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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 14 पारितंत्र जीव विज्ञान

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NCERT Solutions of Jeev Vigyan for Class 12th: Ch 14 पारितंत्र जीव विज्ञान 

प्रश्न 

पृष्ठ संख्या 279

1.रिक्त स्थानों को भरो|
(क)पादपों को ............ कहते हैं ; क्योंकि कार्बन डाईऑक्साइड का स्थिरीकरण कहते हैं|
(ख)पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरैमिड (सं. का) (........) प्रकार का है|
(ग)एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमा कारक .......... है|
(घ)हमारे पारितंत्र में सामान्य अपरदन .......... हैं|
(ङ)पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भंडार ............ है|

उत्तर

(क)स्वपोषी
(ख)उल्टा
(ग)प्रकाश
(घ)केंचुआ
(ङ)समुद्र

2.एक खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में सर्वाधिक संख्या किसकी होती है?
(क)उत्पादक
(ख)प्राथमिक उपभोक्ता
(ग)द्वितीयक उपभोक्ता
(घ)अपघटक

उत्तर

(घ) अपघटक
अपघटक में सूक्ष्मजीव होते हैं, जैसे- कवक और बैक्टीरिया शामिल होते हैं| वे खाद्य श्रृंखला में सबसे बड़ी समष्टि की रचना करते हैं और मृत पौधों और प्राणियों के अवशेषों को खंडित कर पोषक तत्व प्राप्त करते हैं|

3.एक झील में द्वितीय (दूसरी) पोषण स्तर होता है-
(क)पादपप्लवक
(ख)प्राणिप्ल्वक
(ग)नितलक (बैनथॉस)
(घ)मछलियाँ

उत्तर

(ख) प्राणिप्ल्वक
प्राणिप्ल्वक जलीय खाद्य श्रृंखलाओं में प्राथमिक उपभोक्ता हैं, जो पादप लावक को आहार बनाता है| इसलिए, वे एक झील में द्वितीय (दूसरी) पोषण स्तर होते हैं|

4.द्वितीयक उत्पादक हैं-
(क)शाकाहारी (शाकभक्षी)
(ख)उत्पादक
(ग)मांसाहारी
(घ)उपरोक्त कोई भी नहीं

उत्तर

(घ) उपरोक्त कोई भी नहीं
पादप केवल उत्पादक होते हैं, इसलिए उन्हें प्राथमिक उत्पादक कहा जाता है| खाद्य श्रृंखला में अन्य उत्पादक नहीं होते|

5.प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है?
(क)100%
(ख)50%
(ग)1-5%
(घ)2-10%

उत्तर

(ख) 50%
प्रासंगिक सौर विकिरण का 50% से कम भाग प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण में प्रयुक्त होता है|

6.निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क)चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला
(ख)उत्पादन एवं अपघटन
(ग)उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड

उत्तर

(क)चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला

चारण खाद्य श्रृंखला
अपरद खाद्य श्रृंखला
इस खाद्य श्रृंखला में, ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है|
इस खाद्य श्रृंखला में, ऊर्जा कार्बनिक पदार्थ (या अपरद) से प्राप्त होता है, जो चारण खाद्य श्रृंखला के पोषण स्तरों में उत्पन्न होती है|
यह उत्पादकों से प्रारंभ होती है, जो प्रथम पोषण स्तर में उपस्थित होता है|यह पादपों तथा प्राणियों (पशुओं) के मृत अवशेष जैसे अपरद से प्रारंभ होती है, जो अपघटक या अपरदहारी द्वारा खाया जाता है।
यह खाद्य श्रृंखला प्रायः पर बड़ी होती है|यह प्रायः चारण खाद्य श्रृंखला की अपेक्षा छोटा होता है|

