Quantcast
Channel: Study Rankers
Viewing all articles
Browse latest Browse all 6119

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 - टार्च बेचनेवाले

$
0
0

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 - टार्च बेचनेवाले अंतरा भाग-1 हिंदी (Torch Bechnewale)

पृष्ठ संख्या: 41


प्रश्न - अभ्यास

1. लेखक ने टार्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही क्यों रखा?

उत्तर

लेखक ने टार्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही रखा क्योंकि जिस तरह सूरज रात के अँधेरे के बाद दिन में प्रकाश फैलाता है और किसी को डर नहीं लगता उसी प्रकार ‘सूरज छाप’ टार्च रात के अँधेरे में सूरज का काम करेगी| ‘सूरज छाप’ टार्च रात के अँधेरे में सूरज की रोशनी का प्रतीक है|

2. पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात किन परिस्थितियों में और कहाँ होती है?

उत्तर

पाँच साल पहले दोनों दोस्त बेरोजगार थे| पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात एक प्रवचनस्थल पर होती है लेकिन परिस्थिति पहले की तरह नहीं थी| उनमें से एक टार्च बेचने वाला तथा दूसरा उपदेश देने वाला बन गया है|

3. पहला दोस्त मंच पर किस रूप में था और वह किस अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था?

उत्तर

पहला दोस्त मंच पर संत की वेशभूषा में सुंदर रेशमी वस्त्रों से सज-धज कर बैठा था| वह गुरू-गंभीर वाणी में प्रवचन दे रहा था और लोग उसके उपदेशों को ध्यान से सुन रहे थे| वह आत्मा के अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था| उसके अनुसार सारा संसार अज्ञान रुपी अंधकार से घिरा हुआ है| मनुष्य की अंतरात्मा भय और पीड़ा से त्रस्त है| वह कह रहा था कि अँधेरे से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आत्मा के अँधेरे को अंतरात्मा के प्रकाश द्वारा ही दूर किया जा सकता है|

4. भव्य पुरूष ने कहा- ‘जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है’| इसका क्या तात्पर्य है?

उत्तर

भव्य पुरूष ने अपने प्रवचन में कहा कि जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है| जैसे हर रात के बाद सुबह आती है उसी प्रकार अंधकार के साथ-साथ प्रकाश भी होता है| मनुष्य को अँधेरे से नहीं डरना चाहिए| आत्मा में ही अज्ञान के अँधेरे के साथ ज्ञान की रोशनी और ज्ञान की रोशनी के साथ अज्ञान का अँधेरा होता है| मनुष्य के अंदर की बुराइयों में अच्छाई दबी रहती है, जिसे जगाने की जरूरत होती है| उसके लिए अपने अंदर ही ज्ञान की रोशनी को ढूँढना पड़ता है| इस प्रकार भव्य पुरूष ने सच ही कहा कि जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है|

5. भीतर के अँधेरे की टार्च बेचने और ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने के धंधे में क्या अंतर है? विस्तार से लिखिए|

उत्तर

भीतर के अँधेरे की टार्च बेचना अर्थात यह आत्मा के अंदर बसे अँधेरे को दूर करने से संबंधित है| जहाँ एक तरफ पहला दोस्त अपनी वाणी से लोगों को जागृत करने का काम करता है| वह अपने प्रवचन से लोगों के अंदर ज्ञान की प्रकाश जलाना चाहता है| उसका काम लोगों को अज्ञान के अँधेरे से दूर कर ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है| इस प्रकार सिद्ध पुरूष ही आत्मा के अज्ञानरूपी अँधेरे को दूर कर सकता है|

वहीँ दूसरी ओर दूसरा दोस्त रात के अँधेरे से बचने के लिए ‘सूरज छाप’ टार्च बेचता है| वह लोगों के अंदर रात का भय उत्पन्न करता है ताकि वे डरकर टार्च खरीदें| यह टार्च बाहर के अँधेरे को दूर करता है| रात के अँधेरे में मनुष्य को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसे टार्च का प्रकाश ही दूर कर सकता है| इस प्रकार वह लोगों को काली अँधेरी रात का डर दिखाकर ‘सूरज छाप’ टार्च बेचता है|

दोनों के टार्च बेचने के धंधे में बहुत अंतर है| एक आत्मा के अँधेरे को दूर करने से तथा दूसरा रात के अँधेरे को दूर करने से संबंधित है|

6. ‘सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं| यह उखड़ेगा नहीं|’ इस कथन में मनुष्य की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत है और क्यों?

