट नजर आता है|

• 'ग' संस्तर की रचना ढीली जनक सामग्री से होता है|

(iv) मृदा अवकर्षण क्या होता है?

उत्तर

मृदा अवकर्षण को मृदा की उर्वरता के ह्रास के रूप में परिभाषित किया जा सकता हैं| इसमें मृदा का पोषाग स्तर गिर जाता है तथा अपरदन और दुरुपयोग के कारण मृदा को गहराई कम हो जाती है|

(v) खादर और बांगर में क्या अंतर है?

उत्तर- खादर प्रतिवर्ष बाढ़ों के द्वारा निक्षेपित होने वाला नया जलोढ़क है, जो महीन गाद होने के कारण मृदा की उर्वरता बढ़ा देता है, जबकि बांगर पुराना जलोढ़क होता है जिसका जमाव बाढ़कृत मैदानों से दूर होता है|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों तक में दीजिए|

(i) काली मृदाएँ किन्हें कहते हैं? इनके निर्माण तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए|

उत्तर

काली मृदाओं को ‘रेगर’ तथा ‘कपास वाली काली मिट्टी’ भी कहा जाता है| काली मृदाएँ दक्कन के पठार के अधिकतर भाग पर पाई जाती हैं| इसमें महाराष्ट्र के कुछ भाग गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के कुछ भाग शामिल हैं|

आग्नेय चट्टानों में परिवर्तन तथा ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लावा के ठंडा होने के कारण काली मृदा का निर्माण होता है|

काली मृदा की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:

• आमतौर पर काली मृदाएँ मृण्मय, गहरी और अपारगम्य होती हैं|

• ये मृदाएँ गीले होने पर फूल जाती हैं और चिपचिपी हो जाती हैं| सूखने पर ये सिकुड़ जाती हैं|

• रासायनिक दृष्टि से काली मृदाओं में चूने, लौह, मैग्नीशिया तथा ऐलुमिना के तत्त्व काफी मात्रा में पाए जाते हैं|

• इनमें पोटाश की मात्रा भी पाई जाती है|

• इस मृदा का रंग गाढ़े काले और स्लेटी रंग के बीच की विभिन्न आभाओं का होता है|

(ii) मृदा संरक्षण क्या होता है? मृदा संरक्षण के कुछ उपाय सुझाइए|

उत्तर

मृदा संरक्षण एक विधि है, जिसमें मिट्टी को उर्वरता बनाए रखी जाती है, मिट्टी के अपरदन और क्षय को रोका जाता है और मिट्टी को निम्नीकृत दशाओं को सुधारा जाता है|

मृदा संरक्षण के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं :

• वनीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए|

• शिक्षित ग्रामीणों को इनके दुष्परिणामों से अवगत करवा कर उन्हें अतिचराई तथा स्थानांतरी कृषि नियमित तथा नियंत्रित करना चाहिए|

• शुष्क तथा अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि पर बालू के टीलों के प्रसार को वृक्षों की रक्षक मेखला बनाकर तथा वन्य कृषि करके रोकने के प्रयास करने चाहिए|

• मृदा अपरदन को कम करने के लिए ढीली भूमि पर समोच्च रेखीय सीढ़ीदार खेत बनाना चाहिए|

• अवनालिका अपरदन को रोकने तथा उनके बनने पर नियंत्रण के प्रयत्न किए जाने चाहिए| अगुंल्यकार अवनालिकाओं को सीढ़ीदार खेत बनाकर समाप्त किया जा सकता है| बड़ी अवनालिकाओं में जल के अपरदनात्मक तीव्रता को कम करने के लिए रोक बाँधों की एक श्रृंखला बनानी चाहिए|

• कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि को चारागाहों में बदल देना चाहिए|

(iii) आप यह कैसे जानेंगे कि कोई मृदा उर्वर है या नहीं? प्राकृतिक रूप से निर्धारित उर्वरता और मानवकृत उर्वरता में अंतर स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

हम मिट्टी के नमूने की परीक्षण के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता के बारे में जान सकते हैं| मिट्टी की उर्वरता की जांच करने के लिए हमें उनके अंतर्निहित विशेषताओं और बाह्य लक्षणों जैसे कि बनावट, रंग, भूमि के ढलान और नमी की मात्रा के बारे में जानना जरूरी है|

प्राकृतिक रूप से एक विशिष्ट प्रकार की मिट्टी में मौजूद उर्वरता क्षमता को प्राकृतिक रूप से निर्धारित उर्वरता कहा जाता है| कुछ मिट्टी में फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, ह्यूमस और नाइट्रोजन प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है|

कुछ मिट्टी उर्वरक और खाद डालकर उपजाऊ बनायी जाती है, इसे मानवकृत उर्वरता कहा जाता है| उनमें ह्यूमस और खनिज कम मात्रा में पाए जाते हैं|


NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 7 - प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 7 - प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ भारत भौतिक पर्यावरण (Prakritik Sankat tatha Aapdayein) Bharat Bhautik Paryavaran Geography (Bhugol)

पृष्ठ संख्या: 97

अभ्यास

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :

(i) इनमें से भारत के किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?
(क) बिहार
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) असम
(घ) उत्तर प्रदेश
► (ग) असम

(ii) उत्तरांचल के किस जिले में मालपा भूस्खलन आपदा घटित हुई थी?
(क) बागेश्वर
(ख) चंपावत
(ग) अल्मोड़ा
(घ) पिथोरागढ़
► (घ) पिथोरागढ़

(iii) इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?
(क) असम
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) केरल
(घ) तमिलनाडु
► (घ) तमिलनाडु

(iv) इनमें से किस नदी में मंजौली नदीय द्वीप स्थित है?
(i) गंगा
(ii) ब्रह्मपुत्र
(iii) गोदावरी
(iv) सिन्धु
► (ii) ब्रह्मपुत्र

(v) बर्फानी तूफ़ान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है?
(क) वायुमंडलीय
(ख) जलीय
(ग) भौमिकी
(घ) जीवमंडलीय
► (क) वायुमंडलीय

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 से कम शब्दों में दें|

(i) संकट किस दशा में आपदा बन जाता है?

उत्तर

संकट, आपदा बन जाता है जब यह सक्रिय हो जाता है| एक आपदा बड़े पैमाने पर संपत्ति और जीवन को नुकसान पहुंचाता है|

(ii) हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकंप क्यों आते हैं?

उत्तर

इंडियन प्लेट प्रति वर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा में एक सेंटीमीटर खिसक रही है| परंतु उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट इसके लिए अवरोध पैदा करती है| परिणामस्वरूप इन प्लेटों के किनारे लॉक हो जाते हैं और कई स्थानों पर लगातार ऊर्जा संग्रह होता रहता है| अधिक मात्रा में ऊर्जा संग्रह से तनाव बढ़ता रहता है और दोनों प्लेटों के बीच लॉक टूट जाता है और एकाएक ऊर्जा मोचन से हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भूकंप आते हैं|

(iii) उष्ण कटिबन्धीय तूफान की उत्पत्ति के लिए कौन-सी परिस्थितियाँ अनुकूल हैं?

उत्तर

उष्ण कटिबन्धीय तूफान की उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ अनुकूल हैं:

• लगातार और पर्याप्त मात्रा में उष्ण व आर्द्र वायु की सतत् उपलब्धता जिससे बहुत बड़ी मात्रा में गुप्त ऊष्मा निर्मुक्त हो|

• तीव्र कोरियोलिस बल जो केद्र के निम्न वायु दाब को भरने न दे|

• क्षोभमंडल में अस्थिरता, जिससे स्थानीय स्तर यर निम्न वायु दाब क्षेत्र बन जाते है| इन्हीं के चारों ओर चक्रवात भी विकसित हो सकते हैं|

• मजबूत उर्ध्वाधर वायु फान (Wedge) की अनुपस्थिति, जो नम और गुप्त ऊष्मा युवत्त बायु के उर्ध्वाधर बहाव को अवरुद्ध करे|

(iv) पूर्वी भारत की बाढ़, पश्चिमी भारत की बाढ़ से अलग कैसे होती है?

उत्तर

पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत में बाढ़ अधिक आती है क्योंकि पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत में वर्षा अधिक होती है| इसके अलावा, पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत की बाढ़ अधिक विनाशकारी होती है|

(v) पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं?

उत्तर

मध्य और पश्चिमी भारत में कम वर्षा होती है, क्योंकि मानसून की तीव्रता इन क्षेत्रों तक आते-आते कमजोर हो जाती है| यही कारण है कि पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा पड़ते हैं|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दें|

(i) भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताएँ|

उत्तर

भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र हैं:

• अस्थिर हिमालय की युवा पर्वत श्रृंखलाएँ तथा अंडमान और निकोबार|

• पश्चिमी घाट और नीलगिरी में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र|

• उत्तर-पूर्वी क्षेत्र|

• पार हिमालय के कम वृष्टि वाले क्षेत्र लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में स्पिति|

• अरावली पहाड़ियों में कम वर्षा वाला क्षेत्र|

• पश्चिमी व पूर्वी घाट के व दक्कन पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र|

• इसके अलावा झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य पदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल में खादानों और भूमि धँसने से भूस्खलन होता रहता है|

इस आपदा के निवारण के निम्नलिखित उपाय हैं :

• अधिक भूस्खलन संभावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बाँध बनाने जैसे निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबंध होना चाहिए|

• इन क्षेत्रों में कृषि नदी घाटी तथा कम ढाल वाले क्षेत्रों तक सीमित होनी चाहिए तथा बडी विकास परियोजनाओं पर नियंत्रण डोना चाहिए|

• सकारात्मक कार्य जैसे- बृहत स्तर पर वनीकरण को बढ़ावा और जल बहाव क्रो कम करने के लिए बाँध का निर्माण भूस्खलन के उपायों के पूरक हैं|

• स्थानांतरी कृषि वाले उतर-पूर्वी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए|

(ii) सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें और इसके निवारण के उपाय बताएँ|

उत्तर

सुभेद्यता का अर्थ है आपदा पीड़ित के लिए संकट उत्पन्न होना|

सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों को निम्नलखित वर्गों में विभाजित किया गया है :

अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र : राजस्थान में ज्यादातर भाग, विशेषकर अरावली के पश्चिम में स्थित मरुस्थली और गुजरात का कच्छ क्षेत्र अत्यधिक सूखा प्रभावित है| इसमें राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिले भी शामिल है, जहाँ 90 मिलीलीटर से कम औसत बार्षिक वर्षा होती है|

अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र : इसमें राजस्थान के पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश के ज्यादातर भाग, महाराष्ट्र के पूर्वी भाग, आंध्र प्रदेश के अंदरूनी भाग, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु के उत्तरी भाग, झारखंड का दक्षिणी भाग और ओडिशा के आंतरिक भाग शामिल हैं|

मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र : इस वर्ग में राजस्थान के उत्तरी भाग, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, गुजरात के बचे हुए जिले, कोंकण को छोड़कर महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडू में कोयंबटूर पठार और आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं| भारत के बचे हुए भाग बहुत कम या न के बराबर सूखे से प्रभावित हैं|

इसके निवारण के निम्नलिखित उपाय हैं :

• भूमिगत जल के भंडारण का पता लगाना|

• जल आधिक्य क्षेत्रों से अल्पजल क्षेत्रों में पानी पहुंचाना|

• नदियों को जोड़ना और बाँध व जलाशयों का निर्माण इत्यादि|

• नदियों जोड़ने के लिए द्रोणियों की पहचान तथा भूमिगत जल भंडारण की संभावना का पता लगाने के लिए सुदूर संवेदन और उपग्रहों से प्राप्त चित्रों का प्रयोग करना चाहिए|

• सूखा प्रतिरोधी फसलों के बारे में प्रचार-पसार सूखे से लड़ने के लिए एक दीर्घकालिक उपाय है|

• वर्षा जल संलवन (Rain water harvesting) सूखे का प्रभाव कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है|

(iii) किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है?

