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Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Extra Questions Class 10 Geography

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Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Question Answer Class 10 Geography Hindi Medium

Questions and Answers for Class 10 Geography Vinirman Udhyog is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Question Answer Class 10 Geography Hindi Medium

विनिर्माण उद्योग Important Questions

अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विनिर्मीण क्या है ?

उत्तर

कच्चे माल के गुणों एवं उसके रूपम में परिवर्तन के द्वारा उसको ज्यादा मूल्यावाली वास्तु में बदलना विनिर्माण कहलाता है।


प्रश्न 2. ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले उद्योगों के नाम बताइए। 

उत्तर

जेनरेटर, औद्योगिक व निर्माण कार्य, लकड़ी चीरने के कारखाने, विद्युत ड्रिल।


प्रश्न 3. कोलकाता बंदरगाह का भार कम करने के लिए कौन सा प्रमुख बंदरगाह विकसित किया गया है ? 

उत्तर

हल्दिया को कोलकाता बंदरगाह का भार कम करने के लिए विकसित किया गया है।


प्रश्न 4. उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ? 

उत्तर

कच्चे माल की उपलब्धता, श्रमिक, पूँजी, बाजार, शक्ति के साधन, वित्तीय संस्थाएँ आदि।


प्रश्न 5. कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है ?

उत्तर

लौह एवं इस्पात उद्योग


प्रश्न 6. विनिर्माण उद्योगों का क्या महत्व है ?

उत्तर

विनिर्माण उद्योगों के विकास तथा स्पर्धा से कृषि उत्पादन और वाणिज्य व्यापार को बढ़ावा मिलता है।


प्रश्न 7. सार्वजनिक उद्योग को परिभाषित करें।

उत्तर

जो उद्योग सरकार के स्वामित्व और संचालन में होते हैं उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहा जाता है।

उदाहरण – BHEL, SAIL.


प्रश्न 8. सीमेंट उद्योग की इकाइयाँ गुजरात में क्यों लगाई गई हैं ? 

उत्तर

गुजरात में इस उद्योग को खाड़ी देशों में निर्यात की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।


प्रश्न 9. कृषि पर आधारित उद्योगों से आप क्या समझते हैं? इनके कोई दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर

कृषि उपज से कच्चा माल प्राप्त करने वाले उद्योग कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण: जूट उद्योग, कपास उद्योग आदि।


प्रश्न 10. द्वितीयक क्रियाओं का क्या अर्थ है। 

उत्तर

द्वितीयक क्रियाओं में लगे व्यक्ति कच्चे माल का आकार बदलकर व उसे परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।


प्रश्न 11. कौन सा कारक किसी उद्योग की अवस्थिति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ? 

उत्तर

न्यूनतम उत्पादन लागत। 


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उद्योगों की अवस्तिथि को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ ?

उत्तर

उघोगों की अवस्तिथि को प्रभावित करने वाले तीन मुख्य भौतिक कारक है :

  1. प्राकृतिक संसाधन |
  2. कच्चे माल की उपलब्धता |
  3. जलवायु


प्रश्न 2. औद्योगिक अवसिथती को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ ?

उत्तर

औद्योगिक अवसिथती पर असर डालने वाले मानवीय कारक है :-

  1. श्रम
  2. पूँजी
  3. परिवहन सुविधाएँ


प्रश्न 3. आधारभूत उघोग क्या है ? उदहारण देकर बताएँ ?

उत्तर

वे उघोग जिनके कच्चे माल अथवा उत्पादन पर दूसरे उघोग आधारित उघोग कहालते है, यथा ताँबा प्रगालन उघोग, लोहा एवं इस्पात उघोग आदि |


प्रश्न 4. सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर

सरकारी नीतियाँ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग

निजी क्षेत्र के उद्योग

वे उद्योग जिनका स्वामित्व राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार के किसी संगठन के पास होता है।

वे उद्योग जिनका स्वामित्व कुछ व्यक्तियों अथवा फर्मो या कंपनियों के पास होता है। जैसे ब्रिटानिया उद्योग जो ब्रैड और बिस्कुट बनाता है।

जैसे भारतीय रेल, जहाज निर्माण उद्योग, भिलाई और दुर्गापुर लोहा-इस्पात उद्योग आदि। 

जमशेदपुर में टिस्को। (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी)


प्रश्न 5. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताइए। 

उत्तर

  • श्रम 
  • पूँजी 
  • बाज़ार 
  • परिवहन और संचार बैकिंग, बीमा आदि की सुविधाएँ। 
  • आधारिक संरचना 
  • उद्यमी


प्रश्न 6. भारत में सूती वस्त्र उद्योग के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ हैं ? 

उत्तर

  • पुरानी और परंपरागत तकनीक
  • लंबे रेशे वाली कपास की पैदावार का कम होना। 
  • नई मशीनरी का अभाव। 
  • कृत्रिम वस्त्र उद्योग से प्रतिस्पर्धा।
  • अनियमित बिजली की आपूर्ति।


प्रश्न 7. महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीकरण के कारणों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर

सूती वस्त्र उद्योग निम्नलिखित कारणों से महाराष्ट्र और गुजरात में केंद्रित है:

  • कच्चे माल की उपलब्धता
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बड़ा बाज़ार
  • बंदरगाह तक परिवहन सस्ता था।
  • इन क्षेत्रों में सस्ता श्रम


प्रश्न 8. भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में क्यों स्थित हैं ?

उत्तर

भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में स्थित हैं, मुख्य रूप से हुगली नदी के किनारे, क्योंकि जूट उत्पादक क्षेत्र, कम विस्तृत जल परिवहन, जूट मिलों को कच्चे माल की सुविधा के लिए सड़क मार्ग, रेलवे और जलमार्ग के अच्छे नेटवर्क द्वारा समर्थित है।


प्रश्न 9. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।

उत्तर

  • सार्वजनिक उद्योग
  • निजी उद्योग
  • संयुक्त उद्योग
  • सहकारी उद्योग


प्रश्न 10. लोहा और इस्पात उद्योग को भारी उद्योग क्यों कहा जाता है ? व्याख्या करें। 

उत्तर

  • लौह अयस्क, कोयला और चूना जैसे सभी कच्चे माल प्रकृति से ही भारी हैं। 
  • इस उद्योग के तैयार उत्पादों को परिवहन हेतु उच्च लागत की आवश्यकता होती है।


प्रश्न 11. छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में लौह और इस्पात उद्योग की आधिकतम सांद्रता क्यों है ?

उत्तर

  • लौह अयस्क की कम लागत।
  • नजदीक में उच्च श्रेणी के कच्चे माल की उपलब्धता। 
  • सस्ते श्रम की उपलब्धता।
  • घरेलू बाजार में विशाल विकास क्षमता। 


प्रश्न 12. ‘औद्योगिकीकरण और शहरीकरण साथ-साथ चलते हैं।’ कथन की व्याख्या करें। 

उत्तर

शहर उद्योगों को बाजार, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, श्रम सलाहकार वित्तीय सलाह आदि जैसी सेवाएँ भी प्रदान करते हैं। जबकि उद्योग, शहरों को निर्मित सामान, रोजगार और ऊर्जा आदि प्रदान करते हैं।


प्रश्न 13. कपास उद्योग की प्रमुख समस्याएं क्या हैं ? 

उत्तर

  • बिजली की आपूर्ति अनियमित है।
  • मशीनरी को उन्नत करने की आवश्यकता है। 
  • श्रम का कम निष्पादन।
  • सिंथेटिक फाइबर उद्योग के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा।

प्रश्न 14. उद्योगों द्वारा पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर

  • प्रदूषित जल को नदियों में न बहाया जाये। 
  • जल को साफ करके प्रवाहित करना चाहिए। 
  • जल विद्युत का प्रयोग करना चाहिए। 
  • ऐसी मशीनरी का प्रयोग करना चाहिए जो कम ध्वनि करे।


प्रश्न 15. हमारे देश के लिए सीमेंट उद्योग का विकास अति महत्वपूर्ण है, क्यों ? 

उत्तर

  • भवन, फैक्टरियाँ, सड़कें, पुल, बाँध, घर आदि का निर्माण करने के लिए आवश्यक है। 
  • हमारा सीमेंट उद्योग उत्तम गुणवत्ता वाले सीमेंट का उत्पादन करता है। 
  • अफ्रीका के देशों में मांग रहती है। 


प्रश्न 16. भारत में उदारीकरण एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने किस प्रकार मोटरगाड़ी उद्योग में अत्यधिक वृद्धि की है ? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर

  • उदारीकरण के पश्चात नए और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार बढ़ा है। 
  • वाहनों की मांग बढ़ी है। कार, स्कूटर, स्कूटी, बाईक ऑटो रिक्शा की संख्या में अपार वृद्धि हुई है। 
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ नई प्रौद्योगिकी के उपयोग से यह उद्योग विश्वस्तरीय विकास के स्तर पर आ गया है। आज 15 इकाइयाँ कार, 14 इकाइयाँ स्कूटर, मोटरसाइकिल तथा ऑटोरिक्शा का निर्माण करती हैं।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समंवित इस्पात उघोग मिनी इस्पात उघोगों से कैसे भिन्न है ? इस उद्योग की क्या समस्याएँ है ? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?

उत्तर

समंवित इस्पात उघोग से हमारा आशय एक ऐसे इस्पात संयंत्र से है जिसमें माल से लेकर इस्पात बनाने तक की सभी क्रियाएँ की जाती है, जबकि मिनी इस्पात उद्योगों वे छोटे संयंत्र हैं जिसमें उत्पादन प्रक्रिया के दौरान विघुत भट्टी रद्दी इस्पात और स्पंज आयरन का प्रयोग किया जाता है।

इन उद्योगों में रि-रोलर्स होते है जिसमे इस्पात की झिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन उघोगों द्वारा प्राय: हलके स्टील या निर्धारित अनुपात के कठोर व मिश्रित इस्पात का उत्पादन किया जाता है।

इस्पात उघोग की समस्याएँ निम्नलिखित है :-

  1. कोकिंग कोयले की सीमित आपूर्ति और ज्यादा लागत |
  2. श्रमिकों की निम्न उत्पादकता |
  3. अविकसित अधोसंरचना |
  4. ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति |

इस्पात उघोग की उत्पादकता में बढ़ोतरी में निजी उद्यमियों के प्रयास तथा उदारीकरण एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा योगदान रहा है |


प्रश्न 2. उघोग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते है ?

उत्तर

उघोग विभिन्न तरह के प्रदुषण यथा जल, वायु, भूमि, तथा ध्वनि प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है | ये पर्यावरण को कई  तरह से प्रदूषित करते हैं :

  1. उघोगों द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट पदार्थों को पानी में मिलाने से जल प्रदूषण होता है |
  2. उद्योगों के कारण बड़ी मात्रा में विभिन्न तरह की जहरीली गैसों यथा - कार्बन डाई-ऑक्साइड एवं कार्बन मोनोऑक्साइड आदि का उत्सर्जन हिता है जो वायुमंडल को प्रदूषित करती है |
  3. मलबे के ढेर यथा- काँच, हानिकारक जहरीले रसायन, पैकिंग, औधिगिक बहाव आदि मिट्टी की उर्वरता को नष्ट करते हैं |
  4. कारखानों और तापघरों के गर्म जल के नदियों में मिलाने से जलीय ताप में बढ़ोतरी होती है तो विभिन्न जलीय जीवों के लिए हानिकारक है |
  5. परमाणु उर्जा संयंत्रों से निकालने वाले रेडियों एकिटव पदार्थों से कैंसर, जन्मजात अपंगता और असमय प्रसव जैसी बीमारियाँ होती है |
  6. उघोगों के भारी शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण होती है ।
  7. इस तरह उघोग विभिन्न प्रकार के प्रदूषण एवं बीमारियों के कारण है |


प्रश्न 3. उघोगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए उपायों की चर्चा करें ?

उत्तर

पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए कतितय परामर्श इस प्रकार है :-

  • जल की जरूरतों की पूर्ति के लिए वर्षा के जल का संग्रहण करना चाहिए |
  • विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में पानी का न्यूनतम इस्तेमाल किया जाना चाहिए | इसके अलावा दो या दो से अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में जल का पुर्नच्रकण के द्वारा पुन : इस्तेमाल किया जाना चाहिए |
  • जिन स्थानों पर भूमिगत जलस्तर निम्न अवस्था में है वहाँ पर उघोगो द्वारा ज्यादा जल के निष्कासन पर क़ानूनी प्रतिबन्ध होना चाहिए |
  • उघोगों द्वारा गर्म तथा अपशिष्ट जल को नदियों आदि में प्रवाहित करने से पहले उसका शोधन किया जाना चाहिए |
  • ध्वनि अवशोषण उपकरण तथा कानों पर शोर को नियानित्रत करने वाले उपकरण पहने जाने चाहिए |
  • उर्जा सक्शन मशीनरी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए |


प्रश्न 4. हुगली में जूट उद्योग की सांद्रता के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं ? 

उत्तर

  • पश्चिम बंगाल में जूट के रेशे की सबसे अधिक गांठे पैदा होती हैं।
  • जूट उद्योग को बहुत सारे पानी की आवश्यकता होती है जो हुगली नदी से आसानी से उपलब्ध होता है। 
  • उद्योग के लिए लोहे और कोयले की जरूरत होती है, यह रानीगंज की नजदीकी खदानों से भी उपलब्ध है। 
  • पड़ोसी राज्य बिहार और ओडिशा से सस्ता श्रम भी उपलब्ध है। 
  • कोलकाता अच्छा बंदरगाह है जो आसानी से जूट का निर्यात कर सकता है। कोलकाता एक अच्छा बाजार भी है।

प्रश्न 5. विनिर्माण उद्योग को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी क्यों माना जाता है ? 

उत्तर

जिस प्रकार शरीर को आकार रीढ़ की हड्डी से मिलता है उसी प्रकार एक देश की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास का मुख्य आधार विनिर्माण उद्योग हैं। 

  • कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक हैं।
  • द्वितीयक तथा तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। 
  • विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। 
  • बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने में सहायक हैं। 
  • राष्ट्रीय धन में वृद्धि होती है। 
  • दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Extra Questions Class 10 Geography

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Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Question Answer Class 10 Geography Hindi Medium

Questions and Answers for Class 10 Geography Rashtriya Arthvyavastha ki Jeevan Rekhayein is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Question Answer Class 10 Geography Hindi Medium

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Important Questions

अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. रेल परिवहन कहाँ पर अत्यिधक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों ?

उत्तर

रेल परिवहन मैदानी क्षेत्रों में ज्यादा सुविधाजनक होता है क्योंकि मैदानी क्षेत्रों में समतल भूमि, सघन आबादी, तथा प्रचुर मात्रा में संसाधन सुलभ होते है ।


प्रश्न 2. सीमांत सड़कों का महत्त्व बताएँ ?

उत्तर

सीमांत सडकों के विकास के परिणामस्वरूप दुर्गम क्षेत्रों में अधिगाम्यता में वृद्धि हुई है | इनके द्वारा उत्तर पूर्वी क्षेत्रों का आर्थिक विकास संभव हुआ है |


प्रश्न 3. पूर्व-पश्चिम गलियारा किन दो क्षेत्रों को जोड़ता है ? 

उत्तर

सिलचर (असम) – पोरबंदर (गुजरात)


प्रश्न 4. भारत में पहली रेलगाड़ी कब और कहाँ चलाई गई ? 

उत्तर

16 अप्रैल, 1853 में मुंबई और थाणे के बीच (34 किमी. दूरी)


प्रश्न 5. जनसंचार क्या है ?

उत्तर

लोगों के समूह के साथ संचार को जनसंचार कहा जाता है। उदाहरण- समाचारों का सीधा प्रसारण, मंत्रियों का सीधा भाषण आदि।


प्रश्न 6. सड़क घनत्व से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर

प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्र में सड़कों की लम्बाई को सड़क घनत्व कहा जाता है।


प्रश्न 7. भारत की तट रेखा की लम्बाई कितनी है ? 

उत्तर

7516.6 किमी


प्रश्न 8. संचार से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर

वह प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्तियों के बीच एक सामान्य प्रणाली के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है, संचार कहलाती है।


प्रश्न 9. बड़े शहरों में डाक संचार में तीव्रता लाने के लिए कौन-कौन से मुख्य उपाय किये गये हैं ? 

उत्तर

6 डाक मार्ग बनाए गए हैं। राजधानी चैनल (मार्ग) मेट्रो (मार्ग), चैनल ग्रीन चैनल, व्यापार चैनल, भारी चैनल, दस्तावेज चैनल।


प्रश्न 10. भारतीय व विदेशी फिल्मों का सत्यापन करने वाला प्राधिकरण कौन सा हैं ? 

उत्तर

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन


प्रश्न 11. स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य लिखें।

उत्तर

इन स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगासिटी (mega cities) के बीच समय और दूरी को कम करना है।


प्रश्न 12. सबसे लंबी गैस पाईपलाइन कौन सी है ? 

उत्तर

हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर 


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सड़क परिवहन के तीन गुण बताएँ ?

उत्तर

(i) सड़क निर्माण में लागत कम आती है ।

(ii) ऊँचे, ऊबड़-खाबड़ तथा विभिन्न भू-भागों में भी सड़कें बनाई जा सकती हैं|

(iii) सड़कें अपेक्षाकृत कम व्यकित्यों, कम दूरी तथा कम वस्तुओं के परिवहन में मितव्ययी है |


प्रश्न 2. व्यापर से आप समझते है ? स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करें ?

उत्तर

विभिन्न राज्यों या देशों में मध्य विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के लेन देन को व्यापर कहा जाता है |

अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय व्यापार में निम्नलिखित अंतर हैं:

अंतर्राष्ट्रीय व्यापारस्थानीय व्यापार
  • व्यापार दो देशों के बीच होता है।
  • यह समुद्र, वायु या भूमि मार्ग से हो सकता है
  • किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की उन्नति उसकी आर्थिक समृद्धि का सूचक है।
  • व्यापार देश के अंदर ही होता है
  • यह सड़क या रेलवे के माध्यम से हो सकता है।
  • स्थानीय व्यापार का आगे बढ़ना स्थानीय लोगों की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।


प्रश्न 3. सीमान्त सड़कों का महत्त्व बताएँ।

उत्तर

किसी देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमान्त सड़कों का अत्याधिक महत्व होता है। इन सड़कों की सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंच आसान और सुलभ है। यह हमारी रक्षा तैयारियों को भी मजबूत करता है।


प्रश्न 4. जनसंचार के साधनों से होने वाले किन्हीं तीन लाभों की चर्चा कीजिए। 

उत्तर

  • स्वस्थ मनोरंजन करता है। 
  • राष्ट्रीय कार्यक्रम और नीतियों के बारे में जागरूक करता है। 
  • ज्ञानवर्धक है। 
  • खेल संबंधी कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाता है। 
  • दूरदर्शन राष्ट्रीय समाचार और संदेश का माध्यम है।


प्रश्न 5. आज भारतीय रेल के सामने कौन-कौन-सी समस्याएँ हैं ?

उत्तर

  • बिना टिकट यात्रा
  • जंजीरों को अनावश्यक रूप से खींचने से देरी और व्यवधान उत्पन्न होता है जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनें देर से चलती हैं।
  • अत्यधिक भीड़


प्रश्न 6. पर्यटन एक उद्योग या व्यापार के रूप में अर्थव्यवस्था के विकास में किस प्रकार सहायक है ? 

उत्तर

  • पिछले कुछ वर्षों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
  • 150 लाख से अधिक लोग इस उद्योग में लगे हुए हैं।
  • स्थानीय हस्तकला और सांस्कृतिक उद्यमों को विकास के अवसर प्राप्त हुए हैं।
  • विदेशी मुद्रा की प्राप्ति। 
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा। 


प्रश्न 7. स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग की तीन विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर

  • यह 6 लेन वाला महामार्ग है। 
  • यह भारत की मेगा सिटीज दिल्ली, मुंबई, चेन्नई व कोलकाता को जोड़ता है। 
  • यह मेगा सिटीज के बीच की दूरी व समय को कम करता है। 
  • यह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है। 
  • यह हमारे देश की एक प्रमुख सड़क विकास परियोजना है। 


प्रश्न 8. तीन रेलवे क्षेत्रों व उनके मुख्यालयों के नाम लिखिए। 

उत्तर

  • उत्तरी रेलवे क्षेत्र – नई दिल्ली 
  • पश्चिमी रेलवे क्षेत्र – मुंबई 
  • दक्षिणी रेलवे क्षेत्र – चेन्नई


प्रश्न 9. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के परिवहन में पाइपलाइनों के लाभ बताइए।

उत्तर

  • यह दुर्गम क्षेत्रों, घने जंगलों, रेगिस्तानों और ऊंचे पहाड़ों पर परिवहन का सस्ता साधन है।
  • यह वाहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है।


प्रश्न 10. सड़क परिवहन के दो गुण बताइए।

उत्तर

  • अपेक्षाकृत उबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़के बनाई जा सकती हैं।
  • अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़के निर्मित की जा सकती हैं।
  • यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।


    प्रश्न 11. सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक महत्वपूर्ण है, क्यों ? 

    उत्तर

    • सड़क परिवहन रेल परिवहन से पहले प्रारंभ किया गया। 
    • निर्माण तथा व्यवस्था सुविधाजनक है। 
    • हमें घरों तक पहुँचाती है। 
    • पहाड़ी क्षेत्रों, दुर्गम क्षेत्रों तथा उबड़-खाबड़ स्थानों पर भी आसानी से बनाई जा सकती है। 
    • अन्य परिवहन साधनों में सड़क परिवहन एक कड़ी के रूप में काम करता है।


    प्रश्न 12. वायु परिवहन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। 

    उत्तर

    • आरामदायक साधन है।
    • सभी साधनों के मुकाबले सबसे तेज़ है। 
    • दुर्गम स्थानों के लिए उपयुक्त है। 
    • कम समय में दूसरे स्थान पर पहुँचा देता है। 
    • बॉर्डर पर सेना के रखरखाव व भोजन सामग्री जल्दी से पहुँचाने हेतु महत्त्वपूर्ण है। 


    दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

    प्रश्न 1. पिचले पन्द्रह वर्षा में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें ?

    उत्तर

    विगत 15 वर्षों में भारत के विश्व व्यापार में भारी परिवर्तन देखने में आया है । वर्तमान में भारत से वस्तुओं के आदान-प्रदान की, सूचनाओं, ज्ञान और प्रौद्योगिकी के आदान प्रदान में बढ़ोतरी हुई है । आज भारत विदेशी व्यापार में एक सॉफ्टवेयर महाशक्ति है | भारत के विदेशी व्यापार की कतिपय महत्वपूर्ण प्रवृत्तियाँ इस तरह हैं:

    • भारत द्वारा आयातित वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पादकों में बढ़ोतरी का प्रतिशत 41.87 % तथा कोक तथा कोयले का गोला एवं कोयले का आयात 94.17% रहा |
    • भारत द्वारा तकरीबन 67.01% उर्वरकों का विदेशी में आयात किया जाता है |
    • भारत द्वारा किए जाने वाले वृहद् मशीनरी के आयात में 39.09% की वृद्धि हुई है |
    •  पिछले तीन दशकों के दौरान भारत के पर्यटन उद्योग में काफी बढ़ोतरी हुई है| वर्ष 2004 के दौरान इसमें 23.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 21,828 करोड़ रूपये विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हुई |


    प्रश्न 2. पाइपलाइन परिवहन के लाभ बताइए? 

    उत्तर

    • पाइपलाइन द्वारा शहरों और उद्योगों में पानी पहुंचाने के साथ गैस, खनिज तेल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।
    • समय की बचत होती है। बीच की चोरी और बर्बादी को रोका जा सकता है।
    • पाइपलाइन बिछाने की लागत अधिक है परन्तु इसको चलाने की लागत कम है। 
    • पाइपलाइन द्वारा परिवहन शीघ्र, सुरक्षित और आसान हो जाता है। 
    • रेलों पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सकता है। 


    प्रश्न 3. संचार के कौन-कौन-से मुख्य साधन हैं ? इनका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक भूमिका का संक्षेप में वर्णन करें।

    उत्तर

    व्यक्तिगत संचार और जनसंचार जिसमें टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल, प्रेस, फिल्म, कंप्यूटर आदि शामिल हैं, देश में संचार के प्रमुख साधन हैं।

    संचार की भूमिका:

    • भारतीय डाक सेवा दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है। यह पार्सल के साथ-साथ व्यक्तिगत लिखित संचार भी प्रदान करता है। संचार मनोरंजन प्रदान करता है और विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करता है।
    • भारत एशिया के सबसे बड़े दूरसंचार नेटवर्कों में से एक है। शहरी स्थानों को छोड़कर भारत के दो-तिहाई से अधिक गांवों को पहले ही सब्सक्राइबर ट्रंक डायलिंग (STD) टेलीफोन सुविधा से कवर किया जा चुका है।
    • भारत में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं। समाचार पत्र लगभग 100 भाषाओं में प्रकाशित होते हैं।
    • भारत दुनिया में फीचर फिल्मों का सबसे बड़ा निर्माता है। यह लघु फिल्में बनाता है; वीडियो फीचर फिल्में और वीडियो लघु फिल्में।


    प्रश्न 4. परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवन-रेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं

    उत्तर

    परिवहन और संचार के सभी तरीके दुनिया को करीब लाने का प्रयास करते हैं। रेलवे, जलमार्ग, सड़कों, एयरलाइनों का एक अच्छा नेटवर्क माल और लोगों को तेजी से यात्रा करने में मदद करता है और किसी देश को जीवन रेखा प्रदान करता है। इसी तरह टेलीफोन, फिल्म, इंटरनेट, किताबें, अखबार जैसे संचार के साधन लोगों के बीच दूरियां कम करने में मदद करते हैं क्योंकि लोग दूर से ही उनके बारे में जान सकते हैं। इसलिए परिवहन और संचार के साधनों को राष्ट्र और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहा जाता है।


    प्रश्न 5. रेलों के जाल के असमान वितरण के कारण लिखिए ? 

    उत्तर

    • मैदानी भागों में निर्माण व लागत कम और आसान है। 
    • पर्वतीय भागों में निर्माण कठिन व लागत अधिक होती है। 
    • मैदानी भागों में जनसंख्या घनत्व अधिक है जिसके कारण रेलों का जाल बिछा है। 
    • मरूस्थलीय व पठारी भागों में औद्योगिक व कृषि कार्य विकसित न होने के कारण रेलों का घनत्व कम है। प्रशासकीय कारणों व सरकारी नीतियों के कारण भी रेलवे का विकास प्रभावित होता है।

    Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Extra Questions Class 10 Political Science

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    Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

    Questions and Answers for Satta ki Sajhedari Class 10 Political Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

    Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

    सत्ता की साझेदारी Important Questions

    अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

    प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क क्या है?

    उत्तर

    सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है कि यह लोकतंत्र की आत्मा है।


    प्रश्न 2. युक्तिपरक तर्क किस बात को महत्त्व देता है?

    उत्तर

    युक्तिपरक तर्क लाभकारी परिणामों पर जोर देता है।


    प्रश्न 3. ‘माओवादी’ किसे कहते हैं?

    उत्तर

    चीनी नेता माओं के विचारधरा को मानने वाले को माओंवादी कहलाते है।


    प्रश्न 4. सन् 2000 में बोलिविया में जन संघर्ष का प्रमुख आधर क्या था?

    उत्तर

    जल आपूर्ति का अधिकार बहुराष्ट्रीय कंपनी को सौंप दिए गए थे। 


    प्रश्न 5. श्रीलंका में कितने जातीय समूह के लोग रहते हैं?

    उत्तर

    श्रीलंका में सिंहली, श्रीलंकाई मूल के तमिल, भारतवंशी तमिल, ईसाई तथा मुसलमान जातीय समुदाय रहते हैं।


    प्रश्न 6. श्रीलंका में किन दो समुदायों के मध्य संघर्ष जारी है?

    उत्तर

    सिंहली और तमिल समुदायों के मध्य।


    प्रश्न 7. शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे को क्या कहते हैं?

    उत्तर

    शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के वितरण को 'सत्ता का क्षैतिज वितरण'कहते हैं।


    प्रश्न 8. ‘लामबंदी’ किसे कहते हैं?

    उत्तर

    जनहित के लिए लोगों का एकजुट होकर आंदोलन चलाना।


    प्रश्न 9. बेल्जियम के सीमावर्ती राज्य कौन से हैं?

    उत्तर

    बेल्जियम के सीमावर्ती राज्य नीदरलैंड, फ्रांस और जर्मनी हैं।


    प्रश्न 10. बेल्जियम में तुलनात्मक रूप से कौनसे लोग ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं?

    उत्तर

    बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं।


    प्रश्न 11. बेल्जियम में कितने भाषा-भाषी लोग रहते हैं?

    उत्तर

    बेल्जियम में 59% डच, 40% फ्रेंच और 1% जर्मन भाषी लोग रहते हैं।


      प्रश्न 12. बामसेफ (BAMCEF) का शब्द-विस्तार लिखिए?

      उत्तर

      बैकवर्ड एंड माइनॉरिजीट कम्युनिटी एम्पलॉइज फेडेरेशन।


      प्रश्न 13. जातीय का क्या अर्थ है?

      उत्तर

      जातीय का अर्थ है साझा संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन।


      प्रश्न 14. लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त क्या है?

      उत्तर

      लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि जनता ही सारी राजनैतिक शक्ति का स्रोत है।


      प्रश्न 15. गृह-युद्ध से क्या आशय है?

      उत्तर

      किसी मुल्क में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध-सा लगे तो उसे गृह-युद्ध कहते हैं।


      लघु उत्तरीय प्रश्न

      प्रश्न 1. बेल्जियम को समाज की जातीय बुनावट की दृष्टि से कितने क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है?

      उत्तर

      चार क्षेत्रों में-

      1. राजधानी क्षेत्र-ब्रूसेल्स 
      2. फ्रेंच भाषी क्षेत्र-वेलोनिया, 
      3. डच भाषी क्षेत्रफ्लेमिश तथा 
      4. जर्मन भाषी क्षेत्र।


      प्रश्न 2. सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों का उल्लेख कीजिए ? 

      उत्तर

      • सत्ता का क्षैतिज वितरण:विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।
      • सत्ता का उर्ध्वाधर वितरण: केन्द्रीय सरकार, प्रांतीय सरकार और स्थानीय सरकार। 
      • सामुदायिक सरकार:विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी। 
      • दबाव समूह:दबाव समूहों के द्वारा भागदारी।


      प्रश्न 3. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

      उत्तर

      श्रीलंका 1948 में एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपने प्रभुत्व के आधार पर सरकार पर प्रभुत्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया। इसे सुरक्षित करने के लिए श्रीलंका सरकार ने बहुसंख्यकवाद को अपनाया। 1956 में, सिंहली को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए एक अधिनियम पारित किया गया, इस प्रकार तमिल की उपेक्षा की गई। सरकार ने उन नीतियों का पालन किया जो विश्वविद्यालय पदों और अन्य सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों का पक्ष लेती थीं। साथ ही, एक नए संविधान ने यह भी स्थापित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।


      प्रश्न 14. दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूहों का उदाहरण दीजिए |

      उत्तर

      ऐसा समुह जो अपनी उदेश्य या माँगों की पूर्ति के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर दबाव डालती है उन्हे दबाव समुह कहते है। 

      उदाहरण:

      • किसान संघ 
      • मजदूर संघ 
      • छात्र संगठन 
      • अध्यापक संघ 
      • धार्मिक संगठन 
      • व्यापार संघ


      प्रश्न 5. सन् 1990 से 2004 के बीच नेपाल में लोकतंत्रा की स्थापना के लिए कौन-कौन से प्रयास किये गए ?

      उत्तर

      नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए निम्न प्रयास किये गए।

      1. संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक ‘सेवेन पार्टी अलायंस’ (सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए.) बनाया गया।
      2. नेपाल की राजधनी काठमांडू में चार दिन के ‘बंद’ का आह्वान किया। इस प्रतिरोध् ने जल्दी ही अनियतकालीन ‘बंद’ का रूप ले लिया।
      3. आंदोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम’ दे दिया लाखों के तादात में लोग सड़कों पर उतर आए ।


      प्रश्न 6. अप्रैल 2006 में नेपाल में हुए जन-आन्दोलन का क्या कारण था? और इसके क्या परिणाम हुए। 

      उत्तर

      नेपाल के राजा वीरेन्द्र की हत्या होने के बाद नेपाल में एक राजनितिक संकट पैदा हो गई । नया शासक राजा ज्ञानेन्द्र लोकतांत्रिक शासन को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। तब तत्कालीन प्रधनमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया गया । शीघ्र ही इस कार्यवाही के विरुद्ध नेपाल में जन आन्दोलन शुरू हो गया । वहॉ के लोग लोकतंत्र की बहाली चाहते थे और सता जनता के हाथ में सौपना चाहते थे। इसके विरुद्ध अनेक जन संघर्ष हुए और अंततः राजा को जनता की सारी मांगे माननी पडी ।


      प्रश्न 6. श्रीलंका में गृहयुद्ध के क्या कारण थे ? Most Important

      उत्तर

      श्रीलंका में गृहयुद्ध के कारण इस प्रकार हैं:

      • श्रीलंका में सिंहली द्वारा बहुसंख्यकवाद का अनुसरण किया गया।
      • सिंहल को राष्ट्रीय भाषा बनाना, इस प्रकार तमिल की उपेक्षा करना।
      • सरकारों ने उस नीति का पालन किया जो विश्वविद्यालय पदों और अन्य सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों का पक्ष लेती थी।
      • एक नए संविधान ने यह भी स्थापित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।

      इन सभी सरकारी उपायों ने धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों में अलगाव की भावना को बढ़ावा दिया जो गृह युद्ध का कारण बन गया।


      प्रश्न 7. श्रीलंकाई तमिलों की मांगों का वर्णन करो?

      उत्तर

      श्रीलंकाई तमिलों की मांगें इस प्रकार थीं:

      1. संविधान और सरकार की नीतियों को उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिए।
      2.  नौकरी और अन्य अवसर पाने में तमिलों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और उनके हितों की अनदेखी की जानी चाहिए।
      3.  तमिल भी एक आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।
      4.  उन्हें शिक्षा और नौकरी हासिल करने में क्षेत्रीय स्वायत्तता और अवसर की समानता होनी चाहिए।
      5.  दो समुदायों के बीच विश्वास बहाल किया जाना चाहिए।


      प्रश्न 8. समाज में स्त्रियों की दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।

      उत्तर

      समाज में स्त्रियों की दयनीय स्थिति के चार कारण हैं:

      1. पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में शिक्षा का अभाव है।
      2. स्त्रियों के बीच पर्दा प्रथा कायम है।
      3. बालविवाह, विधवा विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियाँ इसके लिए अधिक जिम्मेवार हैं।
      4. दहेज प्रथा भी स्त्रियों की दशा खराब करने में मदद पहुँचा रही है।


      प्रश्न 9. धर्म एवं राजनीति के संबंधों को स्पष्ट करें।

      उत्तर

      गाँधी जी का कहना था कि धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता है। गाँधी जी के अनुसार धर्म की आशय नैतिकता से था। निश्चित तौर पर राजनीति का नैतिक मूल्यों से निर्देशित होना चाहिए। नैतिकता विहीन राजनीति लोक विरोधी एवं निरंकश हो जाती है। देश के कल्याण के लिए यह आवश्यक है कि धर्मों के अच्छे विचारों, आदर्शों एवं मूल्यों को राजनीति में स्थान दिया जाए। राजनीति में यह भी देखा जाना चाहिए कि किसी धर्म विशेष के साथ भेदभाव या तुष्टीकरण तो नहीं किया जा रहा है।


        प्रश्न 10. लोकतंत्र में ‘नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था’ से आप क्या समझते हैं ?

        उत्तर

        लोकतंत्र में सरकार के विभिन्न अंगों जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी होती है 

        • सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। 
        • कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है उदाहरण के लिए मंत्री विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं। 
        • न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है परंतु न्यायपालिका ही कार्यपालिका तथा विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को ‘नियंत्रण और संतुलन’ की व्यवस्था कहते हैं।


        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति विभाजन (सत्ता की साझेदारी) पर एक टिप्पणी लिखिये।

        उत्तर

        प्रत्येक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के तीन अंग होते हैं:

        1. विधायिका,
        2. कार्यपालिका और,
        3. न्यायपालिका।

        विधायिका का कार्य कानूनों का निर्माण करना है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है तथा उन व्यक्तियों को दण्ड देती है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।

        सरकार के तीनों अंगों के कार्यों का इस प्रकार विभाजन इस बात को निश्चित करता है कि किसी एक अंग के पास असीमित शक्तियाँ एकत्रित नहीं होंगी तथा प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण रखता है। इससे शक्ति सन्तुलन बना रहता है तथा शासन सुचारु रूप से चलता रहता है।


        प्रश्न 2. बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में परस्पर संघर्ष के क्या कारण थे? इस समस्या का समाधान किस प्रकार किया गया?

        उत्तर

        बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में संघर्ष के कारण-बेल्जियम में 59% डच भाषा-भाषी, 40% फ्रेंच भाषा-भाषी लोग रहते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स में 80% फ्रेंच भाषा-भाषी तथा 20% डच भाषा-भाषी लोग रहते बेल्जियम में फ्रेंच भाषी समूह अधिक धनी व शक्तिशाली है। आर्थिक एवं शिक्षा के विकास के प्रश्न को लेकर डच भाषी समूह ने फ्रेंच भाषी समूह का विरोध किया। इस कारण 1950 से 1960 के दशक में परस्पर संघर्ष तथा तनाव बढ़ता चला गया।

        समस्या का समाधान- इस संघर्ष के समाधान हेतु दोनों ने 1970 से 1993 के मध्य संविधान में निम्न चार संशोधन कर सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था को लागू किया है-

        • केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर होगी। विशेष कानून हेतु दोनों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी।
        • केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ राज्य सरकारों को प्रदान कर दी गई हैं। 
        • राजधानी ब्रूसेल्स की सरकार में दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व दिया गया है। 
        • स्थानीय सरकारों को डचों, फ्रांसीसियों तथा जर्मन भाषा-भाषियों द्वारा मिलकर चुना जायेगा।


        प्रश्न 3. आप बेल्जियम और श्रीलंका में अपनाए गए सिद्धांतों यानी श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद और बेल्जियम में आवास से क्या सीखते हैं?

        उत्तर

        हम श्रीलंका और बेल्जियम में बहुसंख्यकवाद और समायोजन के सिद्धांतों से निम्नलिखित सबक सीखते हैं:

        • बेल्जियम में, नेताओं ने सभी समुदायों की भावनाओं और हितों का सम्मान किया और देश की एकता को बनाए रखने में सफल रहे। 
        • उन्होंने क्षेत्रीय मतभेदों और सांस्कृतिक विविधताओं के अस्तित्व को मान्यता दी।
        • उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था तैयार करने के लिए संविधान में संशोधन जैसे विभिन्न कदम उठाए जो सभी को एक ही देश में एक साथ रहने में सक्षम बनाए। 
        • ब्रुसेल्स और केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी लोगों के समान संख्या में मंत्री जैसी व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक काम किया है।

        दूसरी ओर श्रीलंका में, सिंहली समुदाय ने सरकार पर प्रभुत्व हासिल करने की कोशिश की और बहुसंख्यकवादी उपायों की एक श्रृंखला को अपनाया। इसका परिणाम श्रीलंकाई तमिलों का अलगाव और गृहयुद्ध था।

        इस प्रकार यह सिद्ध करता है कि नीति और समायोजन का मार्ग प्रमुख अधिनायकवाद के मार्ग से बेहतर है।


        प्रश्न 4. बहुसंख्यकवाद क्या है? श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद किस प्रकार फैला? इससे क्या समस्याएँ उत्पन्न हुईं? इसका क्या परिणाम हुआ?

        उत्तर

        श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का उद्भव-सन् 1948 में श्रीलंका के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के साथ ही वहाँ बहुसंख्यकवाद का उद्भव होना शुरू हो गया। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना, चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत निम्न प्रमुख कदम उठाए-

        • 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल भाषा की उपेक्षा करते हुए सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
        • विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति चलाई गई। 
        • नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।

        प्रश्न 5. श्रीलंकाई तमिलों के अलगाव के क्या कारण थे? इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ा?