उत्तर

दोनों मित्रों ने पैसे कमाने के कई तरीके ढूँढने की कोशिश की| दोनों के मन में यही प्रश्न आता था कि पैसे कैसे पैदा करें| लेकिन इसका हल निकालना आसान नहीं था| बहुत कोशिश करने के बाद भी जब जवाब नहीं मिला तो उनमें से एक ने कहा कि सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं| यह उखड़ेगा नहीं| यह कथन मनुष्य की उस प्रवृत्ति की ओर संकेत है कि किसी सवाल का जवाब न मिलने पर मनुष्य उस सवाल को टाल देना ही उचित समझता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी अनसुलझे सवाल में दिमाग लगाकर समय गँवाना व्यर्थ होता है|

6. ‘व्यंग्य विधा में भाषा सबसे धारदार है|’ परसाई जी की इस रचना को आधार बनाकर इस कथन के पक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए|

उत्तर

‘टार्च बेचने वाले’ हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना है| इस पाठ में लेखक ने समाज में फैले अन्धविश्वास तथा पाखंडी साधु-संतों द्वारा रचे गए ढोंग से बचकर रहने का संदेश दिया है| ऐसे लोग भोली-भाली जनता को अँधेरे का डर दिखाकर पैसे कमाते हैं| हमें ऐसे अंधविश्वास और पाखंड से बचना चाहिए| लेखक ने इस व्यंग्य रचना के माध्यम से यह समझाने की कोशिश की है कि धर्म और अध्यात्म के नाम पर पैसे ठगने वाले इन ठगों की चंगुल में हमें नहीं फँसना चाहिए| इस प्रकार व्यंग्य-विधा के माध्यम से भाषा प्रभावशाली हो जाती है तथा लोगों के मन पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है|

8. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) आजकल सब जगह अँधेरा छाया रहता है| रातें बेहद काली होती हैं| अपना ही हाथ नहीं सूझता|

(ख) प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो| अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ|

(ग) धंधा वही करूँगा, यानी टार्च बेचूँगा| बस कंपनी बदल रहा हूँ|

उत्तर

(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘सूरज छाप’ कंपनी टार्च बेचने वाले के द्वारा कही गई हैं| वह अपनी टार्च बेचने के लिए लोगों के मन में अँधेरे के प्रति डर उत्पन्न करता है| अँधेरी रातें इतनी काली होती हैं कि लोगों को अपना हाथ तक नहीं दिखाई देता| यही काली अँधेरी रातों का भय लोगों को टार्च खरीदने के लिए विवश कर देता है|

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ आत्मा के अँधेरे को दूर करने वाले सिद्ध पुरूष के द्वारा कही गई हैं| वह लोगों को अपने अंदर बसे अँधेरे को दूर करने के लिए आत्मा के प्रकाश को जगाने की सलाह देता है| वह संत का वेश धारण कर बड़ी-बड़ी बातें करके लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है|

(ग) पहला दोस्त टार्च बेचने का काम करता है जिसमें अधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है| अपने दोस्त को आत्मा के अँधेरे को दूर करने का काम यानी साधु बनकर पैसे कमाते देख वह भी उसी काम को अपनाने का निश्चय करता है| उसे लगता है कि बिना मेहनत के भी बैठे-बिठाए पैसे कमाए जा सकते हैं| इसलिए वह मेहनत यानी टार्च बेचने का काम छोड़कर साधु बनने का फैसला करता है|


Viewing all articles
Browse latest Browse all 6119

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>