उत्तर

ऐसी अनेक स्थितियाँ हैं, जिससे विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है:

• भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल नाभिकीय आपदा, युद्ध, सी एफ सी (क्लोरोफलोरो कार्बन) गैसें वायुमंडल में छोड़ना तथा ग्रीन हाउस गैसें, ध्वनि, वायु, जल तथा मिट्टी संबंधी पर्यावरण प्रदूषण आदि आपदाएँ इसके उदाहरण हैं|

• कुछ मानवीय गतिविधियों परोक्ष रूप से भी आपदाओं को बढ़ावा देती हैं| वनों को काटने की वजह से भू-स्खलन और बाढ़, भंगुर जमीन पर निर्माण कार्य और अवैज्ञानिक भूमि उपयोग कुछ उदाहरण हैं जिनकी वजह से आपदा परोक्ष रूप में प्रभावित होती है|

पिछले कुछ सालों से मानवकृत आपदाओं की संख्या और परिमाण, दोनों में ही वृद्धि हुई है और कई स्तर पर ऐसी घटनाओं से बचने के भरसक प्रयत्न किए जा रहे हैं|

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 8 - जामुन का पेड़

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 8 - जामुन का पेड़ आरोह भाग-1 हिंदी (Jamun ka Ped)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 110

1. बेचारा जामुन का पेड़| कितना फलदार था|
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं|


क. ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

ख. इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?


उत्तर

क. आँधी के कारण जामुन का पेड़ सेक्रेटेरियट के लॉन में गिर गया था| उस पेड़ के नीचे एक आदमी दब गया था| जब माली ने सुबह यह देखा तो उसने क्लर्क को सूचित किया| इस बात के पता चलते ही सभी उस पेड़ के आस-पास इकट्ठे हो गए और उपरोक्त बातें करने लगे|

ख. इन बातों से लोगों की संवेदनहीन मानसिकता का पता चलता है| लोग उस पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी के बारे में न सोचकर जामुन के पेड़ के गिरने से हुए नुकसान के बारे में सोचते हैं कि अब उन्हें जामुन खाने नहीं मिलेंगे| इससे यह पता चलता है कि वे कितने स्वार्थी और मतलबी हैं|

2. दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?

उत्तर

रात को जब माली दबे हुए आदमी को खिचड़ी खिलाते हुए बताया कि मामला ऊपर तक चला गया है| कल सेक्रेटरियों की मीटिंग है और उम्मीद है कि सब ठीक हो जाएगा| इस बात पर दबे हुए आदमी ने कराहते हुए एक शायरी सुना डाली| यह सुनकर माली ने उससे पूछा कि क्या वो शायर है| उसने हामी भरी और यह बात सबको पता चल गई|

इस जानकारी से जो मामला सुलझने वाला था, उसमें और देरी होने की संभावना बढ़ गई| दबे हुए आदमी के कवि होने से फाइल एग्रीकल्चर, व्यापार, हॉर्टीकल्चर जैसे विभागों से होते हुए आखिरकार कल्चरल विभाग तक आ पहुँची| निर्णय लेने में देरी होने के कारण दबा हुआ आदमी अधिक दिन तक जीवित नहीं रह सका और अंततः मर गया|

3. कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?

उत्तर

कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे यह तर्क दिया कि कृषि विभाग अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का हकदार है| जामुन का पेड़ चूँकि एक फलदार पेड़ था, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर विभाग के अंतर्गत आता है|

4. इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

उत्तर

इस पाठ सरकार के निम्नलिखित विभागों की चर्चा की गई है और उनके निम्नलिखित कार्य हैं:

(i) कृषि विभाग- इस विभाग का कार्य कृषि संबंधी मामलों की देखरेख करना है|

(ii) व्यापार विभाग- इसका कार्य देश में होने वाले व्यापार से संबंधित है|

(iii) हॉर्टीकल्चर विभाग- यह विभाग बागवानी तथा उनके रख-रखाव से संबंधित है|

(iv) कल्चरल विभाग- इसका अर्थ है सांस्कृतिक विभाग, जो कला तथा संस्कृति के विकास सबंधी कार्य करता है|

(v) फ़ॉरेस्ट विभाग या वन विभाग- यह विभाग वनों तथा वन्य-प्राणियों के सुरक्षा हेतु कार्य करता है|

(vi) विदेश विभाग- यह विभाग अंतर्राष्ट्रीय संबधों को मजबूत बनाने तथा उससे संबंधित नीतियों के कार्यान्वयन में सहायता करता है|

पाठ के आस-पास

1. कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं| ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है?

उत्तर

जैसे ही पता चला कि जामुन के पेड़ के नीचे एक आदमी दबा हुआ है, कुछ मनचले क्लर्कों ने कानून की परवाह किए बिना पेड़ हटाकर उसे बाहर निकालने का निश्चय किया| वे ऐसा करने ही वाले थे कि तभी सुपरिंटेंडेंट दौड़ता हुआ आया और बताया कि यह पेड़ कृषि विभाग के अंतर्गत आता है और उनकी अनुमति के बिना हम इसे नहीं हटा सकते|

जैसे ही फ़ॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी आरी-कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काटने पहुँचे, तभी विदेश विभाग से आदेश आया कि यह पेड़ नहीं काटा जा सकता क्योंकि यह पेड़ पोटानिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था| पेड़ काटने से दो राज्यों के संबंध बिगड़ सकते हैं और उससे मिलने वाली सहायता भी बंद हो सकती है|

2. यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करूणा की भी अंतर्धारा है| अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें|

उत्तर

इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करूणा की भी अंतर्धारा है| इस बात से मैं सहमत हूँ| कहानी के आरंभ में ही हास्य दृश्य है, जब जामुन के पेड़ के गिरने पर सभी उसके रसीले फल को याद करके अफ़सोस व्यक्त करते हैं| कोई उसके नीचे दबे हुए आदमी की कराह को नहीं सुनता| कुछ मनचले क्लर्क पेड़ की जगह आदमी को ही काटने की बात करते हैं जिससे कि पेड़ को कोई नुकसान न हो| इस बात से हास्य और करूणा दोनों की अनुभूति होती है| कहानी के अंत में एक ओर फैसला आता है और दूसरी ओर आदमी की मौत हो जाती है तथा चीटियों की एक लंबी पंक्ति उसके मुँह में चली जा रही है| यह अत्यंत ही कारुणिक दृश्य है|

3. यदि आप माली की जगह होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?

उत्तर

यदि मैं माली की जगह होती/होता, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार नहीं करता/करती, क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन से बढ़कर कोई कानून या नियम नहीं है| एक पेड़ के कारण व्यक्ति के जीवन को दाँव पर नहीं लगा सकते| यह कोई सामान्य स्थिति नहीं थी, जिसमें निर्णय का इंतजार किया जा सकता था| एक गिरे हुए पेड़ के कारण आदमी की जान जाने वाली थी| इसलिए किसी भी प्रकार का खतरा उठाए बिना लोगों की सहायता से पेड़ हटाने की कोशिश करता/करती|

शीर्षक सुझाइए

कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ| निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं-

• कहानी में बार-बार फाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फाइल पूर्ण होने की बात कही गई है|

उत्तर

जीवन की फाइल|

• सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्यप्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है|

उत्तर- लंबी तथा विवेकहीन सरकारी प्रणाली|

• कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है|

उत्तर- लापरवाही तथा विवेकहीनता के दुष्परिणाम|

भाषा की बात

1. नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए-

अर्जेंट, फ़ॉरेस्ट, डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, चीफ़ सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट|

उत्तर

अर्जेंट- अति आवश्यक

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट- वन-विभाग

मेंबर- सदस्य

डिप्टी सेक्रेटरी- उप-सचिव

मिनिस्टर- मंत्री

अंडर सेक्रेटरी- अवर-सचिव

हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट- उद्यान कृषि-विभाग

एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट- कृषि-विभाग

2. इसकी चर्चा शहर में भी फ़ैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए- यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है| संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है- इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए| पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए|

उत्तर

1. माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला- माली अचंभे से मुँह में ऊँगली दबाकर चकित भाव से बोला।

2. इतना बड़ा कवि- ‘ओस के फूल’ का लेखक और हमारी अकादमी का मेंबर नहीं है- ‘ओस के फूल’ का लेखक बड़ा कवि होते हुए भी हमारी अकादमी का मेंबर नहीं है।

3. जामुन का पेड़ चूँकि फलदार पेड़ है,इसलिए यह पेड़ हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है- जामुन का पेड़ फलदार पेड़ होने के कारण हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।

4. आधा आदमी उधर से निकल आएगा और पेड़ वहीँ का वहीँ रहेगा- आधा आदमी उधर से निकल आने पर पेड़ वहीँ का वहीँ रहेगा।

5. कल यह पेड़ काट दिया जाएगा, और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे- कल इस पेड़ के कटते ही तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे|

3. साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है| जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें|

उत्तर

जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट और साक्षात्कारकर्ता के बीच का काल्पनिक साक्षात्कार-

साक्षात्कारकर्ता: क्या, आप ही इस विभाग के सुपरिंटेंडेंट हैं?