        उत्तर

        श्रीलंकाई तमिलों को अलग-थलग महसूस करने के निम्नलिखित कारण थे:

        1.  अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद श्रीलंकाई सरकार ने बहुसंख्यकवादी नीतियों को अपनाया जिसने देश के अन्य सभी जातीय समूहों पर सिंहल के प्रभुत्व को स्थापित किया।
        2.  1956 के अधिनियम द्वारा, तमिल की अवहेलना करते हुए सिंहल को एकमात्र आधिकारिक भाषा बना दिया गया था।
        3.  विश्वविद्यालय के पदों और सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों को प्राथमिकता दी गई।
        4.  संविधान ने निर्धारित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।
        5.  इन उपायों ने धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों में अलगाव की भावना को बढ़ाया।

        इस भावना ने सिंहल और तमिल के बीच तनावपूर्ण संबंधों को जन्म दिया जिससे बाद में देश में लंबे समय तक गृहयुद्ध हुआ।

        श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से उत्पन्न समस्याएँ:

        • श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के चलते इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। 
        • उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।
        • उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
        • नौकरियों और फायदे के अन्य कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है।

        परिणाम:

        • श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के कारण तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
        • श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया।
        • 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
        • श्रीलंका में दो समुदायों के बीच का यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत हुआ। परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हजारों लोग मारे गये।
        • अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणार्थी बन गए। 
        • लाखों लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई। 
        • गृहयुद्ध से श्रीलंका के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा हुई हैं। 2009 में इस गृहयुद्ध का अंत हुआ।


        प्रश्न 6. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।

        उत्तर

        आधुनिक लोकतंत्रों में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप इस प्रकार हैं:

        1. सत्ता सरकार के विभिन्न समूहों, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच विभाजित है। इस तरह की शक्ति साझेदारी एक अलगाव सुनिश्चित करती है जिससे कोई भी अंग असीमित शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता है।
        2. सत्ता को विभिन्न स्तरों पर सरकारों के बीच भी साझा किया जा सकता है – पूरे देश के लिए एक आम सरकार और प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर पर सरकारें।
        3. सत्ता को विभिन्न सामाजिक समूहों, जैसे धार्मिक और भाषाई समूहों के बीच भी साझा किया जा सकता है।
        4. सत्ता साझेदारी व्यवस्था को राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों के रूप में भी देखा जा सकता है।

        Chapter 2 संघवाद Extra Questions Class 10 Political Science

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        Chapter 2 संघवाद Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

        Questions and Answers for Sanghwad Class 10 Political Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 2 संघवाद Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

        Chapter 2 संघवाद Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

        संघवाद Important Questions

        अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. संघीय व्यवस्था कैसे गठित होती है ?

        उत्तर

        संघीय व्यवस्था तब बनती है जब दो या दो से अधिक स्वतंत्र राज्य अपनी मर्जी से एक साथ आते हैं।


        प्रश्न 2. अधिकार क्षेत्र से आप क्या समझते हैं ?

        उत्तर 

        वह क्षेत्र जिस पर किसी का कानूनी अधिकार है। क्षेत्र को भौगोलिक सीमाओं के संदर्भ में या कुछ प्रकार के विषयों के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है।


        प्रश्न 3. श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से कौनसी शासन व्यवस्था है?

        उत्तर

        श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी भी एकात्मक शासन व्यवस्था है।


        प्रश्न 4. एकात्मक शासन व्यवस्था से क्या आशय है?

        उत्तर

        एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं।


        प्रश्न 5. चार देशों के नाम बताएँ जहाँ एकात्मक प्रकार की सरकार है।

        उत्तर

        एकात्मक प्रकार की सरकार वाले प्रमुख देश हैं:

        1. ब्रिटेन,
        2. इटली,
        3. जापान और,
        4. श्रीलंका।


        प्रश्न 6. समवर्ती सूची से क्या आशय है?

        उत्तर

        समवर्ती सूची में ऐसे विषयों की सूची है जिन पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं।


        प्रश्न 7. पंचायत समिति क्या होती है ?

        उत्तर

        पंचायत समिति ग्राम पंचायतों का एक समूह है।


        प्रश्न 8. संघवाद को परिभाषित करें।

        उत्तर

        संघवाद सरकार की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता एक केंद्रीय प्राधिकरण और देश या संघ की विभिन्न घटक इकाइयों के बीच विभाजित होती है।


        प्रश्न 9. ग्राम सभा क्या है ?

        उत्तर

        ग्राम सभा गांव के सभी वयस्क सदस्यों की एक बैठक है जिसमें लोग सीधे भाग लेते हैं और अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से जवाब मांगते हैं।


        प्रश्न 10. संघ सूची क्या है?

        उत्तर

        संघ सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के 97 विषय रखे गये हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को दिया गया है।


        प्रश्न 11. राज्य सूची क्या है?

        उत्तर

        राज्य सूची वह सूची है जिसमें उन विषयों को गिनाया गया है जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया है।


        प्रश्न 12. समवर्ती सूची के विषयों पर कानून कौन बनाता है ? 

        उत्तर

        केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार।


        प्रश्न 13. भारत के राज्यों में पंचायत और नगर पालिका के चुनाव करवाने वाली संस्था का नाम क्या है ?

        उत्तर

        राज्य निर्वाचन आयोग


        प्रश्न 14. स्थानीय शासन वाली कौन-कौन सी संस्थाएँ शहरों में काम करती हैं ?

        उत्तर

        नगरपालिका और नगर निगम


        प्रश्न 15. ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु क्या है ?

        उत्तर

        21 वर्ष


        लघु उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. भाषायी राज्यों का गठन क्यों हुआ? इसके क्या लाभ हुए?

        उत्तर

        भारत में भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए हुआ कि एक भाषा बोलने वाले क्षेत्र एक राज्य में आ जायें।

        भाषायी राज्यों से लाभ:

        1. भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत और मजबूत हुआ है।
        2. इससे प्रशासन व्यवस्था भी सुविधाजनक हो गया है। 


        प्रश्न 2. राज्य सूची में रखे गये किन्हीं 5 विषयों के नाम लिखिये। 

        उत्तर

        राज्य सूची के 5 विषय ये हैं:

        1. पुलिस, 
        2. व्यापार, 
        3. वाणिज्य, 
        4. कृषि, 
        5. सिंचाई


        प्रश्न 3. समवर्ती सूची के किन्हीं 5 विषयों को गिनाइये।

        उत्तर

        समवर्ती सूची के 5 विषय ये हैं:

        1. शिक्षा 
        2. वन 
        3. विवाह 
        4. मजदूर-संघ और 
        5. उत्तराधिकार


        प्रश्न 4. भारतीय संघ में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के बारे में बताइये।

        उत्तर

        भारतीय संघ के सारे राज्यों को बराबर अधिक नहीं हैं। कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है, जैसे कि असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को। ये अपने विशिष्ट सामाजिक तथा ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण भारत के संविधान के कुछ प्रावधानों (अनुच्छेद 371) के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाते हैं। ये विशेष शक्तियाँ स्वदेशी लोगों, उनकी संस्कृति और सरकारी सेवाओं में अधिमान्य रोजगार के भूमि अधिकारों के संरक्षण के लिए उपयोगी हैं।


        प्रश्न 5. भारत की भाषा नीति क्या है ? 

        उत्तर:

        • भारत में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा न देकर हिंदी और अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। 
        • अंग्रेजी को राजकीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है, विशेषकर गैर हिन्दी भाषी प्रदेशों को देखते हुए। 
        • सभी राज्यों की मुख्य भाषा का विशेष ख्याल रखा गया है। 


        प्रश्न 6. 73वें संविधान संशोधन, 1992 की प्रमुख दो विशेषताएँ लिखिये। 

        उत्तर

        1992 में 73वें संविधान संशोधन की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

        1. अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
        2. अब इन निकायों के सदस्यों के निर्वाचन में अनुसूचित जाति, जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों तथा महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं।


        प्रश्न 7. भारतीय संविधान में सत्ता के बँटवारे का किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है?

        उत्तर

        केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा भारतीय संविधान की बुनियादी बात है। अधिकारों के इस बँटवारे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन करना होगा। इसमें पहले संशोधन को संसद के दोनों सदनों में पृथक्पृथक् दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया जाना आवश्यक है। इसके बाद कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से उसे मंजूर करवाना होता है।


        प्रश्न 8. पंचायतों की मुख्य परेशानियों का वर्णन करें। 

        उत्तर

        पंचायतों की मुख्य परेशानियाँ: 

        • जागरूकता का अभाव।
        • धन का अभाव। 
        • अधिकारियों की मनमानी।
        • जन सहभागिता में कमी। 
        • केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा समय पर वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराना। 
        • चुनाव नियमित रूप से नहीं होते।


        प्रश्न 9. 1992 के संविधान संशोधन द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था में विकेन्द्रीकरण को प्रभावी बनाने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं ?

        उत्तर:

        • स्थानीय निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना अनिवार्य है। 
        • कम से कम एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 
        • हर राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का गठन किया गया है। 
        • राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा स्थानीय निकायों को देना पड़ा। 


        प्रश्न 10. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ ?

        उत्तर

        भारत में बेल्जियम से मिलती-जुलती विशेषता यह है कि दोनों देशों में संपूर्ण देश के लिए एक संघ सरकार का गठन किया गया है। अलग विशेषता यह है कि बेल्जियम की केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं, जबकि भारत में केंद्र सरकार अनेक मामलों में राज्य सरकार पर नियंत्रण रखती है।


        प्रश्न 11. किस प्रकार बेल्जियम की सरकार एकात्मक शासन प्रणाली से संघात्मक शासन में बदली?

        उत्तर

        बेल्जियम की केन्द्रीय सरकार ने 1993 में संविधान संशोधन करके प्रांतीय सरकारों को कुछ संवैधानिक अधिकार दिए। इन अधिकारों के लिए प्रांतीय सरकारें अब केन्द्र पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन की जगह संघीय शासन प्रणाली अपना ली।


        प्रश्न 12. संघवाद या संघीय शासन व्यवस्था क्या है ? इसकी विशेषताएँ लिखिए। 

        उत्तर

        • संघीय व्यवस्था में सत्ता केन्द्रीय सरकार और अन्य सरकारों में बंटी होती है। 
        • संघीय व्यवस्था में दो या दो से अधिक स्तर की सरकारें होती हैं। 
        • केंद्र सरकार राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर कानून बनाती है और राज्य सरकारें राज्य से संबंधित विषयों पर। 
        • दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर अपना काम करती हैं।
        • केन्द्र तथा राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित हैं।


        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में तीसरे स्तर को कैसे शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया ?

        उत्तर

        1992 में लोकतंत्र के तीसरे स्तर को अधिक शक्तिशाली और प्रभावी बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया गया था।

        1. अब स्थानीय सरकारी निकायों के लिए नियमित चुनाव कराना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है।
        2. इन संस्थानों के निर्वाचित निकायों और कार्यकारी प्रमुखों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
        3. सभी पदों में से कम से कम एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
        4. प्रत्येक राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक एक स्वतंत्र संस्था बनाई गई है।
        5. राज्य सरकारों को स्थानीय सरकारी निकायों के साथ कुछ शक्तियां और राजस्व साझा करना आवश्यक है। साझा करने की प्रकृति अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।

        प्रश्न 2. एकात्मक और संघात्मक सरकारों के बीच अंतर स्पष्ट करें।

        उत्तर

        एकात्मक शासन व्यवस्था

        संघात्मक शासन व्यवस्था

        इसमें केन्द्र सरकार शक्तिशाली होती है। 

        इसमें केन्द्रीय सरकार अपेक्षाकृत कमजोर होती है। 

        इसके अंतर्गत संविधान संशोधन केन्द्र सरकार कर सकती है।

        इसमें केन्द्र सरकार अकेले संविधान संशोधन नहीं कर सकती है। 

        शक्तियाँ एक जगह पर केंद्रित होती हैं। 

        शक्तियाँ कई स्तरों पर विभाजित होती हैं। 

        इसमें एक ही नागरिकता होती है। 

        कई संघीय व्यवस्था वाले देशों में दोहरी नागरिकता होती है।

        केन्द्र सरकार राज्यों से शक्तियाँ ले सकती हैं। 

        दोनों स्तर की सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र होती हैं।


        प्रश्न 3. भारतीय संघवाद किस प्रकार कार्य करता है?

        उत्तर

        भारतीय संघवाद का क्रियान्वयन भारत सरकार ने भारतीय संघवाद को सुचारु रूप से चलाने के लिए कई नीतियों को अपनाया है। यथा-

        1. भाषायी राज्यों का गठन: स्वतंत्रता के बाद 1956 में सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू कर कई राज्यों का भाषायी आधार पर गठन किया। इसके बाद कुछ अन्य राज्यों का गठन संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं की विभिन्नताओं को रेखांकित करने और उन्हें आदर देने के लिए भी किया गया। जैसे-नागालैंड, उत्तराखंड और झारखण्ड आदि। भाषावार राज्य बनाने से देश ज्यादा एकीकृत और मजबूत हुआ।
        2. भाषा नीति: भारत एक बहुभाषायी देश है। भारतीय संविधान में 22 भाषाएँ दी गई हैं । हरेक राज्य अपनी भाषा तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र है। हिंदी को राजभाषा माना गया है, लेकिन गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों की माँग पर अंग्रेजी का भी प्रयोग जारी रखा गया है।
        3. केन्द्र-राज्य सम्बन्ध-:संघवाद के लिए यह आवश्यक है कि केन्द्र और राज्यों के रिश्ते अच्छे रहें। 1990 के बाद केन्द्र में बनी गठबंधन सरकारों से सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी है।

        उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि भारत एक संघीय देश है जिसने हमेशा संघवाद के सुचारु रूप से कार्य करने का प्रयास किया है।


        प्रश्न 4. संविधान संशोधन 1992 से पहले और बाद में स्थानीय स्वशासन के बीच किन्ही तीन अंतरों को बताएं।

        उत्तर

        1992 के संशोधन से पहले1992 के संशोधन के बाद
        स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ मौजूद थीं, लेकिन उनकी स्थिति और शक्तियों को संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया था।संशोधन ने पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे स्थानीय स्वशासन की मौलिक संस्थाओं के रूप में उनका अस्तित्व सुनिश्चित हुआ। इसमें इन संस्थानों की शक्तियों, संरचना और कार्यों का भी विवरण दिया गया है।
        पंचायतों में अनुसूचित जाति (एस.सी.), अनुसूचित जनजाति (एस.टी.) और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं था।संशोधन ने पंचायतों में एस.सी., एस.टी. और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण को अनिवार्य कर दिया। यह स्थानीय शासन में हाशिए पर मौजूद वर्गों का अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
        निर्णय लेने और प्रशासनिक शक्तियाँ अक्सर सरकार के उच्च स्तरों पर केंद्रित होती थीं, जिससे स्थानीय निकायों की स्वायत्तता सीमित हो जाती थी।संशोधन का उद्देश्य पंचायतों को शक्तियों का विकेंद्रीकरण करना, उन्हें आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय से संबंधित योजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के अधिकार के साथ सशक्त बनाना है। इस विकेंद्रीकरण का उद्देश्य शासन को लोगों के करीब लाना और स्थानीय विकास को बढ़ाना था।


        प्रश्न 5. भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है इस तथ्य को साबित करने वाले मुख्य सिद्धांतों को लिखें। 

        उत्तर

        • भारत में केन्द्र, राज्य और स्थानीय, तीन स्तरों पर सरकारें हैं। 
        • भारत में एक लिखित एवं विस्तृत संविधान है।
        • प्रत्येक स्तर की सरकार के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट वर्णित
        • संविधान के मौलिक प्रावधानों को कोई एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती।
        • सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या का अधिकार। 
        • केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों को संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में बांटा जाना।
        • वित्तीय स्वायतता के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए अलग-अलग स्रोत।


        प्रश्न 6. संविधान द्वारा प्रस्तावित संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों के बँटवारे की तीन सूची व्यवस्था का वर्णन कीजिए।

        उत्तर

        संविधान द्वारा संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों का बँटवारा निम्नलिखित तीन सूचियों के द्वारा किया गया है:

        • संघ सूची-संघ सूची में दिये गए विषयों पर केवल केन्द्र सरकार कानून बना सकती है। ये विषय राष्ट्रीय महत्त्व के हैं, जैसे-रक्षा, वित्त, विदेश विभाग आदि।
        • राज्य सूची-राज्य सूची में दिए गए विषयों पर केवल राज्य सरकार कानून बना सकती है। ये स्थानीय महत्त्व के विषय हैं, जैसे- कृषि, पुलिस, वाणिज्य इत्यादि।
        • समवर्ती सूची-इस सूची में गिनाए गए विषयों पर केन्द्र तथा राज्य सरकारें दोनों ही कानून बना सकती हैं। एक ही समय में किसी एक विषय पर दोनों सरकारों के कानून में टकराहट होने की स्थिति में केन्द्र का कानून मान्य होगा और राज्य का कानून निरस्त हो जायेगा।
        • अवशिष्ट विषय शेष विषय केन्द्र सरकार को प्रदान किये गये हैं।

        Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Extra Questions Class 10 Political Science

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        Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

        Questions and Answers for Jati, Dharm aur Laingik Masale Class 10 Political Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

        Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

        जाति, धर्म और लैंगिक मसले Important Questions

        अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. साम्प्रदायिक राजनीति का क्या अर्थ है?

        उत्तर

        जब राजनीति में और धर्मों की तुलना में एक धर्म की श्रेष्ठता दर्शायी जाए तो इसे साम्प्रदायिक राजनीति कहते हैं।


        प्रश्न 2. लिंगानुपात किस कहते हैं?

        उत्तर

        प्रत्येक 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं |


        प्रश्न 3. जातिवाद से क्या आशय है?

        उत्तर

        जब राजनेता चुनावी लाभ के लिए जातिगत चेतना उकेरकर उसका लाभ उठाने का प्रयास करते हैं, तो इस प्रक्रिया को जातिवाद कहा जाता है।


        प्रश्न 4. नारीवाद का क्या अर्थ है?

        उत्तर

        नारीवाद एक विचार है जो यह कहता है कि स्त्रियों को भी समाज में वही स्थिति प्राप्त हो जो पुरुषों को प्राप्त है।


        प्रश्न 5. नारीवादी आन्दोलन किसे कहते है ?

        उत्तर

        वह आन्दोलन जो स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार दिलाने के लिए चलाए गए थे, नारीवादी आंदोलन कहे जाते हैं।


        प्रश्न 6. श्रम के लैंगिक विभाजन से क्या आशय है?

        उत्तर

        काम के बँटवारे का वह तरीका जिसमें घर के अन्दर के सारे काम परिवार की औरतें करती हैं और बाहर के काम पुरुष।


        प्रश्न 7. श्रम के लैंगिक विभाजन का क्या परिणाम निकला?

        उत्तर

        इससे महिलाएँ तो घर की चारदीवारी में सिमट कर रह गयीं और बाहर का सार्वजनिक जीवन पुरुषों के कब्जे में आ गया।


        प्रश्न 8. लैंगिक असमानता का आधार क्या है?

        उत्तर

        लैंगिक असमानता का आधार है-प्रचलित रूढ़ छवियाँ और तयशुदा सामाजिक भूमिकाएँ।


        प्रश्न 9. पेशागत स्थानापन्न किसे कहते हैं?

        उत्तर

        जब एक व्यक्ति अपने पेशे को बदलता है अर्थात् एक पेशे को छोड़कर दूसरे पेशे को अपना लेता है तो इसे पेशागत स्थानापन्न कहते हैं।


        प्रश्न 10. पारिवारिक कानूनों का क्या अर्थ है?

        उत्तर

        पारिवारिक कानून वे कानून हैं जो पारिवारिक मसलों-विवाह, गोद, तलाक, उत्तराधिकार आदि को हल करने के लिए बने हों।


        प्रश्न 11. विश्व के किन देशों में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर काफी ऊँचा है?

        उत्तर

        स्वीडन, नार्वे और फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों में।


        लघु उत्तरीय प्रश्न

        प्रश्न 1. भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कारण बताइए। 

        उत्तर:

        • महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का अभाव है।
        • पुरूष अभी भी महिलाओं को आगे आने नहीं देते। 
        • राजनीतिक दल महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुपात में टिकट नहीं देते। 
        • महिलाओं की साक्षरता दर भी कम है।


        प्रश्न 2. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की विशेषताएँ लिखिए। देश की आबादी में उनके प्रतिशत क्या हैं ? 

        उत्तर

        अनुसूचित जातियाँ :वे जातियाँ जो हिन्दू सामाजिक व्यवस्था में उच्च जातियों से अलग और अछूत मानी जाती हैं तथा जिनका अपेक्षित विकास नहीं हुआ है। 

        अनुसूचित जनजातियाँ : ऐसा समुदाय जो साधारणतया पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में रहते हैं और जिनका बाकी समाज से अधिक मेलजोल नहीं है। साथ ही उनका विकास नहीं हुआ है। अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 16.2 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 8.2 प्रतिशत है।


        प्रश्न 3. भारत में महिलाओं की निम्न और दयनीय स्थित के लिए उत्तरदायी किन्ही तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए |

        उत्तर

        भारत में महिलाओं की निम्न और दयनीय स्थित के लिए उत्तरदायी कारण:

        • शिक्षा में महिलाओं का निम्न स्तर |
        • महिलाओं में लैंगिक असमानता का होना |
        • राजनीति में महिलाओं की उपेक्षा |
        • महिलाओं के साथ सामाजिक भेदभाव |


        प्रश्न 4. क्यों महिलाओं द्वारा किये जाने वाले कार्य दिखते नहीं अथवा उन्हें पहचान प्राप्त नहीं होती?

        उत्तर

        महिलाएँ घरेलू कार्य करती हैं जिसके एवज में उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता है, जबकि पुरुष बाहर जाकर उन्हीं कार्यों को करके पैसा कमाकर लाता है। पैसा कमाने से पुरुषों को पहचान प्राप्त होती है और महिलाओं को घरेल कार्यों के कोई पैसा न मिलने के कारण उन्हें पहचान प्राप्त नहीं होती है।


        प्रश्न 5. जाति पर विशेष ध्यान देने से राजनीति में नकारात्मक परिणाम कैसे आ सकते हैं ?

        उत्तर

        केवल जाति की पहचान पर आधारित राजनीति, लोकतंत्र में बहुत स्वस्थ नहीं है। 

        • यह गरीबी, विकास और भष्टाचार जैसे अन्य महत्व के मुद्दों से ध्यान हटा सकता है। 
        • जातीय विभाजन से तनाव, संघर्ष और यहां तक कि हिंसा भी होती है।


        प्रश्न 6. भारत सरकार ने नारी असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं ? 

        उत्तर

        भारत सरकार ने नारी असमानता को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

        • दहेज को अवैध घोषित करना।
        • पारिवारिक सम्पत्तियों में स्त्री-पुरूष को बराबर हक। 
        • कन्या भ्रूण हत्या को कानूनन अपराध घोषित करना। 
        • समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक का प्रावधान। 
        • नारी शिक्षा पर विशेष जोर देना। 
        • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसी योजना।


        प्रश्न 7. महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता देश के विकास के लिए आवश्यक है | इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए किन्ही चार कदमों का उल्लेख कीजिए |

        उत्तर

        • राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना |
        • राजनीति में महिलाओं को 33% सीटों पर आरक्षण देना |
        • 2006 में घरेलु हिंसा निवारक अधिनियम लाना|
        • 1961 का दहेज़ निषेध अधिनियम |
        • कन्याभ्रूण हत्या को क़ानूनी अपराध घोषित करना |


        प्रश्न 8. धर्म और राजनीति के सम्बन्ध में गाँधीजी के क्या विचार थे?

        उत्तर

        महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म को कभी भी राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता। धर्म से उनका अभिप्राय नैतिक मूल्यों से था जो सभी धर्मों से जुड़े हैं। गाँधीजी का मानना था कि राजनीति धर्म द्वारा स्थापित मूल्यों से निर्देशित होनी चाहिए।


        प्रश्न 9. भारतीय विधायिका में महिलाओं का अनुपात क्या है ? विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है ? 

        उत्तर

        लोक सभा 2019 में महिलाएं 14 प्रतिशत है। राज्य विधानसभाओं में महिलाएं 5 प्रतिशत है।

        • विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए, महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण कानूनी रूप से पंचायतों की तरह बाध्यकारी होना चाहिए।
        • पंचायत में 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 
        • कुछ राज्य जहां महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें पहले से ही आरक्षित हैं, वे हैं बिहार, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश।


        प्रश्न 10. साम्प्रदायिकता से क्या अभिप्राय है?

        उत्तर

        साम्प्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अन्य समूहों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास करते हैं। इस मानसिकता के अनुसार या तो एक धार्मिक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के वर्चस्व में रहना होगा अथवा फिर उनके लिए अलग राष्ट्र बनाना होगा।


        प्रश्न 11. आधुनिक भारत में जाति और जाति व्यवस्था में बदलाव के पीछे का कारण बताएं। 

        उत्तर

        आधुनिक भारत में जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण महान परिवर्तन हुए हैं

        • आर्थिक विकास 
        • बड़े पैमाने पर शहरीकरण 
        • साक्षरता और शिक्षा का विकास 
        • व्यावसायिक गतिशीलता
        • गांव में जमींदारों की स्थिति का कमजोर होना।


        प्रश्न 12. सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने वाले तीन तथ्यों का उल्लेख कीजिए |

        उत्तर

        1. एक धर्म को अन्य धर्मों से बेहतर मानना |
        2. धर्म के आधार पर वोट बैंक का निर्माण करना |
        3. राजनैतिक दलों द्वारा धार्मिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देना |
        4. कट्टरपंथी विचारधारा |


        प्रश्न 13. साम्प्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।

        उत्तर

        सांप्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूप निम्नलिखित है:

        • साम्प्रदायिकता के आधार पर राजनीति करने वाले लोग या राजनेता |
        • सम्प्रदाय के आधार पर राजनितिक दलों का अलग-अलग खेमों में बंट जाना |
        • राजनितिक लाभ के लिए सांप्रदायिक हिंसा या टकराव उत्पन्न होना |
        • सांप्रदायिक दिशा में राजनीति की गतिशीलता |
        • धार्मिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण |


        प्रश्न 14. साम्प्रदायिकता का समाज पर पड़ने वाले तीन प्रमुख दुष्प्रभावों का उल्लेख कीजिए |

        उत्तर

        • विभिन्न धार्मिक गुटों में लड़ाई झगड़ा का होना |
        • यह लोकतंत्र और राजनीति को प्रभावित करता है जिसमें अधिकांश मतदाता साम्प्रदायिकता के आधार पर चुनाव करते है |
        • कई साम्प्रदायिकता ताकतें अपनी भड़काऊ भाषण से समाज में लड़ाई -दंगे फैलवाते है |


        प्रश्न 15. जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं किये जा सकते। कारण लिखिए। 

        उत्तर

        • मतदाताओं में जागरूकता – कई बार मतदाता जातीय भावना से ऊपर उठकर मतदान करते हैं। 
        • मतदाताओं द्वारा अपने आर्थिक हितों और राजनीतिक दलों को प्राथमिकता। 
        • किसी एक संसदीय क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत न होना।
        • मतदाताओं द्वारा विभिन्न आधारों पर मतदान करना। 


        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

        प्रश्न 1. नारीवादी आंदोलन किस कहते हैं ? इसकी विशेषताओं और प्रभाव को बताइए? 

        उत्तर

        महिलाओं के राजीतिक और वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने, उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की माँग और उनके व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन में बराबरी की मांग करने वाले आंदोलन को नारीवादी आंदोलन कहते हैं। 

        विशेषताएँ :

        • यह आंदोलन महिलाओं के राजनैतिक अधिकार और सत्ता पर उनकी पकड़ की वकालत करता है। 
        • इसमें महिलाओं को घर की चार-दीवारी के भीतर कैद रखने और घर के सभी कामों का बोझ डालने का विरोध सम्मिलित है। 
        • यह पितृसत्तात्मक परिवार को मातृसत्तात्मक बनाने की ओर अग्रसर हैं। 
        • महिलाओं की शिक्षा तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में उनके व्यवसाय, सेवा आदि का समर्थक है। 
        • यह महिलाओं के हर प्रकार के शोषण का विरोध करता है।

         

        प्रश्न 2. जातिवाद से आप क्या समझते हैं? राजनीति में जाति के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिये।

        उत्तर

        जातिवाद से आशय जातिवाद इस मान्यता पर आधारित है कि जाति ही सामाजिक समुदाय के गठन का एकमात्र आधार है। एक जाति के लोगों के हित एक जैसे होते हैं तथा दूसरी जाति के लोगों से उनके हितों का कोई मेल नहीं होता।

        भारतीय राजनीति में जाति के अनेक रूप दिखाई देते हैं। यथा-

        • उम्मीदवारों का चुनाव जातियों की संख्या के हिसाब से-राजनैतिक दल चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करते समय चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की जातियों का हिसाब ध्यान में रखते हैं ताकि उन्हें चुनाव जीतने के लिए जरूरी वोट मिल जाएँ।
        • सरकार के गठन में जतियों को प्रतिनिधित्व देना सरकार का गठन करते समय भी राजनीतिक दल इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसमें विभिन्न जातियों के लोगों को उचित स्थान मिले।
        • जातिगत भावनाओं को भड़काकर वोट पाने की कोशिश राजनीतिक दल और उम्मीदवार समर्थन हासिल करने के लिए जातिगत भावनाओं को उकसाते हैं।
        • जातिगत गोलबंदी और निम्न जातियों में राजनैतिक चेतना का उदय सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और एक व्यक्ति एक वोट की व्यवस्था से उन जातियों के लोगों में नई चेतना पैदा हुई है जिन्हें अभी तक छोटा और नीच माना जाता था।


        प्रश्न 3. भारत में स्वतंत्रता के उपरांत महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुए हैं परंतु वे अभी भी पुरूषों से काफी पीछे हैं। इस कथन को विभिन्न तथ्यों और साक्ष्यों से समझाइए। 

        उत्तर

        • साक्षरता की दर:महिलाओं में साक्षरता की दर 54 प्रतिशत है जबकि पुरुषों में 76 प्रतिशत। 
        • ऊँचा वेतन और ऊँची स्थिति के पद, इस क्षेत्र में पुरूष महिलाओं से बहुत आगे हैं। 
        • असमान लिंग अनुपात: अभी भी प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या 933 है। 
        • घरेलु और सामाजिक उत्पीड़न 
        • जन प्रतिनिधि संस्थाओं में कम भागीदारी अथवा प्रतिनिधित्व। 
        • महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आर्थिक आत्मनिर्भरता कम।

         

        प्रश्न 4. अगर एक सी सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों, तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए। 

        उत्तर

        • किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो सकते हैं, जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिये में अंतर हो सकता है। 
        • उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं, लेकिन यहाँ के लोग प्रोस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बंटे हुए हैं। 
        • उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म में शहरी समानता है। वहाँ कैथोलिक समुदाय गरीब है और उनके साथ भेदभाव होता है। 
        • नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच समानता नहीं है। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों ही अमीर एवं गरीब हैं। 
        • उत्तरी आयरलैंड में दोनों ही समुदायों में भारी मारकाट चलती है परंतु नीदरलैंड में ऐसा नहीं है।


        प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिये कि आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

        उत्तर

        जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा-

        • औसत आर्थिक हैसियत अभी भी जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) के साथ गहरा सम्बन्ध दर्शाती है; क्योंकि ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है, दलित और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, जबकि पिछड़ी जातियाँ बीच की स्थिति में हैं।
        • गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों में ज्यादा बड़ी संख्या सबसे निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है और पिछड़ी जातियों की स्थिति बीच की है।
        • आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं, लेकिन यहाँ भी ऊँची जाति वालों का अनुपात ज्यादा है और निचली जातियों का कम।

         

        प्रश्न 6. लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में किस प्रकार महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने में मदद की है ?

        उत्तर

        लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया है :

        • आज विभिन्न पेशे में महिलाओं की भूमिका पहले से अधिक देखने को मिलती है। जैसे-डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक आदि। 
        • पहले उपर्युक्त कामों के लिए महिलाओं को योग्य नहीं समझा जाता था। 
        • दुनिया के कुछ चुनिन्दा देशों जैसे-नार्वे फिनलैंड आदि में महिलाओं की भागीदारी का स्तर ऊँचा है। 
        • भारत में आजादी के बाद महिलाओं का प्रतिनिधित्व राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़ा है, परन्तु अभी भी वे पुरुषों से काफी पीछे हैं।


        प्रश्न 7. भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।

        उत्तर

        भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शासन हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसी आधार पर संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

        • कोई धर्म राजधर्म नहीं भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
        • कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है।
        • धार्मिक भेदभाव का निषेध-संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।
        • धार्मिक मामलों में शासन के हस्तक्षेप की इजाजत भारत का संविधान धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए शासन को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार देता है। जैसे यह छुआछूत की इजाजत नहीं देता।
        • इससे स्पष्ट होता है कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान की बुनियाद है। 


          प्रश्न 8. भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।

          उत्तर

          भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शासन हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसी आधार पर संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

          • कोई धर्म राजधर्म नहीं भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
          • कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है।
          • धार्मिक भेदभाव का निषेध-संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।
          • धार्मिक मामलों में शासन के हस्तक्षेप की इजाजत भारत का संविधान धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए शासन को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार देता है। जैसे यह छुआछूत की इजाजत नहीं देता।
          • इससे स्पष्ट होता है कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान की बुनियाद है।


            प्रश्न 9. अगर एक सी सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों, तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए। 

            उत्तर

            • किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो सकते हैं, जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिये में अंतर हो सकता है। 
            • उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं, लेकिन यहाँ के लोग प्रोस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बंटे हुए हैं। 
            • उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म में शहरी समानता है। वहाँ कैथोलिक समुदाय गरीब है और उनके साथ भेदभाव होता है। 
            • नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच समानता नहीं है। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों ही अमीर एवं गरीब हैं। 
            • उत्तरी आयरलैंड में दोनों ही समुदायों में भारी मारकाट चलती है परंतु नीदरलैंड में ऐसा नहीं है।


            प्रश्न 10. स्पष्ट कीजिये कि आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

            उत्तर

            जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा-

            • औसत आर्थिक हैसियत अभी भी जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) के साथ गहरा सम्बन्ध दर्शाती है; क्योंकि ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है, दलित और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, जबकि पिछड़ी जातियाँ बीच की स्थिति में हैं।
            • गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों में ज्यादा बड़ी संख्या सबसे निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है और पिछड़ी जातियों की स्थिति बीच की है।
            • आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं, लेकिन यहाँ भी ऊँची जाति वालों का अनुपात ज्यादा है और निचली जातियों का कम।

            Extra Questions for Chapter 4 राजनीतिक दल Class 10 Political Science

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            Chapter 4 राजनीतिक दल Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

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            Chapter 4 राजनीतिक दल Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

            राजनीतिक दल Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. राजनीतिक दल की परिभाषा दीजिए।

            उत्तर

            ऐसा संगठन जो देश की सता पर कब्जा जमाना चाहता हैं। राजनीतिक दल कहलाता है।


            प्रश्न 2. राष्ट्रीय दल को परिभाषित कीजिए।

            उत्तर

            ऐसे राजनितिक दल जो पुरे देश में फैले होते है अथवा जो कम से कम 4 प्रदेशों में 6% से अधिक मत प्राप्त करते है राष्ट्रिय दल कहते हैं |


            प्रश्न 3. भारत में राजनीतिक दल चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव कैसे करते हैं?

            उत्तर

            भारत में राजनीतिक दलों के नेता ही चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं।


            प्रश्न 4. दल-बदल से आप क्या समझते हैं ?

            उत्तर

            विधायिका के लिए किसी दल-विशेष से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधि का उस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में चले जाना।


            प्रश्न 5. क्षेत्रीय दल से क्या तात्पर्य है?

            उत्तर

            ऐसे राजनितिक दल जो एक विशेष क्षेत्र तक सीमित होते है।


            प्रश्न 6. विपक्षी दल क्या करता है?

            उत्तर

            विपक्षी दल सरकार की गलत नीतियों और असफलताओं की आलोचना करते हुए अपनी राय को जनता के समक्ष रखता है।


            प्रश्न 7. किसी दल की पहचान किससे तय होती है?

            उत्तर

            किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार से तय होती है।


            प्रश्न 8. राजनीतिक दल का प्रमुख गुण क्या है?

            उत्तर

            राजनीतिक दल एक संगठित समूह होता है।


            प्रश्न 9. कम्युनिस्ट पार्टी किन सिद्धान्तों में आस्था रखती है?

            उत्तर

            भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र के सिद्धान्तों में आस्था रखती है।


            प्रश्न 10. संयुक्त राज्य अमेरिका में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है?

            उत्तर

            संयुक्त राज्य अमेरिका में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है।


            प्रश्न 11. द्विदलीय व्यवस्था से क्या आशय है?

            उत्तर

            जहाँ सिर्फ दो ही दल सरकार बनाने के प्रबल दावेदार होते हैं, उसे द्विदलीय व्यवस्था कहते हैं।


            प्रश्न 12. शासक दल से क्या आशय है?

            उत्तर

            जिस दल का शासन हो या जिस दल की सरकार बनी हो, उसे शासक दल कहते हैं।


            प्रश्न 13. भारत में बहुदलीय व्यवस्था क्यों है?

            उत्तर

            हर देश अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप दलीय व्यवस्था विकसित करता है। भारत की सामाजिक और भौगोलिक विविधताओं को समेट पाने में दो-तीन पार्टियाँ अक्षम हैं, इसलिए यहाँ बहुदलीय व्यवस्था विकसित हुई है।


            प्रश्न 14. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और उसकी नीतियों एवं कार्य के बारे में बताइए।

            उत्तर

            भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुआ था। ए. ओ. ह्युम नामक एक अंग्रेज अधिकारी ने किया था।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. राजनितिक दलों के कोई तीन गुण लिखिए।

            उत्तर

            • ये जनता से जुडी मुददों पर नीतियाँ बनाते हैं |
            • ये समान राजनितिक विचारधारा के होते है।
            • ये संगठित रूप से एक राजनितिक इकाई के रूप में कार्य करते है।


            प्रश्न 2. राजनीतिक दल जनमत का निर्माण किस प्रकार करते हैं?

            उत्तर

            राजनीतिक दल मुद्दों को उठाते हैं और उन पर बहस करते हैं। विभिन्न दलों द्वारा विभिन्न समस्याओं के बारे में जनता के समक्ष जो अलग-अलग राय रखी जाती है, उन्हीं के इर्द-गिर्द ही समाज या जनता अपना जनमत बनाती है।


            प्रश्न 2. भारत में राजनीतिक दलों में जन-भागीदारी के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के लिए 1967 में यह अनुपात जहाँ 5% के आस-पास था, वह 2004 में बढ़कर 15 प्रतिशत के आस-पास हो गया है। यह अनुपात कनाडा, जापान, स्पेन और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों से भी ज्यादा है।


            प्रश्न 3. लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों होती है? तीन कारण दीजिए।

            उत्तर

            राजनीतिक दलों के बीना लोकतंत्र में शासन व्यवस्था नहीं चल सकती क्योंकि ये निम्न भुमिका अदा करते है।

            • देश के लिए कानून बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करते है।
            • वे जनता का प्रतिनिधित्व करते है और मतदाता के सामने विभिन्न नीतियों को रखते है जिनमें से जनता अपनी पसंद का चुनाव करती है।
            • ये सरकार बनाते है और चलाते है और विपक्ष की भुमिका निभाते है।
            • विभिन्न मुददों पर जनता की राय लेते है |


            प्रश्न 4. राजनीतिक दलों की उन चार प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए, जिनका सामना राजनीतिक दल कर रहे हैं।

            उत्तर

            • लोकतंत्र में कामकाज की गडबडियों के लिए राजनितिक दलों को जिम्मेवार ठहराया जाता है।
            • आम जनता की नाराजगी भी राजनितिक दलों को झेलनी पडती है।
            • वंशवादी उतराधिकार की चुनौती जिससे योग्य लोगों को सेवा का मौका नहीं मिलता ।
            • राजनितिक दलों में अपराधी तत्वों की बढती हुई घूसपैठ ।


            प्रश्न 5. राजनीतिक दल की वंशवाद की चुनौती से क्या आशय है?

