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NCERT Solutions for Class 12th: Ch 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव विज्ञान

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NCERT Solutions of Biology in Hindi for Class 12th: Ch 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव विज्ञान 

प्रश्न 

पृष्ठ संख्या 206

1. जीवाणुओं को नग्न नेत्रों द्वारा नहीं देखा जा सकता, परन्तु सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है| यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो, तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जाएँगे और क्यों?

उत्तर

सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के लिए दही के नमूने को लिया जा सकता है| दही में लैक्टोबैसिलस या लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, जो दुग्ध प्रोटीन को स्कंदित तथा आंशिक रूप में पचा देता है|

दही की थोड़ी-सी मात्रा को जीव विज्ञान प्रयोगशाला में ले जाया जाता है क्योंकि इसमें लाखों करोड़ों की संख्या में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं जो उपयुक्त ताप पर कई गुणा वृद्धि करते हैं और इन्हें आसानी से सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है|

2. उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं; उदाहरण द्वारा सिद्ध करें|

उत्तर

उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं, के उदाहरण हैं :

• इडली और डोसा बनाने के लिए तैयार किया गया ढीला-ढाला आटा स्पंजी होता है| यह बैक्टीरिया के क्रिया के कारण होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड गैस का निष्कासन करता है| आटे की उभरी फूली शक्ल आटे से निष्कासित होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण होती है|

• आपंक के पाचन के दौरान, व्यर्थ जल के उपचार के दौरान जीवाणु गैसों का मिश्रण जैसे मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करते हैं|

3. किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन करें|

उत्तर

दही में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं|

इनके कुछ लाभप्रद उपयोग हैं:

• यह एक बैक्टीरियम है जो दूध से दही के निर्माण को बढ़ावा देता है|

• बैक्टीरियम गुणित होते हैं तथा संख्या में वृद्धि करते हैं, जिसके कारण दही का निर्माण होता है|

• विटामिन बी 12 की मात्रा बढ़ने से पोषण संबंधी गुणवत्ता में भी सुधार हो जाता है|

• हमारे पेट में भी सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न होने वाले रोगों को रोकने में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया एक लाभदायक भूमिका का निर्वाह करते हैं|

4. कुछ पारंपरिक भारतीय आहार जो गेहूँ, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल हो, उनके नाम बताएँ|

उत्तर

• डोसा और इडली बनाने में चावल का आटा बैक्टीरिया द्वारा किण्वित किया जाता है, ब्रेड बनाने में बैकर यीस्ट (सैकरोमाइसीज सैरीवीसी) का प्रयोग किया जाता है|

• गट्टा बनाने में भी बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है|

• सूक्ष्मजीवियों का प्रयोग किण्वित मत्स्य (मछली), सोयाबीन तथा बाँस प्ररोह आदि के भोजन तैयार करने में किया जाता है|

5. हानिप्रद जीवाणु द्वारा उत्पन्न करने वाले रोगों के नियंत्रण में किस प्रकार सूक्ष्मजीव महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?

उत्तर

• कुछ सूक्ष्मजीवों का प्रयोग दवा बनाने में किया जाता है| प्रतिजैविक एक प्रकार के रासायनिक पदार्थ हैं, जिनका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है| यह अन्य रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवियों को मार सकते हैं|

• इन दवाइयों को सामान्यतः जीवाणु अथवा कवक से प्राप्त किया जाता है जो रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों के वृद्धि को रोक सकते हैं अथवा उन्हें मार सकते हैं|

• प्लेग, काली खाँसी, डिप्थीरिया, लैप्रोसी (कुष्ठ रोग) जैसे रोगों के उपचाए के लिए इन प्रतिजैविकों का उपयोग किया जाता है|

• पैनिसिलीन, पैनीसीलियम नोटेटम नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है, जो शरीर में स्टैफिलोकोकस की वृद्धि की जाँच करता है|

• प्रतिजैविकों को बैक्टीरिया के कोशिका भित्ति को कमजोर करके नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है| इसके कमजोर होने के फलस्वरूप, श्वेत रक्त कोशिकाएँ जैसी कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएँ कोशिका में प्रवेश करती हैं तथा कोशिका विश्लेषण करती है| कोशिका विश्लेषण रक्त कोशिकाओं और बैक्टीरिया जैसे कोशिकाओं को नष्ट करने की प्रक्रिया है|

6. किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखें, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिकों) के उत्पादन में किया जाता है|

उत्तर

पैनीसीलियम नोटेटम तथा स्ट्रेप्टोमाइसिज दो ऐसे कवक प्रजातियों के नाम हैं, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिकों) के उत्पादन में किया जाता है|

7. वाहितमल से आप क्या समझते हैं, वाहितमल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद हैं?