(ख)उत्पादन एवं अपघटन

उत्पादन
अपघटन
यह उत्पादकों द्वारा कार्बनिक पदार्थ (खाद्य) उत्पादन करने की दर होती है|कार्बनिक कच्चे पदार्थों जैसे- अपघटकों की सहायता से मृत पौधों तथा जीवों के अवशेष से जटिल कार्बनिक पदार्थ या जैवमात्रा में खंडित करने की प्रक्रिया को अपघटन कहते हैं|
यह उत्पादकों की प्रकाश संश्लेषण क्षमता पर निर्भर करता है|यह अपघटक की सहायता से उत्पन्न होता है|
प्राथमिक उत्पादन के लिए पौधों द्वारा सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है|अपघटकों द्वारा अपघटन के लिए सूर्य के प्रकाश आवश्यकता नहीं होती है

(ग)उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड

उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) पिरैमिड
अधोवर्ती पिरैमिड
ऊर्जा का पिरैमिड हमेशा उर्ध्व वर्ती होता है|जैव मात्रा का पिरामिड और संख्याओं का पिरामिड उल्टा हो सकता है|
पारिस्थितिकी तंत्र के उत्पादक स्तर में जीवों तथा जैवमात्रा की संख्या उच्चतम होती है, जो खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक पोषण स्तर पर कम होता जाता है|पारिस्थितिकी तंत्र के उत्पादक स्तर में जीवों और जैव मात्रा की संख्या सबसे कम होती है, जो प्रत्येक पोषण स्तर पर बढ़ती जाती है|

7.निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क)खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेब)
(ख)लिटर (कर्कट) एवं अपरद
(ग)प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता

उत्तर

(क)खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेब)

खाद्य श्रृंखला
खाद्य जाल (वेब)
खाद्य श्रृंखला उच्च स्तर से निम्न स्तर तक ऊर्जा के स्थानांतरण के लिए बने होते हैं|
परस्पर अंतर निर्भरता के कारण खाद्य जाल (वेब) की रचना होती है|
एक जीव एक समय में एक ही पौष्टिक स्तर पर निवास कर सकता है|एक जीव एक समय में कई पोषण स्तर पर निवास कर सकता है|
यह पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को कम करता है और कम अनुकूल होता है|यह पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को कम करता है और अधिक अनुकूल होता है|

(ख)लिटर (कर्कट) एवं अपरद

लिटर (कर्कट)
अपरद
पृथ्वी की सतह पर सभी प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ लिटर (कर्कट) होते हैं|पृथ्वी के सतह के ऊपर और नीचे मृत जीवों और पौधों के अवशेष अपरद बनाते हैं||
इसमें जैव-निम्नीकरणीय और अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट दोनों शामिल किया जाता है|इसमें केवल जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट होते हैं|

(ग)प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता

प्राथमिक उत्पादकता
द्वितीयक उत्पादकता
उत्पादक द्वारा एक निश्चित समयावधि में कार्बनिक पदार्थ के उत्पादन की मात्रा की दर प्राथमिक उत्पादकता है|उपभोक्ता द्वारा एक निश्चित समयावधि में कार्बनिक पदार्थ के उत्पादन की मात्रा की दर द्वितीयक उत्पादकता है|
यह प्रकाश संश्लेषण के कारण होता है|यह शाकाहारियों तथा परभक्षियों द्वारा किया जाता है|

8.पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों की व्याख्या करें|

उत्तर

एक पारिस्थितिकी तंत्र में परस्पर क्रियाओं वाले इकाई के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें जैविक समुदाय एवं अजैविक घटक शामिल होते हैं| एक पारिस्थितिकी तंत्र में जैव तथा अजैव घटकों में एक-दूसरे के बीच पारस्परिक क्रिया होती है और वे एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं, जो पोषण चक्र, ऊर्जा प्रवाह, अपघटन और उत्पादकता के दौरान स्पष्ट हो जाती है| कई पारिस्थितिक तंत्र हैं जैसे- तालाब, जंगल, घास आदि|

पारिस्थितिकी तंत्र के दो घटक निम्नलिखित हैं :