सुपरिंटेंडेंट: जी हाँ !

साक्षात्कारकर्ता: तब तो आपको पता ही होगा कि आपकी लॉन में एक पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है|

सुपरिंटेंडेंट: इसमें मेरी कोई गलती नहीं है|

साक्षात्कारकर्ता: लेकिन माली को आपने ही पेड़ काटने से मना किया था|

सुपरिंटेंडेंट: देखिए जनाब, हम सरकारी कर्मचारी हैं इसलिए कार्य को नियम और कानून के दायरे में रहकर करना पड़ता है|

साक्षात्कारकर्ता: चाहे इस नियम और कानून के कारण किसी की जान ही क्यों न चली जाए|

सुपरिंटेंडेंट: नहीं! ऐसा हमने कब कहा? लेकिन....

साक्षात्कारकर्ता: लेकिन क्या?

सुपरिंटेंडेंट: मैंने तो ये कहा कि मैं कानून के दायरे के बाहर नहीं जा सकता था| मुझे अपने से ऊपर जवाब देना पड़ता है|

साक्षात्कारकर्ता: पर ये कहाँ लिखा है कि मरते हुए आदमी को छोड़कर आप फ़ाइल के चक्कर में पड़े रहे|

सुपरिंटेंडेंट: मैं स्वयं निर्णय कैसे लेता? यह काम मेरे विभाग से संबंधित ही नहीं था|

साक्षात्कारकर्ता: तो आप ही बताइए कि इस बेचारे व्यक्ति के मरने की जिम्मेदारी किस विभाग की है?

सुपरिंटेंडेंट: मैं इस बारे में आगे कोई बात नहीं करना चाहता हूँ| मुझे जो ठीक लगा वह मैंने किया अच्छा नमस्कार|

जामुन का पेड़ - पठन सामग्री और सार NCERT Class 11th Hindi

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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 8 -  जामुन का पेड़ (Jamun ka Ped) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

‘जामुन का पेड़’ कृश्नचंदर ने की एक प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है| हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती तो इसलिए यहाँ घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय जान पड़ें, तो कोई हैरत नहीं| विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्याकंन की कसौटी नहीं हो सकतीं| प्रस्तुत पाठ में हँसते-हँसते हमारे भीतर इस बात की समझ पैदा होती है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने बाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यास्पद है| कहानी में व्यवस्था के सवेदनशून्य एवं अमानवीय होने का पक्ष भी हमारे सामने आता है|

रात में चले तेज आँधी के कारण जामुन का पेड़ सचिवालय के लॉन में गिर गया, जिसके नीचे एक आदमी दब गया था| माली ने देखा तो यह बात उसने चपरासी को बताई| धीरे-धीरे यह बात पूरे सचिवालय में फ़ैल गई| सभी जामुन के पेड़ के गिरने पर दुःख जता रहे थे, लेकिन दबे हुए आदमी के बारे कोई नहीं सोच रहा था| कुछ मनचले क्लर्कों ने कानून की परवाह किए बिना निश्चय किया कि पेड़ काटकर आदमी को निकाल लिया जाए| लेकिन सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि मामला कृषि विभाग का है, इसलिए पेड़ को वे काट नहीं सकते| इस प्रकार मामला व्यापार विभाग से कृषि विभाग तक पहुँच जाता है| कृषि विभाग वाले मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंप देते हैं क्योंकि जामुन का पेड़ फलदार था| तभी सबको पता चलता है कि दबा हुआ व्यक्ति शायर है| इस खबर के फैलते ही लोगों की भीड़ बढ़ने लगी और मामला कल्चरल विभाग में भेज दिया जाता है| दबा हुआ आदमी दर्द से पीड़ित था और अपने निकाले जाने के फैसले के इंतजार में था| फ़ॉरेस्ट विभाग के लोग पेड़ काटने ही वाले थे, तभी पता चला कि जामुन का पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमन्त्री ने लगाया था और इसे काटने से दो राज्यों के संबंध बिगड़ जाते| इसलिए आदेश को रोक दिया गया| प्रधानमंत्री दौरे से वापस आए तो उन्होंने इस मामले की अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी स्वयं ली| इस प्रकार पेड़ काटने की अनुमति मिल गई| लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी| दबा हुआ आदमी मर चुका था और उसकी जीवन की फाइल बंद हो चुकी थी| इस प्रकार, सरकारी आदेश और उसकी संवेदनहीनता के आगे एक व्यक्ति अपने जीवन-संघर्ष में हार गया था|

कथाकार-परिचय

कृश्नचंदर

जन्म : सन् 1914, पंजाब के वजीराबाद गाँव (जिला- गुजरांकलां) में

प्रमुख रचनाएँ : उनकी प्रमुख रचनाएँ एक गिरजा-ए-खंदक, युकेलिप्ट्स की डाली (कहानी-संग्रह); शिकस्त, ज़रगाँव की रानी, सड़क वापस जाती है, आसमान रौशन है, एक गधे की आत्मकथा, अन्नदाता, हम वहशी हैं, जब खेत जागे, बावन पत्ते, एक वायलिन समंदर के किनारे, कागज़ की नाव, मेरी यादों के किनारे (उपन्यास) 

सम्मान : उन्हें साहित्य अकादमी सहित बहुत से पुरस्कार प्रदान किए गए हैं|

मृत्यु : इनकी मृत्यु सन् 1977 में हुई|

प्रेमचंद के बाद जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाईयों तक पहुँचाया, उनमें उर्दू कथाकार कृश्नचंदर का नाम महत्वपूर्ण है| प्रगतिशील लेखक संघ से उनका गहरा सबंध था, जिसका असर उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से झलकता है| कृश्नचंदर ऐसे गिने-चुने लेखकों में आते हैं, जिन्होंने बाद में चलकर लेखन को ही रोजी-रोटी का सहारा बनाया| 

कृश्नचंदर की प्राथमिक शिक्षा पुंछ (जम्मू एवं कश्मीर) में हुई| उच्च शिक्षा के लिए वे सन् 1930 में लाहौर आ गए और फॉरमेन क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया| 1934 में पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. किया| बाद में उनका जुड़ाव फिल्म जगत से हो गया और अंतिम समय तक वे मुंबई में ही रहे|

यों तो कृश्नचंदर ने उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज और लेख भी बहुत से लिखे हैं, लेकिन उनकी पहचान कहानीकार के रूप में अधिक हुई है| महालक्ष्मी का पुल, आईने के सामने आदि उनकी मशहूर कहानियाँ हैं| उनकी लोकप्रियता इस कारण भी यह है कि वे काव्यात्मक रोमानियत और शैली की विविधता के कारण अलग मुकाम बनाते हैं| कृश्नचंदर उर्दू कथा-साहित्य में अनूठी रचनाशीलता के लिए बहुचर्चित रहे हैं| वे प्रगतिशील और यथार्थवादी नजरिए से लिखे जाने वाले साहित्य के पक्षधर थे|

कठिन शब्दों के अर्थ

• झक्कड़- आँधी
• रुआँसा- रोनी सूरत
• ताज्जुब- आश्चर्य
• हॉर्टीकल्चर- उद्यान कृषि
• एग्रीकल्चर- कृषि
• तग़ाफुल- विलंब, देर, उपेक्षा

NCERT Solutions of पाठ 8 - जामुन का पेड़


NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 9 - भारत माता

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 9 - भारत माता आरोह भाग-1 हिंदी (Bharat Mata)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 116

पाठ के साथ

1. भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे?

उत्तर

भारत की चर्चा नेहरू जी अपने जलसों में और किसानों के साथ करते थे|

2. नेहरूजी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे?

उत्तर

नेहरूजी भारत के सभी किसानों से तीन प्रश्न बार-बार करते थे :

• भारत माता की जय नारे का क्या अर्थ है?

• भारत माता कौन है?

• धरती का अर्थ कहाँ की धरती से है?

3. दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था?

उत्तर

दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए आसान था, इसकी वजह यह थी कि कुछ किसान महाकाव्यों तथा पुराणों की कथा-कहानियों से अच्छी तरह अवगत थे| वहीं कुछ ने भारत के कोने-कोने में जाकर बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रा कर रखी थी| कुछ तो ऐसे सिपाही थे जिन्होंने युद्ध में भाग लिया था और विदेशों में भी नौकरियाँ की थीं| वे सन् तीस में उत्पन्न हुई विश्व की आर्थिक मंदी से भी परिचित थे|

4. किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे?

उत्तर

किसानों के लिए भारत माता का अर्थ भारत की धरती से था|

5. भारत माता के प्रति नेहरूजी की क्या अवधारणा थी?

उत्तर

नेहरू जी के विचार से भारत माता का अर्थ हिंदुस्तान की नदियाँ, पहाड़, खेत तथा करोड़ों लोग हैं, जो इसके अभिन्न अंग हैं| इन सभी को जोड़कर ही भारत माता की अवधारणा को समझा जा सकता है, जहाँ ये सभी भारत की प्रगति, समृद्धि के सूचक हैं|

6. आजादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?

उत्तर

आजादी के पूर्व किसानों के समक्ष कई समस्याएँ थीं| उनमें से गरीबी, ऋण, पूँजीपतियों द्वारा शोषण, महाजनों तथा जमींदारों के शिकंजे में फँसना, कृषि के बदले कर चुकाना, अधिक ब्याज तथा पुलिस के अत्याचार प्रमुख समस्याएँ थीं, जिसे विदेशी सरकार ने किसानों पर लाद रखा था|

पाठ के आस-पास

1. आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के क्या सपने थे? क्या आजादी के बाद वे साकार हुए? चर्चा कीजिए|

उत्तर

आजादी से पहले नेहरू जी ने भारत-निर्माण को लेकर कई सपने देखे थे, जैसे- गरीबी से मुक्ति, कर से छुटकारा, पूँजीपतियों तथा जमींदारी प्रथा का उन्मूलन, ब्याज में कमी, पुलिस के अत्याचारों से मुक्ति, जो विदेशी शासन में भारतीयों पर किए जाते थे|

आजादी के बाद वे सपने कुछ हद तक पूरे हुए| लेकिन कुछ सपने ऐसे भी हैं जो अभी तक अधूरे हैं, जैसे- आज भी कई किसान कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं| लगानों तथा सूद को तो कम कर दिया गया है तथा जमींदारों और पूँजीपतियों से भी छुटकारा मिल गया है| लेकिन, इन सब के बावजूद पुलिस के अत्याचार आज भी लोगों को सहने पड़ते हैं|

2. भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं?