उत्तर

नगर के व्यर्थ जल, जिन्हें नालियों में विसर्जित किया जाता है, वाहितमल कहलाता है| इसमें कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा तथा सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जो अधिकांशतः रोगजनकीय होते हैं| यह जल-प्रदूषण तथा जल-जनित रोगों का प्रमुख कारक है| इसलिए यह जरूरी है कि विसर्जन से पूर्व वाहितमल का उपचार वाहितमल संयंत्र में किया जाए ताकि वह प्रदूषण मुक्त हो जाए|

8. प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अंतर कौन-से हैं?

उत्तर

प्राथमिक वाहितमल उपचार में वाहितमल से बड़े छोटे कणों का निस्यंदन (फिल्ट्रेशन) तथा अवसादन (सेडीमिन्टेशन) द्वारा भौतिक रूप से अलग कर दिए जाते हैं जबकि द्वितीयक वाहितमल उपचार में सूक्ष्मजीवों द्वारा जैविक पदार्थों का जैविक पाचन किया जाता है|

 प्राथमिक वाहितमल उपचार कम खर्चीला तथा अपेक्षाकृत कम जटिल है, जबकि द्वितीयक वाहितमल उपचार अधिक खर्चीला तथा जटिल प्रक्रिया है|

9. सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है| यदि हाँ; तो किस प्रकार से इस पर विचार करें|

उत्तर

हाँ, सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है| जीवाणु जैसे मीथैनोबैक्टीरियम का उपयोग गोबर गैस अथवा बायोगैस पैदा करने में किया जाता है|

(i) बायोगैस संयंत्र एक टैंक (10-15 फीट गहरा) होता है; जिसमें अपशिष्ट संग्रहित एवं गोबर की कर्दम भरी जाती है|

(ii) कर्दम के ऊपर एक सचल ढक्कन रखा जाता है सूक्ष्मजीवी सक्रियता के कारण टैंक में गैस बनती है, जिससे ढक्कन ऊपर को उठता है|

(iii) बायोगैस संयंत्र में एक निकास होता है जो एक पाइप से जुड़ा रहता है| इसी पाइप की सहायता से आस-पास के घरों में बायोगैस की आपूर्ति की जाती है|

(iv) उपयोग की गई कर्दम दूसरे निकास द्वार से बाहर निकाल दी जाती है जिसका प्रयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है|

10. सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है| यह किस प्रकार संपन्न होगा? व्याख्या कीजिए|

उत्तर

सूक्ष्मजीवों का उपयोग जैव उर्वरक के रूप में किया जाता है, जीव जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं|
जैव उर्वरक के प्रमुख स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया हैं| वे विभिन्न तरीकों से मृदा की उर्वरता क्षमता बढ़ाने में सहायता करते हैं|

(i) राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा लैग्यूमिनस ग्रंथियों का निर्माण होता है जो पादप की जड़ों पर स्थित होते हैं| पादप इसका प्रयोग पोषकों के रूप में करते हैं|

(ii) ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं जो मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं| इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं|

(iii) ग्लोमस जीनस के बहुत से सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं जो
• कवकीय सहजीवी मृदा से फास्फोरस का अवशोषण कर उसे पादपों में भेज देते हैं|
• पादप में मूलवातोढ़ रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता को विकसित करता है|
• लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता तथा कुलवृद्धि तथा विकास प्रदर्शित करते हैं|   
• सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव हैं जो जलीय तथा स्थलीय वायुमंडल में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं| इनमें बहुत से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर सकते हैं- जैसे- ऐनाबीना, नॉसटॉक, ऑसिलेटोरिया आदि|

11. जल के तीन नमूने लो एक- नदी का जल, दूसरा अनुपचारित वाहितमल जल तथा तीसरा वाहितमल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव; इन तीन नमूनों पर ‘अ’ ‘ब’ ‘स’ के लेबल लगाओ| इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन-सा क्या है? इन तीनों नमूनों ‘अ’ ‘ब’ ‘स’ का बीओडी का रिकार्ड किया गया जो क्रमशः 20 mg/L, 8 mg/L तथा 400 mg/L निकाला| इन नमूनों में से कौन सबसे अधिक प्रदूषित नमूना है? इस तथ्य को सामने रखते हुए नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ है| क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं?

