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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 12 - एक फूल की चाह हिंदी

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NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 12 - एक फूल की चाह स्पर्श भाग-1 हिंदी

सियारामशरण गुप्त

पृष्ठ संख्या: 109

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

1. सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृ्दय काँप उठता था।

उत्तर 

मेरा हृदय काँप उठता था
बाहर गई निहार उसे
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।

2. पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा। 

उत्तर

ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल
स्वर्ण कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि कर जाल।

3. पुजारी से प्रसाद फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन स्थिति।

उत्तर

भूल गया उसका लेना झट
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा- बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।

4. पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।

उत्तर 

अंतिम बार गोद में बेटी
तुझको ले न सका मैं हा
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर

बीमार बच्ची ने देवी माँ के प्रसाद का एक फूल की इच्छा प्रकट की।

(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर

सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता भंग करने का आरोप लगाकर दंडित किया गया।

(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर

जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया।


(ङ) इस कविता का केन्द्रिय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

इस कविता का केन्द्रिय भाव छुआछूत है। यह मानवता के नाम पर कलंक है। जन्म के आधार पर किसी को अछूत मानना एक अपराध है। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर अछूत होने पर किसी के प्रवेश पर रोक लगाना सर्वथा अनुचित है। कवि चाहता है कि इस प्रकार की सामाजिक विषमता का शीघ्र अंत हो। सभी को सामाजिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हो।

(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों बिंबों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण : अंधकार की छाया
(i) .............................                (ii) .................................
(iii) ...........................                 (iv) .................................
(v) .............................

उत्तर

(च) (i) निज कृश रव में
(ii) स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा
(iii) जलते से अंगारे
(iv) विस्तीर्ण विशाल
(v) पतित-तारिणी पाप हारिणी

पृष्ठ संख्या: 110

2. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए −

(क) अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीतीं
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी


उत्तर 


(क) आँखें हमेशा रोती रहती हैं।  उनसे आँसू रूपी पानी बरसता रहता है। आँसू कभी समाप्त नहीं होते हैं। इन पंक्तियों में पिता के लगातार निरंतर रोने की दशा का वर्णन किया गया है।

(ख) सुखिया की चिता की आग अब बुझ गई थी। लेकिन उसे देखकर पिता के दिल में दुख से उपजी वेदना की चिता जलने लगी। अर्थ की सुंदरता यह है कि एक चिता बाहर जलकर अभी बुझी है और दूसरी चिता दिल के अंदर जलनी आरंभ हो गई है। इसमें पिता के दुख और उससे उत्पन्न वेदना का वर्णन किया गया है।

(ग) चंचल सुखिया बीमारी से पीड़ित होकर ऐसे चुपचाप लेटी हुई थी मानो उसने अटल शांति धारण कर ली हो। यहाँ नटखट बालिका का शांत भाव से पड़े रहने की दशा का वर्णन है।

(घ) मंदिर में आए लोगों ने जब सुखिया के पिता को मंदिर में देखा, तो उन्हें बड़ा गुस्सा आया। लोगों को मंदिर में एक अछूत का आना पसंद नहीं आया। वे एक अछूत का मंदिर में इस प्रकार चले आने को अनर्थ मानने लगे।


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