(क)जैविक घटक- यह एक पारिस्थितिकी तंत्र का जीवित घटक है, जिसमें जैविक कारक शामिल हैं जैसे- उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटक आदि| उत्पादक में पौधों और शैवाल को शामिल किया जाता है, जिसमें क्लोरोफिल वर्णक होते हैं| इससे उन्हें प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में मदद मिलती है| इसलिए उन्हें परिवर्तक भी कहा जाता है| उपभोक्ता या परपोषी वे जीव होते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से (प्राथमिक उपभोक्ता) या अप्रत्यक्ष रूप से (माध्यमिक और तृतीयक उपभोक्ता) उत्पादकों पर अपने भोजन के लिए निर्भर होते हैं| अपघटक, सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया और कवक होते हैं| वे खाद्य श्रृंखला में सबसे बड़ी समष्टि की रचना करते हैं और मृत पौधों और जानवरों के अवशेषों को खंडित कर पोषक तत्व प्राप्त करते हैं|

(ख)अजैविक घटक- वे एक पारिस्थितिकी तंत्र के अजैव घटक होते हैं, जैसे- प्रकाश, तापमान, पानी, मृदा , वायु, अकार्बनिक पोषक तत्व आदि|

9.पारिस्थितिकी पिरैमिड को परिभाषित करें तथा जैवमात्रा या जैवभार तथा संख्या के पिरैमिडों की उदाहरण सहित व्याख्या करें|

उत्तर

एक पारिस्थितिकी पिरैमिड विभिन्न पारिस्थितिकी मानकों का आरेखीय निरूपण होता है, जैसे- प्रत्येक पोषण स्तर में स्थित जीवों की संख्या, ऊर्जा की मात्रा या प्रत्येक पोषण स्तर में स्थित जैवमात्रा| पारिस्थितिकी पिरैमिड का आधार उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि शिखाग्र पारितंत्र में उपस्थित उच्च स्तर के उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है|

पिरैमिड तीन प्रकार के होते हैं :
(क)संख्या का पिरैमिड
(ख)जैवमात्रा का पिरैमिड
(ग)ऊर्जा का पिरैमिड

संख्या का पिरैमिड : यह एक पारिस्थितिकी तंत्र के खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक पोषण स्तर पर उपस्थित जीवों की संख्या का एक आरेखीय निरूपण होता है| संख्या के पिरामिड उत्पादकों की संख्या के आधार पर ऊपर की ओर या उल्टे हो सकते हैं| उदाहरण के लिए, एक घास के मैदान की पारिस्थितिक तंत्र में संख्या का पिरैमिड ऊपर की ओर होता है| इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला में, उत्पादक (पौधों) की संख्या में उसके बाद शाकाहारियों (चूहों) की संख्या होती है, जो बदले में द्वितीयक उपभोक्ताओं (साँप) और तृतीयक मांसाहारी (गरूड़) की संख्या होती है| इसलिए, उत्पादक स्तर पर जीवों की संख्या अधिकतम होगी, जबकि शीर्ष मांसाहारी पर स्थित जीवों की संख्या दूसरी तरफ होगी| परजीवी खाद्य श्रृंखला में, संख्या का पिरामिड उल्टा होता है| इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला में, एक पेड़ (उत्पादक) फलों के खाने वाले कई पक्षियों को आहार प्रदान करता है, जो बदले में कई कीट प्रजातियों का समर्थन करता है|

जैवमात्रा का पिरैमिड : जैवमात्रा का पिरैमिड एक पारिस्थितिकी तंत्र के प्रत्येक पोषण स्तर पर उपस्थित जीवित पदार्थ की कुल संख्या का एक आरेखीय निरूपण होता है| यह ऊपर की ओर या उल्टा हो सकता है| यह घास के मैदानों और वन पारिस्थितिक तंत्र में ऊपर की ओर होता है क्योंकि उत्पादक स्तर पर उपस्थित जैवमात्रा की मात्रा शीर्ष मांसाहारी स्तर से अधिक होता है| जैवमात्रा का पिरैमिड एक झील के पारिस्थितिक तंत्र में उलटा होता है क्योंकि मछलियों की जैवमात्रा प्राणिप्ल्वक की जैवमात्रा से अधिक होती है (जिसका वे आहार बनाते हैं)|

