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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - भारत में मानव पूँजी का निर्माण

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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - भारत में मानव पूँजी का निर्माण (Bharat me Manav Punji ka Nirmaan) Bhartiya Arthvyavastha Ka Vikash

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 100

1. किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत क्या होते हैं?

उत्तर

किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:
• शिक्षा: शिक्षा न केवल जीवन स्तर के मानक और गुणवत्ता को बढ़ाती है बल्कि लोगों के आधुनिक दृष्टिकोण को भी प्रोत्सहित करती है| यह देश के कर्मचारियों की कौशल को बढ़ाकर उत्पादक क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि करता है|
• स्वास्थ्य: यह सक्रिय, उर्जावान तथा स्वस्थ श्रमशक्ति की आपूर्ति करके अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास में मदद करता है जो पूरे उत्पादन प्रक्रिया को सक्रिय करता है|

2. किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के दो सूचक क्या होंगे?

उत्तर

किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के दो सूचक निम्नलिखित हैं:
• व्यस्क साक्षरता दर: यह 15 वर्ष से अधिक आयुवर्ग में साक्षरों का प्रतिशत दर दर्शाता है|
• युवा साक्षरता दर: यह 15 से 24 आयु वर्ग की जनसंख्या का प्रतिशत दर को दर्शाता है जो पढ़ और लिख सकते हैं|

3. भारत में शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ क्यों दिखाई दे रही हैं?

उत्तर

भारत में शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ दिखाई देती हैं| केरल, तमिलनाडु तथा उत्तरांचल जैसे कुछ राज्यों में उच्च साक्षरता दर है, जबकि बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में साक्षरता दर कम है| यह बड़े पैमाने पर आय और धन की असमानताओं के कारण शिक्षा पर सरकार द्वारा निवेश की कमी के कारण है| इन राज्यों के लोग शिक्षा को कम महत्व देते हैं और मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र या अनौपचारिक कार्यक्षेत्र में कार्यरत हैं जिसका शिक्षा के साथ कम संबंध है|

4. मानव पूँजी निर्माण और मानव विकास के भेद को स्पष्ट करें|

उत्तर

मानव पूँजी बढ़ी हुई उत्पादकता का प्रतिनिधित्व करता है| यह एक अर्जित योग्यता है और समझ-बूझ से किए गए निवेशगत निर्णयों का परिणाम है, जो भविष्य में आय के स्रोतों में वृद्धि की अपेक्षा से किए जाते हैं|
मानव विकास इस विचार पर आधारित है कि शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों मनुष्यों के कल्याण के लिए अभिन्न हैं, क्योंकि जब लोगों के पास पढ़ने और लिखने तथा दीर्घायु तथा स्वस्थ जीवन की योग्यता होगी, तभी वे इन मूल्यों का मापन करने में सक्षम होंगे जिनको वे महत्व देते हैं|

5. मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास किस प्रकार से अधिक व्यापक है?

उत्तर

मानव विकास मानव पूँजी की तुलना में कहीं अधिक व्यापक अवधारणा है| मानव विकास में उन सभी कारकों को शामिल किया जाता है जो समाज के कल्याण और विकास को जन्म देते हैं जबकि मानव पूँजी मानव संसाधन पर आधारित होती है जिनका अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है| मानव विकास शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से मनुष्य की समग्र समृद्धि में शामिल है जबकि मानव पूँजी मानव संसाधन को अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ाने का स्रोत माना जाता है|

6. मानव पूँजी के निर्माण में किन कारकों का योगदान रहता है?