उत्तर

भारत के विकास को लेकर नेहरू जी ने जो सपने देखे थे वही सपने हमारे भी हैं| उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

• भारत में गरीबी का नामोनिशान न हो| आधारभूत आवश्यकताएँ- रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या कहीं भी न हो|

• शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हो| ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाए जिसमें निर्धनों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था हो|

• युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर प्रदान किए जाए, जिससे बेरोजगारी की समस्या समाप्त की जा सके|

• ऐसी कानून व्यवस्था जिसमें सबके साथ न्याय किया जाए| लोगों को पुलिस के अत्याचारों को सहना न पड़े|

• संपूर्ण भारत में सुख और समृद्धि का शासन हो|

3. आपकी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की क्या संकल्पना है? बताइए|

उत्तर

मेरी दृष्टि में भारत माता तथा हिन्दुस्तान की संकल्पना अलग नहीं है| इन दोनों का अर्थ यहाँ की हरियाली, खेत-जंगल, पहाड़, जो हमें अन्न प्रदान करते हैं, नदियाँ तथा इनके किनारे बसे ऋषि-मुनि, जिनसे यहाँ की सभ्यता तथा संस्कृति के बारे में पता चलता है| इनमें यहाँ के करोड़ों निवासी भी शामिल हैं, जो भारत की परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं|

4. वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली हैं? चर्चा कर लिखिए|

उत्तर

वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में अनेक सुधार हुए हैं| पहले उन्हें ऋण के लिए जमींदारों की शर्तों को माना पड़ता था| वे उनसे मनमाना सूद वसूलते थे| लेकिन वर्तमान समय में किसानों को बैंक से कम ब्याज पर सस्ते ऋण मिल जाते हैं| प्राकृतिक आपदाओं के समय भी उन्हें सरकार की तरफ से कई सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं|

भाषा की बात

1. नीचे दिए गए वाक्यों का पाठ के सन्दर्भ में अर्थ लिखिए-

दक्खिन, पच्छिम, यक-साँ, एक जुज़, ढढ्ढे

उत्तर

दक्खिन- दक्षिणी प्रांतों के लिए; जैसे- केरल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक|

पच्छिम- पश्चिम के प्रांतों के लिए; जैसे- महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान|

यक-साँ- एक-सा/अर्थात एक समान|

एक जुज़- एक हिस्सा या एक अंश के संदर्भ में|

ढढ्ढे- बोझ के संदर्भ में|

2. नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए-

आजादी, चमक, हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत

उत्तर

आजादी- आजाद

चमक- चमकीला

हिंदुस्तान- हिंदुस्तानी

विदेश- विदेशी

सरकार- सरकारी

यात्रा- यात्री

पुराण- पौराणिक

भारत- भारतीय

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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 2 Inverse Trigonometric Functions Miscellaneous Exercise

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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 2 Inverse Trigonometric Functions Miscellaneous Exercise Math

Page No: 51

Miscellaneous Exercise on Chapter 2

Find the value of the following:

Question: 1

Answer


Question: 2

Answer


Prove that

Question: 3

Answer


Question: 4

Answer


Question: 5

Answer


Question: 6

Answer



भारत माता - पठन सामग्री और सार NCERT Class 11th Hindi

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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 9 - भारत माता (Bharat Mata) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

प्रस्तुत पाठ हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है| अंग्रेजी से भाषांतर हरिश्चंद्र उपाध्याय ने किया है| इसमें पं. नेहरु ने बताया है कि किस तरह देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक तो इस अपार फैलाव के बीच एकता के क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है| यही पूरे पाठ की विषयवस्तु है|

आजादी से पहले नेहरू जी अलग-अलग स्थानों पर जनसभाएँ आयोजित करते थे, जहाँ वे आम लोगों के साथ मिलकर देश की एकता और संस्कृति के बारे में चर्चा किया करते थे| उनकी चर्चाओं में भरत भूमि की महत्ता के बारे बातें होती थीं| वे अक्सर ऐसी जनसभाएँ गाँवों में करते थे, जहाँ लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे| वे शहरों में जाने से बचते थे क्योंकि वहाँ के लोग स्वयं को अधिक चालक समझते थे| गाँवों में रहने वाले गरीब किसान भारत-भूमि की महत्ता को समझते थे तथा उन्हें आजादी के मायने पता थे|

नेहरू जी भारत के कोने-कोने में यात्रा कर चुके थे| अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने किसानों की दयनीय स्थिति का पता चला| उन्होंने भारत-निर्माण का सपना देखा, जिसमें किसानों को गरीबी, कर्जदारों, पूँजीपति, जमींदार, महाजन के शोषण तथा कड़े लगान, पुलिस के अत्याचार इन सभी समस्याओं से मुक्त कराने का सपना शामिल था| उन्होंने हमेशा लोगों को एकजुट होकर भारत की आजादी के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया| वे लोगों के सामने अमेरिका में हो रहे विकास का उदाहरण प्रस्तुत करते थे| किसान भी उनकी बातों को समझते थे, क्योंकि उन्हें पुराने महाकाव्यों तथा पुराणों की कथा-कहानियों की जानकारी थी| उनमें से कुछ ने विदेशी नौकरियाँ भी की थी और दुनिया में चल रहे आर्थिक मंदी के दौर में भी पता था|

जब नेहरू जी उनसे ‘भारत माता की जय’ नारे का अर्थ पूछते थे, जिसका अर्थ किसान धरती बताते थे| वे उन्हें धरती से जुड़े अवधारणा के बारे में समझाते थे| धरती कार्थ किसी एक जिले या गाँव की धरती नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की धरती से था| इससे वे उन्हें भारत की एकता का मर्म समझाने में सफल होते थे| ‘हम सभी उस भारत माता के अंश हैं’, नेहरू जी की यह सोच किसानों के मनोबल को बढ़ाने का कार्य करती थी|

कथाकार-परिचय

जवाहरलाल नेहरू 

जन्म: सन् 1889, इलाहाबाद (उ.प्र.) में|

प्रमुख रचनाएँ: मेरी कहानी (आत्मकथा), विश्व इतिहास की झलक, हिंदुस्तान की कहानी, पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदी अनुवाद), हिंदुस्तान की समस्याएँ, स्वाधीनता और उसके बाद, राष्ट्रपिता, भारत की बुनियादी एकता, लड़खड़ाती दुनिया आदि (लेखों और भाषणों का संग्रह) हैं|

मृत्यु: सन् 1964 में|

इनका जन्म इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में हुआ| संपन्न परिवार में हुआ| उनके पिता वहाँ के बड़े वकील थे| नेहरु की प्रारंभिक शिक्षा घर पर तथा उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हैरो तथा कैम्ब्रिज में हुई| वहाँ से वकालत की पढ़ाई भी की लेकिन नेहरु पर गाँधी जी का बहुत प्रभाव पड़ा| उनकी पुकार पर वे पढाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में जुट गए| आगे चलकर सन् 1929 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने और पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की| नेहरू का झुकाव समाजवाद की ओर भी रहा|

सन् 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो नेहरू जी पहले प्रधानमंत्री बने और भारत के निर्माण में अंत तक जुटे रहे| उन्होंने देश के विकास के लिए कई योजनाएँ बनाईं, जिनमें आर्थिक और औद्योगिक प्रगति तथा वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर साहित्य, कला, संस्कृति आदि क्षेत्र शामिल थे| नेहरु जी बच्चों के बीच चाचा नेहरू के रूप में जाने जाते थे| शांति, अहिंसा और मानवता के हिमायती नेहरू ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वशांति और पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया|

कठिन शब्दों के अर्थ

• सयाने- समझदार
• गिज़ा- खुराक, भोजन, खाद्य
• नजरिया- दृष्टिवकोण
• महदूद- सीमित
• मसला- मुद्दा
• यक-साँ- एक समान
• तब्दीलियों- परिवर्तनों
• जुज़- खंड, भाग
• कशमकश- ऊहापोह, पसोपेश
• हवाले- संदर्भ
• कुतूहल- उत्सुकता
• ताज्जुब- आश्चर्य
• हट्टे-कट्टे- हृष्ट-पुष्ट, स्वस्थ, मज़बूत कद-काठी वाला
• अज़ीज़- प्रिय
• दरअसल- वास्तव में
• जलसा- समारोह
• धावा- आक्रमण

NCERT Solutions of पाठ 9 - भारत माता

Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions NCERT Solutions- Class 12 Math

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Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions Mathematics Class 12 NCERT Solutions

Get answers of NCERT Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions. If you have any problem in finding the correct answers of Math Textbook then you can find here. NCERT solutions for class 12 maths chapter 2 exercise 1.1, 1.2, 1.3, 1.4 and miscellaneous exercises of Relations and Functions. Free NCERT solutions are given which students can download in app. This page will help in finding those NCERT Solutions of books. Here you find complete chapter detailed questions and answers of Class 12 Math Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions. The answer of each exercises are provided in the list so that you can easily browse throughout different exercises and select needy one. Also, you can read NCERT book online in this section.

Exercises of Inverse Trigonometric Functions

Inverse Trigonometric Functions Exercise 2.1 NCERT Solutions
Inverse Trigonometric Functions Exercise 2.2 NCERT Solutions
Inverse Trigonometric Functions Miscellaneous exercise NCERT Solutions

Math Class 12 NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 10 - आत्मा का ताप

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 10 - आत्मा का ताप आरोह भाग-1 हिंदी (Aatma ka Taap)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 125

पाठ के साथ

1. रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?

उत्तर

रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश नहीं स्वीकार की, क्योंकि उन्हें मुंबई में ही रहकर अध्ययन करने का निश्चय किया| उन्हें शहर तथा वहाँ का वतावरण और सभी मित्र बहत पसंद आए|

2. मुंबई में रहकर कला के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए?