            उत्तर

            वंशवाद की चुनौती से यह आशय है कि अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं । यह दल के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय है। इससे अनुभवहीन और बिना जनाधार वाले लोग ताकत वाले पदों पर पहुँच जाते हैं। यह प्रवृत्ति लगभग पूरे विश्व के राजनीतिक दलों में विद्यमान है।


            प्रश्न 6. तब क्या होगा जब राजनीतिक दल नहीं होंगे?

            उत्तर

            अगर राजनीतिक दल नहीं होंगे तो चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार स्वतन्त्र रूप से खड़ा हो जायेगा। कोई उम्मीदवार सरकार की नीति सम्बन्धी कोई वायदा जनता के सम्मुख नहीं कर पायेगा। वह केवल अपने क्षेत्र के कार्यों के प्रति ही जिम्मेदारी लेगा। कोई भी देश के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा।


            प्रश्न 7. भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के स्तर में लगातार गिरावट हो रही है, इस संदर्भ में चार बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए जो राजनीतिक दलों में सुधार लाने के लिए प्रारम्भ किए गए हैं।

            उत्तर

            • दल बदल निरोधक कानून |
            • राजनितिक दलों में अपराधी प्रवृति के लोगों के प्रवेश को रोकना या उन्हें टिकट नहीं देना |
            • चुनाव पूर्व संपति की घोषणा करना |
            • भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को राजनीति से अलग करना |


            प्रश्न 8. राजनीतिक दल की विपक्ष की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            विधायिका में बहुमत हासिल न कर पाने वाले राजनीतिक दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं। वे विधायिका में सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछकर उन्हें कटघरे में खड़ा करते हैं तथा जनता के समक्ष जनसभाओं द्वारा जन-जागरूकता को बढ़ाते हैं तथा सरकार को नियन्त्रण में रखते हैं।


            प्रश्न 9. राजनीतिक दलों में सुधार लाने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए |

            उत्तर

            1. राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दबाव बनाया जाय ।
            2. सुधार की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं राजनितिक दलों में शामिल हो।
            3. स्वच्छ छवि के व्यक्ति को ही राजनिति में लिया जाय।
            4. आन्दोलन और मिडिया के माध्यम से उन पर दबाव बनाया जाय।


            प्रश्न 10. ‘राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।’ कथन की व्याख्या कीजिए। 

            उत्तर

            राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा]में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धान्त या लक्ष्य (विज़न) प्राय: लिखित दस्तावेज़ के रूप में होता है।


            प्रश्न 11. भारतीय जनता पार्टी का गठन कब हुआ? इसके दो प्रमुख कार्य बताइये।

            उत्तर

            भारतीय जनता पार्टी का गठन 1980 में किया गया।

            • राज्यों को केन्द्रीय आय तथा वितीय शक्तियों में बराबर की साझेदारी मिलें।
            • यह छोटे:छोटे राज्यों का समर्थन करता है।


            प्रश्न 12. साम्यवादी चीन में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है? समझाइये।

            उत्तर

            साम्यवादी चीन में एकदलीय राजनैतिक व्यवस्था है। वहाँ केवल साम्यवादी दल को ही शासन करने की अनुमति है। वहाँ चुनाव प्रणाली सत्ता के लिए स्वतन्त्र प्रतियोगिता की अनुमति नहीं देती। इसलिए कोई नया दल नहीं बन पाता है।


            प्रश्न 13. राजनीतिक दलों के चार प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।

            उत्तर

            • चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना |
            • विभिन्न नीतियों
            • कानून बनाने और संविधान संशोधन में निर्णायक भूमिका अदा करती हैं |
            • दल सरकार बनाते है और विपक्ष की भी भूमिका निभाते है |
            • ये जनता के सामने अपने:अपने एजेंडे को रखते है |


            प्रश्न 14. चुनाव आयोग के तीन प्रमुख कार्यों को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            • देश में निष्पक्ष चुनाव करवाना ।
            • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना।
            • राजनितिक दलों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना।
            • चुनाव के समय चुनाव आचार संहिता लागु करना।
            • विजयी उम्मीदवारों की नामों की घोषणा करना।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और उसकी नीतियों एवं कार्य के बारे में बताइए।

            उत्तर

            भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुआ था | ए. ओ. ह्युम नामक एक अंग्रेज अधिकारी ने किया था |

            इसकी नीतियाँ और कार्य :

            • यह लोकतंत्र, पंथनिरपेक्ष और समाजवाद हिमायती है |
            • यह अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को अपना मुख्य एजेंडा मानती है |
            • बाद में यह नयी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है |


            प्रश्न 2. बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख विचाराधारात्मक तत्त्वों की विवेचना कीजिए। 

            उत्तर

            राजनीतिक लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धान्त या लक्ष्य (विज़न) प्राय: लिखित दस्तावेज़ के रूप में होता है।

            ब्रिटेन में 1918 का लेबर पार्टी नामक राजनीतिक दल का एक पोस्टर, जिसमें दल ने प्रथम विश्व युद्घ में विजय समीप लाने का श्रय लेते हुए वोट मांगे।


            प्रश्न 3. भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख विचाराधात्मक तत्त्वों की विवेचना कीजिए। 

            उत्तर

            सामाजिक नीतियाँ एवं हिन्दुत्व भाजपा की आधिकारिक विचारधारा “एकात्म मानववाद” है।

            आर्थिक नीतियाँ

            • स्थापना के बाद से भाजपा की आर्थिक नीतियाँ बहुत सीमा तक बदलती रहीं है। इस दल के अन्दर विभिन्न प्रकार की आर्थिक विचार देखने को मिलते हैं।
            • 1980 के दशक में, अपने पितृ दल (भारतीय जनसंघ) की तरह इस दल के आर्थिक सोच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों की आर्थिक सोच का प्रभाव था।
            • भाजपा स्वदेशी तथा देशी उद्योगों को बचाने वाली व्यापार नीति की समर्थक थी। किन्तु भाजपा ने आन्तरिक उदारीकरण का समर्थन किया और राज्य द्वारा समर्थिक औद्योगीकरण का विरोध किया, जिसका कांग्रेस समर्थन करती थी।

            सुरक्षा एवं आतंकवाद-विरोधी नीतियाँ

            • सुरक्षा एवं आतंकवाद के विरोध से सम्बन्धित भाजपा की नीतियाँ कांग्रेस की नीतियों से अधिक आक्रामक और राष्ट्रवादी हैं.

            विदेश नीति

            • ऐतिहासिक रूप से भाजपा की विदेश नीति, जनसंघ की ही भांति, प्रचण्ड हिन्दू राष्ट्रवाद पर आधारित रही है जिसमें आर्थिक संरक्षणवाद का भी मिश्रण है।


            प्रश्न 4. विभिन्न प्रकार की दलीय व्यवस्था का वर्णन कीजिए। 

            उत्तर

            दल बनाना तथा दल-परिवर्तन
            • भारत में दल बनाना, दल परिर्वतन, टूट, विलय, विखराव, ध्रवीकरण आदि राजनैतिक दलों की कार्यशैली का महत्वपूर्ण रूप है ।
            • क्षेत्रीय दलों का उद्भव
            • भारत की दलीय व्यवस्था का एक दूसरा प्रमुख लक्षण राज्य स्तरीय दलों का उदय और उनकी बढ़ती भूमिका है
            • पारंपरिक कारकों पर आधारित
            • पश्चिमी देशों में राजनैतिक दल सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक कार्यक्रमों के आधार पर बनते हैं।
            • व्यक्तित्व का महिमामंडन
            • बहुधा दलों का संगठन एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।

            दलों का संगठन 

            • एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
            • एकदलीय व्यवस्था
            • अनेक दल व्यवस्था के बावजूद भारत में एक लंबे समय तक कांग्रेस का शासन रहा । अतः श्रेष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रजनी कोठारी ने भारत में एक दलीय व्यवस्था को एक दलीय शासन व्यवस्था अथवा कांग्रेस व्यवस्था कहा।
            • बहुदलीय व्यवस्था
            • देश का विशाल आकार, भारतीय समाज की विभिन्नता, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की ग्राह्यता, विलक्षण राजनैतिक प्रक्रियाओं तथा कई अन्य कारणों से कई प्रकार के राजनीतिक दलों का उदय हुआ है।


            प्रश्न 5. बहुदलीय व्यवस्था और गठबंधन सरकार प्रत्येक के तीन प्रमुख दोष बताइयें।

            उत्तर

            बहुदलीय व्यवस्था के दोष

            • बहुदलीय व्यवस्था में मतदाता भ्रमित हो जाता है |
            • इसमें बहुत कम मत प्रतिशत वाला भी विजयी हो जाता है |
            • कई बार किसी भी राजनितिक दल को बहुमत नहीं मिलता है |

            गठबंधन सरकार के दोष

            • ऐसी सरकारों में राजनैतिक अस्थिरता बनी रहती है अर्थात सरकार कब गिर जाएगी इसका पता नहीं होता है|
            • इसमें गठबंधन के सभी दलों का राय लेकर ही निर्णय करना पड़ता है |
            • बहुत सारे दल होने की वजह से निर्णय लेने में काफी समय लगता है |


            प्रश्न 6. बहुदलीय राजनैतिक प्रणाली लोकतंत्र के सफल संचालन में सहायक है अथवा बाधक। अपने उत्तर की पुष्टि में तीन तर्क दीजिए।

            उत्तर

            इस प्रश्न का कोइ अच्छा उतर नही है। यधपि कई मायनों में यह सहायक सावित हुआ है तो कई मायनों में यह बाधक भी है।

            निम्न मायनों में यह सहायक है:

            • इस प्रणाली में विभिन्न हितों और विचारों को राजनीतिक प्रतिनिध्त्वि मिल जाता है।
            • यह प्रणाली विशाल और विभिन्नता वाले देशों में सहायक है।
            • देश को राजनीतिक अस्थिरता से बचाती है।

            बाधक:

            • देश को राजनीतिक अस्थिरता की तरफ ले जाती है।
            • राजनितिक तथा समाजिक विभाजन का खतरा रहता है।
            • यह व्यवस्था बहुत घालमेल वाली हेाती है जो मतदाताओं को भ्रमित कर देता है।

            Extra Questions for Chapter 5 लोकतंत्र के परिणाम Class 10 Political Science

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            Chapter 5 लोकतंत्र के परिणाम Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

            Questions and Answers for Loktantra ke Parinam Class 10 Political Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 5 लोकतंत्र के परिणाम Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

            Chapter 5 लोकतंत्र के परिणाम Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

             लोकतंत्र के परिणाम Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. पारदर्शी प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            पारदर्शी प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें लोकतंत्र के निर्णय कायदे-कानून के अनुसार लिये जाते हैं।


            प्रश्न 2. ‘नागरिक स्वतंत्रता’ क्या है ? 

            उत्तर

            नागरिकों के मौलिक अधिकार जिनकी रक्षा कानून करता है।


            प्रश्न 3. किस कारण से अलग-अलग देशों में लोकतंत्र एक-दूसरे से अलग होते हैं?

            उत्तर

            प्रत्येक देश की अलग-अलग सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण अलग-अलग देशों में लोकतंत्र एक-दूसरे से अलग होते हैं।


            प्रश्न 4. तानाशाही, लोकतंत्र से ज्यादा दोषपूर्ण क्यों है?

            उत्तर

            तानाशाही में व्यक्ति की गरिमा को उपेक्षित किया जाता है जबकि लोकतंत्र में नहीं।


            प्रश्न 5. कुछ लोगों का अथवा एक दल का शासन क्या कहलाता है ?

            उत्तर

            तानाशाही या एक दलीय शासन व्यवस्था।


            प्रश्न 6. लोकतंत्र का कोई एक गुण बताइये।

            उत्तर

            लोकतंत्र एक उत्तरदायी, जिम्मेवार तथा वैध शासन की व्यवस्था करता है।


            प्रश्न 7. किस देश में आर्थिक असमानता सबसे कम है?

            उत्तर

            हंगरी में आर्थिक असमानता सबसे कम है।


            प्रश्न 8. सामाजिक असमानता का कोई एक रूप लिखिए। 

            उत्तर

            लिंग भेद, जातिभेद आदि।


            प्रश्न 9. अलोकतांत्रिक सरकारें लोकतंत्र की तुलना में जल्दी निर्णय क्यों ले लेती हैं?

            उत्तर

            अलोकतांत्रिक सरकारें लोकतंत्र की तुलना में जल्दी निर्णय ले लेती हैं क्योंकि उन्हें विधायिका का सामना नहीं करना होता है।


            प्रश्न 10. लोकतंत्र में निर्णय निर्माण में समय अधिक क्यों लगता है?

            उत्तर

            लोकतंत्र में निर्णय निर्माण पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद लिए जाने के कारण समय अधिक लगता है।


            प्रश्न 11. लोकतंत्र का क्या अर्थ है?

            उत्तर

            लोकतंत्र का अर्थ है बहुमत का शासन।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. लोकतंत्र के सिद्धान्तों को जीवन के सभी क्षेत्रों में कैसे लागू किया जा सकता है ? 

            उत्तर

            • किसी लोकतांत्रिक फैसले में उन सभी लोगों से राय- विचार करने तथा सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया शामिल है जो इस फैसले से प्रभावित होने वाले हैं। 
            • सभी व्यक्तियों को निर्णय निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार है। 
            • किसी भी धनी या शक्तिशाली व्यक्ति को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है।


            प्रश्न 2. लोकतांत्रिक सरकारों में फैसले लेने में अधिक समय क्यों लगता है?

            उत्तर

            लोकतांत्रिक सरकारों में फैसले लेने में अधिक समय लगता है क्योंकि:

            • लोकतांत्रिक सरकारों को विधायिका का सामना करना होता है। 
            • लोकतांत्रिक सरकारों को बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नजरिये का ख्याल रखना पड़ता है। 
            • लोकतंत्र में निर्णय बातचीत और मोल-तोल के आधार पर लिये जाते हैं। 


            प्रश्न 3. लोकतंत्र की विशेषताएँ लिखिए ? 

            उत्तर

            लोकतंत्र की विशेषताएँ:

            • नागरिकों में समानता को बढ़ावा देता है। 
            • व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाता है। 
            • इससे फैसलों में बेहतरी आती है। 
            • इसमें गलतियों को सुधारने का अवसर होता है। 
            • टकराव को सुलझाता है। 



            प्रश्न 4. लोकतंत्र में क्यों सरकारें जनता के प्रति उत्तरदायी होती हैं?

            उत्तर

            लोकतंत्र में सरकारें जनता के प्रति उत्तरदायी होती हैं क्योंकि उन्हें जनता द्वारा चुना और बनाया जाता है। यदि उन्होंने जनता के हित की अनदेखी की तो आगामी चुनावों में जनता उन्हें अपदस्थ कर देगी।


            प्रश्न 5. लोकतंत्र के सामाजिक परिणाम लिखिए ? 

            उत्तर

            लोकतंत्र के सामाजिक परिणाम:

            • लोकतांत्रिक व्यवस्था सद्भावनापूर्ण जीवन उपलब्ध कराती है। 
            • इसमें सामाजिक टकरावों की संभावना कम रहती है। 
            • व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है। 
            • लोकतंत्र में समाज के कमजोर वर्गों को समानता का दर्जा देने पर बल दिया जाता है।


            प्रश्न 6. गरीबी के सम्बन्ध में लोकतांत्रिक सरकारों के कामकाज के स्वरूप को स्पष्ट करें।

            उत्तर

            लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें, गरीबों का मत लेने के लिए उनकी गरीबी निवारण की चुनाव के समय बात करती हैं, लेकिन ये सरकारें बाद में गरीबी के प्रश्न पर खरी नहीं उतरती हैं।


            प्रश्न 7. लोकतांत्रिक सरकारों में निर्णय लेने में जो वक्त लगता है, वह बेकार क्यों नहीं जाता?

            उत्तर

            चूंकि लोकतांत्रिक सरकारें निर्णय लेने में एक प्रक्रिया को अपनाती हैं। इस प्रक्रिया को अपनाने से उन्हें निर्णय लेने में देरी हो जाती है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को अपनाने से यह संभावना अधिक होती है कि लोग उनके फैसलों को मानेंगे और वे ज्यादा प्रभावी होंगे। इस प्रकार लोकतंत्र में फैसला लेने में जो वक्त लगता है, वह बेकार नहीं जाता।


            प्रश्न 8. लोकतांत्रिक व्यवस्था को तानाशाही से बेहतर क्यों माना जाता है ? 

            उत्तर

            लोकतांत्रिक व्यवस्था को तानाशाही से बेहतर माना जाता है क्योंकि:

            • लोकतंत्र में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव होते हैं। 
            • लोकतंत्र में नीति तथा निर्णयों पर खुली बहस होती है। 
            • लोकतंत्र में वैध सरकार होती है। 
            • लोकतंत्र में नागरिकों की स्थिति बेहतर होती है।


            प्रश्न 9. पारदर्शिता से क्या आशय है?

            उत्तर

            शासन की उस व्यवस्था को पारदर्शिता कहते हैं जिसके अन्तर्गत नागरिक यह पता लगा सके कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं। यह जानने के लिए उसके पास साधन भी उपलब्ध हों।


            प्रश्न 10.  किन कारकों पर देश की आर्थिक उन्नति निर्भर करती है? कोई दो कारण बताइए।

            उत्तर

            देश का आर्थिक विकास निर्भर करती है:

            • देश के प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधन और स्रोत तथा 
            • अन्य देशों से सहयोग आदि कारकों पर निर्भर करता है।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. तानाशाही सरकार की तुलना में लोकतांत्रिक सरकार की कमियाँ बताएँ। 

            उत्तर

            • तानाशाही की तुलना में लोकतंत्र में निर्णय लेने में कुछ अधिक समय लगता है क्योंकि तानाशाही में औपचारिकता नहीं होती। 
            • तानाशाही सरकार की तुलना में लोकतांत्रिक सरकार ज्यादा खर्चीली है क्योंकि यहाँ निश्चित अवधि के बाद चुनाव होते है। 
            • तानाशाही में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार हो सकता है परंतु लोकतंत्र में हर स्तर पर भ्रष्टाचार हो सकता है। 
            • लोकतंत्र में चुनाव जीतने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जाता है जबकि तानाशाही में ऐसा नहीं होता है। 


            प्रश्न 2. लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।

            उत्तर

            लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के कार्य लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के कार्यों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

            • प्रभावी और उपयोगी फैसले लेना:लोकतांत्रिक सरकारों में यद्यपि अलोकतांत्रिक सरकारों की तुलना में देर से निर्णय लिये जाते हैं क्योंकि उसे फैसले लेते वक्त विधायिका का सामना करना होता है; उसे बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों के दृष्टिकोणों को ध्यान में रखना पड़ता है । लेकिन इसमें जो निर्णय किये जाते हैं, लोग उन्हें स्वीकार करते हैं तथा वे अधिक प्रभावी होते हैं।
            • निर्णय कायदे: कानून के अनुसार तथा पारदर्शी एवं जवाबदेह कार्यप्रणाली-लोकतंत्र में इस बात की पक्की व्यवस्था होती है कि निर्णय कुछ कायदे-कानून के अनुसार होंगे। इसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता पाई जाती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी सरकार का गठन होता है जो कायदे-कानूनों को मानेगी और लोगों के प्रति जवाबदेह होगी। लोकतांत्रिक सरकार नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने और खुद को उनके प्रति जवाबदेह बनाने वाली कार्यविधि भी विकसित कर लेती है।
            • नियमित और निष्पक्ष चुनाव तथा नए कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा:नियमित और निष्पक्ष चुनाव कराने और खुली सार्वजनिक चर्चा के लिए उपयुक्त स्थितियाँ बनाने के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ ज्यादा सफल हुई हैं।
            • सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य की स्थापना: लोकतांत्रिक सरकारें आमतौर पर अपने अन्दर की प्रतिद्वन्द्विताओं को संभालने की प्रक्रिया विकसित कर लेती हैं। इससे इन सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य बना रहता हैं।
            • व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा: व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था अन्य शासन प्रणाली की तुलना में अधिक अच्छा कार्य करती है। साथ ही लोकतांत्रिक सरकारों ने स्त्रियों की गरिमा और समानता के व्यवहार को आगे बढ़ाया है।


            प्रश्न 3. "शिकायतों को लोकतंत्र की सफलता का प्रमाण किस प्रकार माना जाता है?"चार तथ्यों की सहायता से स्पष्ट कीजिये।

            उत्तर

            शिकायतों को लोकतंत्र की सफलता का प्रमाण निम्न प्रकार माना जाता है:

            • लोकतन्त्र में अगर सरकार से किसी प्रकार की शिकायत की जाए तो इससे सरकार उस शिकायत को दूर करने का प्रयास करती है। इससे सरकार उत्तरदायी बनती है।
            • शिकायत करने से सरकार नागरिकों के कल्याण के प्रयास शुरू कर देती है जिससे लोकतंत्र सफल होता है।
            • शिकायतों का बने रहना भी लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गये हैं और वे सत्ता में बैठे लोगों के कामकाज का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने लगे हैं।
            • लोकतंत्र के कामकाज से लोगों का असंतोष जताना लोकतंत्र की सफलता को तो बताता है, साथ ही यह लोगों से प्रजा से नागरिक बनने की गवाही भी देता है।


            प्रश्न 4. क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि और लोगों के बीच असमानता का बढ़ना साथ-साथ होता है?

            उत्तर

            हाँ, लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि और लोगों के बीच असमानता का बढ़ना साथ-साथ होता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी मुट्ठीभर धन-कुबेर आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। इतना ही नहीं, देश की कुल आय में उनका हिस्सा भी बढ़ता गया है। समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर करने के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। उनकी आय गिरती गयी है। कई बार उन्हें अपनी आवश्यक आवश्यकताएँ पूरा करने में मुश्किल आती है।

            Extra Questions for Chapter 1 विकास Class 10 Economics

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            Chapter 1 विकास Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            Questions and Answers for Vikas Class 10 अर्थशास्त्र Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 1 विकास Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

            Chapter 1 विकास Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            विकास Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. राष्ट्रीय आय को परिभाषित कीजिए।

            उत्तर

            एक लेखा वर्ष में किसी देश में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़ को राष्ट्रीय आय कहते हैं।


            प्रश्न 2. मानव विकास सूचकांक क्या है?

            उत्तर

            देशों की तुलना हेतु संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा तैयार एवं प्रकाशित किया जाने वाला जीवन सूचकांक मानव विकास सूचकांक है।


            प्रश्न 3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ? 

            उत्तर

            राशन वितरण की वह प्रणाली जिसके द्वारा उचित मूल्यों पर गरीबों को सरकारी दुकानों के माध्यम से राशन बाँटा जाता है।


            प्रश्न 4. सामान्यतः विभिन्न देशों की तुलना किस आधार पर की जाती है?

            उत्तर

            सामान्यतः विभिन्न देशों की तुलना राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय के आधार पर की जाती है।


            प्रश्न 5. मानव विकास सूचकांक के किन्हीं दो सूचकों के नाम लिखिए।

            उत्तर

            • स्वास्थ्य 
            • शिक्षा। 


            प्रश्न 6. जन सुविधाओं का क्या अर्थ है ? 

            उत्तर

            वे सुविधाएँ जो मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक होती हैं।


            प्रश्न 7. साक्षरता दर का क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            साक्षरता दर 7 वर्ष तथा उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात दर्शाती है।


            प्रश्न 8. आर्थिक विकास का क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            आर्थिक विकास का अभिप्राय लोगों के जीवन को पहले से बेहतर बनाना है।


            प्रश्न 9. अनवीकरणीय संसाधनों का उचित उपयोग क्यों जरूरी है ?

            उत्तर

            क्योंकि ये संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।


            प्रश्न 10. विकास की धारणीयता का क्या तात्पर्य है?

            उत्तर

            विकास की धारणीयता का तात्पर्य विकास के स्तर को और ऊंचा उठाना तथा वर्तमान विकास स्तर को भावी पीढ़ी हेतु बनाए रखने से है।


            प्रश्न 11. क्या सिर्फ औसत आय के आधार पर विकास की गणना करना सही है। 

            उत्तर

            नहीं, क्योंकि उससे आय की असमानताओं का पता नहीं चलता।


            प्रश्न 12. भारत में राज्यों में तुलना करने के कोई दो आधार बताइए। 

            उत्तर

            • प्रति व्यक्ति आय 
            • साक्षरता दर। 


            प्रश्न 13. विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट में देशों के वर्गीकरण हेतु किस मापदण्ड का प्रयोग किया जाता है?

            उत्तर

            विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट में देशों के वर्गीकरण हेतु प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग किया जाता है।


            प्रश्न 14. जीवन प्रत्याशा से क्या अभिप्राय है ?

            उत्तर

            व्यक्ति के संभावित जीवित रहने का औसत वर्ष।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए?

            (क) शिशु मृत्युदर

            (ख) साक्षरता दर

            (ग) निवल उपस्थिति अनुपात

            उत्तर

            (क) किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात दिखाता है।

            (ख) साक्षरता दर 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अुनपात।

            (ग) निवल उपस्थिति अनुपात 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत।


            प्रश्न 2. विकास की धारणीयता से क्या मतलब है ? जल के उदाहरण की मदद से समझाइए?

            उत्तर

            देश का विश्व का विकास होता है बल्कि भविष्य में भी भावी पीढ़ी के लिए स्तर बना रहे।

            1. भूमगित जल एक प्राकृतिक संसाधन है।
            2. यह नवीकरणीय योग्य संसाधन है।
            3. इसका उपयोग सही प्रकार से करे जिससे भावी पीढ़ी भी उपयोग कर सके।
            4. जल की गुणवता को नहीं घटने देना चाहिए।


            प्रश्न 3. आर्थिक विकास के लिए साक्षरता क्यों अनिवार्य है? स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            आर्थिक विकास के लिए साक्षरता अनिवार्य है क्योंकि:

            1. यह ज्ञान और दक्षता देता है।
            2. रोजगार उत्पन्न करता है।
            3. आधुनिक तकनीक को लागू करने की क्षमता को बढ़ाता है।
            4. नए उद्योगों को स्थापित करने की क्षमता का विकास।
            5. लोगों को स्वच्छता, स्वास्थ्य विज्ञान तथा बीमारियों के प्रति जागरूक करना तथा नियंत्रित करना।


            प्रश्न 4. जन सुविधाओं का क्या अर्थ है? ये क्यों महत्वपूर्ण है? भारत में जन सुविधाओं के नाम लिखिए।

            उत्तर

            सार्वजनिक सुविधाएँ: ये सुविधाएं जो मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार सुविधाएं और सेवा प्रदान करती है।

            1. जीवन विकास के लिए आवश्यक है।
            2. ये सुविधाएं और सेवाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
            3. रक्षा, अस्पताल, गली की लाइट, पुलिस, सरकारी विद्यालय प्रदूषण मुक्त वातावरण, परिवहन, संक्रामक, बीमारियों से बचाब।


            प्रश्न 5. “विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न होते हैं और कभी-कभी ये परस्पर विरोधी भी हो सकते हैं”, इस कथन को स्पष्ट करो।

            उत्तर

            प्रत्येक व्यक्ति या समूह के विकास के लक्ष्य भिन्न भिन्न हो सकते हैं और कई बार इनकी प्रकृति परस्पर विपरीत भी हो सकती है। एक के लिए विकास का लक्ष्य दूसरे के लिए विनाश का कारण भी बन सकता है।

            उदाहरण- नदी पर बाँध बनाना, वहाँ के किसानों के विस्थापन का कारण बन सकता है।


            प्रश्न 6. भारत को विकसित देश बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

            उत्तर

            1. जनसंख्या नियन्त्रण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
            2. शिक्षा का प्रसार किया जाए व स्तर सुधारा जाए।
            3. चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि की जाए व विस्तार किया जाए।
            4. आय के समान वितरण के प्रयास किये जाए।


            प्रश्न 7. राष्ट्रीय विकास की धारणा के अन्तर्गत किन तथ्यों पर विचार किया जाता है?

            उत्तर

            सामान्यतः राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत इन तथ्यों के विषय में विचार किया जाता है कि क्या सभी विचारों को बराबर का महत्त्व दिया जा सकता है? यदि परस्पर विरोधी विचार हैं तो निर्णय कैसे किया जाएगा? सभी के लिए न्यायपूर्ण और सही राह क्या होगी? कार्य करने का क्या कोई बेहतर तरीका भी है? आदि।


            प्रश्न 8. मध्यपूर्व के देशों की प्रतिव्यक्ति आय अधिक होने के बावजूद भी उन्हें विकसित क्यों नहीं कहा जाता है?

            उत्तर

            इन्हें विकसित देश नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनका विकास का प्रदर्शन निम्नतर है:

            1. अधिकांश देशों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।
            2. पुरूषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार नहीं।
            3. एक धर्म के लोगों के साथ भेदभाव होना।
            4. साक्षरता दर निम्न होती है।
            5. लोगों के बीच असमानताएं।
            6. स्वास्थ्य सूचक अच्छे नहीं।


            प्रश्न 9. औसत आय किस प्रकार ज्ञात की जाती है तथा उन सूचकों को सूचीबद्ध कीजिए जिनके आधार पर मानव विकास सूचकांक बनाया जाता है?

            उत्तर

            औसत आय: किसी देश की कुल आय को उसकी कुल जनसंख्या से भाग देकर औसत आय निकाली जाती है।
            मानव विकास सूचकांक के सूचकों की सूची-वे सूचक जिनके आधार पर मानव विकास सूचकांक बनाया जाता है, इस प्रकार हैं-

            • शैक्षिक स्तर 
            • स्वास्थ्य की स्थिति 
            • प्रति व्यक्ति आय 
            • लिंग समानता आदि। 


            प्रश्न 10 पर्यावरण में गिरावट के कुछ उदाहरणों की सूची बनाओं।

            उत्तर

            • 1. खुली नालियों और नालों में गंदा पानी बहाना।
            • 2. खुले में घरों की गंदगी और कूडा-करकट फेंकना।
            • 3. घर के आस पास गढ्ढों में बरसात के पानी को हटाना।


            प्रश्न 11. विकास के विभिन्न पहलू कौन-कौन से है ?

            उत्तर

            1. अलग-अलग लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते है।
            2. एक के लिए विकास परन्तु दूसरे के लिए नहीं।
            3. उदाहरण उद्योगपति बिजली पाने के लिए अधिक बांध चाहते है परन्तु इससे किसानों के मकान व खेती की जमीन जलमग्न हो सकती है।
            4. विकास, जीवन में प्रगति एवं सुधार का बतलाता है।


            प्रश्न 12. विकास में शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            शिक्षा के माध्यम से लोगों के ज्ञान को बढ़ाया जा सकता है तथा उन्हें अधिक कुशल बनाया जा सकता है जिससे व्यक्ति अधिक उत्पादक बन जाता है। अतः शिक्षा के माध्यम से लोग अधिक आय का अर्जन कर सकते हैं। इससे उनके जीवन-स्तर में तो सुधार होता ही है, साथ ही देश की राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. सार्वजनिक सुविधाओं से क्या अभिप्राय है? सार्वजनिक सुविधाओं का क्या महत्त्व है?

            उत्तर

            हम अपने साधनों से सभी वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त नहीं कर पाते हैं जो बेहतर जीवन के लिए आवश्यक हैं, जैसे-स्वच्छ वातावरण, बिना मिलावट की वस्तुएँ, अच्छा स्वास्थ्य आदि । अतः सरकार कई वस्तुएँ लोगों को सामूहिक रूप से उपलब्ध करवाती है जो लोगों के बेहतर जीवन के लिए आवश्यक हैं, इन्हें सार्वजनिक सुविधाएँ कहते हैं।

            सार्वजनिक सुविधाओं का महत्त्व:

            • सार्वजनिक सुविधाओं के तहत लोगों की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है। 
            • सार्वजनिक सुविधाओं से लोगों के जीवन को अधिक बेहतर बनाने में मदद मिलती है। 
            • लोग जो वस्तुएँ स्वयं प्राप्त नहीं कर सकते वे सार्वजनिक सुविधाओं के तहत उन्हें उपलब्ध करवाई जाती हैं। 
            • इससे देश के विकास में मदद मिलती है। 
            • इससे लोगों का शैक्षणिक एवं शारीरिक विकास होता है।
            • इससे लोगों में कुपोषण की समस्या दूर करने में मदद मिलती है। 
            • इससे मानव संसाधन के विकास में मदद मिलती है। 
            • इससे निर्धन लोगों को मौलिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं। 


            प्रश्न 2. “जो महिलाएँ वेतन भोगी कार्य करती हैं, वह एक ऐसे लोगों का उदाहरण है जो मिले जुले लक्ष्यों को पूरा करते हैं ? इस कथन का विश्लेषण करें।

            उत्तर

            • वेतन भोगी महिलाओं का घर और समाज में आदर बढ़ता है।
            • उनके काम-काज में हाथ बँटाया जाएगा। 
            • वेतनभोगी महिलाओं को अधिक स्वीकार किया जाएगा। 
            • यदि वातावरण सुरक्षित है तो ज्यादा महिलाएँ नौकरी कर सकती हैं। 
            • अपने परिवार का जीवन स्तर सुधार सकती हैं।


            प्रश्न 3. शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बी.एम.आई.) किसे कहते हैं? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है?

            उत्तर

            हम उचित प्रकार से पोषित हैं या नहीं, जानने के तरीके को वैज्ञानिक शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बी.एम.आई.) कहते हैं।

            गणना: इसकी गणना करना सरल है, कक्षा में प्रत्येक विद्यार्थी अपना भार और ऊँचाई ज्ञात करें। प्रत्येक बच्चे का भार किलोग्राम में लें। फिर दीवार पर एक पैमाना बनाकर, सिर को सीधा रखते हुए, ऊँचाई का सही माप करें। सेंटीमीटर से नापी गई ऊँचाई का सही माप करें। किलोग्राम में व्यक्त भार को, ऊँचाई के वर्ग से भाग दें। आपको जो अंक प्राप्त होगा, वही बी.एम.आई. (BMI) कहलाता है। आयु-अनुसार बी.एम.आई. तलिका के आधार पर विद्यार्थी का बी.एम.आई. सामान्य, सामान्य से कम या सामान्य से अधिक हो सकता है।


            प्रश्न 4. आपकी दृष्टि में शिक्षा के स्तर के आधार पर दो राज्यों के मध्य विकास की तुलना का श्रेष्ठ मापदण्ड क्या है? समझाइए।

            उत्तर

            हमारी दृष्टि में शिक्षा के स्तर के आधार पर दो राज्यों के मध्य विकास की तुलना का श्रेष्ठ मापदण्ड 'मानव विकास सूचकांक' (HDI) है। इसमें स्वास्थ्य एवं शिक्षा सूचकों का आय के साथ व्यापक प्रयोग किया जाता है। आय का स्तर तुलना के लिए एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है लेकिन अकेला आय का स्तर विकास को मापने का अपर्याप्त मापदण्ड है। इसमें अन्य मानकों की उपेक्षा हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर की जाती है।

            यह तीन सामाजिक सूचकों का एक मिश्रित सूचकांक है:

            • लम्बा और स्वस्थ जीवन। 
            • ज्ञान प्राप्त करना। 
            • उत्कृष्ट जीवन स्तर। 

            इनकी गणना इस प्रकार की जाती है:

            • दीर्घायु-इसे जन्म के समय जीवन प्रत्याशा द्वारा मापा जाता है।
            • शैक्षिक योग्यताओं की प्राप्ति-इसे वयस्क शिक्षा (2/3 भार) तथा प्राथमिक, माध्यमिक व क्षेत्रीय विद्यालयों में उपस्थिति अनुपातों (1/3 भार) के मिश्रण के रूप में माना जाता है।
            • जीवन स्तर-इसे डॉलर की क्रय शक्ति पर आधारित वास्तविक प्रति व्यक्ति आय द्वारा मापा जाता है। मानव विकास सूचक इन तीनों आयाम सूचकों का साधारण औसत है। 


            प्रश्न 5. वर्ष 2017 के लिए विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु बतलाइये। 

            उत्तर

            वर्ष 2017 के लिए विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु अग्र प्रकार हैं-

            • वे देश जिनकी 2017 में प्रति व्यक्ति आय 12,056 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष या उससे अधिक है, उसे समृद्ध देश कहा गया है।
            • वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय 995 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय वाला देश कहा गया है।
            • भारत मध्य आय वर्ग के देशों में आता है क्योंकि उसकी प्रति व्यक्ति आय 2017 में केवल 1820 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष थी।
            • समृद्ध देशों, जिनमें मध्य पूर्व के देश और कुछ अन्य छोटे देश शामिल नहीं हैं, को आमतौर पर विकसित देश कहा जाता है। 


            प्रश्न 6. विकास की धारणीयता से क्या अभिप्राय है ? विकास की धारणीयता की चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ? 

            उत्तर

            विकास की धारणीयता से अभिप्राय है कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना विकास करना तथा वर्तमान पीढियो की जरूरतों के साथ-साथ भावी पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखना।

            विशेषताएं:

            • संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग।
            • नवीकरणीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग। 
            • वैकल्पिक संसाधनों को ढूंढने में मदद।
            • संसाधनों के पुनः उपयोग व चक्रीय प्रक्रिया को बढ़ावा।

            Extra Questions for Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Economics

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            Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            Questions and Answers for Bhartiya Arthvyavastha ke Kshetrak Class 10 अर्थशास्त्र Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

            Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. प्राथमिक क्षेत्र किसे कहते हैं?

            उत्तर

            जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्र अथवा प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहते हैं।


            प्रश्न 2. द्वितीयक क्षेत्रक से आपका क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है।


            प्रश्न 3. सकल घरेलू उत्पाद किसे कहते हैं?

            उत्तर

            किसी देश के भीतर किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।


            प्रश्न 4. किसी देश के विकास की प्रारम्भिक अवस्था में किस क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक होता है?

            उत्तर

            विकास की प्रारम्भिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक होता है।


            प्रश्न 5. तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक क्यों कहा जाता है?

            उत्तर

            तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों से वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन किया जाता है अतः इसे रेवा क्षेत्रक कहा जाता है।


            प्रश्न 6. टिस्को जैसी कम्पनी में कौन सा एक्ट लागू नहीं होगा?

            उत्तर

            राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम।


            प्रश्न 7. अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्रक के अंतिम उत्पाद की ही गणना क्यों की जाती है ? 

            उत्तर

            दोहरी गणना की समस्या से बचने के लिए।


            प्रश्न 8. सार्वजनिक क्षेत्रक में सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या होता हैं ? 

            उत्तर

            सामाजिक कल्याण व सुरक्षा प्रदान करना।


            प्रश्न 9. निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

            उत्तर

            निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना है।


            प्रश्न 10. संगठित क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            संगठित क्षेत्रक वे कार्य-स्थान होते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा सरकारी नियमों का अनुपालन होता है।


            प्रश्न 11. कार्यों के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने भागों में विभाजित किया गया है?

            उत्तर

            कार्य के आधार पर अर्थव्यवस्था को तीन भागों में विभाजित किया गया है:

            • प्राथमिक क्षेत्रक 
            • द्वितीयक क्षेत्रक 
            • तृतीयक क्षेत्रक

            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. क्या अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं?

            उत्तर

            किसी अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्र पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रक को वस्तुएँ अथवा सेवाएँ बेचता है तथा अपने स्वयं की जरूरत की वस्तुएँ अथवा सेवाएँ अन्य क्षेत्रक से खरीदता है।


            प्रश्न 2. असंगठित क्षेत्रक से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            असंगठित क्षेत्रक का आशय उन छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई इकाइयों से होता है जिन पर किसी प्रकार का सरकारी नियंत्रण नहीं होता है। इसमें रोजगारी की शर्ते अनियमित होती हैं तथा श्रमिक का कार्य करने का समय निश्चित नहीं होता है एवं उसका कई प्रकार से शोषण किया जाता है।


            प्रश्न 3. संगठित क्षेत्र की दो विशेषताएँ बताइए?