उत्तर

मानव पूँजी के निर्माण में निम्नलिखित कारकों का योगदान रहता है:
• शिक्षा: यह न केवल व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है बल्कि नवीन प्रद्योगिकी को आत्मसात् करने क्षमता भी विकसित करती है| यह वर्तमान आर्थिक स्थिति को सुधारता है तथा देश के भविष्य की संभावनाओं में सुधार करता है|
• स्वास्थ्य: स्वास्थ्य पर किया गया गया व्यय देश की श्रमबल की क्षमता, दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाता है| एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक समय तक व्यवधानरहित श्रम की पूर्ति कर सकता है| अच्छे स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से न केवल जीवन प्रत्याशा बढ़ती है बल्कि जीवन स्तर में भी सुधार लाती है| इसमें स्वच्छ पेयजल,उत्तम स्वच्छता सुविधाएँ तथा बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ आदि का प्रावधान है|
• प्रशिक्षण: कार्य प्रशिक्षण पर किया गया व्यय मानव पूँजी का स्रोत है जिसमें श्रम उत्पादकता में वृद्धि से हुए लाभ कहीं अधिक होते हैं| कार्य-स्थल पर प्रशिक्षण एक प्रशिक्षु के लिए अधिक प्रभावी प्रशिक्षण है जो उसे यह तकनीकी कौशल प्रदान करता है कि वास्तविक कार्य-स्थल पर कैसे कार्य करना है|
• प्रवसन: व्यक्ति अपने मूल स्थान की आय से अधिक आय वाले रोजगार की तलाश में प्रवसन/पलायन करते हैं| प्रवसन की स्थिति में परिवहन की लागत और उच्चतर निर्वाह लागत के साथ एक अनजाने सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में रहने की मानसिक लागत भी शामिल है| चूंकि नए स्थान उनकी कमाई प्रवास से जुड़ी सभी लागतों से कहीं अधिक होती है, इसलिए प्रवसन पर व्यय भी मानवीय पूँजी निर्माण का स्रोत है|
• सूचना: मानव पूँजी के निर्धारण में रोजगार, वेतन तथा प्रवेश से संबंधित सूचनाओं की उपलब्धता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| यह जानकारी मानव पूँजी में निवेश करने से प्राप्त मानव पूँजी के भंडार का सदुपयोग करने की दृष्टि से बहुत अधिक उपयोगी होती है| इसीलिए श्रम बाजार तथा अन्य सूचनाओं की जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय भी मानव पूँजी निर्माण का स्रोत है|

7. सरकारी संस्थाएँ भारत में किस प्रकार स्कूल एवं अस्पताल की सुविधाएँ उपलब्ध करती है?

उत्तर

भारत में शिक्षा क्षेत्रक के अंतर्गत संघ और राज्य स्तर पर शिक्षा मंत्रालय तथा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी परिषद् आती हैं|
स्वास्थ्य क्षेत्रक के अंतर्गत संघ और राज्य स्तरों पर स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग तथा भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् आदि कार्य कर रही हैं|

8. शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण आगत माना जाता है| क्यों?

उत्तर

शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण आगत माना जाता है क्योंकि:
• यह लोगों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करता है जो उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है|
• यह सामाजिक जागरूकता पैदा करता है और लोगों की मानसिक क्षमताओं को विकसित करता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर सही चुनाव किया जा सके|
• यह एक व्यक्ति की उपार्जन क्षमता को बढ़ाता है जो अंततः लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाता है|
• एक शिक्षित व्यक्ति जनसंख्या वृद्धि की समस्या को समझता है जिससे जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आती है| इससे प्रति व्यक्ति अधिक संसाधन उपलब्ध होते हैं|
• यह आधुनिकीकरण और आधुनिक तकनीकों की स्वीकृति में मदद करता है जो एक राष्ट्र के विकास को बढ़ावा देता है|

9. पूँजी निर्माण के निम्नलिखित स्रोतों पर चर्चा कीजिए|
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना (ख) प्रवसन पर व्यय

उत्तर

(क) स्वास्थ्य का अर्थ पूर्ण शारीरिक, सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति है| इसमें निवारक और उपचारात्मक दवाएं, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति और साफ़-सफाई आदि शामिल है| स्वास्थ्य क्षेत्र में किया गया निवेश मानव पूँजी निर्माण का एक अच्छा स्रोत है जो स्वस्थ श्रम उपलब्ध कराता है|

(ख) व्यक्ति अपने मूल स्थान की आय से अधिक आय वाले रोजगार की तलाश में प्रवसन/पलायन करते हैं| प्रवसन की स्थिति में परिवहन की लागत और उच्चतर निर्वाह लागत के साथ एक अनजाने सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में रहने की मानसिक लागत भी शामिल है| चूंकि नए स्थान उनकी कमाई प्रवास से जुड़ी सभी लागतों से कहीं अधिक होती है, इसलिए प्रवसन पर व्यय भी मानवीय पूँजी निर्माण का स्रोत है|

10. मानव संसाधनों के प्रभावी प्रयोग के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर व्यय संबंधी जानकारी प्राप्त करने की 
आवश्यकता का निरूपण करें|

उत्तर

मानव पूँजी के विकास के लिए नौकरियों, वेतन और प्रवेश संबंधी जानकारी की उपलब्धता आवश्यक है| वे लोगों के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के बीच बेहतर विकल्प चुनने तथा मानव कौशल और ज्ञान का प्रभावी उपयोग करने में सक्षम बनाता है|
इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी पर निवेश से स्वास्थ्य, दक्षता, गुणवत्ता जीवन और लोगों की प्रत्याशा में सुधार होता है| चिकित्सा संबंधी जानकारी तथा परिवार कल्याण कार्यक्रमों का उपयोग स्वस्थ श्रमबल की आपूर्ति सुनिश्चित करता है| सूचना के अभाव के कारण विभिन्न स्वास्थ्य उपायों को अपनाया नहीं जा सकता है जिन्हें कम किया जा सकता है तथा मानव संसाधनों का प्रभावी प्रयोग करने में सहायता मिलती है|

11. मानव पूँजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में किस प्रकार सहायक होता है?