उत्तर

मुंबई में रहकर कला के लिए रज़ा को कड़ी मेहनत करनी पड़ी| रज़ा को जिस स्टूडियो में डिजाईनर की नौकरी मिली थी, वह फीरोजशाह मेहता रोड पर था| वहाँ वे सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक काम करते थे| काम के बाद अध्ययन के लिए मोहन आर्ट क्लब जाते और रात में वे अपने किसी परिचित टैक्सी ड्राइवर के कमरे में रहते थे| वहाँ उन्हें फर्श पर सोना पड़ता था| वे रात के ग्यारह-बारह बजे तक जागकर स्केच बनाया करते थे| इतने कठिन परिश्रम के बाद 1948 में उन्हें बॉम्बे आर्ट ऑफ़ सोसाइटी का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ| 1943 में आर्ट्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की प्रदर्शनी में उनकी चित्रों को प्रदर्शित किया गया| कला समीक्षक रुडॉल्फ़ वॉन लेडेन ने उनके चित्रों की प्रशंसा की| प्रदर्शनी में उनके दो चित्र बीस-बीस रूपये में बिक गए| यह उनके बहुत बड़ी उपलब्धि थी| वेनिस अकादमी के प्रोफेसर लैंगहैमर उनके चित्र के प्रशंसक बने तथा उनके द्वारा बनाई गई चित्रों को खरीदने लगे| इससे रजा के अध्ययन में जुट पाना संभव हो गया और वे जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट के नियमित छात्र बन गए|

3. भले ही 1947 और 1948 में महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे- रजा ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर

1947 में भारत आजाद हुआ और 1948 में महात्मा गाँधी की हत्या| लेकिन रजा के लिए ये दोनों वर्ष कठिन दौर थे क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर उनके साथ घटनाएँ घटी थीं| 1947 में उनकी माता और फिर 1948 में उनके पिता का देहांत हो गया| पूरे परिवार की जिम्मेदारी का बोझ उनके कन्धों पर आ गया| इस प्रकार उन्हें अनेक क्रूर अनुभवों से गुजरना पड़ा|

4. रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे?

उत्तर

रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार सेजां, वॉन, गॉग, गोगाँ पिकासो, मातीस, शागाल एवं ब्रॉक थे|

5. तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है| चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है- आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है| यह बात

(क) किसने, किस संदर्भ में कही?

(ख) रज़ा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर

(क) यह बात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसाँ ने रजा के चित्रों को देखने के बाद कही|

(ख) उनकी इस टिप्पणी से रज़ा पर गहरा एवं सकारात्मक प्रभाव पड़ा| उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्हें चित्रों की बुनियाद मजबूत बनानी पड़ेगी अर्थात उनका आधार मजबूत होना चाहिए| इससे उनकी कला में और भी अधिक निखार आ सकता है|

पाठ के आस-पास

1. रजा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते? तर्क सहित लिखिए|

उत्तर

रजा की संघर्ष की घड़ियों में जलील साहब ने उनकी बहुत सहायता की थी, लेकिन कहना उचित नहीं होगा कि यदि उनका सहारा नहीं मिलता, तब भी रजा एक जाने-माने चित्रकार न बन पाते| ऐसा इसलिए है क्योंकि कला किसी के सहारे की मोहताज नहीं होती है| यह सच है कि कभी-कभी आर्थिक तंगी के कारण प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिलता| शायद रजा अकोला में ड्राइंग के अध्यापक बन कर ही रह जाते| फिर भी यदि उन्हें जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता, तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते|

2. चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए|

उत्तर

ये बातें लेखक एस.एच.रजा ने वर्तमान में हो रहे चित्रकला के व्यवसायीकरण को ध्यान में रखते हुए कही हैं| उन्होंने ये बातें ख़ास तौर पर युवा कलाकारों को संबोधित किया है| वे अपना सर्वस्व देकर चित्रकला के लिए समर्पित होते हैं जबकि बाजार में उनके चित्रों की नीलामी की जाती है| चित्रकला किसी भी कलाकार की अंतरात्मा की आवाज होती है, इसे व्यवसाय प्रधान नहीं बनाना चाहिए| चित्रकला का भविष्य उज्जवल है, लेकिन यह कह पाना कठिन है कि इसके व्यवसायीकरण पर रोक लगाया जा सकेगा|

3. हमें लगता था कि हम पहाड़ हिला सकते हैं- आप किन क्षणों में ऐसा सोचते हैं?

उत्तर

जब भी हम अपने जीवन में किसी नए काम की शुरुआत करते हैं तो उसे हम बड़े ही लगन और उत्साह के साथ करते हैं| हमारी एक अलग पहचान बनती है और लोकप्रिय होने के साथ आत्मबल दोगुना होता जाता है| तभी हमें ऐसा लगता है कि हम पहाड़ हिला सकते हैं|

भाषा की बात

1. जब तक मैं मुंबई पहुँचा, तब तक जे.जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था- इस वाक्य को हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं| मेरे बंबई पहुँचने से पहले जे.जे, स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था| नीचे दिए गए वाक्यों को दूसरे तरीके से लिखिए-

(क) जब तक मैं प्लेटफ़ॉर्म पहुँचती तब तक गाड़ी जा चुकी थी|

(ख) जब तक डॉक्टर हवेली पहुँचता तब तक सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी|

(ग) जब तक रोहित दरवाजा बंद करता तब तक उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे|

(घ) जब तक रुचि कैनवास हटाती तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी|

उत्तर

(क) मेरे प्लेटफॉर्म पहुँचने से पहले ही गाड़ी जा चुकी थी|

(ख) डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले ही सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी|

(ग) रोहित के दरवाजा छंद करने रने पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे|

(घ) रुचि के कैनवास हटाने से पहले ही बारिश शुरू हो चुकी थी|

2. आत्मा का ताप पाठ में कई शब्द ऐसे आए हैं जिनमें ऑ का इस्तेमाल हुआ है, (ऑफ़ ब्लॉक नॉर्मल)| नीचे दिए गए शब्दों में यदि ऑ का इस्तेमाल लिया जाए तो शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आएगा? दोनों शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट कीजिए|

हाल, काफी, बाल

उत्तर

• हाल (दशा, स्थिति) आज मरीज किस हाल में है?

हॉल (बडा कमरा) छत के ऊपर एक हॉल बनाया जा सकता है|

• काफी (पर्याप्त) मेरे लिए इतनी सब्जी काफी है|

कॉफी (एक पेय पदार्थ) सदियों में कॉफी पीने से स्फूर्ति आती है|

• बाल (सिर के बाल यानि केश) मेरे बाल बहुत लंबे हो गए हैं|

बॉल (गेंद) क्रिकेट का बॉल बहुत महँगा हो गया है|

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आत्मा का ताप - पठन सामग्री और सार NCERT Class 11th Hindi

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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 10 - आत्मा का ताप (Aatma ka Taap) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘आत्मा का ताप’ सैयद हैदर रज़ा की आत्मकथात्मक पुस्तक का एक अध्याय है| इसका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद मधु बी.जोशी ने किया है| यहाँ रज़ा ने चित्रकला के क्षेत्र में अपने आरंभिक संघर्षों और सफलताओं के बारे में बताया है| एक कलाकार का जीवन-संघर्ष और कला-संघर्ष, उसकी सर्जनात्मक बेचैनी, अपनी रचना में सर्वस्व झोंक देने का उसका जुनून- ये सारी चीजें इसमें बहुत रोचक व सहज शैली में उभरकर आई हैं|

एस.एच.रज़ा शुरू से ही पढ़ने में तेज थे| नागपुर स्कूल में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया| पिता के रिटायर होने के बाद उन्होंने नौकरी ढूंढ़ना शुरू किया| गोंदिया में ड्राइंग के अध्यापक बनने के बाद उन्हें बंबई में जे.जे.स्कूल ऑफ़ आर्ट में अध्ययन के लिए सरकारी छात्रवृत्ति मिली| लेकिन देरी होने के कारण उनका दाखिला नहीं हो सका और छात्रवृत्ति वापस ले ली गई| लेकिन वे वापस नहीं लौटे और मुंबई में ही रहकर अध्ययन करने का निश्चय किया| उन्हें मुंबई का वातावरण पसंद आया| वहाँ उन्हें एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिल गई| सुबह दस से शाम छह बजे तक काम करने के बाद वे एक परिचित टैक्सी ड्राईवर के यहाँ सोने जाते थे| वहाँ वे ग्यारह-बारह बजे रात तक गलियों के चित्र या स्केच बनाते थे| कठिन परिश्रम के बाद आखिरकार उन्हें बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ| वे इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम आयु के कलाकार थे| इसके दो वर्ष के बाद उन्हें फ़्रांस सरकार की छात्रवृत्ति मिल गई| उनके पहले दो चित्र नवंबर 1943 में आर्ट्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुए| इस प्रदर्शनी में इनके दोनों चित्र 40-40 रूपये में बिक गए| वेनिस अकादमी के प्रोफेसर लैंगहैमर ने उनके चित्रों को खरीदना शुरू किया और इससे उनके कला के अध्ययन में जुट पाना आसान हो गया| 1947 में वे जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट के नियमित छात्र बन गए|

सन् 1947 में उनकी माँ और फिर 1948 में पिता के देहांत के बाद उन पर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया| 25 वर्ष की आयु में ही उन्हें इन क्रूर अनुभवों से गुजरना पड़ा, लेकिन उन्होंने सामर्थ्य भर काम करके अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई| 1948 में ही श्रीनगर की यात्रा के दौरान उनकी भेंट प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसाँ से हुई| उन्होंने रज़ा को पेंटिंग के असली मायने समझाए| रज़ा की फ्रेंच पेंटिंग में खास रुचि थी, इसलिए उन्होंने पेरिस जाने का निश्चय किया| फ़्रांस सरकार से दो वर्ष की छात्रवृत्ति मिलने के बाद वे 2 अक्टूबर 1950 को मर्सोई पहुँचे और इस प्रकार उनके कला जीवन का प्रारंभ हुआ| इस प्रकार अनेक संघर्षों से गुजरने के बाद एस.एच.रज़ा को सफलता प्राप्त हुई|

कथाकार-परिचय

सैयद हैदर रज़ा

जन्म- सन् 1922, बाबरिया गाँव (उ.प्र.) में|

सम्मान- इन्हें ‘ग्रेड ऑव ऑफिसर ऑव द ऑर्डर ऑव आर्ट्स ऐंड लेटर्स’ सम्मान से नवाजा गया है|

रज़ा ने चित्रकला की शिक्षा नागपुर स्कूल ऑफ़ आर्ट व सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुंबई से प्राप्त की| भारत में अनेक प्रदर्शनियाँ आयोजित करने के बाद सन् 1950 में वे फ्रांसीसी सरकार की छात्रवृत्ति पर फ्रांस गए और अध्ययन किया|

आधुनिक भारतीय चित्रकला को जिन कलाकारों ने नया और आधुनिक मुहावरा दिया, उनमें सैयद हैदर जी का नाम महत्वपूर्ण है| रज़ा की कला में भारतीय और पश्चिमी कला दृष्टियों का मेल हुआ| लंबे समय तक पश्चिम में रहने और वहाँ की कला की बारीकियों से प्रभावित होने के बाबजूद रज़ा ठेठ रूप से भारतीय कलाकार हैं| बिंदु उनकी कला-रचना के केंद्र में है| उनकी कई कलाकृतियाँ बिंदु का रूपाकार हैं| रज़ा की कला और व्यक्तित्व में उदात्तता है| उनकी कला में रंगों की व्यापकता और अध्यात्म की गहराई है| उनकी कला को भारत और दूसरे देशों में काफ़ी सराहा गया है|

कठिन शब्दों के अर्थ

• वारदात- दुर्घटना, घटना
• संदिग्ध- संदेहयुक्त
• स्केच- रूपरेखा
• गलीज़- अपवित्र, गंदे
• शहराती- शहर में लगने वाला
• चित्त- मन
• संतप्त- दुखी, उदास

NCERT Solutions for Class 12th: Ch 3 Matrices Exercise 3.1

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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 3 Matrices Exercise 3.1 Math

Page No: 64

Exercise 3.1

Find the value of the following:

Question: 1
(i) The order of the matrix,
(ii) The number of elements,
(iii) Write the elements a13, a21, a33, a24, a23.