            उत्तर

            संगठित क्षेत्राक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान हाते है जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है ओर इसलिए लोगो के पास सुनिश्चित काम होता है। वे क्षेत्राक सरकार द्वारा पंजीकृत होते है और उन्हे सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है।


            प्रश्न 4. सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक में अंतर स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक में अंतर:

            सार्वजनिक क्षेत्रक

            निजी क्षेत्रक

            परिसम्पत्तियों पर सरकार का नियंत्रण। 

            परिसम्पत्तियों पर निजी स्वामित्त्व।

            सभी सेवाएँ सरकार उपलब्ध करवाती है।

            सारी चीजें एक व्यक्ति या कम्पनी उपलब्ध करवाती है। 

            इसका उद्देश्य अधिकतम सामाजिक कल्याण होता है।

            अधिकतम लाभ कमाना इसका उद्देश्य होता है।

            रोजगार सुरक्षा दी जाती है। 

            रोज़गार व श्रमिक असुरक्षित होते हैं। 

            सवैतनिक छुट्टी व अन्य सेवाएँ दी जाती हैं। 

            सवैतनिक छुट्टी व अन्य सेवाएँ सामान्यतः नहीं दी जाती।


            प्रश्न 5. क्या भारत में उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान बढ़ता जा रहा है?

            उत्तर

            हाँ, भारत में विगत दशकों में उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जी.डी.पी. में इस क्षेत्र के योगदान में निरन्तर वृद्धि हुई है। वर्ष 1973-74 में भारत में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान लगभग 48 प्रतिशत था वह वर्ष 2013-14 में बढ़कर जी.डी.पी. का लगभग 68 प्रतिशत हो गया है।


            प्रश्न 6. तृतीयक क्षेत्रक से आपका क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            तृतीयक क्षेत्रक में उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं । इस क्षेत्रक में विभिन्न गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं अतः इस क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।


            प्रश्न 7. असंगठित क्षेत्रक में मजदूरों के सामने आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए। 

            उत्तर

            असंगठित क्षेत्रक में मजदूरों के सामने आने वाली कठिनाइयाँ:

            • यह क्षेत्रक सरकारी नियमों व विनियमों को नहीं मानता। 
            • न्यूनतम वेतन मिलता है। 
            • रोजगार की अवधि व कार्य समय सीमा निश्चित नहीं होती।
            • किसी प्रकार की छुट्टी या लाभ का प्रावधान नहीं होता। 
            • निश्चित कार्य क्षेत्र व अच्छी सेवा सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होता।


            प्रश्न 8. भारत में प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            भारत में रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आज भी देश की अधिकांश जनसंख्या रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भर है। प्राथमिक क्षेत्र से देश को खाद्यान्न आपूर्ति होती है। यह द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के विकास का आधार है।


            प्रश्न 9. भारत में अधिकांश लोग किस क्षेत्रक में नियोजित हैं?

            उत्तर

            भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है तथा यहाँ की अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है जहाँ पर अधिकतर लोग प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियों में संलग्न हैं। वर्ष 2017-18 में देश में लगभग 44 प्रतिशत जनसंख्या रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर है।


            प्रश्न 10. किसी अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            किसी अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। जैसे गन्ने से गुड़ एवं चीनी का उत्पादन करना। यह क्षेत्र उद्योगों से जुड़ा होता है अतः इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।


            प्रश्न 11. संगठित व असंगठित क्षेत्रकों में रोज़गार की परिस्थतियों में क्या अन्तर पाया जाता है ?

            उत्तर

            संगठित क्षेत्रक

            असंगठित क्षेत्रक 

            अधिक वेतन प्राप्ति।

            कम वेतन प्राप्ति

            नौकरी सुरक्षित

            नौकरी सुरक्षित नहीं।

            कार्य की स्थितियाँ अच्छी

            निम्न स्तरीय कार्य परिस्थितियाँ

            कर्मचारी योजनाओं का लाभ

            कर्मचारी योजनाओं का लाभ नहीं

            कार्य अवधि (काम के घंटे) निश्चित

            कोई निश्चित कार्य अवधि नहीं।


            प्रश्न 12. राष्ट्रीय रोज़गार गारन्टी 2005 अधिनियम के प्रावधान बताइए। 

            उत्तर

            • राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना के अर्न्तगत 100 दिनों के रोज़गार की गारन्टी। 
            • रोजगार न मिलने या कम मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाना।
            • अपने गाँव या आस-पास के क्षेत्र में ही कार्य स्थल होना। 
            • एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए सुरक्षित है। 
            • गरीबों में भी अति गरीब लोगों को रोजगार प्रदान करना।


            प्रश्न 13. खुली बेरोजगारी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी में अन्तर बताइए।

            उत्तर

            • खुली बेरोजगारी में लोगों के पास रोजगार नहीं होता है जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी में लोगों के पास क्षमता से बहुत कम काम उपलब्ध होता है।
            • खुली बेरोजगारी प्रायः शहरी क्षेत्रों में जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।

             

            प्रश्न 14. शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की कोई तीन विधियाँ सुझाइए। 

            उत्तर

            • क्षेत्रीय शिल्प उद्योग व सेवाओं को प्रोत्साहन देना। 
            • पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन देना। 
            • अनावश्यक सरकारी नीतियों व नियमों में परिवर्तन। 
            • मूलभूत सुविधाएँ, तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना। 
            • आसान शर्तों पर ऋण या आर्थिक सहायता प्रदान करना।


            प्रश्न 15. सकल घरेलु उत्पाद (जी. डी. पी.) किसे कहते है? भारत में इसे नापने का कार्य किस संगठन द्वारा किया जाता है?

            उत्तर

            • सकल घरेलू उत्पाद किसी देश के भीतर किसी वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य।
            • उस वर्ष में क्षेत्रक के कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है।
            • मापन का कार्य केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें करती है।


            प्रश्न 16. तीव्र जनसंख्या वृद्धि किस प्रकार बेरोजगारी को प्रभावित करती है।

            उत्तर

            1. रोजगार के अवसर जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में नहीं बढ़ते है।
            2. द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र तीव्र गति के बढ़ रही जनसंख्या को पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान नहीं कर पाते।
            3. कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी बढ़ जाती है।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था में प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों की परस्पर निर्भरता को समझाइए।

            उत्तर

            किसी भी अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्र पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रक को वस्तुएँ अथवा सेवाएँ बेचता है तथा अपने स्वयं की जरूरत की वस्तुएँ अथवा सेवाएँ अन्य क्षेत्रक से खरीदता है। प्राथमिक क्षेत्रक मुख्यतः, न कि पूर्णतया, प्रकृति एवं प्राकृतिक कारकों पर निर्भर करता है। द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। द्वितीयक क्षेत्रक की माँग द्वारा प्राथमिक क्षेत्रक प्रभावित होता है तथा द्वितीयक क्षेत्रक पूर्णतः प्राथमिक क्षेत्रक के उत्पादों पर निर्भर रहता है। इसी प्रकार तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं।


            प्रश्न 2. अन्तिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में अन्तर बतलाइये। 

            उत्तर

            अन्तिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में अन्तर:

            अन्तिम वस्तुएँ

            मध्यवर्ती वस्तुएँ 

            वे वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं तक पहुँचती हैं, अन्तिम वस्तुएँ कहलाती हैं।

            ऐसी वस्तुएँ जो अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्माण में प्रयुक्त की जाती हैं, मध्यवर्ती वस्तुएँ कहलाती हैं।

            अन्तिम वस्तुओं का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शामिल किया जाता है।

            मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य अन्तिम वस्तुओं के मूल्यों में पहले से शामिल रहता है, अतः इसे सकल घरेलू उत्पाद में नहीं जोड़ा जाता। 

            उदाहरण:बिस्कुट, ब्रेड, रेडीमेड कपड़े आदि।

            उदाहरण:गेहूँ, कपास, सिले कपड़े आदि।


            प्रश्न 3. असंगठित क्षेत्रक की प्रमुख दो विशेषताएँ बताइए। असंगठित श्रमिकों के संरक्षण के उपाय भी लिखिए।

            उत्तर

            विशेषताएँ:

            • असंगठित क्षेत्र छोटे तथा सरकारी नियंत्रण से बाहर होते हैं। 
            • श्रमिकों को कम मजदूरी पर भुगतान किया जाता है तथा रोजगार अनियमित होता है। 

            श्रमिकों के संरक्षण के उपाय:

            • असंगठित क्षेत्रक में सरकार को कुछ नियम व कानून बनाने चाहिए।
            • लोगों को उस क्षेत्र में काम करना चाहिए जहाँ काम नियमित, तत्काल भुगतान की व्यवस्था तथा काम की सुरक्षा हो।
            • इस क्षेत्रक में काम करने वाले लोगों हेतु सरकार को सार्वजनिक सेवाओं में वृद्धि करनी चाहिए।
            • इस क्षेत्रक में सरकार को नियमों की कठोरता से अनुपालना करवानी चाहिए।
            • सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना चाहिए।


            प्रश्न 4. भारत में किस आर्थिक क्षेत्र के अन्तर्गत अल्प रोजगार की दशाएँ अधिक पाई जाती हैं? प्रमुख कारण बताइए।

            उत्तर

            प्राथमिक क्षेत्रक के अन्तर्गत अल्प रोजगार की दशाएँ अधिक पाई जाती हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

            • देश का अधिकांश श्रमिक कृषि क्षेत्र में जुटा है जहाँ कार्य केवल कुछ महीनों के लिए होता है। अतः यह अल्प बेरोजगारी की स्थिति पैदा करता है।
            • परिवार के सभी सदस्य कृषि कार्य में लगे होते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम तो करता है किन्तु किसी को भी पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं होता है।
            • देश की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में निवास कर रही है जबकि वहाँ पर रोजगार के अवसर बहुत कम हैं अतः वहाँ अल्प रोजगार अधिक पाया जाता है।
            • गाँवों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर न होने के कारण लोग कृषि कार्यों में ही लगे रहते हैं जिससे अल्प बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।


            प्रश्न 5. “यद्यपि आर्थिक गतिविधियों को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित किया गया है लेकिन वे परस्पर एक दूसरे पर निर्भर हैं” इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 

            उत्तर

            यह कथन पूर्णतः सत्य है क्योंकि:

            • प्राथमिक क्षेत्रक को उत्पादन बढ़ाने व वितरण के लिए नई तकनीकों व परिवहन की आवश्यकता होती है।
            • विनिर्माण उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राथमिक क्षेत्रक से ही प्राप्त होता है।
            • प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक की सहायता से ही सेवा क्षेत्रक में नए-नए रोज़गार के अवसर प्राप्त होते हैं।
              जैसे- भंडारण, बैंकिग, यातायात आदि।
            • तीनों क्षेत्रक परस्पर निर्भर हैं, किसी एक की भी अनुपस्थिति का अन्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


            प्रश्न 6. देश में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है? 

            उत्तर

            असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों के संरक्षण हेतु अग्र उपाय अथवा सुझाव दिए जा सकते हैं-

            • ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का विस्तार-ग्रामीण व कृषि के क्षेत्रों में विभिन्न सुविधाएँ जैसे वित्त सुविधा, शिक्षा, स्वास्थ्य, विपणन सुविधाएँ आदि का विस्तार किया जाना चाहिए।
            • लघु एवं कुटीर उद्योगों को संरक्षण विभिन्न लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास हेतु उन्हें सरकार द्वारा संरक्षण दिया जाना चाहिए।
            • पिछड़े वर्गों का उत्थान अधिकांश पिछड़े वर्ग के लोग असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत हैं अतः सरकार को इन वर्गों के उत्थान हेतु विशेष प्रयास करने चाहिए।
            • सामाजिक सुविधाओं का विस्तार-असंगठित क्षेत्रक में सरकार को सार्वजनिक सुविधाओं का तीव्र गति से विस्तार करना चाहिए।
            • नियमों का कठोरता से पालन-असंगठित क्षेत्रकों में सरकार द्वारा बनाए नियमों की कठोरता से अनुपालना करवाई जानी चाहिए। 


            प्रश्न 7. तृतीयक क्षेत्र किस प्रकार प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में सहायता करता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            तृतीयक क्षेत्र निम्न प्रकार से प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों में सहायता करता है:

            • यह परिवहन के रूप में इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार तक ले जाने में सहायता करता है। 
            • यह गोदामों तक इनकी उत्पादित वस्तुएँ ले जाकर सहायता प्रदान करता है। 
            • यह उत्पादन और व्यापार हेतु वार्तालाप के लिए संचार के रूप में सहायता करता है। 
            • यह इन क्षेत्रों को पूँजी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बैंक के रूप में सहायता करता है। 
            • तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक को कई व्यापारिक सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ आदि तृतीयक क्षेत्रों के उदाहरण हैं।


            प्रश्न 8. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को निम्नलिखित मुद्दों पर सुरक्षा की आवश्यकता है, मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण के साथ व्याख्या करें।

            उत्तर

            नियोक्ता मजदूरों की रक्षा करने वाले कानूनों का पालन करने से इन्कार करते हैं। इसलिए सुरक्षा की आवश्यकता है।

            • श्रमिकों को उचित मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है और इसलिए उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता होती है। 
            • नौकरी सुरक्षित नहीं है, इसलिए उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। 
            • श्रमिकों को भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, भुगतान किए गए अवकाश, चिकित्सा लाभ आदि जैसे कोई अन्य लाभ नहीं मिलते हैं।
            • सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन नहीं। 


            प्रश्न 9. अल्प बेरोजगारी किसे कहते हैं? अल्प बेरोजगारी को दूर करने के तरीके बताइए जिससे अतिरिक्त रोजगार का सृजन हो सके।

            उत्तर

            अल्प बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं परन्तु उन्हें कार्य करने का अवसर उनकी क्षमता से कम मिलता है। अल्प बेरोजगारी को छिपी हुई बेरोजगारी भी कहा जाता है।

            अल्प अथवा छिपी बेरोजगारी दूर करने के उपाय:

            • बैंक उचित ब्याज दर पर लोगों को ऋण दे ताकि वे स्वरोजगार कर सकें। 
            • अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्र में उद्योगों व सेवाओं में वृद्धि हो। 
            • किसानों के उत्पादन के भण्डारण के लिए शीत भण्डारण की व्यवस्था कराई जाए। 
            • कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों में वृद्धि का प्रयास करना चाहिए। 
            • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार कार्यक्रमों एवं योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। 
            • सार्वजनिक क्षेत्रकों का अधिक विस्तार किया जाना चाहिए ताकि रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकें।


            प्रश्न 10. ‘जब कोई देश विकसित होता है तो प्राथमिक क्षेत्रक का योगदान घटता है तथा द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों का बढ़ता है’ ? इस कथन का विश्लेषण करें। 

            उत्तर

            • विकसित देशों का इतिहास बताता है कि विकास की शुरुआत में आर्थिक क्रियाओं में प्राथमिक क्षेत्रक महत्वपूर्ण था। 
            • कृषि के तरीके में बदलाव से खाद्यान्नों का उत्पादन अधिक। अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध। 
            • विनिर्माण के लिए नए तरीके फैक्ट्रियों का उभरना व विकसित होना।
            • उत्पादन व रोजगार में द्वितीयक क्षेत्रक महत्वपूर्ण। 
            • द्वितीयक क्षेत्रकों से तृतीयक क्षेत्रकों में स्थानांतरण। कुल उत्पादन के संदर्भ में सेवा क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण बन गया।


            प्रश्न 11. देश में अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करने के उपाय बताइये। 

            उत्तर

            देश में निम्न उपायों से अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित किए जा सकते हैं:

            • कृषि क्षेत्रक का विकास कर अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित किए जा सकते हैं। 
            • कृषि में सहायक गतिविधियों का विकास किया जाना चाहिए। 
            • लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना चाहिए। 
            • औद्योगिक क्षेत्रक में अंतिरिक्त विनियोग करना चाहिए। 
            • सरकार को सार्वजनिक क्षेत्रक का विस्तार कर अतिरिक्त रोजगार अवसर उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए।
            • देश में आधारभूत संरचना का विकास करना चाहिए ताकि कृषि एवं उद्योगों का विकास हो सके एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि हो सके।
            • देश में निजी क्षेत्रक में भी विनियोग को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।

            Extra Questions for Chapter 3 मुद्रा और साख Class 10 Economics

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            Chapter 3 मुद्रा और साख Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            Questions and Answers for Mudra aur Sakh Class 10 अर्थशास्त्र Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 3 मुद्रा और साख Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

            Chapter 3 मुद्रा और साख Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            मुद्रा और साख Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. आधुनिक मुद्रा बहुमूल्य धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया गया है?

            उत्तर

            आधुनिक मुद्रा बहुमूल्य धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती हैं।


            प्रश्न 2. भारत में नोट कौन जारी करता है?

            उत्तर

            रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया।


            प्रश्न 3. बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लागों व जरूरतमंद लागों के बीच मध्यस्थता का काम किस प्रकार करते हैं?

            उत्तर

            अतिरिक्त मुद्रा को ट्टण के रूप में प्रदान करके।


            प्रश्न 4. बैंक से क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            बैंक वह संस्था है जो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से जमा स्वीकार करती है तथा जो लोगों को ऋण देती है।


            प्रश्न 5. बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत क्या है?

            उत्तर

            कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर।


            प्रश्न 6. वस्तु विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं एवं सेवाओं के बदले वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है।


            प्रश्न 7. मुद्रा विनिमय का माघ्यम क्यों हैं?

            उत्तर

            मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करने के कारण।


            प्रश्न 8. चेक से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            चेक एक ऐसा कागज है, जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के व्यक्ति को रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।


            प्रश्न 9. मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों कहा जाता है?

            उत्तर

            मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, अतः इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।


            प्रश्न 10. औपचारिक वित्तीय संस्थाएँ कौनसी हैं?

            उत्तर

            वाणिज्यिक बैंक, सहकारी समितियाँ, ग्रामीण बैंक, औपचारिक वित्तीय संस्थाएँ हैं।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. साख के औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र की विशेषताएँ बताइये। 

            उत्तर

            साख के औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र की विशेषताएँ:

            साख के औपचारिक क्षेत्र

            साख के अनौपचारिक क्षेत्र

            बैंक, सहकारी समितियों पूर्व निश्चित ब्याज दर

            महाजन, साहूकार, रिश्तेदार अनिश्चित व अधिक ब्याज दर

            उधार लेने वाले का शोषण

            उधार लेने वाले का शोषण होता है। 

            ऋण वापसी के लिए अनावश्यक दबाब नहीं। 

            कर्ज-जाल में फंसने की संभावना।


            प्रश्न 2. ऋण अथवा उधार के कोई दो महत्त्व बताइए।

            उत्तर

            ऋण अथवा उधार के दो महत्त्व:

            1. ऋण से लोग अपनी व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करते हैं। 
            2. ऋण लोगों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होते हैं। 


            प्रश्न 3. मुद्रा क्या है? आधुनिक भारतीय मुद्रा की किन्हीं तीन विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

            उत्तर

            मुद्रा से अभिप्राय उस वस्तु से है जिसका सामान्य विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता है।

            विशेषताएँ

            • भारत में आधुनिक मुद्रा करेंसी, कागज के नोट व सिक्के हैं। 
            • भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा जारी करता है। 
            • भारत में मुद्रा सौदों के लिए अधिकृत है। 


            प्रश्न 4. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, क्या-क्या कार्य करता है ? 

            उत्तर

            रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्य:

            • सरकार की ओर से मुद्रा जारी करता है। 
            • बैंको व समितियों की कार्य प्रणाली पर नज़र रखता है। 
            • ब्याज की दरों व ऋण की शर्तों पर निगरानी रखता है। 
            • बैंक कितना नकद शेष अपने पास रखे हुए हैं इसकी सूचना रखता है। 
            • ऋण किस प्रकार वितरित किये जा रहे हैं इस पर नज़र रखता है।


            प्रश्न 5. वस्तु विनिमय प्रणाली की कोई तीन सीमाएँ बताइये? 

            उत्तर

            वस्तु विनिमय प्रणाली की तीन सीमाएँ:

            • वस्तु विनिमय के लिए दोहरे संयोग की शर्त का पूरा होना आवश्यक। 
            • धन या मूल्य के संचयन में कठिनाई। 
            • अविभाज्य वस्तुओं का विनिमय कठिन। 
            • वस्तुओं को भविष्य में प्रयोग के लिए (संग्रहित करना लम्बे समय तक) कठिन। 
            • सेवाओं का मूल्य निर्धारण व विनिमय में कठिनाई।


            प्रश्न 6. ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों से ऋण लेने के कोई दो लाभ बताइए।

            उत्तर

            सहकारी समितियों से ऋण लेने के दो लाभ:

            • सहकारी समितियों से लोगों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध हो जाता है तथा शर्ते भी आसान होती हैं।
            • सहकारी समितियों से ऋण लेने से साहूकारों एवं महाजनों के शोषण से बचा जा सकता है। 


            प्रश्न 7. कर्ज-जाल कब उत्पन्न होता है ? उदाहरण देकर बताइए।

            उत्तर

            कर्ज-जाल उत्पन्न होता है जब कर्जदार अपना पिछला ऋण चुकाने में असमर्थ होता है।

            • पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज ले लेता है। 
            • उसे ऋण अदायगी के लिए अपनी परिसम्पत्ति बेचनी पड़ जाती है। 
            • उसकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाती है।


            प्रश्न 8.  ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की गतिविधियाँ बढ़ाने हेतु कोई तीन सुझाव दीजिए। 

            उत्तर

            ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की गतिविधियाँ बढ़ाने हेतु तीन सुझाव निम्न प्रकार हैं:

            • ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए।
            • सहकारी समितियों द्वारा सभी लोगों को ऋण प्रदान किया जाना चाहिए। ऋणों में गरीब परिवारों का हिस्सा बढ़ाना चाहिए।
            • अधिकाधिक लोगों को सहकारी समितियों से जोड़ा जाना चाहिए तथा सरकार को भी इनकी स्थापना में योगदान देना चाहिए।


            प्रश्न 9. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूह संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है ? 

            उत्तर

            • गरीबों को संगठित रूप में कार्य के लिए प्रेरित करना।
            • स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना। 
            • शोषण से बचाना।
            • कर्जदारों को ऋण-जाल से बचाना। 
            • स्वावलंवन व रोजगार


            प्रश्न 10. बैंकों की ऋण सम्बन्धी गतिविधि को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            बैंक लोगों से उनकी अतिरिक्त बचतों को उनका खाता बैंक में खोलकर जमाओं के रूप में स्वीकार करते हैं। बैंक इन्हीं जमाओं के माध्यम से लोगों को ऋण प्रदान करने का कार्य करता है। बैंक जमाओं पर कम ब्याज देते हैं तथा ऊँची दर पर लोगों को ऋण देते हैं। इन जमाओं का कुछ भाग बैंक जमाओं के रूप में रखकर शेष राशि को बैंक जरूरतमंद लोगों को उधार दे देते हैं, बैंक इन लोगों से ऋण पर ब्याज वसूल करता है। ऋण प्रदान करना बैंक का महत्त्वपूर्ण कार्य है जिससे बैंक को आय प्राप्त होती है।


            प्रश्न 11 भारत में औपचारिक ऋण क्षेत्रक को विस्तृत करना क्यों आवश्यक है ?

            उत्तर

            • अनौपचारिक स्रोतों से ऋण प्राप्ति आसान होती है परन्तु शोषण अधिक होता है।
            • ब्याज की दरें अनिश्चित व उच्च होती हैं। 
            • गरीब, अशिक्षित लोग आसानी से ऋण जाल में फंस जाते हैं। 
            • ग्रामीण क्षेत्रों में साहूकारों पर निर्भरता 
            • ऋण सरलता से उपलब्ध करवाना।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए। 

            उत्तर

            वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्याएँ निम्न प्रकार हैं:

            • वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव पाया जाता है, जिससे सन्तोषजनक व्यवहार नहीं हो पाता एवं लेन-देन में भी अधिक समय लगता है।
            • वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य निर्धारण में अत्यन्त कठिनाई आती है। .
            • वस्तु विनिमय प्रणाली में विभाज्यात्मकता का अभाव पाया जाता है अर्थात् अविभाज्यता की स्थिति में लेनदेन में काफी कठिनाई आती है।
            • वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं को संग्रह करने में अत्यन्त कठिनाई आती है।


            प्रश्न 2. आपके अनुसार औपचारिक तथा अनौपचारिक साख में कौनसी साख श्रेष्ठ है तथा क्यों?

            उत्तर

            हमारे अनुसार औपचारिक तथा अनौपचारिक साख में औपचारिक साख श्रेष्ठ है। इसका मुख्य कारण हम औपचारिक साख की अच्छाइयों तथा अनौपचारिक साख की कमियों के रूप में निम्न प्रकार बता सकते हैं-

            औपचारिक साख के गुण:

            • औपचारिक स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
            • इसमें लम्बे समय तक के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
            • भारत में औपचारिक साख स्रोतों पर भारतीय रिजर्व बैंक का नियन्त्रण रहता है। 
            • औपचारिक साख में ऋणी का शोषण नहीं किया जाता है। 
            • इसमें सरकारी नियमों तथा विनियमों का ध्यान रखा जाता है। 

            अनौपचारिक साख की कमियाँ:

            • अनौपचारिक स्रोतों द्वारा सामान्यतः ऊँची ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
            • इसमें कर्जदारों का अनेक प्रकार से शोषण किया जाता है। 
            • इसमें सरकारी नियन्त्रण का भी अभाव पाया जाता है। 


            प्रश्न 3. शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक व अनौपचारिक साख के योगदान की तुलना कीजिए। औपचारिक क्षेत्र के ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।

            उत्तर

            शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक व अनौपचारिक साख के योगदान की तुलना:

            • औपचारिक ऋणदाताओं की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्रक के ज्यादातर ऋणदाता कहीं अधिक ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेना कर्ज लेने वाले को अधिक महँगा पड़ता है।
            • शहरी क्षेत्र के निर्धन परिवारों की कर्जो की 85 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं, जबकि शहरी अमीरों के केवल 10 प्रतिशत कर्ज अनौपचारिक स्रोतों से पूरे होते हैं।
            • शहरी क्षेत्र के निर्धन परिवारों की कर्ज की केवल 15 प्रतिशत जरूरतें ही औपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं जबकि शहरी अमीरों की 90 प्रतिशत कर्जे की जरूरतें औपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।

            औपचारिक क्षेत्र के ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु सुझाव:

            • गरीबों को, विशेषकर महिलाओं को छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों में संगठित करके और उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करके, एक-दो वर्ष बाद यह समूह बैंक से ऋण लेने के योग्य हो जाता है। इस प्रकार यह समूह बैंक से ऋण लेकर उसे अपने समूह के सदस्यों को उचित ब्याज पर कर्ज दे सकता है।
            • औपचारिक क्षेत्र के कुल ऋणों में वृद्धि हो तथा बैंकों व सहकारी समितियों इत्यादि से गरीबों को मिलने वाले औपचारिक ऋण का हिस्सा बढ़ाना चाहिए।


            प्रश्न 4. साख की दो विभिन्न स्थितियाँ बताइए एवं बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए। 

            उत्तर

            साख की दो स्थितियाँ साख की दो विभिन्न स्थितियाँ हैं:

            1. सकारात्मक साख की स्थिति 
            2. नकारात्मक साख की स्थिति।

            1. सकारात्मक साख की स्थिति सकारात्मक साख की स्थिति वह है जब ऋण लेने से व्यक्ति की आय बढ़ती है। उदाहरण के लिए सलीम उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के द्वारा पूरा करता है। ऋण उसे उत्पादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर पूरा करने में मदद करता है और वह अपनी कमाई को बढ़ा पाता है। इस प्रकार ऋण या साख एक सकारात्मक भूमिका निभाता है।

            2. नकारात्मक साख की स्थिति-जब ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है, जहाँ से बाहर निकलना काफी कष्टदायक होता है। इसे आम भाषा में कर्जजाल कहा जाता है। इसमें ऋणी ऋण के भुगतान में अपनी स्वयं की सम्पत्ति भी खो देता है। इसे साख की नकारात्मक स्थिति कहा जाता है।

            बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते:

            • बैंक से कर्ज लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागजांतों की जरूरत पड़ती है। 
            • कर्ज लेने से पहले व्यक्ति को बैंक को अपनी आय के प्रामाणिक स्रोत दिखाने पड़ते हैं।
            • इसके अतिरिक्त उसे ऋणाधार देना पड़ता है।

            जैसे-गृह ऋण के लिए मेघा ने बैंक को अपने वेतन तथा नौकरी सम्बन्धी रिकॉर्ड प्रस्तुत किए और बैंक ने नये घर के सभी कागजात ऋणाधार के रूप में रखकर ऋण दिया।


            प्रश्न 5. एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए। 

            उत्तर

            एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

            • विनिमय में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा विनिमय माध्यम के रूप में अपनाई जाती है। इसलिए हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा के बदले वस्तुओं तथा सेवाओं को आसानी से क्रय-विक्रय कर सकते हैं।
            • व्यापार में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा के द्वारा व्यापारिक क्रियाएँ सरलतापूर्वक पूरी की जाती हैं, क्योंकि मुद्रा की सहायता से एक स्थान से वस्तुओं का क्रय करके इन्हें दूसरे स्थान पर विक्रय किया जा सकता है।
            • बजट निर्माण में मुद्रा की भूमिका सरकारी व्यय तथा प्राप्तियों का माप मुद्रा में किया जाता है, जिसके द्वारा करों की दर, ऋण पर ब्याज संबंधित आर्थिक नीतियाँ सरलतापूर्वक बनाई जाती हैं। बजट को भी मुद्रा में ही प्रदर्शित किया जाता है।
            • राष्ट्रीय आय के मापन में मुद्रा की भूमिका देश की राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है जो कि देश के निवासियों का जीवन स्तर प्रदर्शित करती है। मुद्रा के बिना राष्ट्रीय आय की गणना कठिन है एवं जीवन स्तर भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
            • उत्पादन में मुद्रा की भूमिका उत्पादन प्रक्रिया में एक उद्यमी उत्पादन के विभिन्न साधनों को उनकी सेवाओं के बदले मुद्रा में आसानी से भुगतान करता है जैसे भूमि पर लगान, मजदूरों को मजदूरी, पूँजी पर ब्याज तथा उद्यम पर लाभ। 


            प्रश्न 6. भारत में ग्रामीण परिवारों के साख के चार प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। 

            उत्तर

            भारत में ग्रामीण परिवारों के साख के चार प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:

            • साहूकार-साहूकार उधार पर पैसा देने को अपना द्वितीय व्यवसाय समझते हैं। उनके उधार देने की प्रक्रिया सरल है तथा वे अनुत्पादक उद्देश्य के लिए भी उधार देते हैं। इनकी ब्याज दर बहुत अधिक होती है।
            • सहकारी समितियाँ-सहकारी समितियाँ कम ब्याज दरों पर कृषि कार्य हेतु तथा अन्य प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती हैं।
            • ग्रामीण बैंक-ये लोगों को कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं लेकिन इसमें अधिक औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। ये लम्बे समय तक ऋण उपलब्ध करवाते हैं।
            • रिश्तेदार व मित्र समय-समय पर रिश्तेदारों व मित्रों से भी ऋण उपलब्ध होता है। इस स्रोत से ऋण लेना अत्यन्त सरल होता है।


            प्रश्न 7. स्वयं सहायता समूह के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। 

            उत्तर

            स्वयं सहायता समूह के महत्व को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है:

            • स्वयं सहायता समूह कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं। 
            • सदस्यों को समयानुसार विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं के लिए एक उचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है।
            • स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को छोटी-छोटी आवश्यकताओं हेतु अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर नहीं होना पड़ता तथा साहूकारों एवं महाजनों के शोषण से उन्हें मुक्ति मिलती है।
            • इन समूहों में विकास के मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। 
            • इसके अलावा ये समूह ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करने में मदद करते हैं। 

            Extra Questions for Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Class 10 Economics

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            Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

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            Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. वैश्वीकरण क्या है ? 

            उत्तर

            विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है।


            प्रश्न 2. उदारीकरण का क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            सरकार द्वारा व्यापार एवं निवेश पर से अवरोधों अथवा प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है।


            प्रश्न 3.निजीकरण को परिभाषित कीजिए।

            उत्तर

            निजीकरण से तात्पर्य है निजी क्षेत्र पर से कड़े नियंत्रण को हटाकर उन्हें जरूरी निर्णय लेने के लिए मुक्त करना।


            प्रश्न 4. वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारत को होने वाली कोई एक हानि बताइए।

            उत्तर

            वैश्वीकरण से भारत के लघु एवं कुटीर उद्योगों का पतन हुआ है।


            प्रश्न 5. वैश्वीकरण के द्वारा लोगों को आपस में जोड़ने का क्या परिणाम होगा? 

            उत्तर

            उत्पादकों में पहले से अधिक प्रतियोगिता।


            प्रश्न 6. विदेशी व्यापार किनके बीच होता है ? 

            उत्तर

            दो या दो से अधिक देशों के बीच विदेशी व्यापार कहा होता है।


            प्रश्न 7. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ऐसी कम्पनियाँ हैं जिनका व्यवसाय एक से अधिक राष्ट्रों तक फैला हुआ है।


            प्रश्न 8. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में पाई जाने वाली क्षमता को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में दूरस्थ उत्पादकों के मूल्य, गुणवत्ता. आपूर्ति और श्रम शर्तों का निर्धारण करने की प्रचण्ड क्षमता होती है।


            प्रश्न 9.आयात कोटा का क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            इसमें सरकार द्वारा आयात की जाने वाली मात्रा को निर्धारित कर दिया जाता है उससे अधिक मात्रा का आयात नहीं किया जा सकता है।


            प्रश्न 10. व्यापार अवरोधक से क्या अभिप्राय है?

            उत्तर

            व्यापार अवरोधक सरकार द्वारा लगाए वे प्रतिबन्ध हैं जिनसे वे विदेशी व्यापार को नियमित करती है।


            प्रश्न 11. अंग्रेजों के समय भारत का विदेश व्यापार कैसा था?

            उत्तर

            अंग्रेजों के समय भारत कच्चे माल का निर्यातक एवं निर्मित माल का आयातक था।


            प्रश्न 12. विदेशी निवेश किसे कहा जाता है?

            उत्तर

            बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहा जाता है।


            प्रश्न 13. विदेश व्यापार का कोई एक लाभ बताइए।

            उत्तर

            विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने या एकीकरण में सहायक होता है।


            प्रश्न 14. विश्व व्यापार संगठन का मुख्य कार्य क्या है?

            उत्तर

            विश्व व्यापार संगठन का मुख्य कार्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धी नियमों का निर्धारण करना एवं उनकी अनुपालना करवाना है।


            प्रश्न 15. निवेश क्या है?

            उत्तर

            परिसम्पत्तियों, जैसे-भूमि, भवन, मशोन तथा अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. विश्व व्यापार संगठन क्या है ? इसके क्या कार्य हैं ? क्या यह वास्तव में अपने कार्यो को पूरा कर रहा है ? 

            उत्तर

            विश्व व्यापार संगठन (डब्लू. टी. ओ.) एक ऐसा संगठनहै जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना और मुक्त व्यापार की सुविधा देना है।

            कार्य:विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है और यह देखता है कि इन नियमों का पालन हो रहा है अथवा नहीं। 

            वास्तविकता:विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोध को बरकरार रखा है। दूसरी ओर विश्व व्यापार संगठन के नियमों ने विकासशील देशों को व्यापार अवरोधों को हटाने के लिए विवश किया है।


            प्रश्न 2. विदेश व्यापार के उदारीकरण की व्याख्या कीजिए।

            उत्तर

            विदेश व्यापार के उदारीकरण से तात्पर्य व्यापार पर अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाकर अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतियोगी बनाना है। इसमें विदेशी आयात-निर्यात पर निर्णय लेने के लिए व्यापारी सरकार के प्रतिबंधों से मुक्त हैं तथा इस सम्बन्ध में सरकार का दृष्टिकोण उदार हुआ है। विदेश व्यापार के उदारीकरण के अन्तर्गत न केवल प्रतिबन्धों को कम किया जाता है वरन् देशों द्वारा उद्यमियों को विदेश व्यापार हेतु प्रोत्साहित किया जाता है तथा उन्हें कई प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।


            प्रश्न 3. वैश्वीकरण को न्यायसंगत बनाने के लिए सरकार की भूमिका को स्पष्ट कीजिए ? 

            उत्तर

            वैश्वीकरण को न्यायसंगत बनाने के लिए सरकार की भूमिका:

            • वैश्वीकरण की नई नीति के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने का प्रयत्न किया गया ताकि पूँजी, तकनीकी ज्ञान और अनुभव का विश्व के विभिन्न देशों से आदान-प्रदान हो सके।
            • सरकार ने माल के आयात पर से अनेक प्रतिबन्ध हटा दिए। 
            • आयातित माल पर कर, कम कर दिए। 
            • विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहन दिया गया। 
            • तकनीकी क्षेत्र को हर ढंग से उन्नत करने का प्रयत्न किया गया।


            प्रश्न 4. विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं ?

            उत्तर

             विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदम:

            • विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की जा रही है। 
            • विशेष आर्थिक क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधाएँ, बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भण्डारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
            • विशेष आर्थिक क्षेत्र में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को आरंभिक पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता है।
            • विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सरकार ने श्रम-कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति दे दी है। 
            • आर्थिक नीतियों को उदार बनाया जा रहा है।


            प्रश्न 5. भारत सरकार ने स्वतंत्रता के पश्चात विदेश व्यापार और विदेशी विनिमय पर अवरोधक क्यों लगाए ? 

            उत्तर

            • विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों की रक्षा करना। 
            • स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजो ने भारतीय उद्योग धन्धों को चौपट कर दिया था। स्वतंत्रता के बाद यहाँ भारतीय उद्योग स्थापित किए गए। उद्योगों के विकास के लिए विदेशी व्यापार पर रोक आवश्यक थी। 
            • स्वतंत्रता के बाद भारत 562 टुकड़ों में बंटा हुआ था। यहाँ परिवहन तथा संचार के साधन अस्त व्यस्त थे। स्वतंत्रता के शुरूआती वर्षों में भारत के वैदेशिक संबंध इतने सुदृढ़ नहीं बन पाए थे कि विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार विकसित हो सके।


            प्रश्न 6. वैश्वीकरण के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले कोई दो नकारात्मक प्रभाव बताइए।

            उत्तर

            • वैश्वीकरण के फलस्वरूप देश के छोटे एवं कुटीर उद्योगों का पतन हुआ है क्योंकि उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता कम है।
            • वैश्वीकरण से कई बार श्रमिकों के हितों का संरक्षण नहीं हो पाता है। 


            प्रश्न 7. वैश्वीकरण के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले कोई दो सकारात्मक प्रभाव बताइए।

            उत्तर

            • वैश्वीकरण से बड़े उद्योगों को अपना विस्तार करने का अवसर मिला है तथा देश के उपभोक्ताओं को कम कीमत पर अधिक गुणवत्ता वाली वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं।
            • वैश्वीकरण के फलस्वरूप बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगमन से रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं।


            प्रश्न 8. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियंत्रण रखती हैं ? 

            उत्तर

            बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ द्वारा उत्पादन पर नियंत्रण करने की विधियाँ:

            • संयुक्त उपक्रम विधि 
            • स्थानीय कम्पनियों को खरीदना। 
            • छोटे उत्पादकों से माल खरीदना। 
            • अपने ब्रांड का इस्तेमाल करके।


            प्रश्न 9. वैश्वीकरण के कारण प्रतिस्पर्धा के कुप्रभावों का उल्लेख करो? 