उत्तर

मानव पूँजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में इस प्रकार सहायक है:
• उत्पादकता में वृद्धि: कुशल और स्वस्थ मजदूर वस्तु आगत तथा पूँजी के प्रभावी उपयोग करते हैं जो उत्पादकता बढ़ाता है और विकास की दर को तेज करता है|
• नव परिवर्तन: एक शिक्षित व्यक्ति के पास आविष्कारों और नव परिवर्तनों को समझ पाने की क्षमता होती है जिससे वे अधिक कुशल और उत्पादक हो सकते हैं तथा यह आर्थिक विकास में सहायक होती है|
• उच्च भागीदारी दर: यदि अधिक लोग शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से कार्य करने में सक्षम हो गए, तो इससे लोगों की भागीदारी दर में वृद्धि होगी जो आर्थिक विकास और संवृद्धि की प्रक्रिया की गति देगा|

12. विश्व भर में औसत शैक्षिक दर में सुधार के साथ-साथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पायी गयी है| टिप्पणी करें|

उत्तर

बेहतर शिक्षा आय की असामनता को कम करती है| एक शिक्षित व्यक्ति में अधिक क्षमता और योग्यता होती है जिससे उनकी आय अधिक होती है| इससे जीवन स्तर तथा गुणवत्ता में सुधार होता है| विश्व में शिक्षा का महत्व माना जाता है और राष्ट्रों की सरकार शिक्षा क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है| जब शिक्षा दर में वृद्धि होती है तो यह असमानताओं को स्वतः कम कर देता है|

13. किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका का विश्लेषण करें|

उत्तर

किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा की निम्नलिखित भूमिका है:
• ज्ञान तथा कौशल: यह लोगों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करता है जो उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है| यह रोजगार तथा आय अर्जन के अवसर प्रदान करता है|
• आधुनिक पद्धतियों की स्वीकार्यता: एक शिक्षित व्यक्ति नई आधुनिक तकनीकों को अपनाने में सक्षम है जो एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास को गति प्रदान करता है|
• असमानता को समाप्त करना: असमानता समाप्त करने लिए शिक्षा एक प्रभावशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है| यह देश के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के उपार्जन क्षमता को बढ़ाता है जो आर्थिक असमानता को कम करता है|
• नव परिवर्तन: एक शिक्षित व्यक्ति के पास आविष्कारों और नव परिवर्तनों को समझ पाने की क्षमता होती है जिससे वे अधिक कुशल और उत्पादक हो सकते हैं तथा यह आर्थिक विकास में सहायक होती है|
• उच्च भागीदारी दर: यदि अधिक लोग शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से कार्य करने में सक्षम हो गए, तो इससे लोगों की भागीदारी दर में वृद्धि होगी जो आर्थिक विकास और संवृद्धि की प्रक्रिया की गति देगा|

14. समझाइए कि शिक्षा में निवेश आर्थिक संवृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?

उत्तर

शिक्षा मानव पूँजी निर्माण का प्रमुख स्रोत है| शिक्षा में निवेश से लोगों को गुणवत्ता कौशल तथा ज्ञान प्राप्त होता है जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है| यह लोगों को नई आधुनिक तकनीकों को अपनाने में सक्षम बनाता है जो एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास को गति प्रदान करता है| यह लोगों की आय को बढ़ाता है तथा उनके जीवन स्तर में सुधार लाता है| यह राष्ट्रीय विकास चेतना पैदा करता है| शिक्षा सांस्कृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है तथा व्यक्तित्व का विकास करती है|

15. किसी व्यक्ति के लिए कार्य के दौरान प्रशिक्षण क्यों आवश्यक होता है?

उत्तर

एक प्रशिक्षु के लिए कार्य-स्थल पर प्रशिक्षण सबसे अधिक प्रभावी होता है, जो उसे तकनीकी कौशल प्रदान करता है कि वास्तविक कार्य स्थल पर कैसे कार्य करना है| फर्म के अपने कार्य स्थान पर ही पहले से काम को जानने वाले कुशलकर्मी कर्मचारियों को काम सिखा सकते हैं या कर्मचारियों को किसी अन्य संसथान में प्रशिक्षण पाने के लिए भेजा जाता है| यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि:
• इससे कर्मचारियों के दक्षता तथा मनोबल में सुधार होता है|
• यह व्यक्ति को संस्था के मूल्यों, मानदंडों तथा मानकों को अवशोषित करने में सक्षम बनाता है|
• यह कच्चे माल के बेहतर उपयोग को सरल बनाता है|

16. मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के बीच संबंध स्पष्ट करें|