Answer

(i) In the given matrix, the number of rows is 3 and the number of columns is 4. Therefore, the order of the matrix is 3 × 4.
(ii) Since the order of the matrix is 3 × 4, there are 3 × 4 = 12 elements in it.
(iii) a13 = 19, a21 = 35, a33 = −5, a24 = 12, a23 = 5/2

2. If a matrix has 24 elements, what are the possible orders it can have? What, if it has 13 elements?

Answer

We know that if a matrix is of the order m × n, it has mn elements. Thus, to find all the possible orders of a matrix having 24 elements, we have to find all the ordered pairs of natural numbers whose product is 24.
The ordered pairs are: (1, 24), (24, 1), (2, 12), (12, 2), (3, 8), (8, 3), (4, 6), and (6, 4)
Hence, the possible orders of a matrix having 24 elements are:
1 × 24, 24 × 1, 2 × 12, 12 × 2, 3 × 8, 8 × 3, 4 × 6, and 6 × 4
(1, 13) and (13, 1) are the ordered pairs of natural numbers whose product is 13.
Hence, the possible orders of a matrix having 13 elements are 1 × 13 and 13 × 1.

3. If a matrix has 18 elements, what are the possible orders it can have? What, if it has 5 elements?

Answer

We know that if a matrix is of the order m × n, it has mn elements. Thus, to find all the possible orders of a matrix having 18 elements, we have to find all the ordered pairs of natural numbers whose product is 18.
The ordered pairs are: (1, 18), (18, 1), (2, 9), (9, 2), (3, 6,), and (6, 3)
Hence, the possible orders of a matrix having 18 elements are:
1 × 18, 18 × 1, 2 × 9, 9 × 2, 3 × 6, and 6 × 3
(1, 5) and (5, 1) are the ordered pairs of natural numbers whose product is 5.
Hence, the possible orders of a matrix having 5 elements are 1 × 5 and 5 × 1. 

4. Construct a 2 × 2 matrix, A = [aij], whose elements are given by:

Answer


5. Construct a 3 × 4 matrix, whose elements are given by:
(i) aij = 1/2 |-3 + j|
(ii) aij = 2i - j

Answer

(i) aij = 1/2 |-3 + j|

a11 = 1/2|−3 × 1 + 1| = 1/2|−3 + 1| = 1
a12 = 1/2|−3 × 1 + 2| = 1/2|−3 + 2| = 1/2
a13 = 1/2|−3 × 1 + 3| = 1/2|−3 + 3| = 0
a14 = 1/2|−3 × 1 + 4| = 1/2|−3 + 4| = 1/2

a21 = 1/2|−3 × 2 + 1| = 1/2|−6 + 1| = 5/2
a22 = 1/2|−3 × 2 + 2| = 1/2|−6 + 2| = 2
a23 = 1/2|−3 × 2 + 3| = 1/2|−6 + 3| = 3/2
a24 = 1/2|−3 × 2 + 4| = 1/2|−6 + 4| = 1

a31 = 1/2|−3 × 3 + 1| = 1/2|−9 + 1| = 4
a32 = 1/2|−3 × 3 + 2| = 1/2|−9 + 2| = 7/2
a33 = 1/2|−3 × 3 + 3| = 1/2|−9 + 3| = 3
a34 = 1/2|−3 × 3 + 4| = 1/2|−9 + 4| = 5/2
(ii) aij = 2i - j

a11 = 2 × 1 − 1 = 2 −1 = 1
a12 = 2 × 1 − 2 = 2 −2 = 0
a13 = 2 × 1 − 3 = 2 −3 = -1
a14 = 2 × 1 − 4 = 2 −4 = -2

a21 = 2 × 2 − 1 = 4 −1 = 3
a22 = 2 × 2 − 2 = 4 −2 = 2
a23 = 2 × 2 − 3 = 4 −3 = 1
a24 = 2 × 2 − 4 = 4 −4 = 0

a31 = 2 × 3 − 1 = 6 −1 = 5
a32 = 2 × 3 − 2 = 6 −2 = 4
a33 = 2 × 3 − 3 = 6 −3 = 3
a34 = 2 × 3 − 4 = 6 −4 = 2

6. Find the values of x, y and z from the following equations:

Answer

(i)
As the given matrices are equal, their corresponding elements are also equal.
Comparing the corresponding elements, we get:
x = 1, y = 4, and z = 3

(ii)
As the given matrices are equal, their corresponding elements are also equal.
Comparing the corresponding elements, we
get: x + y = 6, xy = 8, 5 + z = 5
Now, 5 + z = 5 ⇒ z = 0
we know that:
(x − y)2 = (x + y)2 − 4xy
⇒ (x − y)2 = 36 − 32 = 4
⇒ x − y = ±2
Now, when x − y = 2 and x + y = 6, we get x = 4 and y = 2
When x − y = − 2 and x + y = 6, we get x = 2 and y = 4
∴ x = 4, y = 2, and z = 0 or x = 2, y = 4, and z = 0

(iii)
As the two matrices are equal, their corresponding elements are also equal.
Comparing the corresponding elements, we get:
x + y + z = 9 ... (1)
x + z = 5 ........ (2)
y + z = 7 ........ (3)
From (1) and (2), we have:
y + 5 = 9
⇒ y = 4
Then, from (3), we have:
4 + z = 7
⇒ z = 3
∴ x + z = 5
⇒ x = 2
∴ x = 2, y = 4 and z = 3.

7. Find the value of a, b, c and d from the equation:

Answer

As the two matrices are equal, their corresponding elements are also equal.
Comparing the corresponding elements, we get:
a − b = −1 ...... (1)
2a − b = 0 ...... (2)
2a + c = 5 ....... (3)
3c + d = 13 ..... (4)
From (2), we have:
b = 2a
Then, from (1), we have:
a − 2a = −1 ⇒ a = 1 ⇒ b = 2
Now, from (3), we have:
2 ×1 + c = 5 ⇒ c = 3
From (4) we have:
3 × 3 + d = 13
⇒ 9 + d = 13 ⇒ d = 4
∴ a = 1, b = 2, c = 3 and d = 4.

Page No. 65

8. A = [aij]mxn is a square matrix, if
(A) m < n 
(B) m > n 
(C) m = n 
(D) None of these

Answer

The correct answer is C.
It is known that a given matrix is said to be a square matrix if the number of rows is equal to the number of columns.
Therefore, A =[aij]mxn is a square matrix, if m = n.

9. Which of the given values of x and y make the following pair of matrices equal
(A) x = -1/3, y = 7
(B) Not possible to find
(C) y = 7, x = -2/3
(D) x = -1/3, y = -2/3

Answer

The correct answer is B.
It is given that,
Equating the corresponding elements, we get:
3x + 7 = 0 ⇒ x = -7/3 and 5 = y − 2 ⇒ y = 7
y + 1 = 8 ⇒ y = 7 and 2 − 3x = 4 ⇒ x = -2/3
We find that on comparing the corresponding elements of the two matrices, we get two different values of x, which is not possible.
Hence, it is not possible to find the values of x and y for which the given matrices are equal.

10. The number of all possible matrices of order 3 × 3 with each entry 0 or 1 is:
(A) 27
(B) 18 
(C) 81 
(D) 512 

Answer

The correct answer is D.
The given matrix of the order 3 × 3 has 9 elements and each of these elements can be either 0 or 1.
Now, each of the 9 elements can be filled in two possible ways.
Therefore, by the multiplication principle, the required number of possible matrices is 29 = 512


NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 11 - कबीर

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 10 - कबीर आरोह भाग-1 हिंदी (Aatma ka Taap)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 132

पद के साथ

1. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है| इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

उत्तर

कबीर की दृष्टि में ईश्वर या परमात्मा एक है| इसके समर्थन में उन्होंने अनेक तर्क दिए हैं| उनके अनुसार सृष्टि में वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश इन पाँच तत्वों से मिलकर मनुष्य का निर्माण हुआ है| इनकी रचना एक ही मिटटी से हुई है| संसार के रचयिता भी एक ही परमात्मा है| उस एक परमात्मा की ज्योति सारे संसार में व्याप्त है|

2. मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?

उत्तर

मानव शरीर का निर्माण पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पंच तत्वों से हुआ है|

3. जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई|
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई||
इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरुप है?

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य के शरीर की तुलना लकड़ी से की है| जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है किन्तु उसमें व्याप्त अग्नि को नहीं काट सकता है, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर नश्वर है किन्तु उसमें निहित आत्मा अमर है| इस प्रकार मनुष्य के अंतरात्मा में ही परमात्मा का निवास है, जिसका रूप व्यापक है|

4. कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

उत्तर

कबीर के अनुसार जो लोग सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो जाते हैं, वे निर्भय होकर रहते हैं| कबीर भी इस मिथ्या जगत से दूर रहकर परमात्मा की भक्ति में लीन हैं| इसलिए वे स्वयं को दीवाना कहते हैं, जिन्हें किसी भी तरह का भय नहीं रहता|

5. कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

उत्तर

संसार बौरा गया है अर्थात पागल हो गया है, कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि संसार में रहने वाले लोग सच्ची बातों पर क्रोधित हो उठते हैं और झूठी बातों पर विश्वास करते हैं| कबीर को ऐसे संत मिले जो स्वयं को शुद्ध करने के लिए प्रातःकाल स्नान करते हैं| परमात्मा की प्राप्ति के लिए धार्मिक आडंबरों का सहारा लेते हैं|

6. कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?