ऊर्जा का पिरैमिड : ऊर्जा पिरैमिड किसी समुदाय में हो रहे ऊर्जा प्रवाह का एक आरेखीय निरूपण होता है| विभिन्न स्तरों में जीवों के विभिन्न समूहों का प्रतिनिधित्व होता है, जो एक खाद्य श्रृंखला की रचना कर सकते हैं| नीचे से ऊपर की ओर, वे इस प्रकार हैं- उत्पादक समुदाय में अजैविक स्रोतों से ऊर्जा लाते हैं|

10.प्राथमिक उत्पादकता क्या है? उन कारकों की संक्षेप में चर्चा करें जो प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करते हैं|

उत्तर

एक निश्चित समयावधि में प्रति इकाई क्षेत्र के उत्पादकों द्वारा उत्पादित कार्बनिक तत्व या जैवमात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है| पारिस्थितिकी तंत्र की प्राथमिक उत्पादकता पर्यावरणीय कारकों जैसे- प्रकाश, तापमान, जल, वर्षा आदि पर निर्भर करती है| यह पोषक तत्वों और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए पौधों की उपलब्धता पर भी निर्भर करता है|

11.अपघटन की परिभाषा दें तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या करें|

उत्तर

अपघटन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कार्बनिक डाइऑक्साइड, जल एवं अन्य पोषक तत्वों जैसे- अकार्बनिक कच्चे माल में अपघटक की सहायता से मृत पौधों और जीवों के अवशेष से जटिल कार्बनिक पदार्थ या जैवमात्रा का खंडन शामिल है|

अपघटन में विभिन्न प्रक्रिया निम्नलिखित हैं :

खंडन-यह अपघटन की प्रक्रिया का पहला चरण है| अपरदहारी (जैसे कि केंचुए) अपरद को छोटे-छोटे कणों में खंडित कर देते हैं|

निक्षालन-इस प्रक्रिया के अंतर्गत जल-विलेय अकार्बनिक पोषक भूमि मृदासंस्तर में प्रविष्ट कर जाते हैं और अनुपलब्ध लवण के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं|

अपचय-बैक्टीरियल एवं कवकीय एंजाइंस अपरदों को सरल अकार्बनिक तत्त्वों में तोड़ देते हैं| इस प्रक्रिया को अपचय कहते हैं

ह्युमीफिकेशन-ह्युमीफिकेशन के द्वारा एक गहरे रंग के क्रिसटल रहित तत्त्व का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस कहते हैं जोकि सूक्ष्मजैविक क्रिया के लिए उच्च प्रतिरोधी होता है|

खनिजीकरण-ह्यूमस सूक्ष्म जीवों द्वारा खंडित होता है| स्वभाव में कोलाइडल होने के कारण ह्यूमस पोषक के भंडार का काम करता है| ह्यूमस से अकार्बनिक पोषक तत्वों को मुक्त करने की प्रक्रिया को खनिजीकरण कहा जाता है|

अपघटन की प्रक्रिया में गहरे रंग का के क्रिसटल रहित तत्त्व का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस कहते हैं| यह पोषक का भंडार होता है| ह्यूमस अंततः मिट्टी में CO2, जल और अन्य पोषक तत्वों जैसे अकार्बनिक कच्चे पदार्थों का अपघटन और मुक्त करता है।