उत्तर

मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के बीच सकारात्मक संबंध है| मानव पूँजी का निर्माण आर्थिक संवृद्धि की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है तथा आर्थिक संवृद्धि मानव पूँजी निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है| यदि हमें आर्थिक संवृद्धि में विकास करना चाहते हैं तो हमें अपनी मानवीय पूँजी में वृद्धि करना होगा| एक अस्वस्थ या अशिक्षित श्रमिक आर्थिक संवृद्धि में अधिक योगदान नहीं दे सकता है| आर्थिक संवृद्धि में तीव्रता लाने के लिए लोगों को शिक्षित, स्वस्थ और कुशल बनाने की आवश्यकता है| इसका नव प्रवर्तन तथा लोगों की भागीदारी में भी योगदान है|

17. भारत में स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन की आवश्यकता पर चर्चा करें|

उत्तर

शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को हमेशा उपेक्षित किया गया है| यदि किसी राष्ट्र के आर्थिक संवृद्धि को गति प्रदान करना है तो महिलाओं की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है| भारत में स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन की आवश्यकता है क्योंकि:
• महिलाओं की सामाजिक और नैतिक स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है|
• यह अनुकूल प्रजनन दर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
• महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल को स्त्री शिक्षा के साथ बढ़ाया जा सकता है|
• एक शिक्षित महिला अच्छे नैतिक मूल्यों को लागू कर सकती है और अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकती है|

18. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकार के विविध प्रकार के हस्तक्षेपों के पक्ष में तर्क दीजिए|

उत्तर

शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकार के विविध प्रकार के हस्तक्षेपों की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है:
• शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में निजी और सार्वजनिक संस्थाओं का अस्तित्व है| इसलिए, ऐसे कुछ प्राधिकरण होना चाहिए जिनसे उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखी जा सके|
• कुछ परिस्थितियों में शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करा रहीं संस्थाएँ एकाधिकार प्राप्त कर लेती हैं और शोषण करने लगती है| यहाँ सरकार का हस्तक्षेप का एक स्वरूप यह हो सकता कि वह निजी सेवा प्रदायकों को उचित मानकों के अनुसार सेवाएँ देने तथा उनकी उचित कीमत उगाहने को बाध्य करे|
• शिक्षा और स्वास्थ्य पर व्यय महत्वपूर्ण दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं और उन्हें आसानी से बदला नहीं जा सकता| इसलिए, सरकारी हस्तक्षेप अनिवार्य है|
• सरकार को दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में अपने शैक्षिक और स्वास्थ्य देखभाल केंद्र स्थापित करने के लिए निजी संस्थानों को स्थापित या प्रोत्साहित करना चाहिए|

19. भारत में मानव पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?

उत्तर

भारत में मानव पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
• जनसंख्या में वृद्धि: तीव्र गति से बढ़ती आबादी सीमित संसाधनों पर दबाव डालती है जिससे प्रति व्यक्ति उपलब्ध संसाधनों की कमी हो जाती है|
• निम्न गुणवत्ता: मानव पूँजी को गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए| लेकिन शिक्षा प्रदान करने के लिए, बहुत से शिक्षा संस्थान स्थापित किए गए हैं जो शिक्षा और कौशल की निम्न गुणवत्ता प्रदान करते हैं| स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में यही होता है|
• बुद्धिजीवियों का प्रवसन: व्यक्ति अपने मूल स्थान की आय से अधिक आय वाले रोजगार की तलाश में प्रवसन/पलायन करते हैं| अत्यधिक कुशल श्रम के प्रवसन के कारण आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|
• अयोग्य श्रमशक्ति नियोजन: भारत में उचित श्रमशक्ति के नियोजन का अभाव है| बढ़ती श्रमशक्ति के मांग-आपूर्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया गया है| इसलिए, यह मानव कौशल का अपव्यय और त्रुटिपूर्ण आवंटन करता है|

20. क्या आपके विचार में सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में लिए जाने वाले शुल्कों की संरचना निर्धारित करनी चाहिए| यदि हाँ, तो क्यों?

उत्तर

हाँ, सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में लिए जाने वाले शुल्कों की संरचना निर्धारित करनी चाहिए| शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रक गुणवत्ता पूँजी निर्माण के दो प्रमुख स्रोत हैं| किसी देश का आर्थिक विकास वहाँ के मानव पूँजी निर्माण पर निर्भर होता है| शैक्षिक और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में निजी संस्थानों का एक बड़ा योगदान है| साथ ही, दोनों क्षेत्रों में निजी संस्थानों के शुल्क बहुत अधिक हैं क्योंकि इन्हें लाभ के उद्देश्य से निर्देशित किया जाता है| इसलिए, मानव पूंजी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में हस्तक्षेप शुल्क संरचना निर्धारित करना आवश्यक है|

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