उत्तर

कबीर ने इस संसार में ऐसे कई नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों को देखा है जो धर्म के नाम पर दिखावा करते हैं| ऐसे लोग पाखंडी होते हैं जो गले में माला, टोपी, तिलक लगाकर परमात्मा की प्राप्ति का ढोंग करते हैं| वे पत्थर की मूर्तियों तथा वृक्षों की पूजा करते हैं और धर्म के नाम पर व्यर्थ के नियमों का पालन करते हैं|

7. अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर शिष्यों की क्या गति होती है?

उत्तर

अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर उनके शिष्य भी उन्हीं की तरह मूर्ख बन जाते हैं और संसार रुपी मोह-माया के जाल में फँस कर रह जाते हैं| ऐसे गुरू अपने शिष्यों को आधा-अधूरा ज्ञान बाँटते हैं, जिन्हें स्वयं परमात्मा का कोई ज्ञान नहीं होता| अपनी महानता सिद्ध करने के लिए ये अपने शिष्यों को भी पाखंडी बना देते हैं और अंतकाल में दोनों को पछताना पड़ता है|

8. बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें|

उत्तर

बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात निम्नलिखित पंक्तियों में कही गई है :

टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना

साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना

संसार में ऐसे भी लोग हैं जो टोपी और माला पहनकर तथा तिलक लगाकर घूमते हैं| ऐसे लोग बाह्रय आडंबरों पर विश्वास रखते हैं| वे लोगों को ज्ञान बाँटते फिरते हैं, लेकिन स्वयं परमात्मा के ज्ञान से अनभिज्ञ हैं| कबीर के अनुसार इन धार्मिक आडंबरों का दिखावा करके आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती|

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कबीर - पठन सामग्री और सार NCERT Class 11th Hindi

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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 11 - कबीर (Kabir) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

1. हम तो एक एक .........................कहै कबीर दीवाना||

अर्थ

यहाँ प्रस्तुत पहले पद में कबीर ने परमात्मा को दृष्टि के कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है तथा उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई तो इसी व्याप्ति की अद्वैत सत्ता के रूप में देखते हुए विभिन्न उदाहरणों के द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है|

कबीर उस एक परमात्मा को जानते हैं, जिन्होंने समस्त सृष्टि की रचना की है और वे इसी संसार में व्याप्त हैं| जिन्हें परमात्मा का ज्ञान नहीं है, वे इस संसार और परमात्मा के अस्तित्व को अलग-अलग रूप में देखते हैं| कबीर ने कहा है कि समस्त संसार में एक ही वायु और जल और एक ही परमात्मा की ज्योति विद्यमान है| उन्होंने कुम्हार की तुलना परमात्मा से करते हुए कहा है कि जिस प्रकार कुम्हार एक ही मिट्टी को भिन्न-भिन्न आकार व रूप के बर्तनों में गढ़ता है उसी प्रकार ईश्वर ने भी एक ही तत्व से हम मनुष्यों की रचना अलग-अलग रूपों में की है| मनुष्य का शरीर नश्वर है किन्तु आत्मा अमर है| जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को काट सकता है लेकिन उसमें निहित अग्नि को नहीं, उसी प्रकार शरीर के मरने के बाद भी आत्मा कभी नहीं मरती| कबीर कहते हैं कि संसार का मायावी रूप लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है और इसी झूठी माया पर लोगों को गर्व क्यों है| वे परमात्मा की भक्ति में दीवाना बनकर लोगों को सांसारिक मोह-माया से मुक्त होने की बात करते हैं| वे कहते हैं कि जो लोग इस मोह-माया के बंधन से मुक्त हो जाते है, उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं रहता|

2. संतो देख..........................सहजै सहज समाना||

अर्थ

दूसरे पद में कबीर ने बाह्याडंबरों पर प्रहार किया है, साथ ही यह भी बताया है कि अधिकांश लोग अपने भीतर की ताकत को न पहचानकर अनजाने में अवास्तविक संसार से रिश्ता बना बैठते हैं और वास्तविक संसार से बेखबर रहते हैं|

कबीर कहते हैं कि इस संसार के लोग पागल हो गए हैं| उनके सामने सच्ची बात कही जाए तो वे नाराज होकर मारने दौड़ते हैं और वे झूठी बातों पर विश्वास करते हैं| कबीर ने इस संसार में ऐसे साधु-संतों को देखा है जो धर्म के नाम पर व्रत और नियमों का कठोरता से पालन करते हैं| वे अपनी अंतरात्मा की आवाज को नहीं सुनते और बाह्याडंबरों का दिखावा करते हैं| ऐसे कई पीर-पैगंबर हैं जो धार्मिक पुस्तकें पढ़कर स्वयं को ज्ञानी समझते हैं| ये अपने शिष्यों को भी परमात्मा की प्राप्ति का उपाय बताते हैं जबकि ऐसे पाखंडी स्वयं इस ज्ञान से वंचित हैं| कुछ लोग आसन-समाधि लगाकर बैठे रहते हैं तथा स्वयं को ईश्वर का सच्चा साधक मानकर अहंकार में डूबे रहते हैं| पत्थर की मूर्तियों तथा वृक्षों की पूजा करना, तीर्थ यात्रा करना, ये सब व्यर्थ के भुलावे हैं| कुछ लोग गले में माला, टोपी और माथे पर तिलक लगाकर पाखंड करते हैं| उन्हें स्वयं परमात्मा का ज्ञान नहीं है, लेकिन दूसरों को ज्ञान बाँटते फिरते हैं| कबीर कहते हैं कि लोग धर्म के नाम पर आपस में लड़ते हैं| हिन्दू राम को और मुसलमान रहीम को श्रेष्ठ मानते हैं और आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं| जबकि ये दोनों ही मूर्ख हैं क्योंकि किसी ने भी ईश्वर के अस्तित्व को नहीं समझा है| कबीर कहते हैं कि अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर उनके शिष्य भी उन्हीं की तरह मूर्ख बन जाते हैं और संसार रुपी मोह-माया के जाल में फँस कर रह जाते हैं| ऐसे गुरू अपने शिष्यों को आधा-अधूरा ज्ञान बाँटते हैं, जिन्हें स्वयं परमात्मा का कोई ज्ञान नहीं होता| इस प्रकार, कबीर का कहना है कि सच्चे परमात्मा की प्राप्ति सहजता और सरलता से होती है न कि दिखावे और ढोंग से|

कवि-परिचय

कबीर

जन्म - सन् 1398, वाराणसी के पास ‘लहरतारा’ में|

प्रमुख रचनाएँ- इनकी प्रमुख रचना ‘बीजक’ है जिसमें साखी, सबद एवं रमैनी संकलित हैं|

मृत्यु - सन् 1518 में बस्ती के निकट मगहर में|

कबीर भक्तिकाल की निर्गुण धारा के प्रतिनिधि कवि हैं| वे अपनी बात को साफ़ एवं दो टूक शब्दों में प्रभावी ढंग से कह देने के हिमायती थे| इसीलिए कबीर को हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहा है| कबीर ने देशाटन और सत्संग से ज्ञान प्राप्त किया| किताबी ज्ञान के स्थान पर आँखों देखे सत्य और अनुभव को प्रमुखता दी| वे कर्मकाण्ड और वेद-विचार के विरोधी थे तथा जाति-भेद, वर्ण-भेद, और संप्रदाय-भेद के स्थान पर प्रेम, सद्भाव और समानता का समर्थन करते थे|

कठिन शब्दों के अर्थ:

• दोजग (फा. दोज़ख)- नरक
• समांनां- व्याप्त
• खाक- मिट्टी
• कोंहरा- कुम्हार, कुंभकार
• सांनां- एक साथ मिलाकर
• बाढ़ी- बढ़ई
• अंतरि- भीतर
• सरूपै- स्वरूप
• गरबांनां- गर्व करना
• निरभै- निर्भय
• बौराना- बुद्धि भ्रष्ट हो जाना, पगला जाना
• धावै- दौड़ते हैं
• पतियाना- विश्वास करना
• नेमी- नियमों का पालन करने वाला
• धरमी- धर्म का पाखंड करने वाला
• असनाना- स्नान करना, नहाना
• आतम- स्वयं
• पखानहि- पत्थर को, पत्थरों की मूर्तियों को
• बहुतक- बहुत से
• पीर औलिया- धर्मगुरू और संत, ज्ञानी
• कुराना- कुरान शरीफ़ (इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक)

NCERT Solutions of पाठ 11 - कबीर

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 12 - मीरा

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 12 - मीरा आरोह भाग-1 हिंदी (Mira)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 138

पद के साथ

1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती है? वह रूप कैसा है?

