पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - कीचड़ का काव्य स्पर्श भाग - 1
पाठ का सारप्रस्तुत लेख ‘धर्म की आड़’ में विद्यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है, जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने के फ़िराक में रहते हैं। धर्म की आड़ में अपना स्वर्थ सिद्ध करने वाले हमारे ही देश में हों, ऐसा नहीं है। विद्यार्थी अपने पाठ में दूर देशों में भी धर्म की आड़ में कैसे-कैसे कुकर्म हुए हैं, कैसी-कैसी अनीतियाँ हुई है, कौन-कौन लोग, वर्ग और समाज उनके शिकार हुए हैं इसका खुलासा करते चलते हैं।
लेखक परिचय
काका कालेलकर
इनका जन्म महराष्ट्र के सतारा नगर में सन 1885 में हुआ। काका की मातृभाषा मराठी थी, उन्हें गुजराती, हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था। गांधीजी के साथ राष्ट्रभाषा प्रचार में जुड़ने के बाद काका हिंदी में लेखन करने लगे। आजादी के बाद काका जिंदगी भर गांधीजी के विचार और साहित्य के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे।
प्रमुख कार्य
कृतियाँ - हिमालयोन प्रवास, लोकमाता (यात्रा वृत्तांत), स्मरण यात्रा (संस्मरण), धर्मोदय (आत्मचरित), जीवननो आनंद, अवारनवार (निबंध संग्रह)।
कठिन शब्दों के अर्थ
• उत्पात – उपद्रव
• ईमान – नीयत या सच्चाई
• ज़ाहिल – मूर्ख
• ज़ाहिल – मूर्ख
• वाज़िब – उचित
• प्रपंच – छल
• बेज़ा – ग़लत
• बेज़ा – ग़लत
• अट्टालिकाएँ – ऊँचे-ऊँचे मकान
• धूर्त –छली
• धूर्त –छली
• मज़हबी – धार्मिक
• कसौटी –परख
• भलमनसाहत – सज्जनता
• भलमनसाहत – सज्जनता
• खिलाफ़त – खलीफ़ा का पद
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