उत्तर

नमूना ‘अ’ (बीओडी 20 mg/L) वाहितमल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव है|
नमूना ‘ब’ (बीओडी 8 mg/L) नदी का जल है|
नमूना ‘स’ (बीओडी 400 mg/L) अनुपचारित वाहितमल जल है|

चूँकि बीओडी जल में मौजूद कार्बनिक पदार्थ का प्रत्यक्ष माप है, इसलिए बीओडी जितना अधिक है, जल उतना ही अधिक प्रदूषित है|

12. उस सूक्ष्मजीवी का नाम बताओ जिससे साइक्लोस्पोरिन-ए (प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलिस्ट्राल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है|

उत्तर

(i) साइक्लोस्पोरिन-ए का उत्पादन ट्राइकोडर्मा पॉलोस्पोरम नामक कवक से किया जाता है|
(ii) स्टैटिन, मोनॉस्कस परप्यूरीअस यीस्ट से प्राप्त किया जाता है|

13. निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाओ तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श करें|
(क) एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी)
(ख) मृदा

उत्तर

(क)एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी):हानिरहित सूक्ष्मजीवी कोशिकाओं को संदर्भित करता है जिसका प्रयोग अच्छे प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत के रूप में किया जा सकता है| जैसे मशरूम (एक कवक) बहुत से लोगों के द्वारा खाया जाता है तथा एथलीट्स द्वारा प्रोटीन स्रोत के रूप में प्रयोग किया जाता है| इसी प्रकार, सूक्ष्मजीवी कोशिकाओं के अन्य रूपों को भी प्रोटीन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन समृद्ध भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है| स्पिरुलीना और मेथिलोफिलस मिथाइलोट्रॉफ़स जैसे सूक्ष्मजीवों को औद्योगिक स्तर पर आलू के पौधों, पुआलों, गुड़, पशु खाद और वाहितमल से अपशिष्ट जल जैसे स्टार्च युक्त सामग्री पर उगाया जा रहा है| इन एकल कोशिकीय सूक्ष्मजीवों को स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है|

(ख) मृदा:मृदा उर्वरता बनाए रखने में सूक्ष्मजीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| वे अपघटन की प्रक्रिया के द्वारा पोषक तत्व से समृद्ध ह्यूमस के निर्माण में सहायता करते हैं| बैक्टीरिया और साइनोबैक्टीरिया की कई प्रजातियों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को प्रयोग करने योग्य रूप में स्थिर करने की क्षमता होती है| राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा लैग्यूमिनस ग्रंथियों का निर्माण होता है जो पादप की जड़ों पर स्थित होते हैं| ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं जो मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं|

14. निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्त्व के अनुसार संयोजित करें ; महत्त्वपूर्ण पदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तर लिखें|
बायोगैस, सिट्रिक एसिड, पैनीसिलिन तथा दही

उत्तर

पैनीसिलिन > बायोगैस > दही > सिट्रिक एसिड

• पैनीसिलिन एक एंटीबायोटिक है जो संक्रमण और बीमारियों के कारक रोगज़नक़ों को मारने में मदद करता है और इस प्रकार, यह जीवन बचाता है|

• बायोगैस एक गैर-प्रदूषणकारी स्वच्छ ईंधन है जो वाहितमल उपचार के उत्पादन द्वारा उत्पन्न किया जाता है| यह ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में खाना बनाने और प्रकाश व्यवस्था के लिए प्रयोग किया जाता है|

• दही अच्छे पोषक तत्वों से भरपूर होता है तथा विटामिन-बी 12 की अधिक मात्रा पेट के हानिकारक बैक्टीरिया को सहायक बैक्टीरिया में बदल देता है|

• साइट्रिक एसिड भोजन के परिरक्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है|

15. जैव उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं?

उत्तर

जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव हैं, जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं| जैव उर्वरकों के मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं| लैग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर स्थित राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा ग्रंथियों का निर्माण होता है| यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं| पादप इसका प्रयोग पोषकों के रूप में करते हैं| अन्य जीवाणु मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं| यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं| इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं| ग्लोमस जीनस के बहुत से सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं| कवकीय सहजीवी मृदा से फास्फोरस का अवशोषण कर उसे पादपों में भेज देते हैं| ऐसे संबंधों से युक्त पादप कई अन्य लाभ जैसे- पादप में मूलवातोढ़ रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता, लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता तथा कुलवृद्धि तथा विकास प्रदर्शित करते हैं| सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव हैं जो जलीय तथा स्थलीय वायुमंडल में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं| इनमें बहुत से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर सकते हैं, जैसे- ऐनाबीना, नॉसटॉक, ऑसिलेटोरिया आदि|


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