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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 9 - सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 9 - सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (Saur Vikiran, Ushma Santulan avm Tapman) Bhautik Bhugol ke Mool Siddhant

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 91

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं?
(क) विषुवत् वृत्त पर
(ख) 23.5° उ.
(ग) 66.5° द.
(घ) 66.5° उ.
► (क) विषुवत् वृत्त पर

(ii) निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है?
(क) तिरुवनंतपुरम
(ख) हैदराबाद
(ग) चंड़ीगढ़
(घ) नागपुर
► (क) तिरुवनंतपुरम

(iii) निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल मुख्यतः गर्म होता है|
(क) लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर विकिरण से
(ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से
(ग) परावर्तित सौर विकिरण से
(घ) प्रकीर्णित सौर विकिरण से
► (ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से

(iv) निम्न पदों को उसके उचित विवरण के साथ मिलाएँ|


1. सूर्यातप(अ) सबसे कोष्ण और सबसे शीत महीनों के माध्य तापमान का अंतर
2. एल्बिडो(ब) समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
3. समताप रेखा(ग) आनेवाला सौर विकिरण
4. वार्षिक तापांतर(घ) किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत

उत्तर

1. सूर्यातप(ग) आनेवाला सौर विकिरण
2. एल्बिडो(घ) किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत
3. समताप रेखा(ब) समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
4. वार्षिक तापांतर(अ) सबसे कोष्ण और सबसे शीत महीनों के माध्य तापमान का अंतर

(v) पृथ्वी के विषुवत् वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा गोलार्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण है
(क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं|
(ख) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है|
(ग) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ‘ग्रीन हाऊस प्रभाव’ विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा होता है|
(घ) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब है|
► (ख) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है|

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?

उत्तर

पृथ्वी अपनी ऊर्जा का लगभग संपूर्ण भाग सूर्य से प्राप्त करती है| इसके बदले पृथ्वी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को अंतरिक्ष में वापस विकरित कर देती है| परिणामस्वरूप पृथ्वी न तो अधिक समय के लिए गर्म होती है और न ही अधिक ठंडी| अत: हम यह पाते हैं कि पृथ्वी के अलग-अलग भागों में प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती| इसी भिन्नता के कारण वायुमंडल के दाब में भिन्नता होती है एवं इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है| इस प्रकार, पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है|

(ii) वे कौन से कारक है, जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं?

उत्तर

पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाके कारक निम्नलिखित हैं:
• उस स्थान की अक्षांश रेखा
• समुद्र तल से उस स्थान की उत्तुंगता
• समुद्र से उसकी दूरी
• वायु संहति का परिसंचरण
• कोष्ण तथा ठंडी महासागरीय धाराओं की उपस्थिति
• स्थानीय कारक

(iii) भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है, लेकिन उत्तर अयनांत के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता| क्यों?

उत्तर

मई में उत्तरी अयनांत के कारण दिन का तापमान अधिक होता है| उस समय, सूर्य की किरणें (23.5° उ.) कर्क रेखा पर पड़ती हैं| कर्क रेखा भारत के मध्य से गुजरता है| यह स्थिति भारत में मई के अंत तक बनी रहती है| उत्तरी अयनांत से पहले, 21 जून से, भारत में मानसून शुरू होता है जो भारत के जलवायु को ठंडा करने लगता है| यही कारण है कि, भारत में उत्तर अयनांत से पहले उच्च तापमान होता है|

(iv) साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है| क्यों?

उत्तर

80° उत्तरी तथा 50° उत्तरी अक्षांश के बीच जनवरी का माध्य तापमान -20° सेल्सियस होता है तथा जुलाई में तापमान 10° सेल्सियस होता है| यही कारण है कि वार्षिक तापांतर बहुत अधिक होता है|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव किस प्रकार पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं?

उत्तर

किरणों का नति कोण सूर्यातप की मात्रा को प्रभावित करता है| यह किसी स्थान के अक्षांश पर निर्भर करता है| अक्षांश जितना उच्च होगा किरणों का नति कोण उतना ही कम होगा| तिरछी किरणों की अपेक्षा सीधी किरणें कम स्थान पर पड़ती हैं| किरणों के अधिक क्षेत्र पर पड़ने के कारण ऊर्जा वितरण बड़े क्षेत्र पर होता है तथा प्रति इकाई क्षेत्र को कम ऊर्जा मिलती है| इसके अतिरिक्त तिरछी किरणों को वायुमंडल की अधिक गहराई से गुजरना पड़ता है| अतः अधिक अवशोषण, प्रकीर्णन एवं विसरण के द्वारा ऊर्जा का अधिक ह्रास होता है| इसलिए, उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में सूर्यातप कम होता है तथा निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में इसके विपरीत होता है|

