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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - दिये जल उठे हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 6 - दिये जल उठे  संचयन भाग-1 हिंदी 

मधुकर उपाध्याय

पृष्ठ संख्या: 48

बोध प्रश्न 

1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया?

उत्तर

अहमदाबाद के आंदोलन के समय पटेल ने स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को भगा दिया था इसी बात का बदला लेने के लिए कलेक्टर शिलिडी ने पटेल को निषेधाज्ञा के उलंग्घन के आरोप में गिरफ़्तार करने का आदेश दिया।

2. जज को पटेल की सजा सुनाने के लिए आठ लाइन के फ़ैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

जज को पता ही नही चल रहा था की  वह पटेल को किस धारा के तहत कितनी सजा दी जानी चाहिए चूँकि पटेल ने कोई अपराध नही किया था। इसलिए जज को आठ लाइन के फ़ैसले को लिखने में डेढ़ घंटा लगा।

3. "मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।" − यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 

सरदार पटेल को तीन महीने की जेल हुई। इसके लिए उन्हें बोरसद से साबरमती जेल ले जाया जा रहा था। रास्ते में आश्रम पड़ता था। पटेल के आग्रह पर गाड़ी रोक दी गई और पटेल आश्रमवासियों से मिले। सड़क पर ही गांधी जी से भी उनकी बातचीत हुई जिसमें उन्होंने गांधी जी से यह कथन कहा। वे स्पष्ट करना चाहते थे वे जेल जा रहे हैं और अब स्वाधीनता के लड़ाई की जिम्मेवारी आपकी है।

4. "इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें" −गांधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

उत्तर

गांधी जी एक बार रास गए। वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। वहाँ सबसे आगे रास लोग रहते हैं जो दरबार कहलाते हैं। एक तरह से ये राजा की तरह होते हैं। ये रियासत के मालिक होते हैं। गोपालदास और रविशंकर महाराज जो दरबार थे, वहाँ मौजूद थे। ये दरबार लोग अपना सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए थे। उनका यह त्याग एवं हिम्मत सराहनीय है। गांधी जी ने इन्हीं के जीवन से प्रेरणा लेने को लोगों से कहा कि इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें।

5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि − 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है।'अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

गांधी जी अपनी दांडी यात्रा पर थे। उन्हें मही नदी पार करनी थी। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए थे। वे अपनी यह यात्रा किसी राजघराने के इलाके से नहीं करना चाहते थे। जब वे कनकपुरा पहुँचे तो एक घंटा देर हो गई। इसलिए गांधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन करने का निश्चय किया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े। तट पर अँधेरा था। इसके लिए लोगों ने सूझबूझ से काम लिया और थोड़ी ही देर में हज़ारों दिए जल गए। हर एक के हाथ में दीया था। इससे अँधेरा मिट गया। दूसरे किनारे भी इसी तरह लोग हाथों में दीये लेकर खड़े थे। इस प्रकार कठिन परिस्थिति में सूझबूझ से काम लिया और उसका सामना किया। गांधी जी को रघुनाथ काका ने नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।

6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपनेशब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर हज़ारों लोग अपने हाथों में जलते दिये लेकर खड़े थे क्योंकि वे गांधी जी का और उनके साथियों का इंतज़ार कर रहे थे। उस समय अँधेरा था। चारों ओर'महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय और जवाहर लाल नेहरु की जय के नारेगूँज रहे थे।

7. "यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करुँगा।" गांधी जी के इस क्थन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है।

उत्तर

गांधी जी ने दांडी यात्रा को धर्मयात्रा का नाम दिया। रास्ते में कंकरीली, रेतीली सड़के पड़ेगी। इसलिए लोगों ने गांधी जी को आधी यात्रा कार से करने का आग्रह किया। परन्तु गांधी जी ने मना कर दिया और कहा धर्मयात्रा में निकलने वाले, किसी वाहन का प्रयोग नहीं करते। इसी प्रकार महीनदी तट पर करीब चार किलोमीटर दलदली ज़मीन पर गांधी जी को चलना पड़ा। लोगों ने उन्हें कंधे पर उठाने की सलाह दी पर गांधी जी ने कहा यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करुँगा।" इस कथन से गांधी जी के साहस, देशप्रेम, कष्ट सहने की क्षमता आदि गुणों का पता लगता है।

8. गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

उत्तर

गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि वे अचानक चुपके से कोई काम नहीं करते। फिर भी ब्रिटिश सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी। इसलिए ऐहतियाती तौर पर नदी के तट से सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट करा दिया।

9.  गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

उत्तर

गांधीजी के नदी पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर खड़े रहे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी पार जाना था और वे कुछ लोगों का इंतजार कर रहे थे, जिन्हें नदी पार करानी होगी।


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