12.एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह का वर्णन करें|

उत्तर
एक पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा सूर्य से प्रवेश करती है| सौर विकिरण वायुमंडल के माध्यम से गुजरते हैं और पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित होते हैं| ये विकिरण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरा करने में पौधों की सहायता करते हैं| इसके अतिरिक्त, वे जीवों के अस्तित्व के लिए पृथ्वी के तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं| कुछ सौर विकिरण पृथ्वी की सतह द्वारा परिलक्षित होते हैं| केवल 2-10 प्रतिशत सौर ऊर्जा खाद्य पदार्थ में परिवर्तित होने के लिए प्रकाश संश्लेषण के दौरान हरे पौधों (उत्पादक) द्वारा अवशोषित कर ली जाती है| प्रकाश संश्लेषण के दौरान पौधों द्वारा जैवमात्रा का उत्पादन करने वाली दर को 'सकल प्राथमिक उत्पादकता' कहा जाता है| जब ये हरे पौधे शाकाहारियों द्वारा उपभोग किए जाते हैं, तो उत्पादकों द्वारा संग्रहित ऊर्जा का केवल 10% ही शाकाहारियों में स्थानांतरण होता है| इस ऊर्जा का शेष 90% भाग पौधों द्वारा श्वसन, विकास और प्रजनन जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए उपयोग किया जाता है| इसी प्रकार, शाकाहारियों की केवल 10% ऊर्जा मांसाहारियों में स्थानांतरित होती है| 

13.एक पारिस्थितिक तंत्र में एक अवसादीय चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं का वर्णन करें|

उत्तर

अवसादीय चक्र के भंडार धरती के पटल (पपड़ी) में स्थित होते हैं| पोषक तत्व पृथ्वी के अवसाद में पाए जाते हैं| सल्फर, फास्फोरस, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे तत्वों में अवसादीय चक्र होते हैं| अवसादीय चक्र बहुत धीमी गति से होते हैं| वे अपने संचरण को पूरा करने में लंबा समय लेते हैं और उन्हें कम परिपूर्ण चक्र माना जाता है| इसका कारण यह है कि पुनःचक्रण के दौरान, पोषक तत्व जमे भंडार में बंद हो सकता है, जिसे बाहर आने में बहुत समय लगता है और संचरण जारी रहता है| इस प्रकार, यह प्रायः एक लंबे समय में संचरण से बाहर चला जाता है| 

14.एक पारिस्थितिक तंत्र में कार्बन चक्रण की महत्त्वपूर्ण विशिष्टताओं की रूप रेखा प्रस्तुत करें|

उत्तर

कार्बन चक्रण एक महत्वपूर्ण गैसीय चक्रण है, जो वायुमंडल में अपने जमा किए गए भंडार के रूप में उपस्थित है| सभी सजीवों में एक प्रमुख शरीर घटक के रूप में कार्बन स्थित होता है| कार्बन सभी जीवित रूपों में पाया जाने वाला एक मूलभूत तत्व है| जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवशयक कार्बोहाइड्रेट, लिपिड और प्रोटीन जैसे सभी जैविक अणु कार्बन से बने होते हैं| कार्बन को 'प्रकाश संश्लेषण' मूलभूत प्रक्रिया के माध्यम से जीवित रूपों में शामिल किया जाता है| प्रकाश संश्लेषण सूर्य के प्रकाश और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर एक कार्बन यौगिक बनाता है, जिसे 'ग्लूकोज' कहा जाता है| यह ग्लूकोज अणु अन्य जीवों द्वारा उपयोग किया जाता है| इस प्रकार, वायुमंडलीय कार्बन जीवित रूपों में शामिल किया जाता है| वायुमंडल में चक्रण को पूरा करने के लिए इस अवशोषित कार्बन डाइऑक्साइड का पुनःचक्रण करना आवश्यक है| कार्बन डाइऑक्साइड गैस के रूप में कार्बन का वायुमंडल में पुनःचक्रण करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएँ हैं| कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्पादन करने के लिए श्वसन की प्रक्रिया ग्लूकोज अणुओं को तोड़ देती है| अपघटन की प्रक्रिया भी कार्बन डाइऑक्साइड को पौधों और जानवरों के मृत अवशेष से वायुमंडल में मुक्त करती है| ईंधन, औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, आग और ज्वालामुखी विस्फोट का दहन कार्बन डाइऑक्साइड के अन्य प्रमुख स्रोतों के रूप में कार्य करते हैं|


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