उत्तर

मीरा कृष्ण की उपासना समर्पित पत्नी के रूप में करती है| वह स्पष्ट रूप से कहती हैं कि कृष्ण के सिवा इस दुनिया में उनका कोई अपना नहीं है| मीरा का यह प्रेम अलौकिक है जिसकी कोई परिभाषा नहीं है| कृष्ण के प्रति उनका प्रेम निश्छल, समर्पित और आस्था से भरा है| वे स्वयं को कृष्ण की दासी मानती हैं|

2. भाव व शिल्प सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए|

(क) अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेल बोयी
अब तो बेल फ़ैल गई, आणंद-फल होयी

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा की कृष्ण के प्रति भाव-भक्ति का वर्णन किया गया है| उसने अपने आँसुओं से कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सींच-सींच कर बड़ा किया है| उनके प्रेम रुपी बेल में आनंद रुपी फल लग गए हैं अर्थात् कृष्ण-प्रेम में वह इतनी विलीन हो गई हैं कि अब उन्हें अलौकिक आनंद प्राप्त हो रहा है|

शिल्प सौन्दर्य

• भाषा में सरसता व प्रवाहमयता विद्यमान है|
• 'आणंद फल' प्रेम-बेलि में रूपक अलंकार है|
• 'सींचि-सींचि' में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है|
• अलौकिक आनंद की अनुभूति का वर्णन है|
• बेलि बोयी, बेली फैली में अनुप्रास की छटा है|
• राजस्थानी मिश्रित ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है|

(ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोयी
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा के कृष्ण-प्रेम की तुलना मक्खन से की गई है| जिस प्रकार दही को मथकर मक्खन निकाला जाता है और शेष बचे छाछ को छोड़ दिया जाता है| उसी प्रकार मीरा ने भी संसार का चिंतन-मनन करके कृष्ण-प्रेम को प्राप्त किया है और व्यर्थ के सांसारिक मोह को त्याग दिया है|

शिल्प सौंदर्य

• छंदबद्धता व लयात्मकता पूर्णतः विद्यमान है|
• उदाहरण अलंकार का प्रयोग है|
• प्रतीकात्मक शैली का भी निर्वाह बखूबी हुआ है|
• ‘दही’ जीवन का प्रतीक है, ‘घृत’ भक्ति का, छोयी (छाछ) सारहीन संसार का प्रतीक है|

3. लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

उत्तर

मीरा कृष्ण के प्रेम में इतनी मग्न हो चुकी हैं कि उन्हें दुनिया की सुध नहीं है| उन्हें अपने कुल की मर्यादा की भी कोई चिंता नहीं है| वह स्वयं को कृष्ण की दासी मानती हैं और पैरों में घुँघरू बाँधकर उनके प्रेम में नाचती रहती हैं| लोग मीरा के इस कृष्ण-भक्ति को देखकर ही उसे बावरी कहते हैं|

4. विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरा हाँसी- इसमें क्या व्यंग्य छिपा है?

उत्तर

इस पंक्ति में मीरा ने अपने परिवार के लोगों पर व्यंग्य किया है जो उनके कृष्ण-प्रेम को पहचान नहीं पाए| वे मीरा की कृष्ण-भक्ति को कलंक समझते थे| मीरा का भजन नाचना-गाना, साधुओं की संगत में रहना कुल की मर्यादा के विरूद्ध था| इस कारण राणा जी ने भी उन्हें मारने के लिए विष का प्याला पीने के लिए बाध्य किया, जिसे मीरा ने सहर्ष स्वीकार किया| वह हँसते-हँसते जहर पी गईं और अमर हो गईं| कृष्ण की भक्ति ने उन्हें बचा लिया|

5. मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं?

उत्तर

मीरा संसार के लोगों की अविवेकता और व्यर्थ के सांसारिक मोह-माया में पड़कर भ्रमित होने से दुखी हैं| उन्हें भगवद् प्रेम की समझ नहीं है इसलिए झूठे आडंबरों तथा विषय-वासनाओं में लिप्त हैं| मीरा ऐसे संसार को देखकर रोटी हैं अर्थात् दुखी हैं|

पद के आस-पास

1. कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा?

उत्तर

मीरा राजघराने से थीं, और साथ में कृष्ण-भक्त भी थीं| उन्होंने कृष्ण-प्रेम के लिए राजसी वैभव का त्याग कर दिया होगा| इसके साथ ही परिवारवालों के अत्याचार तथा समाज के तानों को भी सहना पड़ा होगा|

2. लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है?

उत्तर

लोक लाज खोने का अर्थ है अपने परिवार या कुल की मर्यादा त्यागकर घर छोड़ देना| साधुओं की संगति में रहना तथा समाज के बन्धनों को तोड़कर जीवन व्यतीत करना|

3. मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ क्यों कहा है?

उत्तर

यहाँ अविनासी ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है क्योंकि वे नश्वर हैं| मीरा के अनुसार प्रभु की भक्ति अगर सच्चे मन से किया जाए तो वे सहजता से प्राप्त हो सकते हैं| मीरा ने कृष्ण भक्ति में डूब कर अपने त्याग से कृष्ण-प्रेम को प्राप्त किया है|

4. ‘लोग कहैं मीरा भइ बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी’ मीरा के बारे में लोग और न्यात (कुटुंब) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं?

उत्तर

मीरा भगवान कृष्ण की भक्ति में इतनी लीन हो चुकी थीं कि उन्हें अपनी कुल की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रहा| वह साधुओं की संगति में रहती थीं और भजन-कीर्तन करती थीं| मीरा के इस कृष्ण-प्रेम को लोगों ने पागलपन का नाम दिया| उनके कृष्ण के प्रति दीवानगी को देखकर रिश्तेदारों ने उन्हें कुल विनाशिनी कहा है| उनके अनुसार मीरा ने कृष्ण से प्रेम करके कुल की छवि मिट्टी में मिला दी|


मीरा - पठन सामग्री और सार NCERT Class 11th Hindi

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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 12 - मीरा (Mira) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश



1. मेरे तो गिरधर गोपाल....................तारो अब मोही

यहाँ प्रस्तुत पहले पद में मीरा ने कृष्ण से अपनी अनन्यता व्यक्त की है तथा व्यर्थ के कार्यों में व्यस्त लोगों के प्रति दुख प्रकट किया है| मोर-मुकुटधारी श्रीकृष्ण को अपना पति और सर्वस्व मानते हुए मीरा कहती हैं कि उनके सिवा इस दुनिया में और कोई अपना नहीं है| उन्होंने लोक लाज सब त्याग का स्वयं को कृष्ण-भक्ति में लीन कर लिया है| संतों के साथ रहकर उन्होंने कुल की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखा| वे कहती हैं कि अपने आँसुओं से कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सींचा है जिसके बढ़ने से आनंद रुपी फल की प्राप्ति हुई है| इसका अर्थ है कि कृष्ण के प्रेम में पड़कर मीरा को आनंद की अनुभूति हो रही है| जिस प्रकार दूध में मथानी डालकर दही से मक्खन निकाला जाता है और बचे हुए छाछ को अलग कर दिया जाता है, उसी प्रकार मीरा ने भी भगवद् भक्ति को अपने प्रेम से प्राप्त किया है और सांसारिकता से स्वयं को दूर रखा है| एक ओर जहाँ मीरा भक्तों को देखकर प्रसन्न होती हैं वहीँ दूसरी ओर उन लोगों को देखकर दुखी होती हैं जो सांसारिकता के जाल में फँसे हुए हैं| मीरा अपने आप को आराध्य कृष्ण की दासी मानती हैं और उनसे विनती करती हैं कि वे उनका उद्धार करें|

2. पग घुँघरू बांधि.......................सहज मिले अविनासी

दूसरे पद में, प्रेम रस में डूबी हुई मीरा सभी रीति-रिवाजों और बंधनों से मुक्त होने और गिरिधर के स्नेह के कारण अमर होने की बात कर रही हैं| मीरा कृष्ण के प्रेम में दीवानी होकर पैरों में घुँघरू बाँधकर नाच रही हैं| वह अपने इस कृष्ण-प्रेम को पूरी दुनिया के सामने व्यक्त करना चाहती हैं, जिसे लोग पागलपन कहते हैं| उनके रिश्तेदार कहते हैं कि ऐसा कर्म करके कुल की छवि मिट्टी में मिला दी है| राणा जी ने उसे मारने के लिए विष का प्याला भेजा जिसे मीरा ने हँसते-हँसते पी लिया और अमर हो गईं| मीरा ने यह भी कहा है कि यदि प्रभु की भक्ति सच्चे मन से किया जाए तो वे सहजता से प्राप्त हो जाते हैं| ईश्वर को अविनासी कहा गया है की क्योंकि वे नश्वर हैं| मीरा का प्रभु कृष्ण के प्रति भक्ति, प्रेम व आस्था ही उनका वास्तविक धन है| वे स्वयं को कृष्ण की दासी समझती हैं|

कवयित्री परिचय

मीराबाई

जन्म- 1498, कुड़की गाँव (मारवाड़ रियासत) में|

प्रमुख रचनाएँ- मीरा पदावली, नरसीजी-रो-मोहेरो|

मृत्यु- सन् 1544 में|

मीरा सगुण धारा की महत्वपूर्ण भक्त कवयित्री थीं| संत कवि रैदास उनके गुरू माने जाते हैं| बचपन से ही उनके मन में कृष्ण भक्ति की भावना जन्म ले चुकी थी| इसलिए वे कृष्ण को ही अपना आराध्य और पति मानती रहीं| जीवन के अंतिम दिनों में वे द्वारका चली गईं|

उन्होंने लोकलाज और कुल की मर्यादा के नाम पर लगाए गए सामाजिक और वैचारिक बंधनों का हमेशा विरोध किया| पर्दा प्रथा का भी पालन नहीं किया तथा मंदिर में सार्वजनिक रूप से नाचने-गाने में भी कभी हिचक महसूस नहीं की|

मीरा की कविता में प्रेम की गंभीर अभिव्यंजना है| उसमें विरह की वेदना है और मिलन का उल्लास भी| मीरा की कविता का प्रधान गुण सादगी और सरलता है| कला का अभाव ही उसकी सबसे बड़ी कला है| उनकी भाषा मूलतः र्ताजस्थानी है तथा कहीं-कहीं ब्रजभाषा का प्रभाव है| मीरा की कविता के मूल में दर्द है|

कठिन शब्दों के अर्थ

• कानि- मर्यादा
• ढिग- साथ
• बेलि- प्रेम की बेल
• विलोयी- मथी
• छोयी- छाछ, सारहीन अंश
• आपहि- अपने ही आप, बिना प्रयास
• साची- सच्ची
• न्यात- कुटुंब के लोग
• कुल-नासी- कुल का नाश करने वाली
• विस- विष
• पीवत- पीती हुई
• हाँसी- हँस पड़ी, हँस दी
• सहज- स्वाभाविक रूप से, अनायास

NCERT Solutions of पाठ 12 - मीरा

NCERT Solutions for Class 12th: Ch 3 Matrices Exercise 3.2

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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 3 Matrices Exercise 3.2 Math

Page No: 80

Exercise 3.2

Question: 1
Find each of the following:
(i) A + B 
(ii) A – B 
(iii) 3A – C 
(iv) AB
(v) BA

Answer

(i) A + B


(ii) A - B

(iii) 3A – C


(iv) AB


(v) BA


2. Compute the following:

Answer

(i)

(ii)

(iii)

(iv)

3. Compute the indicated products.

Answer

(i)

(ii)

(iii)

(iv)

(v)

(vi)

Page No. 81

Question: 4
(A+B) and (B – C). Also, verify that A + (B – C) = (A + B) – C.

Answer


Question: 5



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