            उत्तर

            • प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे उद्योगों जैसे बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने, टायरों आदि के उत्पादकों पर बुरा प्रभाव पड़ा। फलस्वरूप काफी इकाइयाँ बंद हो गईं। 
            • श्रमिकों की बेरोज़गारी में वृद्धि। 
            • श्रमिकों को अस्थाई आधार पर नियुक्त किया गया। 
            • श्रमिकों को संरक्षण और लाभ नहीं मिल रहा। 
            • श्रमिकों का अधिक घंटों तक काम करना आम बात हो गई।


            प्रश्न 10. विगत वर्षों में भारतीय बाजारों के स्वरूप में हुए परिवर्तनों को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            वर्ष 1991 में भारत ने उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अपनाया। इस प्रक्रिया के पश्चात् भारतीय बाजारों में विदेशी वस्तुओं का आगमन तथा विदेशी निवेश में काफी वृद्धि हुई है। उपभोक्ताओं को अब कम कीमत पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएँ प्राप्त हो रही हैं।


            प्रश्न 11. वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका समझाएँ। 

            उत्तर

            • परिवहन तकनीक में कई सुधारों ने दूर-दूर के स्थानों पर कम लागत पर वस्तुओं को भेजना संभव बनाया है। 
            • सूचना प्रोद्यौगिकी में सुधार से विभिन्न देश आपस में जुड़कर तुरंत सूचना प्राप्त कर लेते हैं। 
            • इंटरनेट टैक्नालॉजी से व्यापार में गति आई है।


            प्रश्न 12. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य देशों में निवेश करने से पूर्व किन बातों को ध्यान में रखती हैं? कोई दो बातें बताइए।

            उत्तर

            • बाजार की निकटता, कम लागत पर कुशल व अकुशल श्रम की उपलब्धता तथा उत्पादन के अन्य कारकों की उपलब्धता।
            • बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उस देश की सरकार की सरकारी नीतियों को भी ध्यान में रखती हैं कि सरकारी नीतियाँ उनके अनुकूल हैं या नहीं।


            प्रश्न 13. विदेश व्यापार के कोई दो लाभ बताइए।

            उत्तर

            • विदेश व्यापार से देश के उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त होती हैं।
            • विदेश व्यापार से उत्पादकों को अपना उत्पाद विदेशों में बेचने का अवसर प्राप्त होता है जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होता है।


            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण के किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए।

            उत्तर

            विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है। इसमें विश्व के विभिन्न देशों के बाजार एक बाजार के समान कार्य करते हैं।

            भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव:

            • वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने भारत में अपने निवेश में वृद्धि की है जिससे देश में रोजगार अवसरों में भी वृद्धि हुई है एवं नए रोजगार अवसर उत्पन्न हुए हैं।
            • वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप शीर्ष भारतीय कम्पनियाँ बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा से लाभान्वित हुई हैं एवं उनका विस्तार विदेशों तक हुआ है।
            • वैश्वीकरण के कारण उपजी प्रतिस्पर्धा के कारण छोटी औद्योगिक इकाइयाँ बंद हो गई हैं जिससे बेरोजगारी में वृद्धि हुई है।


            प्रश्न 2. आयात पर कर को व्यापार अवरोधक के रूप में क्यों जाना जाता है? स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेशों पर प्रतिबंध क्यों लगाया? तीन कारण दीजिए।

            उत्तर

            आयात पर 'कर'को व्यापार अवरोधक के रूप में इसलिए जाना जाता है क्योंकि इससे सरकार विदेशी व्यापार पर कुछ प्रतिबंध लगाकर उसे नियमित करती है, जिससे विदेशी व्यापार सीमित हो जाता है।

            भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार व निवेश पर प्रतिबंध लगाने के कारण:

            • देश के छोटे उद्योगपतियों को प्रतियोगिता से बचाने हेतु ताकि वे अपना पर्याप्त विकास कर सकें एवं उनका पतन न हो।
            • विदेशी कम्पनियाँ अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ कम मूल्य पर वस्तुएँ उपलब्ध कराती थीं, जबकि भारतीय कम्पनियों के लिए ऐसा करना कठिन था।
            • भारतीय उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए।

            2. स्थानीय कम्पनियों को खरीदना:बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कम्पनियों को खरीदना तथा उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। अपार सम्पदा वाली ये कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनियों को आसानी से खरीद सकती हैं।

            3. छोटे उत्पादकों को उत्पादन आर्डर देना:बहराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थानीय उत्पादकों को भी उत्पादन आर्डर देकर उत्पादन पर नियंत्रण करती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं जहाँ बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जा रहा है।

             

            प्रश्न 3. वैश्वीकरण में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका को किन्हीं तीन आधार पर स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            वैश्वीकरण में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका-वर्तमान में दूरसंचार, कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के कारण वैश्वीकरण में तेजी आई है।

            • दूरसंचार सुविधाओं जैसे टेलीग्राफ, टेलीफोन, मोबाइल फोन, फैक्स आदि का विश्व भर में एक-दूसरे से सम्पर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने तथा दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद करने में प्रयोग किया जाता है।
            • कम्प्यूटरों ने भी वैश्वीकरण को गति प्रदान की है। जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटरों का प्रवेश हो गया है।
            • इंटरनेट से तो स्थितियाँ बिल्कुल बदल गई हैं। इससे पूरे संसार की जानकारी घर बैठे प्राप्त की जा सकती है तथा बाँटी जा सकती है। इससे हम तत्काल ई-मेल भेज तथा प्राप्त कर सकते हैं।

            Extra Questions for Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार Class 10 Economics

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            Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            Questions and Answers for Upbhokta aur Adhikar Class 10 अर्थशास्त्र Science is prepared by our expert faculty at studyrankers. We have included all types of questions which could be asked in the examination like 1 mark questions, 3 marks questions and 4 marks questions. There are various types of questions like very short answer type, short answer type and long answer type questions. Our teachers have include Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार Questions and Answers in this page which very useful in learning in the chapter.

            Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

            उपभोक्ता अधिकार Important Questions

            अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. उपभोक्ता जागरूकता से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            उपभोक्ता को उसके अधिकारों एवं कर्तव्यों से अवगत कराना ही उपभोक्ता जागरूकता है।


            प्रश्न 2. उपभोक्ता के शोषण का कोई एक उदाहरण दीजिए।

            उत्तर

            उपभोक्ता को मिलावटी वस्तु देना।


            प्रश्न 5. सूचना का अधिकार से क्या तात्पर्य है?

            उत्तर

            सूचना का अधिकार वह कानून है जिसके तहत देश के नागरिकों को सरकारों के निर्णयों व कार्यकलापों की सूचना पाने का अधिकार है।


            प्रश्न 6. उपभोक्ता संरक्षण से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            उपभोक्ता को उत्पादक, विक्रेता तथा दुकानदार के शोषण से बचाना ही उपभोक्ता संरक्षण है।


            प्रश्न 7. उपभोक्ता जागरूकता से आप क्या समझते हैं?

            उत्तर

            उपभोक्ता को उसके अधिकारों एवं कर्तव्यों से अवगत कराना ही उपभोक्ता जागरूकता है।


            प्रश्न 8. किस अधिकार के तहत हम उपभोक्ता अदालत में अपनी हानि हेतु दावा कर सकते हैं?

            उत्तर

            क्षतिपूर्ति निवारण के अधिकार से हम उपभोक्ता अदालत में दावा करते हैं।


            प्रश्न 9. किसी वस्तु की निर्माण एवं समाप्ति की तिथि जानना किस अधिकार के अन्तर्गत आता है?

            उत्तर

            किसी वस्तु की निर्माण एवं समाप्ति की तिथि जानना सूचना पाने के अधिकार के तहत आता है।


            प्रश्न 10.  उपभोक्ता के कोई दो अधिकारों का नाम बताइए।

            उत्तर

            • सूचना पाने का अधिकार 
            • सुरक्षा का अधिकार। 


            प्रश्न 11. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 का दूसरा नाम क्या है?

            उत्तर

            उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 का दूसरा नाम COPRA है।


            प्रश्न 12. RTI का पूरा नाम लिखिए।

            उत्तर

            राइट टू इनफॉरमेशन।


            प्रश्न 13. भारत में उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है

            उत्तर

            भारत में उपभोक्ता दिवस 24 दिसम्बर को मनाया जाता है।


            प्रश्न 14. भारत में उपभोक्ता को जागरूक बनाने हेतु चलाए जा रहे एक कार्यक्रम का नाम बताइये।

            उत्तर

            जागो ग्राहक जागो।


            लघु उत्तरीय प्रश्न

            प्रश्न 1. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम के तहत स्थापित त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            उपभोक्ता सरक्षा अधिनियम के तहत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला. राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र स्थापित किया गया है। जिला स्तर का न्यायालय 20 लाख तक के दावों से सम्बन्धित मुकदमों पर विचार करता है, राज्य स्तरीय अदालत 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक के मुकदमे देखती है तथा राष्ट्रीय स्तर की अदालत 1 करोड़ से ऊपर के मुकदमे देखती है। यदि कोई मुकदमा जिला स्तर से खारिज कर दिया जाता है तो उसकी अपील राज्य स्तर तथा उसके पश्चात् राष्ट्रीय स्तर पर अपील की जा सकती है।


            प्रश्न 2. सूचना के अधिकार (RTI) से आप क्या समझते है ?

            उत्तर

            सन 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार में एक कानून लागु किया जी RTI या सूचना पाने का अधिकार के नाम से जाना जाता है | यह अधिकार नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यकलापों की सभी सूचनाएँ पाने का अधिकार सुनिश्चित करता है |


            प्रश्न 3. प्रतिनिधित्व के अधिकार को स्पष्ट कीजिए।

            उत्तर

            एक उपभोक्ता के पास उत्पादकों एवं विक्रेताओं द्वारा शोषित अथवा ठगे जाने के मामले में अपने पक्ष में दावा स्वीकार कराने का अधिकार होता है। सरकार ने इस विशेष उद्देश्य के लिए अनेक उपभोक्ता अदालतें स्थापित की हैं।


            प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा कौन से कानूनी उपाय किए गए?

            उत्तर

            भारत में उपभोक्ताओं को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कानूनी उपाय किए गए:

            • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, जिसे लोकप्रिय रूप से कोपरा के नाम से जाना जाता है, 1986 में अधिनियमित किया गया था। इसे 1991 और 1993 में संशोधित किया गया था।
            • अक्टूबर 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया था। यह नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यों के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। नागरिकों को उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं का विवरण जानने का अधिकार है।


            प्रश्न 5. भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाई है ?

            उत्तर

            • क़ानूनी कदम :उपभोक्ता सुरक्षा अधिनयम 1986 (COPRA) लाया गया है |
            • प्रशासनिक कदम : उपभोक्ताओं के शिकायत पर तुरंत कारवाई करना और उपभोक्ता न्यायालयों का गठन साथ-ही साथ उपभोक्ताओं के लिए अलग से मंत्रालय भी बनाया गया है|
            • तकनीकी कदम :भारत सरकार उपभक्ताओं को जागरूक करने के लिए विभिन माध्यम और तकनीकों द्वारा भिन्न-भिन्न कदम उठाती रहती है |


            प्रश्न 6. ऐसे कुछ तरीके बताइए जिनसे दुकानदारों द्वारा उपभोक्ताओं को वस्तु खरीदते समय शोषण किया जाता है |

            उत्तर

            1. घाटियां किस्म की वस्तुएँ देना |
            2. कम मापना या तौलना आदि |
            3. अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक मूल्य वसूलना |
            4. नकली वस्तुएँ देना |
            5. मिलावटी/दोषपूर्ण वस्तु देना |
            6. जमाखोरी
            7. झूठी या अधूरी सूचना देना |
            8. उपभोक्ताओं के साथ बुरा व्यवहार करना |


            प्रश्न 7. उपभोक्ताओं के कोई चार अधिकार बताओ?

            उत्तर

            उपभोक्ताओं के चार निम्नलिखित अधिकार हैं:

            • सुरक्षा का अधिकार
            • सूचना पाने का अधिकार
            • चुनने का अधिकार
            • सुनवाई का अधिकार


              प्रश्न 8. उपभोक्ता किस माध्यम से अपनी एकजुटता व्यक्त कर सकते हैं?

              उत्तर

              उपभोक्ता जागरूकता संगठन बनाकर उपभोक्ता अपनी एकजुटता व्यक्त कर सकते हैं जिसे सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। सभी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए।


              प्रश्न 9. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अधिनियमन के पीछे क्या तर्क है?

              उत्तर

              उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (कोपरा) के अधिनियमन के पीछे तर्क उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना था क्योंकि शिकायत दर्ज करने के लिए कोई कानूनी औपचारिकता नहीं है। एक उपभोक्ता को कानूनी सहायता के लिए वकील या पेशेवर नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं है। वह खुद उपभोक्ता अदालत में मामले की पैरवी कर सकता है। कोई व्यक्ति गारंटी या वारंटी कार्ड, कैश मेमो आदि जैसे सहायक दस्तावेजों के साथ सादे कागज पर उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकता है।


              प्रश्न 10.  सूचना पाने का अधिकार क्या है? इसके कोई दो लाभ समझाइए। 

              उत्तर

              उपभोक्ता का सूचना पाने का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार है। सूचना पाने के अधिकार के तहत उपभोक्ता जिन वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदता है उसके बारे में उसे सभी जानकारियाँ पाने का अधिकार है। वर्ष 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया, जो सूचना पाने का अधिकार (RTI) के नाम से जाना जाता है। 

              सूचना पाने के अधिकार के लाभ:

              • इससे उपभोक्ता वस्तु या सेवा के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सकता है तथा कोई खराबी होने पर शिकायत कर सकता है व मुआवजे पाने या वस्तु बदलने की माँग कर सकता है। 
              • सूचना पाने के अधिकार का उपभोक्ता संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है, इससे उपभोक्ता को शोषण से बचाने में मदद मिलती है। 


              प्रश्न 11. उपभोक्ताओं के शोषण के लिए उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए |

              उत्तर

              (i) दुकानदारों द्वारा सिमित सूचना देना |
              (ii) निम्न साक्षरता का होना |
              (iii) सिमित पूर्ति
              (iv) सिमित प्रतियोगिता
              (v) उपभोक्ताओं में जागरूकता का आभाव


              प्रश्न 12. उपभोक्ता को उत्पादकों एवं विक्रेताओं के शोषण से बचाने हेतु कोई दो उपाय बताइए। 

              उत्तर

              • उपभोक्ता को उसके अधिकारों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करनी चाहिए ताकि वह अपने संरक्षण में इनका उपयोग कर सके। 
              • उपभोक्ता को संरक्षण सम्बन्धी सभी अधिनियमों एवं प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानकारी देनी चाहिए। 


              प्रश्न 13. उपभोक्ता के कोई दो प्रमुख अधिकारों को स्पष्ट कीजिए।

              उत्तर

              • चुनने का अधिकार:किसी भी उपभोक्ता को, जो कि किसी सेवा को प्राप्त करता है, चाहे वह किसी भी आयु या लिंग का हो और किसी भी तरह की सेवा प्राप्त करता हो, उसको सेवा प्राप्त करते हुए हमेशा चुनने का अधिकार है। वह उपलब्ध विकल्पों में से वस्तु अथवा सेवा का चयन करने हेतु स्वतन्त्र है।
              • क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार:उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है। यदि एक उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचाई जाती है तो क्षति के आधार पर उसे क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है। इस हेतु उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई है।


              प्रश्न 14. कोपरा क्या है ? यह कैसे उपभोक्ताओं की मदद करता है ?

              उत्तर

              कोपरा (COPRA) का पूरा नाम उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 है, जो विभिन्न प्रकार से उपभोक्ताओं के शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है |

              1. दुकानदारों की मनचाही कीमत वसूलने, घटिया वस्तु देने कम तोलने, मिलावट को रोकने तथा नकली वस्तुओं से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए यह अधिनियम बनाया गया है |
              2. इस कानून के अंतर्गत कोई भी ठगी का शिकार उपभोक्ता, उपभोक्ता न्यायालय में आवेदन देकर न्याय प्राप्त कर सकता है |
              3. यह अधिनयम व्यावसायिक कंपनियों और सरकार पर दबाव डालने में सफल हुआ है |



              दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

              प्रश्न 1. बाजार में उपभोक्ताओं के शोषण हेतु जिम्मेदार कारकों को स्पष्ट करते हुए बताइए कि उन्हें इस शोषण से कैसे बचाया जा सकता है? 

              उत्तर

              उपभोक्ता के शोषण हेतु जिम्मेदार कारक:

              • उपभोक्ताओं की अज्ञानता, अशिक्षा, अल्प जानकारी तथा लापरवाही उपभोक्ताओं के शोषण का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। 
              • अधिकांश उपभोक्ताओं को आज भी अनेक अधिकारों एवं अधिनियमों की जानकारी नहीं है जिस कारण उनका शोषण होता है। 
              • उपभोक्ता अपने अधिकारों से अवगत नहीं हैं जिस कारण उनका शोषण होता है। 
              • उपभोक्ता संरक्षण से सम्बन्धित नियम एवं विनियमों का भी सही क्रियान्वयन नहीं किया जाता है तथा प्रायः इनकी प्रक्रिया लम्बी होती है अतः उपभोक्ता अपील करने में रुचि नहीं रखते हैं। 
              • निर्धन एवं ग्रामीण उपभोक्ता अदालती कार्यवाही से घबराते हैं अतः वे अपील नहीं करते हैं। 

              उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने हेतु उपाय:

              • उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। 
              • उपभोक्ता संगठनों द्वारा लोगों को अधिक जागरूक बनाया जाना चाहिए। 
              • उपभोक्ताओं को उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम तथा अन्य अधिनियमों की जानकारी दी जानी चाहिए। 
              • उपभोक्ता को विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ता अदालतों एवं शिकायत करने की प्रक्रिया से अवगत करवाना चाहिए। 
              • उपभोक्ता अधिनियमों का सही क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।


              प्रश्न 2. बाज़ार में नियमों और विनियमों की आवश्यकता क्यों है? कुछ उदाहरण देकर समझाइए।

              उत्तर

              बाजार में निम्नलिखित कारणों से नियमों और विनियमों की आवश्यकता होती है:

              • दुकानदारों और व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं का विभिन्न तरीकों से शोषण किया जाता है जैसे कम वजन या माप, अधिक कीमत, मिलावटी और दोषपूर्ण सामान।
              • किसी वस्तु या सेवा के संबंध में शिकायत की स्थिति में दुकानदार या व्यापारी किसी भी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करता है। विक्रेता सभी जिम्मेदारी खरीदार पर स्थानांतरित करने का प्रयास करता है जैसे कि बिक्री पूरी होने के बाद विक्रेता की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
              • कभी-कभी उत्पादक कम और शक्तिशाली होते हैं जबकि उपभोक्ता कम मात्रा में खरीदारी करते हैं और बिखर जाते हैं। बड़ी दौलत वाली बड़ी कंपनियां कई तरह से बाजार में हेरफेर करती हैं।
              • कई बार उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए मीडिया और अन्य स्रोतों के माध्यम से झूठी सूचना प्रसारित की जाती है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी ने वर्षों तक दुनिया भर में शिशुओं के लिए पाउडर दूध को सबसे वैज्ञानिक उत्पाद के रूप में बेचा और दावा किया कि यह मां के दूध से बेहतर है। कंपनी को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होने में वर्षों का संघर्ष लगा कि वह झूठे दावे कर रही है। इसी तरह सिगरेट बनाने वाली कंपनियों के साथ यह स्वीकार करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी गई कि उनके उत्पाद से कैंसर हो सकता है। इसलिए उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमों और विनियमों की आवश्यकता है।


              प्रश्न 3. "सूचना पाने का अधिकार एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अधिकार है।"इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

              उत्तर

              उपभोक्ता को अनेक अधिकार दिए गए हैं जिनमें से सूचना पाने का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार है। जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो उस वस्तु के डिब्बे पर हमें कई प्रकार की जानकारियाँ दी होती हैं, जैसे-कम्पनी का नाम व पता, अधिकतम खुदरा मूल्यं, उत्पादन की तिथि, समाप्ति की तिथि, वस्तु की कीमत, बैच संख्या, वस्तु के अवयव आदि। यह सब उस डिब्बे पर इसलिए लिखा होता है क्योंकि हमें सूचना पाने का अधिकार होता है। सूचना पाने के अधिकार के तहत उपभोक्ता जिन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है उसके बारे में उसे सूचना पाने का अधिकार है। तब उपभोक्ता वस्तु की किसी भी प्रकार की खराबी होने पर शिकायत कर सकता है तथा मुआवजा पाने या वस्तु बदलने की माँग कर सकता है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपनी वस्तु को अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर बेच रहा है अथवा यदि कोई व्यक्ति अंतिम तिथि समाप्त होने के पश्चात् भी दवाई बेचता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।

              वर्तमान में सरकार द्वारा प्रदत्त विविध सेवाओं को उपयोगी बनाने के लिए सूचना पाने के अधिकार को बढ़ा दिया गया है। सन् 2005 में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया जो RTI (राइट टू इनफॉरमेशन) या सूचना पाने के अधिकार के नाम से जाना जाता है। इसके अन्तर्गत हम अपने हित से सम्बन्धित कोई भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। सूचना पाने के अधिकार का उपभोक्ता संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है, इससे उपभोक्ता को शोषण से बचाने में मदद मिलती है।


              प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ता आंदोलन को किन कारकों ने जन्म दिया? इसके विकास का पता लगाएं?

              उत्तर

              • भारत में उपभोक्ता आंदोलन को जन्म देने वाले कारक कई गुना हैं। यह अनुचित और अनैतिक व्यापार प्रथाओं के खिलाफ उपभोक्ता हितों की रक्षा और बढ़ावा देने की आवश्यकता के साथ एक “सामाजिक शक्ति” के रूप में शुरू हुआ। 1960 के दशक में अत्यधिक भोजन की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी और भोजन में मिलावट के कारण उपभोक्ता आंदोलन एक संगठित क्षेत्र बन गया। 1970 के दशक तक, उपभोक्ता संगठन ज्यादातर लेख लिखने और प्रदर्शनियों के आयोजन में व्यस्त थे।
              • हाल ही में, उपभोक्ता समूहों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिन्होंने राशन की दुकान में गड़बड़ी और सार्वजनिक परिवहन वाहनों की भीड़भाड़ के प्रति चिंता दिखाई है। 1986 में, भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, जिसे कोपरा के नाम से भी जाना जाता है, अधिनियमित किया। यह भारत में उपभोक्ता आंदोलन में एक बड़ा कदम था।

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              The concept and formulas used for each question has also been updated. It has become easier for students to understand the concept behind each questions.

              Chapter Wise NCERT Solutions for Class 10 Maths

              Below is the list of chapters solutions for class 10 Maths NCERT Textbook. All the solutions are explained in detail. We have also provided the formula which are used by solving the questions. By solving these mathematics exercise of Class 10, students will be able to generate their own knowledge and build fundamentals. NCERT Solutions for Class 10 Maths in PDF format are provided below.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Exercise wise with Stepwise Solutions

              NCERT Solutions for Class 10 Maths is also provided Exercise wise. The solutions to the Maths exercise of Class 10 given here will provide you a better guidance through which you can pass with flying colours. During the exam time, most of the students get nervous which adversely impact their studies, their mind gets fed up with studying. An individual feel that they are not able to study. In such a situation, it is necessary that you thicken yourself. List of the Chapters for Class 10 Maths NCERT Solutions is given below.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers

              In Chapter 1 Real Numbers of NCERT Class 10 Maths, there are total four exercises in the chapter. In the first exercise, there are four questions and most of them are based on Euclid's division lemma. The second exercise consists of HCF and LCM questions. The third exercise has three questions in which you prove numbers rational or irrational. The last exercise also has three questions based in which you have to expand fractions into decimals and write decimals in their fraction form.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 Polynomials

              This Chapter has four exercises however the last exercise is optional. In the first exercise, you have to find zeroes of polynomials p(x). There are two questions in the second exercise. In the first, you have to verify the relationship between the zeroes and the coefficients while in the second you have to find a quadratic polynomial. The third exercise contains five questions in which you have to do division of polynomials and obtain zeroes of polynomials. The optional exercise has five questions in which you have to find zeroes of polynomials. You can click on the exercise number of NCERT Solutions for Chapter 2 Polynomials Class 10 Maths below.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 2 Exercises
              Exercise 2.1
              Exercise 2.2
              Exercise 2.3
              Exercise 2.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables

              Chapter 3 Pair of Linear Equations in two variables NCERT Solutions Class 10 Maths contains seven exercises in which the last exercise is optional. In the first exercise, there are three world problems given. There are seven questions in the second exercise. The third exercise has three questions. In the first, you have to solve the given pair of linear equations by the substitution method while in the second you need to find the value of ‘m'. In the second question, you have to solve the pair of linear equations by the elimination method and the substitution method while the second question contains five world problems. The fifth exercise contains five questions in which you have to solve the pair of linear equations through various methods given. The sixth exercise has two questions. The last exercise is optional.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 3 Exercises
              Exercise 3.1
              Exercise 3.2
              Exercise 3.3
              Exercise 3.4
              Exercise 3.5
              Exercise 3.6
              Exercise 3.7

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 4 Quadratic Equations

              Chapter 4 Quadratic Equations will help you in learning finding the the roots of quadratic equations. There are four exercises. The first has two questions, in the first you need to find check whether equations are quadratic equations or not while in the second you have to convert world problem into quadratic equations. In the second exercise, you need to find the roots of quadratic equations by factorization. The third exercise is also on finding the roots of quadratic equations. The fourth exercise has five questions based on finding roots.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 4 Exercises
              Exercise 4.1
              Exercise 4.2
              Exercise 4.3
              Exercise 4.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 5 Arithmetic Progressions

              You will learn how to find the nth terms and the sum of n consecutive terms and use them to solve word problems in this chapter Class 10 Maths Chapter 5 Arithmetic Progressions. Four exercises are given in the whole chapter which is divided into various questions in which we have to find the term. The last Exercise 5.4 is optional but it will help you in getting the concepts that will help you in solving difficult questions and will be applicable in higher classes.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 5 Exercises
              Exercise 5.1
              Exercise 5.2
              Exercise 5.3
              Exercise 5.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 Triangles

              There are six exercises including one optional based on the properties of triangles in Chapter 6 Triangles. There are various theorems provided in the chapter but as per the syllabus, there are total 9 important theorems on which you should focus because they will come in CBSE board exams so you can score more and these will be also helpful in higher grades.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 Exercises
              Exercise 6.1
              Exercise 6.2
              Exercise 6.3
              Exercise 6.4
              Exercise 6.5
              Exercise 6.6

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 7 Coordinate Geometry

              There are four exercises in the Chapter 7 Coordinate Geometry. The questions are about finding the distance between the two points whose coordinates are given, finding the area of the triangle formed by three given points and finding the coordinates of the point which divides a line segment joining two given points in a given ratio. Distance Formula, Section Formula and Area of a Triangle are some of the important formulas that you will study in this chapter.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 7 Exercises
              Exercise 7.1
              Exercise 7.2
              Exercise 7.3
              Exercise 7.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 Introduction to Trigonometry

              There are four exercises consisting of various questions mainly on finding trigonometric ratios in the Chapter 8 Introduction to Trigonometry. Trigonometric Ratios, Trigonometric Identities and Trigonometric Ratios of Complementary Angles are important topics of this chapter.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 Exercises
              Exercise 8.1
              Exercise 8.2
              Exercise 8.3
              Exercise 8.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry

              Chapter 9 Some Applications of Trigonometry contains only one exercise whose questions are based on the practical applications of trigonometry. Angle of elevation, Angle of Depression are important terms of this chapter.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Exercises
              Exercise 9.1

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 10 Circles

              A circle is the set of all points in a plane that are equidistant from a given point called the center of the circle. You will get to know about secant, chord, segment etc. Chapter 10 Circles has two exercises. The first exercise has basic questions while in the second, there various questions in which you have to prove the given equations.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 10 Exercises
              Exercise 10.1
              Exercise 10.2

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter Constructions

              In Constructions, you have to draw various constructions such as division of line segments, construction of Tangents to a Circle. You have to provide Mathematical reasoning against your constructions.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Constructions Exercises
              Exercise 11.1
              Exercise 11.2

              Three exercises cover questions of the Chapter 11 Area related to circles and finding the areas of two special ‘parts’ of a circular region.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 11 Exercises
              Exercise 11.1
              Exercise 11.2
              Exercise 11.3

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 12 Surface Areas and Volumes

              In this Chapter 12 Surface Areas and Volumes, we will deal with the problems of finding areas and volumes of different solids such as cube, cuboid and cylinder.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 12 Exercises
              Exercise 12.1
              Exercise 12.2
              Exercise 12.3
              Exercise 12.4
              Exercise 12.5

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 13 Statistics

              There are total four exercises in Chapter 13 Statistics which you have to solve questions based on finding mean, median and mode from ungrouped data to that of grouped data. You will also have to solve questions related to cumulative frequency, the cumulative frequency distribution and how to draw cumulative frequency curves.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 13 Exercises
              Exercise 13.1
              Exercise 13.2
              Exercise 13.3
              Exercise 13.4

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 14 Probability

              There are only two exercises in which one is optional in the Chapter 14 Probability. The questions is on finding the probability of getting a situation mostly on coins and dice.

              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 14 Exercises
              Exercise 14.1
              Exercise 14.2

              Practising NCERT Solutions for Class 10 Maths is one the best way to improve your problem solving skills that is why Studyrankers has tried to provide accurate and detailed questions and answers chapterwise. A student will get to know about all the concepts that are embedded into the chapter which will be prove very precious not only this class but also in upcoming years.

              Related Study Materials for Class 10 Maths

              Other than NCERT Solutions for Class 10 Maths, MCQ and Revision Notes of Class 10 Maths are also important. We have also provided important questions where students can practice and would be able to get good marks in the examination.

              Weightage of Marks for CBSE Class 10 Maths

              Units

              Unit Name

              Marks

              I

              Number Systems

              06

              II

              Algebra

              20

              III

              Coordinate Geometry

              06

              IV

              Geometry

              15

              V

              Trigonometry

              12

              VI

              Mensuration

              10

              VII

              Statistics & Probability

              11

               

              Total

              80


              Why you should solve Class 10 Maths NCERT Solutions

              We know the struggle that a student face in collecting right study materials. That is why, our experts have prepared Class 10 Study materials that includes NCERT Class 10 Maths Solutions, NCERT Class 10 Maths Notes, Class 10 Maths MCQs, Class 10 Maths Important Questions. These study materials will save your time and you can study effectively. NCERT Solutions for Class 10 Maths are explained properly giving you concepts of different topics.

              It is important to note that in the newest academic session, CBSE decided to reduce syllabus by 30 percent however many topics which have been removed can act as connectors so a students must read those topics and improve their knowledge and skills. Class 10 Maths NCERT Solutions will help them in revising those topics. These are not only essential in Class 10 but if you're opting Science stream then also these topics will come so you must have proper understanding of those. You can check detailed CBSE Class 10 Maths latest Syllabus in order to know detailed syllabus and exam pattern.


              Why NCERT Solutions for Class 10 Maths by Studyrankers?

              These Maths Class 10 Solutions are prepared by our experts who are experienced and well qualified who have prepared step by step NCERT Class 10 Maths Solutions which will help you:
              • In knowing the areas where one is lacking.
              • We have touched all important points and detailed them so students can easily get them. 
              • NCERT Maths solutions also includes concept specific to the questions so you don't have to roam around the different sources to understand the question.
              NCERT Class 10 Maths Textbook is one of the key through which you can check your understanding about the chapter. The Class 10th Maths textbook consists of total 15 chapters which can be divided into seven units. There are various questions provided between the chapter known as NCERT Solutions. These NCERT questions are important for the purpose of examinations and also help in developing your knowledge.

              Class 10 Maths NCERT Solutions- NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapterwise

              Taking small step through studying NCERT Class 10 Maths Solutions will big impact and you will feel Maths subject is easy. This will motivate you further in taking supplementary books like RS Aggarwal.

              Frequently Asked Questions on Class 10 Geography NCERT Solutions


              Where to find Class 10 Maths NCERT Solutions?

              Finding accurate and step by step Class 10 Maths Solutions can be really tough that is why Studyrankers experts have prepared them so you can get them easily without wasting your time. These solutions are arranged chapterwise and exercise wise as well. You can use these solutions to develop your skills and knowledge.

              What is circumference of a circle?

              The total length of boundary of a circle is called circumference of a circle.
              Circumference of a circle = 2πr; where 'r is radius of the circle.

              What is an event in Probability?

              The collection of some or all possible outcomes of a random experiment is called an event

              How many chapters are there in Class 10 NCERT Maths textbook?

              There are total 14 chapters in CBSE Class 10 NCERT Maths textbook as per session 2023-24. The chapters names are Chapter 1- Real Numbers, Chapter 2 - Polynomials, Chapter 3 - Pair of Linear Equations in Two Variables, Chapter 4 - Quadratic Equations, Chapter 5 - Arithmetic Progressions, Chapter 6 - Triangles, Chapter 7 - Coordinate Geometry, Chapter 8 - Introduction to Trigonometry, Chapter 9 - Some Applications of Trigonometry, Chapter 10 - Circles, Chapter 11 - Areas related to Circles, Chapter 12 - Surface Areas and Volumes, Chapter 13 - Statistics and Chapter 14 - Probability.

              Chapter 1 Real Numbers NCERT Solutions for Class 10 Maths

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              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers

              Here, we have providing Class 10 Maths NCERT Solutions for Chapter 1 Real Numbers which will be beneficial for students. These solutions are updated according to 2020-21 syllabus. As NCERT Solutions are prepared by Studyrankers experts, we have taken of every steps so you can understand the concepts without any difficulty. These Real Numbers Class 10 NCERT Solutions can be really helpful in the preparation of Board exams and will provide you with in depth detail of the chapter.

              Page No. 7

              Exercise 1.1

              1. Use Euclid's division algorithm to find the HCF of:

              (i) 135 and 225

              (ii) 196 and 38220

              (iii) 867 and 255

              Answer

              (i) 225 > 135 we always divide greater number with smaller one.

              Divide 225 by 135 we get 1 quotient and 90 as remainder so that,
              225= 135 × 1 + 90

              Divide 135 by 90 we get 1 quotient and 45 as remainder so that,
              135= 90 × 1 + 45

              Divide 90 by 45 we get 2 quotient and no remainder so we can write it as
              90 = 2 × 45+ 0

              As there are no remainder so divisor 45 is our HCF.


              (ii) 38220 > 196 we always divide greater number with smaller one.

              Divide 38220 by 196 then we get quotient 195 and no remainder so we can write it as
              38220 = 196 × 195 + 0

              As there is no remainder so divisor 196 is our HCF.


              (iii) 867 > 255 we always divide greater number with smaller one.

              Divide 867 by 255 then we get quotient 3 and remainder is 102 so we can write it as
              867 = 255 × 3 + 102

              Divide 255 by 102 then we get quotient 2 and remainder is 51 so we can write it as
              255 = 102 × 2 + 51

              Divide 102 by 51 we get quotient 2 and no remainder so we can write it as
              102 = 51 × 2 + 0

              As there is no remainder so divisor 51 is our HCF.


              2. Show that any positive odd integer is of the form 6q + 1, or 6q + 3, or 6q + 5, where q is some integer.

              Answer

              Let take a as any positive integer and b = 6.

              Then using Euclid’s algorithm we get a = 6q + r here r is remainder and value of q is more than or equal to 0 and r = 0, 1, 2, 3, 4, 5 because 0 ≤ r < b and the value of b is 6 

              So, total possible forms will 6+ 0 , 6+ 1 , 6+ 2,6+ 3, 6q + 4, 6q + 5

              6q + 0
              6 is divisible by 2 so it is a even number 

              6q + 1
              6 is divisible by 2 but 1 is not divisible by 2 so it is a odd number

              6q + 2
              6 is divisible by 2 and 2 is also divisible by 2 so it is a even number

              6q + 3
              6 is divisible by 2 but 3 is not divisible by 2 so it is a odd number 

              6q + 4
              6 is divisible by 2 and 4 is also divisible by 2 it is a even number

              6q + 5
              6 is divisible by 2 but 5 is not divisible by 2 so it is a odd number

              So, odd numbers will in form of 6q + 1, or 6q + 3, or 6q + 5.


              3. An army contingent of 616 members is to march behind an army band of 32 members in a parade. The two groups are to march in the same number of columns. What is the maximum number of columns in which they can march?

              Answer

              HCF (616, 32) will give the maximum number of columns in which they can march.

              We can use Euclid's algorithm to find the HCF.
              616 = 32 × 19 + 8
              32 = 8 × 4 + 0
              The HCF (616, 32) is 8.
              Therefore, they can march in 8 columns each.


              4. Use Euclid's division lemma to show that the square of any positive integer is either of form 3m or 3m + 1 for some integer m.

              [Hint: Let x be any positive integer then it is of the form 3q, 3q + 1 or 3q + 2. Now square each of these and show that they can be rewritten in the form 3m or 3m + 1.]

              Answer

              Let a be any positive integer and b = 3.

              Then a = 3q + r for some integer q ≥ 0
              And r = 0, 1, 2 because 0 ≤ r < 3
              Therefore, a = 3q or 3q + 1 or 3q + 2
              Or,
              a2 = (3q)2 or (3q + 1)2 or (3q + 2)2
              a2 = (9q)2 or 9q2 + 6q + 1 or 9q2 + 12q + 4
              = 3 × (3q2) or 3(3q2 + 2q) + 1 or 3(3q2 + 4q + 1) + 1
              = 3k1 or 3k2 + 1 or 3k3 + 1

              Where k1k2, and k3 are some positive integers
              Hence, it can be said that the square of any positive integer is either of the form 3m or 3m + 1.


              5. Use Euclid's division lemma to show that the cube of any positive integer is of the form 9m, 9+ 1 or 9m + 8.

              Answer

              Let a be any positive integer and b = 3

              a = 3q + r, where q≥ 0 and 0 ≤ r< 3

              a = 3q or 3q + 1 or 3q + 2

              Therefore, every number can be represented as these three forms. There are three cases.

              Case 1: When a = 3q,
              a3 = (3q)3 = 27q3 = 9(3q)3 = 9m,
              where, m is an integer such that m = 3q3

              Case 2: When a = 3q + 1,
              a3 = (3q +1)3
              a3= 27q3 + 27q2 + 9q + 1
              a3 = 9(3q3 + 3q2 + q) + 1
              a3 = 9m + 1
              where, m is an integer such that m = (3q3 + 3q2 + q)

              Case 3: When a = 3q + 2,
              a3 = (3q +2)3
              a3= 27q3 + 54q2 + 36q + 8
              a3 = 9(3q3 + 6q2 + 4q) + 8
              a3 = 9m + 8
              where m is an integer such that m = (3q3 + 6q2 + 4q)

              Therefore, the cube of any positive integer is of the form 9m, 9m + 1, or 9m + 8.


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              Exercise 1.2

              1. Express each number as product of its prime factors:

              (i) 140

              (ii) 156

              (iii) 3825

              (iv) 5005

              (v) 7429

              Answer

              (i) 140 = 2 × 2 × 5 × 7 = 22× 5 × 7

              (ii) 156 = 2 × 2 × 3 × 13 = 22× 3 × 13

              (iii) 3825 = 3 × 3 × 5 × 5 × 17 = 32× 52× 17

              (iv) 5005 = 5 × 7 × 11 × 13

              (v) 7429 = 17 × 19 × 23


              2. Find the LCM and HCF of the following pairs of integers and verify that LCM × HCF = product of the two numbers.

              (i) 26 and 91

              (ii) 510 and 92 

              (iii) 336 and 54

              Answer

              (i) 26 = 2 × 13

              91 =7 × 13

              HCF = 13

              LCM =2 × 7 × 13 =182

              Product of two numbers 26 × 91 = 2366

              Product of HCF and LCM 13 × 182 = 2366

              Hence, product of two numbers = product of HCF × LCM


              (ii) 510 = 2 × 3 × 5 × 17

              92 = 2 × 2 × 23

              HCF = 2

              LCM =2 × 2 × 3 × 5 × 17 × 23 = 23460

              Product of two numbers 510 × 92 = 46920

              Product of HCF and LCM 2 × 23460 = 46920

              Hence, product of two numbers = product of HCF × LCM


              (iii) 336 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 7

              54 = 2 × 3 × 3 × 3

              HCF = 2 × 3 = 6

              LCM = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 3 × 7 =3024

              Product of two numbers 336 × 54 =18144

              Product of HCF and LCM 6 × 3024 = 18144

              Hence, product of two numbers = product of HCF × LCM.


              3. Find the LCM and HCF of the following integers by applying the prime factorization method.

              (i) 12, 15 and 21 

              (ii) 17, 23 and 29 

              (iii) 8, 9 and 25

              Answer

              (i) 12 = 2 × 2 × 3

              15 = 3 × 5

              21 =3 × 7

              HCF = 3

              LCM = 2 × 2 × 3 × 5 × 7 = 420


              (ii) 17 = 1 × 17

              23 = 1 × 23

              29 = 1 × 29

              HCF = 1

              LCM = 1 × 17 × 19 × 23 = 11339


              (iii) 8 =1 × 2 × 2 × 2

              9 =1 × 3 × 3

              25 =1 × 5 × 5

              HCF =1

              LCM = 1 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 5 × 5 = 1800


              4. Given that HCF (306, 657) = 9, find LCM (306, 657).

              Answer

              We have the formula that,

              Product of LCM and HCF = product of number

              LCM × 9 = 306 × 657

              Divide both side by 9 we get,

              ⇒ LCM = 34 × 657 = 22338


              5. Check whether 6n can end with the digit 0 for any natural number n.

              Answer

              If any digit has last digit 10 that means it is divisible by 10 and the factors of 10 = 2 × 5.