सूर्य की किरणें पूरे वर्ष भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं| सूर्य की किरणें 0 डिग्री से 23.5 डिग्री उत्तर और दक्षिण में बदलती रहती हैं। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है और इसकी किरणें 1 मार्च से 21 मार्च तक कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है| सूर्य उत्तरी गोलार्ध में होता है और इसकी किरणें 23 सितंबर से 22 सितंबर तक मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं| जैसे हम ध्रुव की ओर बढ़ते हैं, तापमान घटता जाता है| 66 ½° उत्तर और दक्षिण के बाद के क्षेत्र ठंडे होते हैं| यहां, पूरे वर्ष तापमान कम रहता है क्योंकि सूर्य की किरणें उन पर झुकी हुई होती हैं| इस प्रकार, पृथ्वी के अक्ष का झुकाव पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करता है|

(ii) उन प्रक्रियाओं की व्याख्या करें जिनके द्वारा पृथ्वी तथा इसका वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं|

उत्तर

सूर्य की ऊर्जा विकिरण के माध्यम से पृथ्वी तक पहुंचती है और विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से फैलती हैं| पृथ्वी ऊष्मा का न तो संचय करती है न ही ह्रास करती है| यह अपने तापमान को स्थिर रखती है| ऐसा तभी संभव है, जब सूर्य विकिरण द्वारा सूर्यातप के रूप में प्राप्त ऊष्मा एवं पार्थिव विकिरण द्वारा अंतरिक्ष में संचरित ताप बराबर हों|

• सूर्य द्वारा 100 प्रतिशत ऊर्जा विकरित होती है| वायुमंडल से गुजरते हुए ऊर्जा का कुछ अंश परावर्तित, प्रकीर्णित एवं अवशोषित हो जाता है|

• केवल शेष भाग ही पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है| 100 इकाई में से 35 इकाइयाँ पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती है|

• 27 इकाइयाँ बादलों के ऊपरी छोर से तथा 2 इकाइयाँ पृथ्वी के हिमाच्छादित क्षेत्रों द्वारा परावर्तित होकर लौट जाती है|

• प्रथम 35 इकाइयों को छोड़कर बाकी 65 इकाइयाँ अवशोषित होती है- 14 वायुमंडल में तथा 51 पृथ्वी के धरातल द्वारा|

• इनमें से 17 इकाइयाँ तो सीधे अंतरिक्ष में चली जाती हैं और 34 इकाइयाँ वायुमंडल द्वारा अवशोषित होती है| वायुमंडल द्वारा 48 इकाइयों का अवशोषण होता है जिन्हें वह विकिरण द्वारा अंतरिक्ष में वापस लौटा देता है|

• पृथ्वी के धरातल तथा वायुमंडल से अंतरिक्ष में वापस लौटने वाली विकिरण की इकाइयाँ क्रमशः 17 और 48 हैं, जिनका योग 65 पाया जाता है|

यही पृथ्वी का ऊष्मा बजट अथवा ऊष्मा संतुलन है| यही कारण है कि ऊष्मा के इतने बड़े स्थानांतरण के बावजूद भी पृथ्वी न तो बहुत गर्म होती है और न ही ठंडी होती है|

(iii) जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच तापमान के विश्वव्यापी वितरण की तुलना करें|

उत्तर

समताप रेखाएँ प्रायः अक्षांश के समानांतर होती हैं| दक्षिणी गोलार्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध में स्थलीय भाग अधिक है| इसलिए भूसंहति और समुद्री धारा का प्रभाव अधिक है| जनवरी में समताप रेखाएँ महासागर के उत्तर और महाद्वीपों पर दक्षिण की ओर विचलित हो जाती हैं| इसे उत्तरी अटलांटिक महासागर पर देखा जा सकता है| कोष्ण महासागरीय धाराएँ गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अटलांटिक महासागरीय ड्रिफ्ट की उपस्थिति से उत्तरी अटलांटिक महासागर अधिक गर्म होता है तथा समताप रेखाएँ उत्तर की तरफ मुड़ जाती हैं| सतह के ऊपर तापमान तेजी से कम हो जाता है और समताप रेखाएँ यूरोप में दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं| दक्षिणी गोलार्ध में तापमान पर महासागरों का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है| यहाँ समताप रेखाएँ लगभग अक्षांशों के समानांतर चलती हैं तथा उत्तरी गोलार्ध की अपेक्षा भिन्नता कम तीव्र होती है| 20° से., 10° से. एवं 0° से. की समताप रेखाएँ क्रमशः 35° द. तथा 60° दक्षिण के समानांतर पाई जाती हैं|



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