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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - गूँगे

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - गूँगे

प्रश्न अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 51

1. गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?

उत्तर

गूँगे ने संकेत के माध्यम से बताया कि वह मेहनत करके खाता है, किसी से भीख नहीं लेता| उसने संकेतों से बताया है कि उसने हलवाई के यहाँ लड्डू बनाए, कड़ाही माँजी, नौकरी की, कपड़े धोए। उसने अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत किया कि उसने आज तक किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाया है। उसने पेट बजाकर यह भी बताया कि उसने यह सब अपने पेट के लिए किया है। इन संकेतों द्वारा गूँगे ने बताया कि वह स्वाभिमानी है।

2. 'मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।' कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

संवेदनशीलता के कारण मनुष्य में दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। परन्तु वर्तमान समाजिक परिवेश में इसमें काफी कमी आई है| भौतिकतावाद को बढ़ावा देना इसका मुख्य कारण है| आज मनुष्य आत्मकेंद्रित होता जा रहा है, उसे दूसरों के दुःख से कोई मतलब नहीं रह गया है| संवेदनायें उसके मन तक ही सीमित हो चुकी हैं| वह उसे व्यवहार में नहीं ला पाता इसलिए लेखक ने कहा है कि मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया के रूप में विद्यमान है।

3. 'नाली का कीड़ा! 'एक छत उठाकर सिर पर रख दी' फिर भी मन नहीं भरा।'- चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?

उत्तर

गूँगा चमेली के घर छोटे-मोटे काम करता था। वह बराबर कुछ समय के लिए चला जाता और फिर वापस आ जाता था। एक दिन गूंगा बिना बताए कहीं चला गया। चमेली ने उसे बहुत ढूँढा पर उसका कुछ भी पता नहीं चला। चमेली के पति ने कहा कि भाग गया होगा। वह सोचती रही कि वह सचमुच भाग हो गया है पर यह नहीं समझ पा रही थी क्यों भाग गया। तब उसने कहा कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। इससे पता चलता है कि चमेली संवेदहीन है, उसे दूसरों की दुःख से कोई मतलब नहीं है|

4. यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?

उत्तर

यदि बसंता गूंगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती। वह बसंते को दिव्यांग के विद्यालय में पढ़ाती। उसे लोगों की मार खाने के लिए गली में नहीं छोड़ देती। उसे सक्षम बनाती। ऐसे उपाए ढूँढ़ती जिससे उसका बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुल-मिलकर रहता। लोगों द्वारा उसके बच्चे को दया की दृष्टि से नहीं देख जाता।

5. 'उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।' क्यों?

उत्तर

गूँगा चमेली को माँ के समान समझता था। जब चमेली के बेटे बसंता ने उस पर चोरी का झूठा इल्ज़ाम लगाया, तो उससे यह सहा नहीं गया। उसे उम्मीद थी कि चमेली सही का पक्ष लेगी। इसके उल्ट चमेली ने गूँगे की जगह अपने बेटे का पक्ष लिया जिससे गूँगे को बुरा लगा। चमेली के इस व्यवहार ने उसे दुखी ही नहीं किया बल्कि उसकी आँखों में पानी भी भर दिया। उसकी आँखों में चमेली ने अपने पक्षपातपूर्ण व्यवहार की शिकायत पढ़ ली थी। वह चमेली के पक्षपात भरे व्यवहार से दुखी था साथ ही पक्षपात के प्रति तिरस्कार भी था।

6. 'गूंगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था' - सिद्ध कीजिए।

उत्तर

इस कहानी में गूँगा दया और सहानुभूति के पात्र के रूप में चित्रित हुआ है परन्तु वह दया या सहानुभूति नहीं अधिकार चाहता था। अधिकार अपनत्व से उपजता है। चमेली उसपर दया करके अपने पास रख लेती है लेकिन गूँगा उसे अपनत्व समझता है। वह चाहता था कि चमेली उसे अधिकार दे जो अपनों को मिलता है लेकिन जब चमेली बसंता का पक्ष लेती है, तो उसकी भावना को चोट पहुँचती है। चमेली के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के प्रति तिरस्कार गूँगे की पानी भरे आँखों में स्पष्ट दिखाई दे जाता है

7. 'गूंगे' कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?

उत्तर

गूँगे’ कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं परन्तु मेरे अनुसार वह सहानुभूति का नहीं, सम्मान का पात्र है। दिव्यांग होते हुए भी वह म्हणत करके खाना चाहता है ना की भीख मांगकर| उसके जीवन में जुड़े लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं।

8. कहानी का शीर्षक 'गूंगे' है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?