              So, value 6n should be divisible by 2 and 5 both.

              6n is divisible by 2 but not divisible by 5 as the prime factors of 6 are 2 and 3.

              So, it can not end with 0.


              6. Explain why 7×11×13 + 13 and 7×6×5×4×3×2×1 + 5 are composite numbers.

              Answer

              7 × 11 × 13 + 13

              Taking 13 common, we get

              13 (7×11 +1 )

              ⇒ 13(77 + 1 )

              ⇒ 13 (78)

              It is product of two numbers and both numbers are more than 1 so it is a composite number.

              7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1 + 5

              Taking 5 common, we get

              5(7 × 6 × 4 × 3 × 2 × 1 +1)

              ⇒ 5(1008 + 1)

              ⇒ 5(1009)

              It is product of two numbers and both numbers are more than 1 so it is a composite number.


              7. There is a circular path around a sports field. Sonia takes 18 minutes to drive one round of the field, while Ravi takes 12 minutes for the same. Suppose they both start at the same point and at the same time, and go in the same direction. After how many minutes will they meet again at the starting point.

              Answer

              They will be meet again after LCM of both values at the starting point.

              18 = 2 × 3 × 3

              12 = 2 × 2 × 3

              LCM = 2 × 2 × 3 × 3 = 36

              Therefore, they will meet together at the starting point after 36 minutes.


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              Exercise 1.3

              1. Prove that √5 is irrational.

              Answer

              Let us take √5 as rational number

              If a and b are two co prime number and b is not equal to 0.

              We can write √5 = a/b

              Multiply by b both side we get,

              b√5 = a

              To remove root, Squaring on both sides, we get

              5b2 = a2(i)

              Therefore, 5 divides a2 and according to theorem of rational number, for any prime number p which is divides a2 then it will divide a also.

              That means 5 will divide a. So we can write,

              a = 5c

              Putting value of a in equation (i) we get

              5b2 = (5c)2

              ⇒ 5b2 = 25c2

              Divide by 25 we get,

              b2/5 = c2

              Similarly, we get that b will divide by 5 and we have already get that a is divide by 5 but a and b are co prime number. So it contradicts.

              Hence, √5 is not a rational number, it is irrational.


              2. Prove that 3 + 2√5 is irrational.

              Answer

              Let take that 3 + 2√5 is a rational number.

              So we can write this number as,

              3 + 2√5 = a/b

              Here, a and b are two co prime number and b is not equal to 0

              Subtract 3 both sides we get

              2√5 = a/b – 3

              ⇒ 2√5 = (a-3b)/b

              Now, divide by 2, we get

              √5 = (a-3b)/2b

              Here, a and b are integer so (a-3b)/2b is a rational number so √5 should be a rational number. But √5 is a irrational number, so it contradicts.

              Hence, 3 + 2√5 is a irrational number.


              3. Prove that the following are irrationals:

              (i) 1/√2

              (ii) 7√5

              (iii) 6 + √2

              Answer

              (i) Let take that 1/√2 is a rational number.

              So, we can write this number as

              1/√2 = a/b

              Here, a and b are two co prime number and b is not equal to 0

              Multiply by √2 both sides we get,

              1 = (a2)/b

              Now, multiply by b

              b = a2

              Divide by a we get

              b/a = √2

              Here, a and b are integer, so b/a is a rational number. So, √2 should be a rational number

              But √2 is a irrational number so it contradicts.

              Hence, 1/√2 is a irrational number


              (ii) Let take that 7√5 is a rational number.

              So we can write this number as

              7√5 = a/b

              Here, a and b are two co prime number and b is not equal to 0

              Divide by 7 we get

              √5 = a/(7b)

              Here, a and b are integer so a/7b is a rational number so √5 should be a rational number but √5 is a irrational number so it contradicts.

              Hence, 7√5 is a irrational number.


              (iii) Let take that 6 + √2 is a rational number.

              So we can write this number as

              6 + √2 = a/b

              Here, a and b are two co prime number and b is not equal to 0

              Subtract 6 both side we get

              √2 = a/b– 6

              ⇒ √2 = (- 6b)/b

              Here, a and b are integer so (a-6b)/b is a rational number, So, √2 should be a rational number.

              But √2 is a irrational number so it contradicts.

              Hence, 6 + √2 is a irrational number.


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              Exercise 1.4

              1. Without actually performing the long division, state whether the following rational numbers will have a terminating decimal expansion or a non-terminating repeating decimal expansion:

              (i) 13/3125

              (ii) 17/8 

              (iii) 64/455 

              (iv) 15/1600 

              (v) 29/343 

              (vi) 23/2× 52 

              (vii) 129/2× 5× 75 

              (viii) 6/15 

              (ix) 35/50 

              (x) 77/210

              Answer

              (i) 13/3125

              Factorize the denominator we get

              3125 =5 × 5 × 5 × 5 × 5 = 55

              So, denominator is in form of 5m so it is terminating.


              (ii) 17/8

              Factorize the denominator we get,

              8 =2 × 2 × 2 = 23

              So, denominator is in form of 2m so it is terminating.


              (iii) 64/455

              Factorize the denominator we get,

              455 = 5 × 7 × 13

              There are 7 and 13 also in denominator so denominator is not in form of 2m × 5n. So, it is not terminating.


              (iv) 15/1600

              Factorize the denominator we get,

              1600 = 2 × 2 × 2 ×2 × 2 × 2 × 5 × 5 = 26 × 52

              So, denominator is in form of 2m × 5n

              Hence, it is terminating.


              (v) 29/343

              Factorize the denominator we get,

              343 = 7 × 7 × 7 = 73

              There are 7 also in denominator so denominator is not in form of 2m × 5n

              Hence, it is non-terminating.


              (vi) 23/(23 × 52)

              Denominator is in form of 2m × 5n

              Hence, it is terminating.


              (vii) 129/(22 × 57 × 75 )

              Denominator has 7 in denominator so denominator is not in form of 2m × 5n

              Hence, it is none terminating.


              (viii) 6/15

              Divide nominator and denominator both by 3 we get 2/5

              Denominator is in form of 5m so it is terminating.


              (ix) 35/50 divide denominator and nominator both by 5 we get 7/10

              Factorize the denominator we get,

              10 = 2 × 5

              So, denominator is in form of 2m × 5n so it is terminating.


              (x) 77/210

              Simplify it by dividing nominator and denominator both by 7 we get, 11/30

              Factorize the denominator we get,

              30 = 2 × 3 × 5

              Denominator has 3 also in denominator so denominator is not in form of 2m × 5n

              Hence, it is none terminating.


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              2. Write down the decimal expansions of those rational numbers in Question 1 above which have terminating decimal expansions.

              Answer

              (i) 13/3125

              = 0.00416


              (ii) 17/8

              = 2.125


              (iv) 15/1600

              = 0.009375


              (vi) 23/2352

              = 0.115


              (viii) 6/15

              Dividing numerator and denominator by 3.

              = 0.4


              (ix) 35/50

              Dividing numerator and denominator by 5.

              = 0.7.


              3. The following real numbers have decimal expansions as given below. In each case, decide whether they are rational or not. If they are rational, and of the form p , q you say about the prime factors of q?

              (i) 43.123456789

              (ii) 0.120120012000120000...

              (iii) 43.123456789

              Answer

              (i) Since this number has a terminating decimal expansion, it is a rational number of the form p/q, and q is of the form 2m × 5n.


              (ii) The decimal expansion is neither terminating nor recurring. Therefore, the given number is an irrational number.


              (iii) Since the decimal expansion is non-terminating recurring, the given number is a rational number of the form p/q, and q is not of the form 2m × 5n.


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              Chapterwise NCERT Solutions for Class 10 Maths


              Chapter 2 Polynomials
              Chapter 3 Linear Equations In Two Variables
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              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 - Real Numbers

              In chapter 1 Real Numbers, we will restart our exploration of the world of real numbers. We will study Euclid’s division algorithm and the Fundamental Theorem of Arithmetic. Also, we will see decimal representation of real numbers.

              Euclid's Division Algorithm is a technique to compute HCF or GCD (greatest common divisor) of two given positive integers saya and b (a > b) by successive use of Euclid's division lemma.

              The Fundamental Theorem of Arithmetic, on the other hand, has to do something with multiplication of positive integers. It says very composite number can be factorised as a product of primes, and this factorisation is unique, apart from the order in which prime factors occur.

              We have also provided Notes of Chapter 1 Real Numbers Class 10 Maths, MCQ Questions of Chapter 1 Real Numbers which will supplement your preparation in a better way.

              There are total four exercises in this chapter. We have provided Class 10 Maths Solutions of every exercises step by step. You can check solutions of each exercises just by clicking on the links given below.
              CBSE NCERT Solutions are best way to check your understanding of any chapter as it contains all the basic to advance questions. Studyrankers experts have solved all the questions so you can check them whenever you find it difficult. NCERT Solutions for Class 10 Maths is very important in learning mathematics for board examinations.


              NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers

              FAQ on Chapter 1 Real Numbers

              How many exercises in Chapter 1 Real Numbers

              There are only 4 exercises in the chapter. In order to solve problem in a better way, first you need to understand the concepts. We have provided NCERT Solutions for Chapter 1 Real Numbers Class 10 Maths of every question exercisewise in step by step manner so you can score more in the examinations. The answers of every questions is provided in step by step manner so a student do not have to face difficulty in getting them.

              What is Lemma?

              A lemma is a proven statement used for proving another statement..

              What do you mean by Fundamental Theorem of Arithmetic.

              Every composite number can be expressed as a product of primes, and this factorisation is unique, apart from the order in which the prime factors occur.

              What is Algorithm?

              An algorithm is a series of well defined steps which gives a procedure for solving a type of problem.

              NCERT Solutions for Class 10 English Chapter 1 A Letter to God First Flight

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              Chapter 1 A Letter to God NCERT Solutions for Class 10 First Flight English

              Written by G.L. Fuentes

              Page No: 5

              Oral Comprehension Check

              1. What did Lencho hope for?

              Answer

              Lencho hoped for rains as the only thing that his field of ripe corn needed was a shower.


              2. Why did Lencho say the raindrops were like ‘new coins’?

              Answer

              Lencho’s crops were ready for harvest. As raindrops would have helped in getting a better harvest, resulting in more prosperity, so Lencho compared them with new coins.


              3. How did the rain change? What happened to Lencho’s fields?

              Answer

              The rain was pouring down. But suddenly, a strong wind began to blow and very large hailstones began to fall along with the rain. All the crop in Lencho's fields destroyed.


              4. What were Lencho’s feelings when the hail stopped?

              Answer

              After hail stopped, Lencho's soul was filled with sadness. He could see a bleak future for him and his family. Hew was worried about lack of food for the coming year.


              Page No: 6

              Oral Comprehension Check

              1. Who or what did Lencho have faith in? What did he do?

              Answer

              Lencho had faith in God. He believed that God’s eyes see everything, even what is deep in one’s conscience. He wrote a letter to God saying that he needed a hundred pesos to sow his field again and go without hunger this year.


              2. Who read the letter?

              Answer

              Postmaster read the letter.


              3. What did the postmaster do then?

              Answer

              The Postmaster first laughed but then he became serious. He was deeply moved by the writer’s faith in God. He did not want to shake this faith. So, he decided to collect the money and send it to Lencho.


              Page No: 7

              Oral Comprehension Check

              1. Was Lencho surprised to find a letter for him with money in it?

              Answer

              No, Lencho was not at all surprised to see the letter from God with money inside it. His confidence and faith in God was such that he had expected that reply from God.


              2. What made him angry?

              Answer

              When he finished counting money, he found only seventy pesos. But he demanded hundred pesos. He was confident that God could neither make a mistake nor deny him what he had requested. Therefore, he concluded that the post office employees must have taken the remaining thirty pesos.


              Thinking about the Text

              1. Who does Lencho have complete faith in? Which sentences in the story tell you this?

              Answer

              Lencho had complete faith in God. The sentences in the story that show this are as follows:

              1. But in the hearts of all who lived in that solitary house in the middle of the valley, there was a single hope: help from God.
              2. All through the night, Lencho thought only of his one hope: the help of God, whose eyes, as he had been instructed, see everything, even what is deep in one’s conscience.
              3. “God,” he wrote, “if you don’t help me, my family and I will go hungry this year.”
              4. He wrote ‘To God’ on the envelope, put the letter inside and, still troubled, went to town.
              5. God could not have made a mistake, nor could he have denied Lencho what he had requested.
              6. It said: “God: of the money that I asked for, only seventy pesos reached me. Send me the rest, since I need it very much.”

              2. Why does the postmaster send money to Lencho? Why does he sign the letter ‘God’?

              Answer

              Postmaster was moved by Lencho’s complete faith in the God. So, he decided to send money to Lencho. Moreover, the postmaster did not want to shake Lencho’s faith in God. So, he signed the letter ‘God’. It was a good ploy to convey a message that God had himself written the letter.


              3. Did Lencho try to find out who had sent the money to him? Why/Why not?

              Answer

              No, Lencho does not try to find out who had sent the money to him. This is because he had great confidence in God and never suspected that it could be someone else other than God who would send him the money. His faith in God was so strong that he believed that God had sent him the money.


              4. Who does Lencho think has taken the rest of the money? What is the irony in the situation? [Remember that the irony of a situation is an unexpected aspect of it. An ironic situation is strange or amusing because it is the opposite of what is expected.]

              Answer

              Lencho thinks that the post office people have taken the money. It is the post office people who send the money to Lencho. But, on the other hand, Lencho thinks they have stolen his money. He calls them crooks. Thus there is an element of irony in this situation.


              Page No. 8

              5. Are there people like Lencho in the real world? What kind of a person would you say he is? You may select appropriate words from the box to answer the question.

              Greedy
              Naïve
              stupid
              ungrateful
              selfish
              comical
              unquestioning

              Answer 

              I don't think there can be any such people in the real world. Lencho is literate and yet he dosen’t know how his letter will reach God without any address. He probably would be naive and unquestioning.


              6. There are two kinds of conflict in the story: between humans and nature, and between humans themselves. How are these conflicts illustrated?

              Answer

              The conflict between humans and nature is shown by the destruction of Lencho’s crops by the hailstorm. As the crops failed by hail, Lencho started feeling sad and gloomy after the storm appropriately projects the conflict of the nature and the man. The Story also shown another conflict, between humans themselves. The postmaster, along with the help of the other post office employees, sent Lencho the money that they could manage to collect. They were not related to Lencho in any manner. It was an act of kindness and selflessness on their part. Even though they did a good deed, Lencho blamed them for taking away some amount of money. This shows that man does not have faith in his fellow humans, thereby giving rise to this conflict.


              Thinking about the Language

              1. There are different names in different parts of the world for storms, depending on their nature. Can you match the names in the box with their descriptions below, and fill in the blanks? You may use a dictionary to help you.

              gale, whirlwind, cyclone, hurricane, tornado, typhoon

              1. A violent tropical storm in which strong winds move in a circle: __ __ c __ __ __ __

              2. An extremely strong wind: __ a __ __

              3. A violent tropical storm with very strong winds: __ __ p __ __ __ __

              4. A violent storm whose centre is a cloud in the shape of a funnel: __ __ __ n __ __ __

              5. A violent storm with very strong winds, especially in the western Atlantic ocean: __ __ r __ __ __ __ __ __

              6. A very strong wind that moves very fast in a spinning movement and causes a lot of damage: __ __ __ __ l __ __ __ __

              Answer

              1. Cyclone

              2. Gale

              3. Typhoon

              4. Tornado

              5. Hurricane

              6. Whirlwind


              2. Match the sentences in Column A with the meanings of ‘hope’ in Column B.

              A
              B
              1.
              Will you get the subjects you want to study in college?
              I hope so.
              a feeling that something good will probably happen
              2.
              I hope you don’t mind my saying this, but I don’t like the way you are arguing.
              thinking that this would happen (It may or may not have happened).
              3.
              This discovery will give new hope to HIV/AIDS sufferers.
              stopped believing that this good thing would happen
              4.
              We were hoping against hope that the judges would not notice our mistakes.
              wanting something to happen (and thinking it quite possible)
              5.
              I called early in the hope of speaking to her before she went to school.
              showing concern that what you say should not offend or disturb the other person: a way of being polite
              6.
              Just when everybody had given up hope, the fishermen came back, seven days after the cyclone.
              wishing for something to happen, although this is very unlikely

              Answer

              A
              B
              1.
              Will you get the subjects you want to study in college? I hope so.
              wanting something to happen (and thinking it quite possible)
              2.
              I hope you don’t mind my saying this, but I don’t like the way you are arguing.
              showing concern that what you say should not offend or disturb the other person: a way of being polite
              3.
              This discovery will give new hope to HIV/AIDS sufferers.
              a feeling that something good will probably happen
              4.
              We were hoping against hope that the judges would not notice our mistakes.
              wishing for something to happen, although this is very unlikely
              5.
              I called early in the hope of speaking to her before she went to school.
              thinking that this would happen (It may or may not have happened.)
              6.
              Just when everybody had given up hope, the fisherman came back, seven days after the cyclone.
              stopped believing that this good thing would happen

              Page No. 9

              3. Join the sentences given below using who, whom, whose, which as suggested.

              1. I often go to Mumbai. Mumbai is the commercial capital of India. (which)

              2. My mother is going to host a TV show on cooking. She cooks very well. (who)

              3. These sportspersons are going to meet the President. Their performance has been excellent. (whose)

              4. Lencho prayed to God. His eyes see into our minds. (whose)

              5. This man cheated me. I trusted him. (whom)

              Answer

              1. I often go to Mumbai, which is the commercial capital of India.

              2. My mother, who cooks very well, is going to host a TV show on cooking.

              3. These sportspersons, whose performance has been excellent, are going to meet the President.

              4. Lencho prayed to God, whose eyes see into our minds.

              5. This man, whom I trusted, cheated me.


              Page No. 10

              4. Find sentences in the story with negative words, which express the following ideas emphatically.

              1. The trees lost all their leaves.
              ______________

              2. The letter was addressed to God himself.
              ______________

              3. The postman saw this address for the first time in his career.
              ______________

              Answer

              1. The trees lost all their leaves.
              Not a leaf remained on the trees.

              2. The letter was addressed to God himself.
              It was nothing less than a letter to God.

              3. The postman saw this address for the first time in his career.
              Never in his career as a postman had he known that address.


              Page No. 11

              5. In pairs, find metaphors from the story to complete the table below. Try to say what qualities are being compared. One has been done for you.

              Object
              Metaphor
              Quality or Feature Compared
              Cloud
              Huge mountains of cloudsThe mass or ‘hugeness’ of mountains.
              Raindrops
              Hailstones
              Locusts
              An epidemic (a disease) that spreads very rapidly and leaves many people dead.
              An ox of a man.

              Answer

              Object
              Metaphor
              Quality or Feature Compared
              Cloud
              Huge mountains of cloudsThe mass or ‘hugeness’ of mountains
              Raindrops
              A curtain of rainThe draping or covering of an area by a curtain
              Hailstones
              The frozen pearlsThe resemblance in colour and hardness of a pearl
              Locusts
              A plague of locustsThe consequences (destruction) of plague
              Locusts
              A plague of locustsAn epidemic (a disease) that spreads very rapidly and leaves many people dead
              Man
              An ox of a manThe working of an ox in the fields (hard work)

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              A Letter to God Summary and Explanation Class 10 English First Flight

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              Summary of Chapter 1 A Letter to God (Quick Revision  Notes, Character Sketches and Word Meanings) First Flight Class 10

              A letter to God summary class 10 english is very essential in understanding the story of the chapter. By reading the explanation of a letter to God, students will gain confidence. They will be able to give proper explanation of the story and write the questions and answers. We have also provided quick revision notes for a letter to God to easily understand the concept of the chapter.

              Summary of Chapter 1 A Letter to God Class 10 English

              Summary of the Chapter

              Lencho was a farmer. He had the field of ripe corn dotted with the flowers. He hoped for a downpour or at least a shower. He was happy to see huge mountains of clouds.

              A Letter to God Summary and Explanation

              But suddenly strong wind began to blow with the large hailstones. The hail rained for an hour and the field was white as if covered with salt. The corn was destroyed completely. The hail has left nothing. He did not understand what to do. But he had a great faith in god. He decided to seek help from god. He wrote a letter to god demanding 100 pesos.

              A Letter to God Summary and Explanation

              When the postman read the letter addressing to god he could not stop himself by laughing. But the post master who was a fat, amiable man decided to help Lencho. He collected 70 pesos from his friends, charity and he himself gave part of his salary.

              A Letter to God Summary and Explanation

              The following Sunday Lencho came to collect the money. But he was disappointed to find only 70 pesos. He was angry and he wrote again a letter to god demanding the rest of the money. He also wrote that the god should not send the money through the post office because what he believed that the post office employees are a bunch of crooks.


              Quick Revision Notes for A letter to God

              • Lencho’s crops had failed that year and he had only a single hope i.e. God!
              • He wrote a letter to God “God, my crops have failed and my family is going to starve. I need some money- hundred pesos.”
              • At the post office, the postmen saw such a queer letter and brought it to the postmaster.
              • The postmaster was a man of sympathy and understand a man like Lencho.
              • Postmaster observed that faith of Lencho was strong as a child’s so he decided to send an amount of hundred pesos to the poor farmer.
              • Hundred pesos was a huge amount, the postmaster was able to collect only seventy pesos. However, he sent the money to Lencho.
              • Lencho received the money with a belief that God had helped him.
              • Lencho was sad and angry after counting the money as he received only seventy instead of hundred.
              • Lencho wrote another letter to God and dropped the letter in the same postbox and went.
              • The postmaster felt the biggest shock and shame in his life after opening Lencho’s second letter to God.
              • Lencho had written, “God, of the money that I had asked for, only seventy pesos reached me. Send me the rest, since I need it very much. But don’t send it to me through the post because the post office employees are a bunch of thieves. Lencho.”

              Character Sketches from A letter to God

              Lencho: Lencho was a simple man as farmers usually are everywhere. He had an unshaken faith in God. Lencho was highly religious and so was his wife. He believed that God always helps people with a clear conscience. Therefore, when he lost all hope and he and his family were on the verge of starvation, he looked towards God for help. He was a little educated to write a letter. He shows his innocence by trying to have a correspondence with God directly. He was strong and sturdy like an ox. Not only that, he worked day and night in the fields. While he had an unshaken faith in God, he mistrusted easily the motives of men. He could never know and nor did he ever try to know who had sent him those seventy pesos to help him. It is quite ironic that he abused his helpers by calling them ‘a bunch of crooks’.

              Postmaster: The postmaster has all that is good in human thinking and behaviour. He has a thorough understanding of a sharp, sympathetic and sensitive mind. He knows how the mind of a God-fearing rustic like Lencho works. He is sensitive and sympathetic to human feelings. He doesn’t want to break the deep faith of the writer in God. The fat and friendly postmaster had a large heart too. First, he laughed at the man who wanted to have a direct correspondence with God. But he soon became serious. After reading the letter, he was deeply moved and impressed by Lencho’s faith in God.


              Word Meanings

              • Crest : top/the highest part of a hill
              • Dotted with : scattered over an area
              • Predict : foretell the future
              • Drape : cover
              • Locusts : insects which fly in big groups and destroy crops.
              • Solitary : lonely / single
              • Upset : disturbed
              • Conscience : an inner sense of right and wrong
              • Peso : currency of several Latin American countries
              • Amiable : friendly and pleasant
              • Correspondence : an act of writing letters
              • Resolution : a firm decision
              • Contentment : satisfaction
              • Crooks : dishonest persons / people

              Revision Notes for पाठ 1 फ़्रांसीसी क्रांति| Class 9 History

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              Chapter 1 फ़्रांसीसी क्रांति Revision Notes Class 9 इतिहास History

              In this page, we have provided Chapter1 फ़्रांसीसी क्रांति Notes Class 9 Itihas. We have included all the important topics of chapter in the revision notes. By studying the revision notes of French Revolution, students will be able to understand the concepts of the chapter.

              Chapter 1 फ़्रांसीसी क्रांति Revision Notes Class 9 इतिहास History

              Chapter 1 फ़्रांसीसी क्रांति Notes Class 9 Itihas

              Topics in the Chapter

              • फ्रांसीसी क्रांति के कारण
              • आयोग्य शासन
              • फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण
              • फ्रांसीसी क्रांति के आर्थिक कारण
              • लुई XVI
              • फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र
              • आतंक राज
              • डिरेक्टरी शासित फ्रांस
              • नेपोलियन बोनापार्ट

              फ्रांसीसी क्रांति

              फ़्रांसीसी क्रांति की शुरुआत 1789 में हुई| मध्यम वर्ग द्वारा शुरू किया गया विद्रोह ने उच्च वर्गों को हिलाकर रखती है। लोगों ने राजशाही के क्रूर शासन के खिलाफ विद्रोह किया| इस क्रांति ने स्वतंत्रता, बिरादरी और समानता के विचारों को आगे बढ़ाया|

              • फ़्रांसीसी क्रांति की शुरुआत 14 जुलाई,1789 में बास्तील (Bastille) किले की जेल को तोड़कर हुई|
              • बास्तील (Bastille) किले लोगों की घृणा का केद्र था क्योंकि वह सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था|
              • 14 जुलाई 1789 को क्रुद्ध भीड़ ने बास्तील के किले को तोड़ दिया और राजनितिक कैदियों को रिहा करवा लिया।

              फ़्रांसीसी क्रांति के कारण

              राजनीतिक कारण

              18 वीं शताब्दी में, फ्रांस एक पूर्ण राजशाही के अधिकार के तहत एक सामंती समाज था। वर्साइल (Versailles) के शाही महल में बोरबॉन सम्राट शानदार तरीके से रहते थे। फ्रांस की वित्त व्यवस्था विकट स्थिति में थी।

              फ्रांस में शामिल कई युद्धों के बाद खजाना व्यावहारिक रूप से खाली था। राजा लुई सोलहवें राजनीतिक और वित्तीय संकटों के माध्यम से फ्रांस का मार्गदर्शन करने में असमर्थ थे। रानी मैरी एंटोनेट, एक ऑस्ट्रियाई राजकुमारी, को जनता के पैसे से दूर करने के लिए दोषी ठहराया गया था। प्रशासन भ्रष्ट और निरंकुश था।

              सामाजिक-आर्थिक कारण

              फ्रांस की सामाजिक परिस्थितियाँ उसके राजनीतिक संगठन की तरह ही संकटपूर्ण थीं। फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों या सम्पदाओं में विभाजित था। पादरी और अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग ने क्रमशः पहली संपत्ति और दूसरी संपत्ति बनाई। इन दो सम्पदाओं ने सरकार के अधीन कई विशेषाधिकार प्राप्त किए और उन्हें कराधान का बोझ नहीं उठाना पड़ा।


              बड़प्पन 

              बड़प्पन ने फ्रांसीसी प्रशासन में सभी महत्वपूर्ण पदों पर एकाधिकार कर लिया और विलासिता का जीवन व्यतीत किया। तीसरी संपत्ति में आम लोग शामिल थे। इसमें मध्यम वर्ग के लोग, किसान, कारीगर, श्रमिक और खेतिहर मजदूर शामिल थे। यहां तक कि अमीर मध्यम वर्ग, व्यापारियों, कारखाने के मालिकों आदि से मिलकर भी इस श्रेणी में आते हैं। कराधान का पूरा बोझ तीसरी संपत्ति पर पड़ा। लेकिन इन करदाताओं के पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं था।

              कारीगरों, किसानों और काम करने वालों की हालत दयनीय थी। किसानों को लंबे समय तक काम करना पड़ा और क्राउन को, पादरी को और बड़प्पन को अलग-अलग करों का भुगतान करना पड़ा। इन सभी करों का भुगतान करने के बाद, उनके पास खुद को खिलाने के लिए मुश्किल से पैसे थे। धनाढ्य मध्य वर्ग को भारी कर चुकाने पड़े और अभिजात वर्ग और उच्च पादरियों द्वारा प्राप्त विशेषाधिकारों का विरोध किया। मजदूर, किसान और मध्य वर्ग जो सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के तहत पीड़ित थे, वे इसे बदलना चाहते थे।

              दार्शनिकों का प्रभाव

              वोल्टेयर, रूसो और मोंटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी दार्शनिकों ने स्वतंत्रता और समानता के क्रांतिकारी विचारों वाले लोगों को प्रेरित किया। मोंटेस्क्यू ने राजाओं के दैवीय अधिकार के सिद्धांत को खारिज कर दिया और शक्तियों को अलग करने का आग्रह किया। रूसो ने अपनी पुस्तक ‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ में घोषणा की कि संप्रभु सत्ता लोकप्रिय इच्छाशक्ति में है।

              अमेरिकी क्रांति का प्रभाव

              स्वतंत्रता के लिए अपने युद्ध में अमेरिकियों की सफलता ने फ्रांसीसी लोगों को अभिजात वर्ग, पादरी और राज्य द्वारा उनके शोषण के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया।


              सामाजिक कारण

              • समाज का वर्गों में बटा होना
              • सामाजिक विभेद
              • माध्यम वर्ग का उदय

              राजनीतिक कारण

              फ्रांस की क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारण सामाजिक असमानता थी। मेडलिन के अनुसार, “1789 ई. की क्रांति का विद्रोह तानाशाही से अधिक समानता के प्रति थी।” फ्रांस की क्रांति के समय फ्रांस में समाज में अत्यधिक असमानता व्याप्त थी। समाज दो वर्गों में विभाजित था, विशेषाधिकार वाले वर्ग में कुलीन लोग और पादरी थे।


              आयोग्य शासन

              लुई चौदहवें के उत्तराधिकारी-लुई पन्द्रहवाँ और लुई सोलहवाँ, दोनों पूर्णतया अयोग्य थे। लुई पन्द्रहवाँ केवल कमजोर ही नहीं, बल्कि विलासी और फ्रांस तथा अपने हितों के प्रति भी लापरवाह सिद्ध हुआ। उसके शासनकाल में वर्साय विलासिता और षड्यन्त्रों का केन्द्र बन गया। उसके उत्तराधिकारी लुई सोलहवें के शासनकाल में स्थिति और भी बिगड़ गई। उसमें न तो स्वयं निर्णय ले सकने की क्षमता थी और न ही वह किसी दूसरे की सलाह को समझ सकता था। राज्य की समस्याओं में उसको कोई विशेष रुचि नहीं थी। फलतः लुई पन्द्रहवें और लुई सोहलवें की लापरवाही और अयोग्यता के कारण फ्रांस का प्रशासन एकदम अस्त-व्यस्त हो गया। निरंकुश राजतन्त्र, जो अभी तक फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था की मुख्य विशेषता थी, वह अब बदली हुई परिस्थिति में अभिशाप बन गई।


              तात्कालिक कारण

              1789 की फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य कारण दितीय और तृतीय स्टेट के लोगों को असम्मान एवं शोषण करना है। फ्रांस के राजा लुई 16वें एक निरंकुश राजा थे, और एक अयोग्य शासक भी थे, वह अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी कार्य कर देते हैं, हमेशा भोग विलास में लिप्त रहते थे।


              आर्थिक कारण

              राज्य का अमीर वर्ग अनेक आर्थिक विशेषाधिकारों से युक्त था और यह फ्रांस की आधी से अधिक भूमि का स्वामी था, उसे कर नहीं देना पड़ता था, दूसरी ओर 80 प्रतिशत दरिद्र ग्रामीण जनता थी, जिसे अपनी आय का 80 प्रतिशत भाग चर्च और सामंतों को देना पड़ता था।

              • लगभग 12 अरब लिब्रे का कर्ज।
              • खाली राजकोष
              • जीविका संकट
              • कर व्यवस्था


              सुधारकों एवं विचारकों का प्रभाव

              • रूसों
              • मिराब्यों
              • आबे शिया


              फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण

              अठारहवीं शताब्दी के दौरान फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में विभाजित था।

              • प्रथम एस्टेट :-जिसमें चर्च के पादरी आते थे।
              • द्वितीय एस्टेट :-जिसमें फ्रांसीसी समाज का कुलीन वर्ग आता था।
              • तृतीय एस्टेट :-जिसमें बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मजदूर आदि आते थे।

              लगभग 60 % जमीन पर कुलीनों, चर्च और तीसरे एस्टेट के अमीरों का अधिकार था।

              • टाइद (TITHE) :-तृतीय एस्टेट से चर्च द्वारा वसूला जाने वाला कर था।
              • टाइल (TAILLE) :-तृतीय एस्टेट से सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स था।

              प्रथम दो एस्टेट्स पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग के लोगों को जन्म से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे जैसे – राज्य को दिये जाने वाले कर (टैक्स) से छूट। राज्य के सभी टैक्स केवल तृतीय एस्टेट द्वारा वहन किए जाते थे।


              फ्रांसीसी क्रांति के आर्थिक कारण

              निर्वाह संकट

              • फ्रांस की जनसंख्या 1715 में लगभग 2.3 करोड़ से बढ़कर 1789 में 2.8 करोड़ हो गई।
              • अनाज उत्पादन की तुलना में उसकी माँग काफ़ी तेज़ी से बढ़ी। अधिकांश लोगों के मुख्य खाद्य पावरोटी की कीमत में तेज़ी से वृद्धि हुई।
              • अधिकतर कामगार कारखानों में मज़दूरी करते थे और उनकी मज़दूरी मालिक तय करते थे। लेकिन मज़दूरी महँगाई की दर से नहीं बढ़ रही थी। फलस्वरूप, अमीर – गरीब की खाई चौड़ी होती गई।
              • स्थितियाँ तब और बदतर हो जातीं जब सूखे या ओले के प्रकोप से पैदावार गिर जाती। इससे रोज़ी – रोटी का संकट पैदा हो जाता था। ऐसे जीविका संकट प्राचीन राजतंत्र के दौरान फ़्रांस में काफ़ी आम थे।
              • इससे खाद्यान्नों की कमी या जीवन निर्वाह संकट पैदा हो गया जो पुराने शासन के दौरान बार – बार होने लगा।
              • फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण : मध्यम वर्ग, जिसमें वकील, शिक्षक, लेखक, विचारक आदि आते थे, ने जन्म आधारित विशेषाधिकार पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिये।


                मध्यवर्ग

                • 18 वीं सदी में एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे मध्यवर्ग कहा गया।
                • उभरते मध्यवर्ग ने विशेषाधिकारों के अंत की कल्पना की।
                • जिसने ऊनी तथा रेशमी वस्त्रों के उत्पादन के बल पर संपत्ति अर्जित की थी।
                • यह सभी पढ़े लिखे होते थे और इनका मानना था कि समाज के किसी भी समूह के पास जन्मना विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए।

                लुई XVI

                1774 में लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ। वह फ्रांस के बूर्वी राजवंश का राजा था। उसका विवाह आस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्तोएनेत से हुआ था।
                राज्यारोहण के समय उसका राजकोष खाली था जिसके निम्नलिखित कारण थे:
                • लंबे युद्धों के कारण वित्तीय संसाधनों का नष्ट होना।
                • पूर्ववर्ती राजाओं की शानो शौकत पर फिजूलखर्ची।
                • अमरीकी स्वतंत्रता संघर्ष में ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिका की सहायता करना।
                • जनसंख्या का बढ़ना और जीविका संकट।


                  क्रांति की शुरुआत

                  1. फ्रांसीसी सम्राट लुई XVI ने 5 मई 1789 को नये करो के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई।
                  2. किसानों, औरतों एवं कारीगरों का सभा में प्रवेश वर्जित था फिर भी लगभग 40,000 पत्रों के माध्यम से उनकी शिकायतें एवं मांगों की सूची बनाई गई जिसे उनके प्रतिनिधि अपने साथ लेकर आए थे।
                  3. एस्टेट्स जनरल के नियमों के अनुसार प्रत्येक वर्ग को एक मत देने का अधिकार था।
                  4. जिस वक्त नेशनल असेंबली संविधान का प्रारूप तैयार करने में व्यस्त थी पूरा फ्रांस आंदोलित हो रहा था कड़ाके की ठंड के कारण फसल खराब हो गई थी पावरोटी की कीमतें आसमान छू रही थी।
                  5. बेकरी मालिक स्थिति का फायदा उठाते जमाखोरी में लगे हुए थे।
                  6. बेकरी की दुकानों पर घंटों के इंतजार के बाद गुस्साई औरतों की भीड़ ने दुकान पर धावा बोल दिया।
                  7. दूसरी तरफ सम्राट ने सेना को पेरिस में प्रवेश करने का आदेश दे दिया भीड़ ने 14 जुलाई को बास्तील पर धावा बोलकर उसे नेस्तनाबूद कर दिया।
                  8. देहाती इलाकों में गांव – गांव या अफवाह फैल गई की जागीरो के मालिकों ने भाड़े पर लुटेरों को बुलाया है जो पक्की फसलों को तबाह करने के लिए निकल पड़े हैं कई जिलों में डर से आक्रांत होकर किसानों ने कुदालों से ग्रामीण किलो पर आक्रमण कर दिया।
                  9. उन्होंने अन्न भंडार को लूट लिया और लगान संबंधी दस्तावेज को जलाकर राख कर दिया कुलीन बड़ी संख्या में अपनी जागिरे छोड़कर भाग गए बहुत ने तो पड़ोसी देशों में जाकर शरण ले ली।


                  फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र

                  20 जून 1789 को वे लोग वर्साय के एक टेनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया। अपनी विद्रोही प्रजा की शक्तियों का अनुमान करके लुई XVI ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी। 4 अगस्त 1789 की रात को असेंबली ने करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया। 1791 में फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की नीव पड़ी।


                  नेशनल असेंबली का उद्देश्य

                  1791 में नेशनल असेंबली ने संविधान का मसौदा तैयार किया। इसका मुख्य उद्देश्य राजाओं और मंत्रियों की शक्तियों को सीमित करना था। ये शक्तियां एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रित होने के बजाय अब अलग-अलग संस्थाओं को सौंप दी गईं – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इसने फ्रांस को एक संवैधानिक राजतंत्र बना दिया।

                  • इसका मुख्य उद्देश्य था सम्राट की शक्तियों को सीमित करना।
                  • एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रीकृत होने के बजाय अब इन शक्तियों को अलग–अलग संस्थाओं में बांटा जाएगा।
                    जैसे: विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका सन् 1791 के संविधान ने कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया। नए संविधान के अनुसार :-


                  मतदान का अधिकार केवल सक्रिय नागरिकों को मिला जो:

                  • पुरुष थे
                  • जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक थी,
                  • जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे,
                  • महिलाओं एवं अन्य पुरूषों को निष्क्रिय नागरिक कहा जाता था।
                  • राजा की शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित एवं हस्तांतरिक कर दिया गया।


                  राजनीतिक प्रतीकों के मायने

                  18 वीं सदी में ज्यादातर स्त्री पुरुष पढ़े – लिखे नहीं थे इसलिए महत्वपूर्ण विचारों का प्रसार करने के लिए छपे हुए शब्दों के बजाय अक्सर आकृतियों और प्रतीकों का प्रयोग किया जाता था।

                  1. टूटी हुई जंजीर :-दासो को बांधने के लिए जंजीरों का प्रयोग किया जाता था टूटी हुई हथकड़ी उनकी आजादी का प्रतीक है।
                  2. छड़ो का गट्ठर :-अकेली छड़ को आसानी से तोड़ा जा सकता है पर पूरे गट्ठर को नहीं एकता में ही बल है का प्रतीक है।
                  3. त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख :-सर्वदर्शी आंख ज्ञान का प्रतीक है सूरज की किरणे अज्ञान रूपी अंधेरे को मिटा देती है।
                  4. राजदंड :-शाही सत्ता का प्रतीक है।
                  5. अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप :-समानता का प्रतीक अंगूठी का कोई और छोर नहीं होता।


                  आतंक राज

                  1. सन 1793 से 1794 तक के काल को आतंक का युग कहा जाता है। इस समय रोबिस्प्येर ने नियंत्रण एवं दंड की सख्त नीति अपनाई।
                  2. इस नीति के तहत गणतंत्र के जो भी शत्रु थे जैसे कुलीन एवं पादरी और अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य जो उनके काम से सहमत नहीं है सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और जेल में डाल दिया जाएगा।
                  3. एक क्रांतिकारी न्यायालय दवारा उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और यदि वह दोषी पाते हैं तो गिलोटिन पर चढ़ा कर उनका सिर कलम कर दिया जाएगा।
                  4. किसानों को अपना अनाज शहरों में ले जाकर सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर बेचने के लिए बाध्य किया गया।
                  5. रोबिस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी सख्ती से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि – त्राहि करने लगे। अंततः जुलाई 1794 में न्यायालय द्वारा उसे दोषी ठहराया गया और गिरफ्तार करके अगले ही दिन उसे गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।


                  गिलोटिन क्या था ?