उत्तर

इस कहानी के माध्यम से लेखक ना केवल एक गूँगे का चित्रांकन किया है बल्कि समाज में हो रहे विभिन्न प्रकार के अत्याचार को देखते हुए चुप रहने वाले लोगों को भी गूँगे की श्रेणी में रखा है| वे पीड़ित के प्रति सहानुभूति तो रखते हैं लेकिन वे कुछ करने के बजाय दर्शक बनकर देखना ज्यादा पसंद करते हैं| इसलिए गूँगे शब्द का अर्थ केवल एक विशेष वर्ग से नहीं बल्कि समाज के अत्याचार सहने वाले वर्ग से संबंधित है|

9. यदि 'स्किल इंडिया' जैसा कोई कार्यक्रम होता तो क्या गूंगे को दया या सहानुभूति का पात्र बनना पड़ता?

उत्तर

यदि 'स्किल इंडिया' जैसा कोई कार्यक्रम होता तो गूँगे को वहाँ कई चीज़ों को सीखने का अवसर मिलता और साथ ही उसके जैसे अनेक दिव्यांगों के साथ रहने और व्यवहारिक जीवन में रचने-बसने का मौक़ा मिलता| कामों को सीखकर वह अपना व्यवसाय खोल सकता था जिसमे उसे सरकारी सहायता भी प्राप्त होती|

10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए -
(क) करुणा ने सबको . .." जी जान से लड़ रहा हो।

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली की गली में एक गूँगा बालक आता है। वह गली की औरतों को अपनी आपबीती संकेतों के माध्यम से बताता है जिसे देखकर लोगों को करुणा हो आती है।

व्याख्या - गूँगा बालक लोगों को अपने विषय में बताने की भरसक कोशिश कर रहा है। वह बहुत प्रयत्न करता है परंतु बोल नहीं पाता। उसके सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। उसके मुख से कठोर तथा कर्णकटु काँय-काँय की आवाज़ों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं निकलता है। जिसे देखकर उपस्थित महिलाएं उसके प्रति दया से भर उठती हैं।

(ख) वह लौटकर चूल्हे पर. . आदमी गुलाम हो जाता है।

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस गद्यांश में गूँगे के विषय में सोच रही है।

व्याख्या - चमेली खाना बनाने के लिए लौट आती है। वह गूँगे की स्थिति के बारे में सोचती है। उसका ध्यान चूल्हे की आग पर जाता है। वह सोचती है कि इस आग के कारण ही पेट की भूख मिटाने के लिए खाना बनाया जा रहा है। यही खाना उस आग को समाप्त करता है, जो पेट में भूख के रूप में विद्यमान है। इसी भूख रूपी आग के कारण एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी स्वीकार करता है। यदि यह आग न हो, तो एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी कभी स्वीकार न करे। यही आग एक मनुष्य की कमज़ोरी बन उसे झुका देती है।

(ग) और फिर कौन....... जिंदगी बिताए।

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है। बसंता ने गूँगे पर चोरी का आरोप लगाया है। चमेली जब पूछती है, तो वह कुछ नहीं कह पाता है। चमेली ऐसे ही चली जाती है।

व्याख्या- जब गूँगा उसकी बात का उत्तर नहीं दे पाता है, तो वह सोचती है कि यह मेरा अपना नहीं है। अतः मुझे इसके बारे में इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे हमारे साथ रहना है, तो उसे हमारे अनुसार रहना पड़ेगा। इस तरह सोचकर चमेली सोचती है कि नहीं तो उसके कुत्तों के समान दूसरा का झूठा खाकर ही जीवनयापन करना पड़ेगा।

(घ) और ये गूंगे............ क्योंकि वे असमर्थ हैं?

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।

व्याख्या- जब सड़क के लड़के गूंगे का सिर फाड़ देते हैं और वह खून में लथपथ चमेली की दहलीज पर सिर रखकर कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था। उसकी सहायता करने कोई नहीं आता है। तब चमेली सोचती है कि केवल यही गूंगा नहीं है जो समाज से इस प्रकार की उपेक्षा सहन कर रहा है। इस प्रकार के गूँगे पूरे संसार में विद्यमान हैं जो अपनी बात कह पाने में असमर्थ हैं। इनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है परन्तु अपनी लाचारी के कारण कह नहीं पाते हैं।

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए -
(क) कैसी यातना है कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।

उत्तर


चमेली सोचती है कि गूँगे के लिए यह कितना कष्ट से भरा है। ऐसी स्थिति उसके लिए यातना के समान है। वह अपने ह्दय में विद्यमान हर बात को बता देना चाहता है लेकिन कह नहीं पाता। उसके पास आवाज़ नहीं है। अतः बात उसके ह्दय में अंदर ही रह जाती है।

(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।

उत्तर

चमेली गूँगे से प्रश्न का उत्तर माँगती है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता है। चमेली उसकी स्थिति मंदिर में रखे देवता की मूर्ति के समान मानती है। उस मूर्ति के आगे मनुष्य अपने सुख-दुख सब कहता है लेकिन उसे वहाँ से कभी कोई उत्तर नहीं मिलता है। बस यही स्थिति उसके साथ भी है। गूँगे को कुछ भी कहो वह कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे कुछ सुनाई नहीं देता है।

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