                  गिलोटिन दो खंभों के बीच लटकते आरे वाली मशीन था जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था इस मशीन का नाम इसके आविष्कारक डॉ . गिलोटिन के नाम पर पड़ा।


                  डिरेक्टरी शासित फ्रांस

                  1. रोबिस्प्येर के पतन के बाद फ्रांस का शासन माध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के पास आ गया।
                  2. उन्होंने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका डिरेक्टरी को नियुक्त किया जो फ्रांस का शासन देखती थी लेकिन अक्सर विधान परिषद से उनके हितों का टकराव होता रहता था। इस राजनैतिक अस्थिरता का फायदा नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया और उसने 1799 में डिरेक्टरी को खत्म कर दिया और 1804 में फ्रांस का सम्राट बन गया।


                  नेपोलियन बोनापार्ट

                  नेपोलियन बोनापार्ट, जिसे नेपोलियन मैं भी कहा जाता है, फ्रांसीसी सेना के नेता थे जिन्होंने 1 9वीं शताब्दी के शुरू में यूरोप के अधिकांश हिस्सों पर विजय प्राप्त की। सम्राट के रूप में अपने शासनकाल के दौरान, उन्होंने अपने देशवासियों द्वारा निर्वासित होने से पहले कई यूरोपीय गठबंधनों के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। उनके नेतृत्व ने फ्रेंच समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी का आकार दिया।

                  नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 को कॉर्सिका में हुआ था। नेपोलियन की हथियार, तकनीक, और युद्ध की रणनीति का उपयोग करने की कोई अन्य क्षमता का मिलान नहीं हुआ। वह एक महान सैन्य नेता थे और रैंकों के माध्यम से 25 साल की उम्र में फ्रांसीसी सेना में एक सामान्य बनने के लिए गुलाब। 17 9 7 में मिस्र को जीतने के लिए एक सैन्य अभियान में, नेपोलियन को बीमारी के कारण काफी नुकसान हुआ। वहां जहां उनकी सेना को तीन भाषाओं में एक ही शिलालेख के साथ एक पत्थर की पटिया, रॉसेटा स्टोन मिला, जिससे विद्वानों को प्राचीन मिस्री हाइरोग्लिफ को समझने में सक्षम बना दिया गया।

                  1. 1804 में नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित किया।
                  2. उन्होंने पड़ोसी यूरोपीय देशों को जीतने के लिए, राजवंशों को दूर करने और उन राज्यों का निर्माण करने के लिए निर्धारित किया जहां उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को रखा।
                  3. उन्होंने यूरोप के आधुनिकीकरणकर्ता के रूप में अपनी भूमिका देखी।
                  4. अंतत: वह 1815 में वाटरलू में पराजित हुआ।


                  क्या महिलाओं के लिए भी क्रांति हुई ?

                  1. महिलाएं शुरू से ही फ्रांसीसी समाज में अहम परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों में शामिल हुआ करती थी। ज्यादातर महिलाएं जीविका निर्वाह के लिए काम करती थी। वे सिलाई–बुनाई, कपड़ों की धुलाई करती थी बाजारों में फल–फूल–सब्जियां बेचती थी।
                  2. ज्यादातर महिलाओं के पास पढ़ाई लिखाई के मौके नहीं थे यह मौके केवल कुलीनो की लड़कियों अथवा धनी परिवारों की लड़कियों के पास था।
                  3. इसके बाद उनकी शादी कर दी जाती थी महिलाओं को अपने परिवार का पालन पोषण करना होता था जैसे खाना पकाना, पानी लाना, लाइन लगाकर पावरोटी लाना और बच्चों की देखरेख करना। उनकी मजदूरी पुरुषों की तुलना में कम थी।
                  4. उनकी एक प्रमुख मांग यह थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए।

                  महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए उठाए गए कदम

                  क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए जो इस प्रकार है :-

                  1. सरकारी विद्यालयों की स्थापना के साथ ही सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया।
                  2. अब पिता उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए बातें नहीं कर सकते थे।
                  3. अब महिलाएं व्यवसायिक प्रशिक्षण ले सकती है कलाकार बन सकती है और छोटे – मोटे व्यवसाय भी चला सकती है।
                  4. मताधिकार और समान वेतन के लिए महिलाओं का आंदोलन अगली सदी में भी अनेक देशों में चलता रहा।
                  5. अंततः सन 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया।


                  दास प्रथा का उन्मूलन

                  • दास व्यापार सत्रहवीं शताब्दी में शुरू हुआ।
                  • फ्रांसीसी सौदागर बंदरगाह से अफ्रीका तट पर जहाज ले जाते थे जहां वे स्थानीय सरदारों से दास खरीदते थे।
                  • दांसो को हथकड़िया डालकर अटलांटिक महासागर के पार कैरिबिआई देशों तक 3 महीने की लंबी समुद्री यात्रा के लिए जहाजों में ठूंस दिया जाता था।
                  • वहां उन्हें बागान मालिकों को बेच दिया जाता था।
                  • बौर्दो और नान्ते जैसे बंदरगाह फलते फुलते दास व्यापार के कारण ही समृद्ध नगर बन गए। 18 वीं सदी में फ्रांस में दास प्रथा की ज्यादा निंदा नहीं हुई।
                  • लेकिन सन 1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशो में सभी देशों की मुक्ति का कानून पारित किया।
                  • यह कानून एक छोटी सी अवधि तक ही लागू रहा 10 वर्ष बाद नेपोलियन ने दास प्रथा पुनः शुरू कर दी।
                  • फ्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया।


                  क्रांति और रोजाना की जिंदगी

                  • 1789 से बाद के वर्षों में फ्रांस की पुरुषों और महिलाओं एवं बच्चों के जीवन में अनेक प्रकार के परिवर्तन आए।
                  • क्रांतिकारी सरकार ने कानून बनाकर स्वतंत्रता एवं समानता के आदर्शों को रोजाना की जिंदगी में उतारने का प्रयास किया।
                  • फ्रांस के शहरों में अखबारों, पुस्तको एवं छपी हुई तस्वीरों की बाढ़ आ गई जहां से वह तेजौ से गांव देहात तक जा पहुंची।
                  • उसके अंदर फ्रांस की घट रही घटनाओं और परिवर्तनों का ब्यौरा और उन पर टिप्पणी होती थी।

                  Revision Notes for पाठ 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति| Class 9 History

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                  Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Revision Notes Class 9 इतिहास History

                  Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Notes Class 9 Itihas is provided in this page. We have included all the important topics of chapter in the revision notes. By studying the revision notes of Socialism in Europe and the Russian Revolution, students will be able to understand the concepts of the chapter.

                  Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Revision Notes Class 9 इतिहास History

                  Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Notes Class 9 Itihas

                  Topics in the Chapter

                  • सामाजिक परिवर्तन का युग
                  • समाजवादी विचारधारा
                  • रूसी क्रांति
                  • रूस एवं जापान युद्ध
                  • रूसी क्रांति के चरण
                  • रूसी क्रांति का परिणाम
                  • 1905 की क्रांति
                  • फरवरी क्रांति
                  • अप्रैल थीसिस
                  • अक्टूबर क्रांति
                  • गृह युद्ध

                  सामाजिक परिवर्तन का युग

                  यह दौर गहन सामाजिक और आर्थिक बदलावों का था। औद्योगिक क्रांति के दुष्परिणाम जैसे काम की लंबी अवधि, कम, मजदूरी, बेरोजगारी, आवास की कमी, साफ–सफाई की व्यवस्था ने लोगों को इस पर सोचने को विवश कर दिया।

                  फ्रांसीसी क्रांति ने समाज में परिवर्तन की संभावनाओं के द्वार खोल दिए।

                  इन्हीं संभावनाओं को मूर्त रूप देने में तीन अलग–अलग विचारधाराओं का विकास हुआ:

                  1. उदारवादी
                  2. रूढ़िवादी
                  3. परिवर्तनवादी


                  1. उदारवादी

                  उदारवादी एक विचारधारा है जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले। वे व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे।

                  उदारवादियों के मुख्य विचार

                  • अनियंत्रित सत्ता के विरोधी।
                  • सभी धर्मों का आदर एवं सम्मान।
                  • व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर।
                  • प्रतिनिधित्व पर आधारित निर्वाचित सरकार के पक्ष में।
                  • सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के स्थान पर संपत्तिधारकों को वोट का अधिकार के पक्ष में।

                   

                  2. रुढ़िवादी

                  यह एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर कार्य करती है।

                  रूढ़िवादी के मुख्य विचार

                  • उदारवादियों और परिवर्तनवादियों का विरोध।
                  • अतीत का सम्मान।
                  • बदलाव की प्रक्रिया धीमी हो।

                   

                  3. परिवर्तनवादी

                  ऐसी विचारधारा जो क्रन्तिकारी रूप से सामाजिक और राजनितिक परिवर्तन चाहता है।

                  परिवर्तनवादियों के मुख्य विचार

                  • बहुमत आधारित सरकार के पक्षधर थे।
                  • बड़े जमींदारों और सम्पन्न उद्योगपतियों को प्राप्त विशेषाधिकार का विरोध।
                  • सम्पत्ति के संकेद्रण का विरोध लेकिन निजी सम्पत्ति का विरोध नहीं।
                  • महिला मताधिकार आंदोलन का समर्थन।


                  समाजवादी विचारधारा

                  समाजवादी विचारधारा वह विचारधारा है जो निजी सम्पति रखने के विरोधी है और समाज में सभी को न्याय और संतुलन पर आधारित विचारधारा है।

                  समाजवादियों के मुख्य विचार

                  • निजी सम्पत्ति का विरोध।
                  • सामुहिक समुदायों की रचना (रॉवर्ट ओवेन)
                  • सरकार द्वारा सामुहिक उद्यमों को बढ़ावा (लुई ब्लॉक)
                  • सारी सम्पत्ति पर पूरे समाज का नियंत्रण एवं स्वामित्व (कार्ल मार्क्स और प्रेडरिक एगेल्स)

                   

                  औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन

                  • यह ऐसा समय था जब नए शहर बस रहे थे नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे थे रेलवे का काफी विस्तार हो चुका था। औरतो, आदमियों और बच्चों, सबको कारखानों में लगा दिया काम के घंटे बहुत लंबे होते थे। मजदूरी बहु कम मिलती थी बेरोजगारी उस समय की आम समस्या थी।
                  • शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थे इसलिए आवास और साफ सफाई का काम भी मुश्किल होता जा रहा था। उदारवादी और रैडिकल, दोनों ही इन समस्याओं का हल खोजने की कोशिश कर रहे थे। बहुत सारे रैडिकल और उदारवादियों के पास काफी संपत्ति थी और उनके यहां बहुत सारे लोग नौकरी करते थे।

                   

                  यूरोप में समाजवाद का आना

                  • समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे यानी व संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि बहु सारे लोगों के पास संपत्ति तो है जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फायदे से ही मतलब रहता है वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति को उत्पादनशील बनाते हैं।
                  • इसलिए उनका कहना है अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है।
                  • कार्ल मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूंजीवादी शोषण से मुक्त कराने के लिए मजदूरों को एक अत्यंत अलग किस्म का समाज बनाना पड़ेगा उन्होंने भविष्य के समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया।

                  समाजवाद के लिए समर्थन

                  • 1870 का दशक आते–आते समाजवादी विचार पूरे यूरोप में फैल चुके थे। समाजवादियों ने द्वितीय इंटरनेशनल के नाम से एक अंतरराष्ट्रीय संस्था भी बना ली थी।
                  • इंग्लैंड और जर्मनी के मजदूरों ने अपनी जीवन और कार्य स्थिति में सुधार लाने के लिए संगठन बनाना शुरू कर दिया था। काम के घंटों में कमी तथा मताधिकार के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया।
                  • 1905 तक ब्रिटेन के समाजवादियों और ट्रेड यूनियन आंदोलनकारियों ने लेबर पार्टी के नाम से अपनी एक अलग पार्टी बना ली थी फ्रांस में भी सोशलिस्ट पार्टी के नाम से ऐसी एक पार्टी का गठन किया गया।

                   

                  रूसी क्रांति

                  मार्च 1917 में राजशाही के पतन से लेकर अक्टूबर 1917 में रूस की सत्ता पर समाजवादियों के कब्जे तक की घटनाओं को रूसी क्रांति कहा जाता है।

                  मार्च सन 1917 की रूस की क्रान्ति विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसके परिणामस्वरूप रूस से ज़ार के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त हुआ तथा रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की स्थापना हुई। यह क्रान्ति दो भागों में हुई थी – मार्च 1917 में, तथा अक्टूबर 1917 में।

                  रूसी क्रांति के कारण

                  • निरंकुश राजतंत्र एवं स्वेच्छाचारी शासक
                  • रूस में निरंकुश व दैवीय सिद्धांत पर आधारित शासन था जिसका संचालन कुलीन, वंशानुगत सामंत वर्ग के माध्यम से किया जाता था।
                  • नौकरशाही वंशानुगत एवं भ्रष्ट थी तथा जनता का शोषण करने वाली थी।
                  • जार निकोलस-I के शासनकाल में यह निरंकुशता अपने चरम पर पहुँच गई फलत: असंतोष और उग्र हो गया।

                  सामाजिक-आर्थिक विषमता

                  • फ्राँस की तरह यहाँ भी सामंत व पादरियों का विशेषाधिकार युक्त वर्ग तथा किसान व मज़दूरों के रूप में अधिकारहीन वर्ग मौजूद था। इनके मध्य अत्यंत तनाव व्याप्त था।
                  • इस सामाजिक-आर्थिक विषमता के विरुद्ध असंतोष देखा गया।

                  किसानों की दयनीय स्थिति

                  • रूस में सर्वाधिक संख्या में किसान मौजूद थे किंतु उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय थी।
                  • भूमि का 67% हिस्सा सामंतों के पास था तो वहीं 13% हिस्सा चर्च के पास। किसान खेतों में मज़दूरों की तरह कार्य करते थे।
                  • हालाँकि वर्ष 1861 में रूस में दास प्रथा का उन्मूलन हो गया था किंतु व्यावहारिक रूप में अभी भी वह मौजूद थी।
                  • इन सबके चलते किसान व मज़दूर वर्ग में भी विद्रोही भावना ने जन्म लिया।

                  श्रमिकों की दशा

                  • रूस में औद्योगीकरण देरी से हुआ और सीमित रहा।
                  • अर्थव्यवस्था में विदेशी पूंजी निवेश के कारण विदेशी पूंजीपतियों ने केवल मुनाफे पर ध्यान दिया। जिसकी वजह से श्रमिकों का अत्यधिक शोषण हुआ।
                  • मज़दूरों के लिये न ही कार्य के घंटे निर्धारित थे और न ही न्यूनतम वेतन और सुविधाएँ।
                  • प्रजातांत्रिक दल ने उन्हें संगठित कर क्रांति के लिये तैयार किया।


                  रूस एवं जापान युद्ध

                  • जब जापान ने चीन के मंचूरिया क्षेत्र पर आक्रमण किया तो इसी दौरान रूसी सेना से उसकी भिड़ंत हुई और रूसी सेना पराजित हो गई।
                  • इससे राजतंत्र की कमज़ोरी उजागर हो गई और पीड़ित जनता जार के विरुद्ध उठ खड़ी हुई।
                  • सामाजिक, आर्थिक एवं सैनिक स्तर पर कमज़ोरी को दूर करने के लिये जनता ने एक प्रतिनिधि सदन ड्यूमा के गठन की मांग की।
                  • अपनी मांगों के समर्थन में रूसी जनता ने पीटर्सबर्ग में शांतिपूर्ण जुलूस निकाला, जिस पर जार ने गोली चलवा दी जिससे जनता और उग्र हो गई तथा नागरिक अधिकारों हेतु जार को ड्यूमा के गठन की अनुमति देनी पड़ी।
                  • ड्यूमा का अस्तित्व जार की इच्छा पर निर्भर था, अत: उसने बार-बार इसे नष्ट किया और लोकतंत्र कायम नहीं हो सका। अत: वर्ष 1905 की इस घटना को वास्तविक क्रांति नहीं कहा जा सकता।

                  तात्कालिक कारण

                  • रूस ने साम्राज्यवादी लाभ लेने के उद्देश्य से मित्र राष्ट्रों के पक्ष में प्रथम विश्वयुद्ध में भागीदारी की। इसके चलते उसे निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा-
                  • रूस ने बड़ी मात्रा में सैनिकों की भर्ती तो की किंतु पर्याप्त मात्रा में हथियार उपलब्ध नहीं कराए और न ही वेतन दिया, इससे सैनिकों में असंतोष बढ़ो गया।
                  • परिवहन के साधन युद्ध कार्यों में लगाए गए थे जिससे उद्योगों के परिचालन में बाधा उत्पन्न हुई और आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ।
                  • वर्ष 1916-17 में पड़े भीषण अकाल से खाद्यान्न संकट उत्पन्न हुआ जिससे जनता आक्रोशित हुई तथा अंततः यह आक्रोश रूसी क्रांति में परिणत हो गया।


                  रूसी क्रांति के चरण

                  वर्ष 1905 की क्रांति

                  • 20वीं सदी के आरंभ में रूस पर जार निकोलस-II का शासन था। वह एक तानाशाह था, जिसकी नीतियाँ जनता के बीच लोकप्रिय नहीं थीं। जब रूस जापान से हार गया तो वर्ष 1905 में जार का विरोध चरम पर पहुँच गया।
                  • 9 जनवरी 1905 को रूसी श्रमिकों का एक जत्था अपने बीबी बच्चों के साथ जार को ज्ञापन सौंपने के लिये निकला, लेकिन सेंट पीटर्सबर्ग में उन पर गोलियाँ बरसा दी गईं। यह घटना इतिहास में ‘ब्लडी सन्डे’ के नाम से जानी जाती है। हज़ारों की संख्या में लोग मारे गए और समूचे रूस में जार के विरुद्ध प्रदर्शन होने लगे।
                  • जार निकोलस को समझौता करने के लिये विवश होना पड़ा और अक्तूबर घोषणा-पत्र तैयार किया गया, जिसमें एक निर्वाचित संसद (ड्यूमा) को शामिल करने की भी बात कही गई थी। हालाँकि बाद में जार अक्तूबर घोषणा-पत्र में किये गए वादों से मुकर गया।
                  • जहाँ एक ओरजार अपने वादों पर टिका नहीं रह सका, वहीं ड्यूमा भी रूसी जनता की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई। जनता की परेशानियाँ ज्यों की त्यों बनी रहीं। अतः देर-सबेर दूसरी क्रांति तो होनी ही थी और कुछ इस तरह से वर्ष 1917 की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार हुई।

                  अक्तूबर 1917 की रूसी क्रांति

                  • मार्च 1917 आते-आते जनता की दशा अत्यंत ही दयनीय हो गई थी। उसके पास न पहनने को कपड़े थे और न खाने को अनाज था।
                  • परेशान होकर भूखे और ठंड से ठिठुरते हुए गरीब और मज़दूरों ने 7 मार्च को पेट्रोग्रेड की सड़कों पर घूमना आरंभ कर दिया। रोटी की दुकानों पर ताज़ी और गरम रोटियों के ढेर लगे पड़े थे। भूखी जनता अपने आपको नियंत्रण में नहीं रख सकी। उन्होंने बाज़ार में लूट-पाट करनी आरंभ कर दी।
                  • सरकार ने सेना को उन पर गोली चलाने का आदेश दिया ताकि गोली चलाकर लूटमार करने वालों को तितर-बितर किया जा सके, किंतु सैनिकों ने गोली चलाने से साफ मना कर दिया क्योंकि उनकी सहानुभूति जनता के प्रति थी।
                  • उनमें भी क्रांति की भावना प्रवेश कर चुकी थी। जार को अपना अंत नज़दीक नज़र आने लगा। ड्यूमा ने सलाह दी कि जनतांत्रिक राजतंत्र की स्थापना की जाए, लेकिन जार इसके लिये तैयार नहीं हुआ और इस तरह से रूस से राजतंत्र का खात्मा हो गया।
                  • उपरोक्त निर्णय रूस में भी पश्चिमी राज्यों की तरह प्रजातांत्रिक व पूंजीवादी शासन के संकेत दे रहे थे जबकि रूस की क्रांति मज़दूरों, कृषकों, सैनिकों द्वारा प्राप्त की गई थी।
                  • बोल्शेविक के नेतृत्त्व में इस सरकार का विरोध किया गया।
                  • मज़दूर और सैनिकों ने मिलकर सोवियत का गठन किया। इस सोवियत ने ड्यूमा के साथ मिलकर अस्थायी सरकार का गठन किया तथा इसका प्रमुख करेंसकी बना जो मध्यवर्गीय हितों से परिचालित था।

                  रूसी क्रांति के नेतृत्त्व की स्थिति

                  • लेनिन के नेतृत्त्व में बोल्शेविकों ने करेंसकी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया और सत्ता किसान एवं मज़दूरों के हाथ में देने की बात की।
                  • उसके अनुसार राज्य के उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर मज़दूरों एवं किसानों का नियंत्रण होना चाहिये।
                  • रूस को प्रथम विश्वयुद्ध में भागीदारी नहीं करनी चाहिये।
                  • इसी क्रम में बोल्शेविकों ने सरकारी भवनों, रेलवे, बिजलीघरों में नियंत्रण कर लिया और करेंसकी को त्यागपत्र देना पड़ा तथा लेनिन के नेतृत्त्व में सर्वहारा का शासन स्थापित हुआ।


                  रूसी क्रांति का परिणाम

                  राजनीतिक परिणाम

                  • राजतंत्र समाप्त हुआ, सर्वहारा का शासन स्थापित हो गया।
                  • रूस द्वारा पूंजीवाद व उपनिवेशवाद के स्वाभाविक विरोध के कारण उसे औपनिवेशक शोषण से मुक्ति का अग्रदूत समझा गया।
                  • जर्मनी के साथ बेस्टलिटोवस्क की संधि द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध से रूस अलग हो गया।

                  आर्थिक परिणाम

                  • रूस में उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर राज्य का नियंत्रण स्थापित।
                  • चूँकि पूंजीवादी देशों से रूस को किसी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा नहीं थी, अत: वह वैज्ञानिक-तकनीकी विकास हेतु आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर हुआ।
                  • रूस द्वारा नियोजित अर्थव्यवस्था के माध्यम से आर्थिक विकास करने के कारण वह वैश्विक आर्थिक मंदी से दुष्प्रभावित नहीं हुआ।

                  सामाजिक परिणाम

                  • सामंत व कुलीन वर्ग की समाप्ति।
                  • चर्च के शासन की समाप्ति।
                  • वर्ग भेद की समाप्ति।
                  • रूस में शिक्षा का प्रसार, राज्य द्वारा 16 वर्ष की उम्र तक नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान।
                  • लैंगिक भेदभाव की समाप्ति।

                  रूसी समाज

                  • 1914 में रूस और उसके साम्राज्य पर जार निकोलस का शासन था।
                  • मास्को के आसपास पढ़ने वाले छात्र के अलावा आज का फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, यूक्रेन व बेलारूस के कुछ हिस्से रूसी साम्राज्य के अंग थे।

                  रूसी समाज की अर्थव्यवस्था

                  • बीसवीं सदी की शुरूआत में रूस की लगभग 85 प्रतिशत जनता खेती पर निर्भर थी।
                  • कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थी जहाँ काम की दशाएँ बेहद खराब थी।
                  • यहाँ के किसान समय – समय पर सारी जमीन अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और फिर कम्यून परिवार की जरूरत के हिसाब से किसानों को जमीन बाँटता था।
                  • रूस में एक निरंकुश राजशाही था।
                  • 1904 ई . में जरूरी चीजों की कीमतें तेजी से बढ़ने लगी।
                  • मजदूर संगठन भी बनने लगे जो मजदूरों की स्थिति में सुधार की माँग करने लगे।

                  रूस में समाजवाद

                  • 1914 से पहले रूस में सभी राजनीतिक पार्टियां गैरकानूनी थी।
                  • मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन किया।
                  • यह एक रूसी समाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी थी।
                  • इस पार्टी का एक अखबार निकलता था उसने मजदूरों को संगठित किया था और हड़ताल आदि कार्यक्रम आयोजित किए थे।
                  • 19 वी सदी के आखिर में रूस के ग्रामीण इलाकों में समाजवादी काफी सक्रिय थे सन् 1900 में उन्होंने सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी (समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी) का गठन कर लिया।
                  • इस पार्टी ने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और मांग की की सामंतो के कब्जे वाली जमीन फॉरेन किसानों को सौंप दी जाए।

                  खूनी रविवार

                  रूसी क्रांति की शुरुआत 1905 में 22 जनवरी दिन रविवार को हुई थी। उस दौरान रूस में जार निकोलस द्वितीय का शासन था। जार निकोलस की कई नीतियों के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा था। इसके चलते मजदूर इस दिन अपने मेहनताने और काम के घंटों जैसे मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे।

                  इसी दौरान पादरी गौपॉन के नेतृत्व में मजदूरों के जुलूस पर जार के महल के सैनिकों ने हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से ज्यादा मजदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। इतिहास में इस घटना को ” खूनी रविवार के नाम से याद किया जाता है।


                  1905 की क्रांति

                  1905 की क्रांति की शुरूआत इसी घटना से हुई

                  • सारे देश में उड़ताल होने लगी।
                  • विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए।
                  • वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य मध्यवर्गीय कामगारों में संविधान सभा के गठन की माँग करते हुए यूनियन ऑफ यूनियन की स्थापना कर ली।
                  • जार एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद (ड्यूमा) के गठन पर सहमत हुआ।
                  • मात्र 75 दिनों के भीतर पहली ड्यूमा, 3 महीने के भीतर दूसरी ड्यूमा को उसने बर्दाश्त कर दिया।
                  • तीसरे ड्यूमा में उसने रूढ़िवादी राजनेताओं को भर दिया ताकि उसकी शक्तियों पर अंकुश न लगे।

                  पहला विश्वयुद्ध और रूसी साम्राज्य

                  • 1914 ई . में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया जो 1918 तक चला। इसमें दो खेमों केंद्रिय शक्तियाँ (जर्मनी, ऑस्ट्रिया, तुर्की) और मित्र राष्ट्र (फ्रांस, ब्रिटेन व रूस) के बीच लड़ाई शुरू हुई जिसका असर लगभग पूरे विश्व पर पड़ा।
                  • इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे इसलिए यूरोप के साथ साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इस युद्ध को पहला विश्वयुद्ध कहा जाता है।
                  • इस युद्ध को शुरू शुरू में रूसियों का काफी समर्थन मिला लेकिन जैसे – जैसे युद्ध लंबा खींचता गया ड्यूमा में मौजूद मुख्य पार्टियों से सलाह लेना छोड़ दिया उसके प्रति जनता का समर्थक कम होने लगा लोगों ने सेंट पीटर्सबर्ग का नाम बदलकर पेत्रोग्राद रख दिया क्योंकि सेंट पीटर्सबर्ग जर्मन नाम था।
                  • 1914 से 1916 के बीच जर्मनी और ऑस्ट्रिया में रूसी सेनाओं को भारी पराजय झेलनी पड़ी। 1917 तक 70 लाख लोग मारे जा चुके थे पीछे हटती रूसी सेनाओं ने रास्ते में पड़ने वाली फसलों इमारतों को भी नष्ट कर डाला ताकि दुश्मन की सेना वहां टिक ही ना सके। फसलों और इमारतों के विनाश से रूस में 30 लाख से ज्यादा लोग शरणार्थी हो गए।


                  फरवरी क्रांति

                  फरवरी क्रांति के कारण

                  • प्रथम विश्व युद्ध को लंबा खिंचना।
                  • रासपुतिन का प्रभाव।
                  • सैनिकों का मनोबल गिरना।
                  • शरणार्थियों की समस्या।
                  • खाद्यान्न की कमी उद्योगों का बंद होना।
                  • असंख्य रूसी सैनिकों की मौत।

                  फरवरी क्रांति की घटनाएँ

                  • 22 फरवरी को फैक्ट्री में तालाबंदी।
                  • 50 अन्य फैक्ट्री के मजदूरों की हड़ताल।
                  • हड़ताली मजदूरों द्वारा सरकारी इमारतों का घेराव।
                  • राजा द्वारा कफ्यू लगाना।
                  • 25 फरवरी को ड्यूमा को बर्खास्त करना।
                  • 27 फरवरी को प्रदर्शन कारियों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया।
                  • सिपाही एवं मजदूरों का संगठन सोवियत का गठन।
                  • 2 मार्च सैनिक कमांडर की सलाह पर जार का गद्दी छोड़ना।

                  फरवरी क्रांति के प्रभाव

                  • रूस में जारशाही का अंत।
                  • सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा का चुनाव।
                  • अंतरिम सरकार में सोवियत और ड्यूमा के नेताओं की शिरकत।


                  अप्रैल थीसिस

                  महान बोल्शेविक नेता लेनिन अप्रैल 1917 में रूस लौटे। उन्होंने तीन माँगे की जिन्हें अप्रैल थीसिस कहा गया :-

                  • युद्ध की समाप्ति
                  • सारी जमीनें किसानों के हवाले।
                  • बैंको का राष्ट्रीयकरण।


                  अक्टूबर क्रांति

                  • फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और 1917 के ही अक्टूबर के मिश्रित घटनाओं को अक्टूबर क्रांति कहा जाता है।
                  • 24 अक्टूबर 1917 का विद्रोह शुरू हो गया और शाम ढलते – ढलते पूरा पैट्रोग्राद शहर बोल्शेविकों के नियंत्रण में आ गया। इस तरह अक्टूबर क्रांति पूर्ण हुई।
                  अक्टूबर क्रांति के बाद क्या बदला
                  • निजी सम्पत्ति का खात्मा।
                  • बैंको एवं उद्योगों का राष्ट्रीकरण।
                  • जमीनों को सामाजिक सम्पत्ति घोषित करना।
                  • अभिजात्य वर्ग की पुरानी पदवियों पर रोक।
                  • रूस एक दलीय व्यवस्था वाला देश बन गया।
                  • जीवन के हरेक क्षेत्र में सेंसरशिप लागू।
                  • गृह युद्ध का आरंभ।


                  गृह युद्ध

                  क्रांति के पश्चात् रूसी समाज में तीन मुख्य समूह बन गए बोल्शेविक (रेड्स) सामाजिक क्रांतिकारी (ग्रीन्स) और जार समर्थक (व्हाइटस) इनके मध्य गृहयुद्ध शुरू हो गया ग्रीन्स और ‘व्हाइटस‘ को फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन से भी समर्थन मिलने लगा क्योंकि ये समाजवादियों से सशंकित थे।

                  Revision Notes for पाठ 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद| Class 9 History

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                  Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Revision Notes Class 9 इतिहास History

                  Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Notes Class 9 Itihas is provided in this page. We have included all the important topics of chapter in the revision notes. By studying the revision notes of Forest Society and Colonialism, students will be able to understand the concepts of the chapter.

                  Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Revision Notes Class 9 इतिहास History

                  Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Notes Class 9 Itihas

                  Topics in the Chapter

                  • वन्य समाज
                  • वनोन्मूलन
                  • वन अधिनियम
                  • वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
                  • वन विद्रोह
                  • ब्लैं डाँग डिएन्स्टेन
                  • जावा के जंगल

                  वन्य समाज

                  अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज कबीलों में बँटा हुआ था। कबीले का प्रमुख मुखिया था जिसका मुख्य कर्त्तव्य कबीले को सुरक्षा प्रदान करना था। धीरे-धीरे इन्होंने कबीलों पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया तथा अपने लिए कुछ विशेषाधिकार भी प्राप्त कर लिये।


                  वनों से लाभ

                  1. प्रत्यक्ष लाभ (Direct Benefits):

                    अर्थव्यवस्था में वनों के निम्न प्रमुख प्रत्यक्ष लाभ हैं:

                    • वर्तमान में देश की राष्ट्रीय आय का लगभग 19 प्रतिशत कृषि उद्योग से प्राप्त होता है। इसमें लगभग 18 प्रतिशत वन सम्पत्ति द्वारा मिलता है।
                    • भारतीय वन, चरागाहों के अभाव में, लगभग 5.5 करोड़ पशुओं को चराने की सुविधा प्रदान करते हैं। पशुओं की चराई के अतिरिक्त वन प्रदेश अनेक प्रकार के कन्द-मूल फल भी प्रदान करते हैं, जिन पर ग्रामीणों की जीविका निर्भर करती है।
                    • वन (forest) लगभग 73 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से दैनिक व्यवसाय देते हैं। ये लोग लकड़ी काटने, लकड़ी चीरने, वन वस्तुएँ ढोने, नाव, रस्सी, बान, आदि तैयार करने तथा गोद, लाख, राल, कन्द मूल, जड़ी बूटियाँ, दवाइयाँ आदि एकत्रित करने लगे हैं। वन क्षेत्र में लगभग 3.1 करोड़ आदिवासियों का निवास स्थान है और उनके जीवन – यापन एवं अनेक कुटीर उद्योगों का यही वन आधारभूत या महत्त्वपूर्ण साधन है।
                    • वनो से सरकार को निरन्तर अधिक आय होती रही है। यह आय 1981-82 में 204 करोड़ रुपये की हुई थी जो वर्तमान में बढ़कर लगभग 3,300 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष हो गई है।
                    • वनो से विविध मुख्य व गौण उपजो से निरन्तर अधिकाधिक आय प्राप्त होती रही है। गौण उपज से 1950 में 6 करोड़ रुपये, 1970 में 30 करोड़ रुपये एवं 2003 में इनसे होने वाली आय आठ गुना बढ़कर 245 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई। इसी भाँति वनों से मुख्य उपज के रूप में लकड़ी व बास की आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है। यह आय 1950 में 17.2 करोड़, 1970 में 105 करोड़ रही जो वर्तमान में बढ़कर 31.000 करोड़ रुपये हो गई है। इसका एक कारण वन्य उत्पादों के मूल्यों में विश्वव्यापी भारी वृद्धि भी रहा है।
                    • आम, साखू, सागवान, शीशम, देवदार, बबूल, रोहिडा, यूकेलिप्टस आदि लकड़ियों से मकान के दरवाजे, चौखट, कृषि के औजार, जहाज, रेल के डिब्बे, फर्नीचर, कई उद्योगो के सहायक पुर्जे, वाहनों के ढाँचे, आदि बनाये जाते हैं। मुलायम लकड़ियों से कागज और लुग्दी, दियासलाई, प्लाईवुड, तारपीन का तेल, गंधा – विरोजा, आदि वस्तुएँ प्राप्त की जाती है। इमारती लकड़ियों के अतिरिक्त जलाने के काम आने वाली लकड़ियाँ (धावड़ा, खैर, बबूल, आदि) वनों से ही प्राप्त होती हैं। देश से प्रतिवर्ष 65 करोड़ रुपये की लकड़ियाँ एवं लकड़ी की वस्तुएं, पैकिंग सामग्री आदि का भी निर्यात किया जाता है।

                    2. अप्रत्यक्ष लाभ (Indirect Benefits)

                    • वनों से नमी निकलती रहती है जिससे वायुमण्डल का तापमान सम होकर वातावरण आर्द्र वन जाता है, इससे वर्षा होती है।
                    • वन क्षेत्र वर्षा के जल को स्पंज की भांति चूस लेते हैं, अत: निम्न प्रदेशों में बाढ़ के प्रकोप का भय नहीं रहता और जल का बहाव धीमा होने के कारण समीपवर्ती भूमि का क्षरण भी रुक जाता है।
                    • वन प्रदेश वायु की तेजी को रोककर बहुत से भागों को शीत अथवा तेज बालू की आँधियों के प्रभाव से मुक्त कर देते हैं।
                    • ये वर्षा के जल को भूमि में रोक देते हैं और धीरे – धीरे बहने देते हैं। इससे मैदानी भागों में कुओं का जल तल से अधिक नीचे नहीं पहुंच पाता।
                    • वनों के वृक्षो से पत्तियाँ सूखकर गिरती है, वे धीरे – धीरे सड़ – गलकर मिट्टी में मिल जाती हैं और भूमि को अधिक उपजाऊ बना देती है।
                    • वन सुन्दर एवं मनमोहक दृश्य उपस्थित करते हैं और देश के प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। अतएव वे देशवासियों में सौन्दर्य भावना जाग्रत करते हैं और उन्हें सौन्दर्य एवं प्रकृति – प्रेमी बनाते हैं।
                    • घने वनों में कई प्रकार के कीड़े – मकोड़े तथा छोटे छोटे असंख्य जीव – जन्तु रहते हैं जिन पर बड़े जीव निर्भर रहते हैं। भारतीय वनों में कई प्रकार के शाकाहारी (नारहसिंघा, हिरन, साभर बैल, सूअर, हाथी, गैण्डा) तथा मांसाहारी (तेंदुआ, रीछ, बाघ, बघेरा, शेर) वन्य प्राणी रहते हैं। भारतीय वनों में लगभग 592 किस्म के वन्य पशु पाए जाते हैं। देश के 500 अभयारण्य, 29 बाघ संरक्षण क्षेत्र एवं 95 राष्ट्रीय उद्यानों का आधार भी वन ही है।
                    • आज के बढ़ते प्रदूषण के सर्वव्यापी घातक प्रभाव से मुक्ति दिलाकर भूमि पर पर्यावरण सन्तुलन का आधार भी वन ही प्रदान कर सकते हैं। अत: यह आज भी मानव सभ्यता के पोषक एवं संरक्षक है।


                    वनोन्मूलन

                    • वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है।
                    • वृक्षों का वृहत पैमाने पर कटाई ‘ वनोन्मूलन ‘ कहलाता है। औपनिवेश काल में ‘ वनोन्मूलन ‘ की प्रक्रिया व्यापक तथा और भी व्यवस्थित हो गई।
                    • 1700 ई . से 1995 के बीच के बीच 139 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल विभिन्न उपयोग की वजह से साफ कर दिए गए।

                    वनोन्मूलन के कारण

                    • प्रारंभिक सभ्यता: प्रारंभिक सभ्यता मवेशियों के बड़े झुंड (पशुचारण), कृषि और लकड़ी के व्यापक उपयोग पर आधारित थी। जलाऊ लकड़ी ऊर्जा का एकमात्र स्रोत था। इसलिए, वनों का बड़े पैमाने पर दोहन और खंडन किया गया।
                    • मानव बस्तियों: जैसे-जैसे मानव आबादी में वृद्धि हुई, मानव बस्तियों के लिए जगह बनाने के लिए जंगलों को साफ किया गया, उनके मवेशियों के लिए फसल और चारागाह। जैसे-जैसे मानव आबादी में वृद्धि हुई, मानव बस्तियों के लिए जगह बनाने के लिए जंगलों को साफ किया गया, उनके मवेशियों के लिए फसल और चारागाह। प्रक्रिया वर्तमान समय तक जारी है।
                    • वनाग्नि: वे प्राकृतिक और मानवजनित दोनों हैं। आग का इस्तेमाल आदि-मानव द्वारा शिकार के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता था। बाद में, इसे युद्धकालीन रणनीति के रूप में नियोजित किया गया था। आग से कई वन क्षेत्र नष्ट हो जाते हैं। 1983 और 1997 के दौरान इंडोनेशिया में 4000 Km2के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वनाग्नि लगी थी। शुष्क गर्मी के मौसम में, ऐसी आग हिमाचल प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में आम होती है।
                    • झूमिंग (स्थानांतरण खेती): जली हुई वनस्पति की राख के कारण खनिजों से समृद्ध खेती के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए एक क्षेत्र को साफ करने के लिए यह आदिवासियों की एक स्लैश एंड बर्न प्रथा है। खेती 2-3 साल के लिए की जाती है। इसके बाद क्षेत्र को छोड़ दिया जाता है। परित्यक्त क्षेत्र खरपतवार, मिट्टी के कटाव और वनोन्मूलन के अन्य दोषों के आक्रमण का केंद्र बन जाता है।
                    • उत्खनन और खनन: दोनों को आम तौर पर पहाड़ी और वनाच्छादित क्षेत्र में किया जाता है। वे वनस्पति को खराब करते हैं और वनोन्मूलन का कारण बनते हैं।
                    • जलविद्युत परियोजनाएं- बिजली के उत्पादन और पानी को जमा करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में बांध और जलाशयों का निर्माण किया जाता है। वे वन भूमि के बड़े क्षेत्रों को जलमग्न कर देते हैं।
                    • नहरों: वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नहरें पानी के रिसने के कारण कई पेड़ों को मार देती हैं।
                    • अत्यधिक चराई: उष्ण कटिबंध में गरीब मुख्य रूप से ईंधन के स्रोत के रूप में लकड़ी पर निर्भर होते हैं जिससे वृक्षों के आवरण का नुकसान होता है और साफ की गई भूमि चराई भूमि में बदल जाती है। मवेशियों द्वारा अतिचारण से इन भूमि का और क्षरण होता है।
                    • औद्योगिक उपयोग के लिए कच्चा माल: बक्से बनाने के लिए लकड़ी, फर्नीचर, रेलवे स्लीपर, प्लाईवुड, माचिस, कागज उद्योग के लिए लुगदी आदि ने जंगलों पर जबरदस्त दबाव डाला है। असम के चाय उद्योग के लिए चाय की पैकिंग के लिए प्लाइवुड की बहुत मांग है जबकि जम्मू-कश्मीर में सेब की पैकिंग के लिए देवदार के पेड़ की लकड़ी का बहुत उपयोग किया जाता है।

                    वनोन्मूलन के प्रभाव (Effects of Deforestation)

                    • बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन के प्रभाव असंख्य और विविध हैं।
                    • रिसाव और भूजल पुनर्भरण में कमी आई है।
                    • मिट्टी का कटाव बढ़ा है।
                    • बाढ़ और सूखा अधिक बारंबार हो गया है।
                    • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की खपत और ऑक्सीजन (O2) के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
                    • वनों में रहने वाली प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, जिससे अपूरणीय आनुवंशिक संसाधनों का नुकसान हो रहा है।
                    • भूस्खलन और हिमस्खलन बढ़ रहे हैं।
                    • मनुष्य वृक्षों और जंगली जानवरों के लाभों से वंचित रहा है।
                    • बारिश का प्रतिरूप बदल रहा है।
                    • वनोन्मूलन वाले क्षेत्रों में पौधों द्वारा नमी की कमी के कारण जलवायु गर्म हो गई है।
                    • वन में रहने वाले लोगों के कमजोर वर्गों की अर्थव्यवस्था और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आई है। ईंधन की लकड़ी की कमी पहाड़ियों में महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या है। ईंधन की लकड़ी की कमी लोगों को जानवरों का गोबर जलाने के लिए मजबूर करती है, जो अन्यथा मिट्टी को उर्वरित करने के लिए उपयोग किया जाता। यह अनुमान लगाया गया है कि गोबर जलाने से अनाज का उत्पादन इतना कम हो जाता है कि हर साल 10 करोड़ लोगों का पेट भर सके।

                    भारत में वन विनाश के कारण

                    • बढती आबादी और खाद्य पदार्थों की माँग के कारण पेड़ कटोती का वस्तार।
                    • रेलवे लाइनो का विस्तार और रेलवे में लकड़ियों का उपयोग।
                    • यूरोप में चाय, कॉफी और रबड़ कि माँग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक वनों का एक भरी हिस्सा साफ किया गया ताकि इसका बगान बनाया जा सके।
                    • वनों का विनाश प्राकतिक और मानवीय दोनों कारणों से होता है – प्राकतिक कारणों से विनष्ट वन कुछ समय पश्चात् प्रायः पुनः उग आते हैं किन्तु मानव द्वारा वनों के काटने और भूमि का उपयोग कषि, आवास, कारखाना, विद्युत संयंत्र आदि के रूप में किये जाने से वन सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं।
                    • शुष्क मौसम में वक्षों के परस्पर रगड़ते रहने के कारण वनों में आग लग जाती है जिससे कभी-कभी विस्तत क्षेत्र में वन जल कर नष्ट हो जाते हैं।
                    • कभी-कभी आकाशी बिजली के सम्पर्क में आने से भी वनों में आग लगने से वक्ष जलकर नष्ट हो जाते हैं।
                    • जलवायु संबंधी कारणों से वन वक्षों में रोग लग जाते हैं और वक्ष सूख कर नष्ट हो जाते हैं।
                    • वक्षों की जड़ों, तनों तथा पत्तियों में कई प्रकार के कीटों के लग जाने पर भी समूहों में वक्ष सूख जाते हैं।
                    • वक्षों के विनाश में शाकाहारी जंगली पशुओं का भी हाथ होता है।
                    • उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में स्थानांतरणशील कषि के प्रचलन से वनों को काटकर कषि के लिए प्रति दो-तीन वर्ष के बाद नवीन भूमि प्राप्त की जाती है।
                    • आदिवासियों द्वारा की जाने वाली इस कषि पद्धति के कारण वनों का विनाश होता रहता है।
                    • पूर्वोत्तर भारत और मलाया के पर्वतीय भागों में प्रचलित स्थानांतरणशील कृषि वन विनाश के लिए काफी सीमा तक उत्तरदायी है।
                    • जनसंख्या वद्धि निर्वनीकरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या में तीव्र वद्धि होने से भोजन, आवास, यातायात मार्ग आदि की मांगों की पूर्ति के लिए वनों को दीर्घकाल से साफ किया जाता रहा है किन्तु सर्वाधिक वन विनाश की घटनाएं बीसवीं शताब्दी में विशेषकर इसके उत्तरार्द्ध में हुई हैं। संघन जनसंख्या वाले क्षेत्र में वनों का लगभग सफाया हो चुका है।
                    • तकनीकी विकास यंत्रीकरण और औद्योगीकरण के विस्तार से लकड़ी की मांग में तीव्र वद्धि हुई है। कागज, लुग्दी तथा अन्य रासायनिक उद्योगों, फर्नीचर निर्माण, भवन निर्माण, रेल डिब्बों आदि के निर्माण के लिए लकड़ी की मांग और मूल्य में वद्धि होने से वनों की अंधाधुंध कटाई की गयी है जिससे निर्वनीकरण अधिक तेजी से हुआ और अनेक प्रकार की आर्थिक एवं पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।
                    • नगरों के विस्तार या नवीन नगरों को बसाने के लिए कारखानों तथा विद्युत संयंत्रों की स्थापना एवं विशाल जलाशयों के निर्माण आदि के उद्देश्य से वन भूमि को साफ करने से होने वाला निर्वनीकरण-वर्तमान समय की प्रमुख घटना है।

                    भारत का पहला वन महानिदेशक

                    डायट्रिच ब्रैंडिस को भारत का पहला वन महानिदेशक बनाया गया।

                    भारतीय वन सेवा

                    भारतीय वन सेवा की स्थापना 1864 में की गई।


                    वन अधिनियम

                    1865 में पहला वन अधिनियम बनाया गया। 1878 के वन अधिनियम के द्वारा जंगल को तीन श्रेणियों में बाँटा गया :
                      1. आरक्षित
                      2. सुरक्षित
                      3. ग्रामीण
                      • सबसे अच्छे वनों को आरक्षित वन कहा गया जहाँ से ग्रामीण अपने उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे।
                      • मकान बनाने के लिए या ईंधन के लिए वे सिर्फ ‘ सुरक्षित ‘ या ‘ ग्रामीण ‘ वन से ही लकडियाँ ले सकते थे वह भी अनुमति लेकर।


                      वैज्ञानिक वानिकी

                      • 1906 ई . में देहरादून मे ‘ इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इस्टीट्यूट ‘ की स्थापना की गई जहाँ वैज्ञानिक वानिकी ‘ पद्धति की शिक्षा दी जाती थी।
                      • वैज्ञानिक वानिकी ‘ एक ऐसी पद्धति थी जिसमें प्राकृतिक वनों की कटाई कर उसके स्थान पर कतारबद्ध तरीके से एक ही प्रजाति के पेड़ लगाए जाते थे। लेकिन आज यह पद्धति पूर्णतया अवैज्ञानिक सिद्ध हो गयी है।

                      वन कानूनों का प्रभाव

                      • लकड़ी काटना, पशुचारण कंदमूल इकट्ठा करना आदि गैरकानूनी घोषित कर दिए गए।
                      • वन रक्षकों की मनमानी बढ़ गई।
                      • घुमंतु खेती पर रोक।
                      • घुमंतु चरवाहों की आवाजाही पर रोक।
                      • जलावनी लकड़ी एकत्रित करने वाली महिलाओ का असुरक्षित होना।
                      • रोजमर्रा की चीजों के लिए वन रक्षकों की दया पर निर्भर होना।
                      • जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों को जंगल से बेदखल होना पड़ा जिससे उनके सामने जीविका का संकट उत्पन्न हो गया।


                      वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

                      औद्योगिकरण के दौर में सन् 1700 से 1995 के बीच 139 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल यानी दुनिया के कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत भाग औद्योगिक इस्तेमाल, खेती – बाड़ी और इंधन की लकड़ी के लिए साफ कर दिया गया।

                      जमीन की बेहतरी

                      • अगर हम बात करें सन् 1600 में हिंदुस्तान के कुल भूभाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी। लेकिन अगर हम बात करें अभी की तो यह आंकड़ा बढ़कर आधे तक पहुंच गया। जैसे – जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे – वैसे खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती गई।
                      • किसानों को जंगल को साफ करके खेती की सीमाओं का विस्तार करना पड़ा। औपनिवेशिक काल में खेती में तेजी से फैलाव आया इसकी बहुत सारी वजह थी जैसे अंग्रेजों ने व्यवसायिक फसलो जैसे पटसन, गन्ना, कपास के उत्पादन को जमकर प्रोत्साहित किया।

                      पटरी पर स्लीपर

                      • 1850 के दशक में रेल लाइनों के प्रसार ने लकड़ी के लिए एक नई तरह की मांग पैदा कर दी। शाही सेना के आने जाने के लिए और औपनिवेशिक व्यापार के लिए रेल लाइनें बहुत जरूरी थी।
                      • इंजनों को चलाने के लिए इंधनों के तौर पर और रेल की पटरियों को जोड़े रखने के लिए ‘ स्लीपर ‘ के रूप में लकड़ी की भारी जरूरत थी।
                      • एक मील लंबी रेल की पटरी के लिए 1760 – 2000 स्लीपरों की आवश्यकता पड़ती थी। भारत में रेल लाइनों का जाल 1860 के दशक से तेजी से फैला। 1890 तक लगभग 25,500 किलोमीटर लंबी लाइनें बिछाई जा चुकी थी।
                      • 1946 में इन लाइनों की लंबाई 7,65,000 किलोमीटर तक बढ़ चुकी थी। रेल लाइनों के प्रसार के साथ – साथ पेड़ों को भी बहुत बड़ी मात्रा में काटा जा रहा था। अगर हम बात करें अकेले मद्रास की तो प्रेसिडेंसी में 1850 के दशक में प्रतिवर्ष 35,000 पेड़ स्लीपरों के लिए काटे गए सरकार ने आवश्यक मात्रा की आपूर्ति के लिए निजी ठेके दिए।
                      • इन ठेकेदारों ने बिना सोचे समझे पेड़ काटना शुरू कर दिया। रेल लाइनों के आसपास जंगल तेजी से गायब होने लगें।


                      बागान

                      यूरोप में चाय और कॉफी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इन वस्तुओं के बागान बने और इनके लिए भी प्राकृतिक वनों का एक भारी हिस्सा साफ किया गया। औपनिवेशिक सरकार ने जंगलों को अपने कब्जे में लेकर उनको विशाल हिस्सों को बहुत सस्ती दरों पर यूरोपीय बागान मालिकों को सौंप दिए।

                      व्यवसायिक वानिकी की शुरुआत

                      • ब्रेडिंस नाम का एक जर्मन विशेषज्ञ था। उसने यह महसूस कराया कि लोगों कि वन का संरक्षण जरूरी है और जंगलों के प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित तंत्र विकसित करना होगा। इसके लिए कानूनी मंजूरी की जरूरत पड़ेगी। वन संपदा के उपयोग संबंधी नियम तय करने पड़ेंगे।
                      • पेड़ों की कटाई और पशुओं को चराने जैसी गतिविधियों पर पाबंदी लगा कर ही जंगलों को लकड़ी उत्पादन के लिए आरक्षित किया जा सकेगा।
                      • इस तंत्र में पेड़ काटने वाले को सजा का भागी बनना होगा। अलग – अलग प्रजाति वाले प्राकृतिक वनों को काट डाला गया और इनकी जगह सीधी पंक्ति में एक ही किस्म के पेड़ लगा दिए गए इसे बागान कहा जाता था।

                      लोगों का जीवन कैसे प्रभावित हुआ

                      • जहां एक तरफ ग्रामीण अपनी अलग – अलग जरूरतों जैसे इंधन, चारे व पत्तों के लिए जंगल में अलग – अलग प्रजातियों का पेड़ चाहते थे। वहीं इनसे अलग वन विभाग को ऐसे पेड़ों की जरूरत थी जो जहाजों और रेलवे के लिए इमारती लकड़ी मुहैया करा सके।
                      1. ऐसी लकड़ियां जो सख्त, लंबी और सीधी हो।
                      2. इसलिए सागौन और साल जैसी प्रजातियों को प्रोत्साहित किया गया और दूसरी किस्मे काट डाली गई।
                      3. जंगल वाले इलाके में लोग कंदमूल फल और पत्ते आदि वन उत्पादों का अलग अलग तरीके से इस्तेमाल करते थे।
                      4. दवाओं के रूप में जड़ी बूटियों के रूप में लकड़ी का इस्तेमाल होता था।
                      5. हल के रूप में और खेती वाले औजार बनाने के रूप में लकड़ी का इस्तेमाल होता था।
                      6. बांस से टोकरी बनाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता था।
                      इस वन अधिनियम के चलते देशभर में गांव वालों की मुश्किलें बढ़ती गई इस कानून के बाद घर के लिए लकड़ी काटना, पशुओं का चारा यह सभी रोजमर्रा की गतिविधियां अब गैरकानूनी बन गई अब उनके पास जंगलों से लकड़ी चुराने के अलावा कोई चारा नहीं बचा और पकड़े जाने की स्थिति में उन्हें वन रक्षक को की दया पर होते जो उन्हें घूस ऐंठते थे।

                        शिकार की आजादी

                        • जंगल संबंधी नए कानूनों ने जंगल वासियों के जीवन को एक और तरह से प्रभावित किया जंगल कानूनों के पहले जंगलों में या उनके आसपास रहने वाले बहुत सारे लोग हिरण, तीतर जैसे छोटे मोटे शिकार करके अपना जीवन यापन करते थे।
                        • यह एक पारंपारिक प्रथा अब गैरकानूनी हो गई शिकार करते हुए पकड़े जाने वालों को अवैध शिकार के लिए दंडित किया जाने लगा।
                        • हालांकि शिकार पर पाबंदी लगा दी गई थी परन्तु अंग्रेज अफसरों व नवाबों को अभी भी ये छूट मिली हुई थी।
                        • जार्ज यूल नामक अंग्रेज अफसर ने अकेले 400 वाघो को मारा था। ये शिकार मनोरंजन के साथ – साथ अपनी प्रभुता सिद्ध करने के लिए की जाती थी।


                        वन विद्रोह

                        हिंदुस्तान और दुनिया भर में वन्य समुदाय ने अपने ऊपर थोपे गए बदलाव के खिलाफ बगावत की।

                        बस्तर के लोग

                        • बस्तर छत्तीसगढ़ के सबसे दक्षिणी छोर पर आंध्र प्रदेश, उड़ीसा व, महाराष्ट्र की सीमाओं से लगा हुआ क्षेत्र है। उत्तर में छत्तीसगढ़ का मैदान और दक्षिण में गोदावरी का मैदान है इंद्रावती नदी बस्तर के आर पार पूरब से पश्चिम की तरफ बहती है। बस्तर में मरिया और मूरिया, भतरा, हलबा आदि अनेक आदिवासी समुदाय रहते हैं।
                        • अलग–अलग जबानें बोलने के बावजूद इनकी रीति रिवाज और विश्वास एक जैसे हैं। बस्तर के लोग हरेक गांव को उसकी जमीन को ‘ धरती मां ‘ की तरह मानते है। धरती के अलावा वे नदी, जंगल व पहाड़ों की आत्मा को भी उतना ही मानते हैं।
                        • एक गांव के लोग दूसरे गांव के जंगल से थोड़ी लकड़ी लेना चाहते हैं तो इसके बदले में वह एक छोटा सा शुल्क अदा करते हैं।
                        • कुछ गांव अपने जंगलों की हिफाजत के लिए चौकीदार रखते हैं जिन्हें वेतन के रूप में हर घर से थोड़ा – थोड़ा अनाज दिया जाता है हर वर्ष एक बड़ी सभा का आयोजन होता है जहां एक गांव का समूह गांव के मुखिया जुड़ते हैं और जंगल सहित तमाम दूसरे अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं।


                        ब्लैं डाँग डिएन्स्टेन

                        डचों ने पहले जंगलों में खेती की जमीनों पर लगान लगा दिया और बाद में कुछ गाँवों को इस शर्त पर इससे मुक्त कर दिया कि वे सामुहिक रूप से पेड़ काटने व लकड़ी ढोने के लिए भैंसे उपलब्ध कटाने का काम मुफ्त में कटेंगे। इस व्यवस्था को ‘ ब्लैं डाँग डिएन्स्टेन कहा गया।


                        जावा के जंगलों में हुए बदलाव

                        जावा को आजकल इंडोनेशिया के चावल उत्पादक द्वीप के रूप में जाना जाता है। भारत व इंडोनेशिया के वन कानूनों में कई समानताएं थी। 1600 में जावा की अनुमानित आबादी 34 लाख थी उपजाऊ मैदानों में ढेर सारे गांव थे लेकिन पहाड़ों में भी घुमंतू खेती करने वाले अनेक समुदाय रहते थे।

                        जावा के लकड़हारे

                        उनके कौशल के बगैर सागौन की कटाई कर राजाओं के महल बनाना बहुत मुश्किल था। डचों ने जब 18 वीं सदी में जंगलों पर नियंत्रण स्थापित करना शुरू कर दिया तब इन्होंने भी कोशिश की किले पर हमला करके इसका प्रतिरोध किया लेकिन इस विद्रोह को दबा दिया गया।

                        जावा में डचों द्वारा वन कानून बनाने के बाद

                        • ग्रामीणों का वनों में प्रवेश निषेध कर दिया गया।
                        • वनों से लकड़ियों की कटाई कुछ विशेष कार्यों जैसे नाव बनाने या घन बनाने के लिए किया जा सकता था वह भी विशेष वनों से निगरानी में।
                        • मवेशियों के चारण परमिट के बिना लकड़ियों की ढुलाई और वन के अंदर घोड़गाड़ी या मवेशी पर यात्रा करने पर दंड का प्रावधान था।

                        सामिनों विद्रोह

                        • डचों के इस कानून के खिलाफ सामिनों ने विरोध किया।
                        • सुरोंतिको सामिन ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया जिनका मत था कि जब राज्य ने हवा, पानी, धरती या जंगल नहीं बनाए तो यह उस पर कर भी नहीं लगा सकते।

                        विद्रोह के तरीकों में:

                        1. सर्वेक्षण करने आये डचों के सामने जमीनों पर लेटना।
                        2. लगान या जुर्माना न भरना।
                        3. बेगार से इंकार करना।

                        जावा पर जापानियों के कब्जे ठीक पहले डचों ने भस्म कर भागो नीति के तहत सागौन और आरा मशीनों के लट्ठे जला दिए ताकि वे जापानियों के हाथ न पड़े। इसके बाद जापानियों ने वनवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य कर अपने युद्ध उद्योग के लिए जंगलों का निर्मम दोहन किया।

                        Revision Notes for पाठ 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय| Class 9 History

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                        Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Revision Notes Class 9 इतिहास History

                        Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Notes Class 9 Itihas is provided in this page. We have included all the important topics of chapter in the revision notes. By studying the revision notes of Nazism and the Rise of Hitler, students will be able to understand the concepts of the chapter.

                        Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Revision Notes Class 9 इतिहास History

                        Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Notes Class 9 Itihas

                        Topics in the Chapter

                        • वाइमर गणराज्य
                        • वर्साय की संधि
                        • राजनीतिक रैडिकलवाद और आर्थिक संकट
                        • नात्सीवाद
                        • हिटलर के उदय के कारण
                        • जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता
                        • द्वितीय विश्व युद्ध का अंत
                        • नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति
                        • महिलाओं की स्थिति

                        सामाजिक परिवर्तन का युग

                        वाइमर गणराज्य की स्थापना

                        • जर्मनी ने ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के साथ और मित्र राष्ट्रों (इंग्लैंड, फ्रांस और रूस) के खिलाफ प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) लड़ा।
                        • जर्मनी ने शुरू में फ्रांस और बेल्जियम पर कब्जा करके लाभ कमाया। हालाँकि, मित्र राष्ट्रों ने 1918 में जर्मनी और केंद्रीय शक्तियों को हराकर जीत हासिल की।
                        • वीमर में एक नेशनल असेंबली की बैठक हुई और एक संघीय ढांचे के साथ एक लोकतांत्रिक संविधान की स्थापना की।
                        • जून 1919 में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर हुए जिसमें जर्मनी के ऊपर मित्र शक्तियों ने कई अपमानजनक शर्तें थोपी जैसे :-
                        1. युद्ध अपराध बोध अनुच्छेद के तहत छह अरब पौंड का र्जुमाना लगाना।
                        2. युद्ध में हुए क्षति के लिए सिर्फ जर्मनी को जिम्मेदार मानना।
                        3. जर्मनी को सैन्यविहीन करना।
                        4. सारे उपनिवेश 10% आबादी 13% भू–भाग, 75% लौह भंडार और 26% कोयला भंडार का मित्र राष्ट्रों में आपस में बाँट लेना आदि।
                        • वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी में वाइमर गणराज्य की स्थापना हुई।

                        वाइमर गणराज्य के सामने आई समस्याएँ

                        वाइमर संधि

                        • वर्साय में हुई शांति–संधि की वजह से जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश, तकरीबन 10 प्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस, पोलैंड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।
                        • मित्र राष्टों ने उसकी सेना भी भंग कर दी। यद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण हुई सारी तबाही के लिए जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराकर उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया। खनिज संसाधनों वाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज़्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही क़ब्ज़ा रहा।

                        वर्साय की संधि

                        प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये। इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी।

                        वर्साय की सन्धि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हिटलर और अन्य जर्मन लोग इसे अपमानजनक मानते थे और इस तरह से यह सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों में से एक थी।

                        आर्थिक संकट

                        • युद्ध में डूबे हुए ऋणों के कारण जर्मन राज्य आर्थिक रूप से अपंग हो गया था जिसका भुगतान सोने में किया जाना था। इसके बाद, सोने के भंडार में कमी आई और जर्मन निशान का मूल्य गिर गया। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगीं।

                        राजनीतिक संकट

                        • राष्ट्रीय सभा द्वारा वाडमर गणराज्य का विकास तथा सुरक्षा के रास्ते पर लाने के लिए एक नये जनतांत्रिक संविधान का निर्माण किया गया, किन्तु यह अपने उद्देश्य में असफल रहा। संविधान में बहुत सारी कमजोरियाँ थीं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व संबंधी नियमों तथा अनुच्छेद 48 के कारण एक राजनीतिक संकट पैदा हुआ जिसने तानाशाही शासन का रास्ता खोल दिया।


                        युद्ध के प्रभाव

                        • युद्ध से मनोवैज्ञानिक और आर्थिक रूप से पूरे महाद्वीप पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
                        • यूरोप कल तक कर्ज देने वालों का महाद्वीप कहलाता था जो युद्ध खत्म होते – होते कर्जदारो का महाद्वीप बन गया
                        • पहले महायुद्ध ने यूरोपीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी थी।
                        • सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा सम्मान दिए जाने लगा।
                        • राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।

                        राजनीतिक रैडिकलवाद और आर्थिक संकट

                        • राजनीतिक रैडिकलवादी विचारों को 1923 के आर्थिक संकट से और बल मिला जर्मनी ने पहला विश्वयुद्ध मोटे तौर पर कर्ज लेकर लड़ा था।
                        • युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इस दोहरे बोझ से जर्मनी के स्वर्ण भंडार लगभग खत्म होने की स्थिति में पहुंच गए थे।

                        vआखिरकार 1923 में जर्मनी ने कर्ज और हर्जाना चुकाने से इंकार कर दिया। इसका जवाब में फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा कर लिया।

                        • यह जर्मनी के विशाल कोयला भंडारों वाला इलाका था। जर्मन सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर मुद्रा छाप दी की उसकी मुद्रा मार्क का मूल्य तेजी से गिरने लगा।
                        • अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,000 मार्क के बराबर थी। जो जुलाई में 3,53,000 मार्क और अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसंबर में 9,88,60,000 मार्क हो गई।


                        अति–मुद्रास्फीति

                        जैसे–जैसे मार्क की कीमत गिरती गई, जरूरी चीजों की कीमत आसमान छूने लगी जर्मन समाज दुनिया भर में हमदर्दी का पात्र बनकर रह गया इस संकट को बाद में अति – मुद्रास्फीति का नाम दिया गया। जब कीमतें बेहिसाब बढ़ जाती है तो उस स्थिति को अति मुद्रास्फीति का नाम दिया जाता है।


                        मंदी के साल

                        • 1924 से 1928 तक जर्मनी में कुछ स्थिरता रही लेकिन यह स्थिरता मानव रेत के ढेर पर खड़ी थी।
                        • जर्मन निवेश और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार मुख्यत : अमेरिका से लिए गए अल्पकालिक कर्जो पर आश्रित था।
                        • जब 1929 में शेयर बाजार धराशाई हो गया तो जर्मनी को मिल रही यह मदद भी रातों – रात बंद हो गई।
                        • कीमतों में गिरावट की आशंका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे 24 अक्टूबर को केवल 1 दिन में 1.3 करोड़ शेयर बेच दिए गए।
                        • यह आर्थिक महामंदी की शुरुआत थी फैक्ट्रियां बंद हो गई थी, निर्यात गिरता जा रहा था, किसानों की हालत खराब थी, सट्टेबाज बाजार से पैसा खींचते जा रहे थे।
                        • अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई इस मंदी का असर दुनियाभर में महसूस किया गया और सबसे बुरा प्रभाव जर्मन अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
                        • मजदूर या तो बेरोजगार होते जा रहे थे या उनके वेतन काफी गिर चुके थे बेरोजगारों की संख्या 60 लाख तक जा पहुंची।


                        नात्सीवाद

                        यह एक सम्पूर्ण व्यवस्था और विचारों की पूरी संरचना का नाम है। जर्मन साम्राज्य में यह एक विचारधारा की तरह फ़ैल गई थी जो खास तरह की मूल्य – मान्यताओं, एक खास तरह के व्यवहार सम्बंधित था।

                        नाज़ीवाद, जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की विचार धारा थी। यह विचारधारा सरकार और आम जन के बीच एक नये से रिश्ते के पक्ष मे थी। इस के अनुसार सरकार की हर योजना मे पहल हो परंतु फिर वह योजना जनता-समाज की भागिदारी से चले। कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद, देशप्रेम, विदेशी विरोधी, आर्य और जर्मन हित इस विचार धारा के मूल अंग है।

                        नाजीयों का विश्व दृष्टिकोण

                        • राष्ट्रीय समाजवाद का उदय।
                        • सक्षम नेतृत्व।
                        • नस्ली कल्पनालोक (यूजोपिया)
                        • जीवन परिधि (लेबेन्सत्राउम) अपने लोगों को बसाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना।
                        • नस्लीय श्रेष्ठता शुद्ध और नार्डिक आर्यो का समाज।

                        जर्मनी में हिटलर के उदय के कारण

                        • वर्साय की संधि शर्ते।
                        • वाइमर रिपब्लिक की कमजोरियों।
                        • आमूल परिवर्तन वादियों और समाजवादियों में आपसी फूट।
                        • नात्सी प्रोपेगैंडा।
                        • सर्वघटाकारण का भय।
                        • बेरोजगारी।
                        • आर्थिक महामंदी।

                        हिटलर का उदय

                        हिटलर का जन्म 1889 में हुआ था और उसकी युवावस्था गरीबी में बीती थी। प्रथम विश्व युद्ध में उसने सेना की नौकरी पकड़ ली और तरक्की करता गया। युद्ध में जर्मनी की हार से वह दुखी था लेकिन वर्साय संधि द्वारा जर्मनी पर लगाई शर्तों के कारण उसका गुस्सा और बढ़ गया था।

                        • हिटलर ने 1919 में वर्कर्स पार्टी की सदस्यता ली और धीरे – धीरे उसने इस संगठन पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।
                        • फिर उसे सोशलिस्ट पार्टी का नाम दे दिया।
                        • यही पार्टी बाद में नात्सी पार्टी के नाम से जाना गया।
                        • महामंदी के दौरान जब जर्मन अर्थव्यवस्था जर्जर हो चुकी थी काम धंधे बंद हो रहे थे।
                        • मजदुर बेरोजगार हो रहे थे।
                        • जनता लाचारी और भुखमरी में जी रही थी तो नात्सियों ने प्रोपेगैंडा के द्वारा एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाकर अपना नात्सी आन्दोलन चमका लिया।
                        • और इसी के बाद चुनावों में 32 फीसदी वोट से हिटलर जर्मन का चांसलर बना।

                        हिटलर के उदय के कारण

                        • आर्थिक संकट:1929 की महामंदी ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया। बेरोज़गारी मूल्य वृद्धि, व्यापार व वाणिज्य का पतन हुआ।
                        • हिटलर का व्यक्तित्व:हिटलर का प्रभावशाली व्यक्तित्व, उसका बढ़िया वक्ता होना तथा बढ़िया संगठन कर्ता होना, हिटलर के उदय में सहायक बना।
                        • राजनैतिक उथल पुथल:जर्मनी के लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठ गया था।

                        हिटलर की राजनैतिक शैली

                        • वह लोगों को गोल बंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन करने में विश्वास रखता था।
                        • वह लोगों का भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता की भावना पैदा करने के लिए बड़े बड़े रैलियाँ और सभाएँ करता था।
                        • स्वस्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट का प्रयोग किया करता था और भाषण खास अंदाज में दिया करता था।
                        • भाषणों के बाद तालियाँ भी खास अंदाज ने नात्सी लोग बजाया करते थे।
                        • चूँकि उस समय जर्मनी भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था इसलिए वह खुद को मसीहा और रक्षक के रूप में पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के लिए ही अवतार लिया हो।


                        जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता

                        • 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके, काम धंधे बंद होते जा रहे थे, मजदुर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था।
                        • नात्सी प्रोपेगैंडा में लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। धीरे – धीरे नात्सीवाद एक जन आन्दोलन का रूप लेता गया और जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता मिलने लगी।
                        • हिटलर एक जबरदस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना, वर्साय संधि में हुई नाइंसाफी जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था।
                        • उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा और तमाम विदेशी ‘ साशिशों ‘ का मुँहतोड़ जवाब देगा।

                        नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण करने के तरीके

                        • हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी। वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था।
                        • हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियों ने बड़ी – बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं।
                        • स्वस्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहट।ये सारी चीजे शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
                        • नात्सियों ने अपने धूआँधार प्रचार के जरिये हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसने मानो जनता को तबाही से उबारने के लिए ही अवतार लिया था।
                        • एक ऐसे समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुजर रहा था।

                         

                        लोकतंत्र का ध्वंस

                        • 30 जनवरी 1933 को राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने हिटलर को चांसलर का पदभार संभालने का न्योता दिया यह मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली पद था सत्ता हासिल करने के बाद हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना और संस्थाओं को भंग करना शुरू कर दिया।
                        • फरवरी महीने में जर्मन संसद भवन में हुए रहस्यमय अग्निकांड से उसका रास्ता और आसान हो गया। इसके बाद हिटलर ने अपने कट्टर शत्रु कम्युनिस्टो पर निशाना साधा ज्यादातर कम्युनिस्टों को रातो रात कंस्ट्रक्शन कैंपों में बंद कर दिया गया।
                        • मार्च 1933 को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम (इनेबलिंग एक्ट) पारित किया गया। इस कानून के जरिए जर्मनी में बाकायदा तानाशाह स्थापित कर दी गई। नात्सी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टियों और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी लगा दी गई।
                        • किसी को भी बिना कानूनी कार्रवाई के देश से निकाला जा सकता था या गिरफ्तार किया जा सकता था।

                         

                        द्वितीय विश्व युद्ध का अंत

                        • द्वितीय विश्व युद्ध वर्ष 1939-45 के बीच होने वाला एक सशस्त्र विश्वव्यापी संघर्ष था।
                        • इस युद्ध में दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी गुट धुरी शक्तियाँ (जर्मनी, इटली और जापान) तथा मित्र राष्ट्र (फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन) शामिल थे।
                        • यह इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष था जो लगभग छह साल तक चला था।
                        • इसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल हुए थे और 50 मिलियन लोग (दुनिया की आबादी का लगभग 3%) मारे गए थे।
                        • जब द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका कूद पड़ा। तो धूरी राष्ट्रों को घुटने टेकने पड़े, इसके साथ ही हिटलर की पराजय हुआ और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर अमेरिका के बम गिराने के साथ द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।

                         

                        नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति

                        • जर्मन और यहूदियों के बच्चे एक साथ बैठ नहीं सकते थे।
                        • जिप्सयों, शारीरिक रूप से अक्षम तथा यहूदियों को स्कूल से निकाल दिया गया।
                        • स्कूली पाठ्य पुस्तक को फिर से लिखा गया जहाँ 'नस्लीय भेदभाव'को बढ़ावा दिया गया।
                        • 10 साल की उम्र के बच्चों को 'युगफोंक'में दाखिल करा दिया जाता था जो एक युवा संगठन था।
                        • 14 साल की उम्र में सभी लड़कों को 'हिटलर यूथ'की सदस्यता अनिवार्य कर दी गई।

                         

                        महिलाओं की स्थिति

                        • लड़कियों को अच्छी माँ और शुद्ध रक्त वाले बच्चों को जन्म देना उनका प्रथम कर्तव्य बताया जाता था।
                        • नस्ल की शुद्धता बनाए रखना, यहूदियों से दूर रहना और बच्चों का नात्सी, मूल्य मान्यताओं की शिक्षा देने का दायित्व उन्हें सौंपा गया।
                        • 1933 में हिटलर ने कहा: मेरे राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक माँ है।
                        • नस्ली तौर पर वांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को अस्पताल में विशेष सुविधाएँ, दुकानों में ज्यादा छूट थियेटर और रेलगाड़ी के सस्ते टिकट और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली माताओं को कांसे, चाँदी और सोने के लगाये दिए जाते थे।
                        • लेकिन अवांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को दंडित किया जाता था। आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उन्हें गंजा कर मुँह पर कालिख पोत पूरे समाज में घुमाया जाता था। न केवल जेल बल्कि उनसे तमाम नागरिक सम्मान और उनके पति व परिवार भी छीन लिए जाते थे।

                        Revision Notes for पाठ 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे| Class 9 History

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                        Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे Revision Notes Class 9 इतिहास History

                        Chapter आधुनिक विश्व में चरवाहे Notes Class 9 Itihas is provided in this page. We have included all the important topics of chapter in the revision notes. By studying the revision notes of Pastoralists in the Modern World, students will be able to understand the concepts of the chapter.

                        Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे Revision Notes Class 9 इतिहास History

                        Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे Notes Class 9 Itihas

                        Topics in the Chapter

                        • घुमंतू चरवाहा
                        • गुज्जर समुदाय
                        • गुज्जर बकरवाल
                        • गद्दी समुदाय
                        • भारत तथा विश्व में पाए जाने वाले प्रमुख घुमंतु
                        • घुमंतु चरवाहों के जीवन में आए परिवर्तन
                        • पठारों, मैदानों और रेगिस्तानों में घुमंतू चरवाहे
                        • औपनिवेशिक शासन और चरवाहों का जीवन

                        घुमंतू

                        रेनके आयोग (2008) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 1,500 घुमंतू जनजाति और अर्ध-घुमंतू जनजातियाँ और 198 विमुक्त जनजातियाँ हैं, जिनमें लगभग 15 करोड़ भारतीय शामिल हैं। इस लेख में हम घुमंतू किसे कहते हैं और विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजाति में अंतर क्या है जानेंगे।

                        घुमंतू एक जनजाति है, उनका कोई विशेष स्थान नहीं है और वे अपने जीवन यापन के लिए घूमते रहते हैं, इसलिए उन्हें घुमंतू कहा जाता है। यह एक सामाजिक रूप से पिछड़ी जनजाति है। ये जनजातियां अभी भी सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर हैं और इनमें से कई जनजातियां अपने बुनियादी मानवाधिकारों से भी वंचित हैं। सबसे अहम मुद्दा उनकी पहचान को लेकर है।

                        इन समुदायों के सदस्यों को पीने का पानी, आश्रय और स्वच्छता आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इसके अलावा, वे स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के बारे में प्रचलित गलत और आपराधिक धारणाओं के कारण उन्हें अभी भी स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

                        चूंकि इन समुदायों के लोग अक्सर यात्रा पर होते हैं, इसलिए उनके पास कोई स्थायी निवास स्थान नहीं होता है। परिणामस्वरूप उनके पास सामाजिक सुरक्षा छत्र का अभाव है और उन्हें राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि भी जारी नहीं किए जाते हैं।

                        इन समुदायों के बीच जाति वर्गीकरण बहुत स्पष्ट नहीं है, कुछ राज्यों में ये समुदाय अनुसूचित जाति में शामिल हैं, जबकि कुछ अन्य राज्यों में वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत शामिल हैं। हालाँकि, इन समुदायों के अधिकांश लोगों के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है और इसलिए वे सरकारी कल्याण कार्यक्रमों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

                        वैसे लोग जो जीवन–यापन की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते है, घुमंतू कहलाते हैं।


                        घुमंतू चरवाहा

                        घुमंतू चरवाहे ऐसे लोगों को कहा जाता है, जो एक स्थान पर टिक कर नहीं रहते बल्कि अपनी जीविका के निमित्त एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते है| इन घुमंतू लोगों का जीवन इनके पशुओं पर निर्भर होता है| वह अपने पशुओं के साथ जगह-जगह घूमते है|

                        वर्ष भर किसी एक स्थान पर पशुओं के लिए पेयजल और चारे की व्यवस्था सुलभ नहीं हो पाती ऐसे में यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमणशील रहते है| जब तक एक स्थान पर चरागाह उपलब्ध रहता है, तब यह वहाँ रहते हैं, पर बाद में चरागाह समाप्त होने पर दूसरे स्थान की और चले जाते है|

                        वे लोग जो अपने मवेशियों के लिए चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते हैं उन्हें घुमंतू चरवाहा कहते हैं।

                        चरवाहे

                        ये लोग दूध, मांस, पशुओं की खाल व ऊन आदि बेचते हैं। कुछ चरवाहे व्यापार और यातायात संबंधी काम भी करते हैं। कुछ लोग आमदनी बढ़ाने के लिए चरवाही के साथ-साथ खेती भी करते हैं। कुछ लोग चरवाही से होने वाली मामूली आय से गुजर नहीं हो पाने पर कोई भी धंधा कर लेते हैं। वैसे लोग जो मवेशियों को पालकर अपना जीवन यापन करते हैं चरवाहे कहलाते हैं।

                        भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले चरवाहा समुदाय

                        1. गुज्जर समुदाय

                        मूलतः उत्तराखण्ड के निवासी गुज्जर लोग गाय और भैंस पालते हैं। ये हिमालय के गिरीपद क्षेत्रों (भाबर क्षेत्र) में रहते हैं। ये लोग जंगलों के किनारे झोंपड़ीनुमा आवास बना कर रहते हैं। पशुओं को चराने का कार्य पूरुष करते हैं। पहले दूध, मक्खन और घी इत्यादि को स्थानीय बाजार में बेचने का कार्य महिलाएँ करती थीं परंतु अब ये इन उत्पादों को परिवहन के साधनों (टैंपो, मोटरसाइकिल आदि) की सहायता से निकटवर्ती शहरों में बेचते हैं। इस समुदाय के लोगों ने इस क्षेत्र में स्थायी रूप से बसना आरंभ कर दिया है परंतु अभी भी अनेक परिवार गर्मियों में अपने पशुओं को लेकर ऊँचे पर्वतीय घास के मैदानों (बुग्याल) की ओर चले जाते हैं। इस समुदाय को स्थानीय नाम ‘वन गुज्जर’ के नाम से भी जाना जाता है। अब इस समुदाय ने पशुचारण के साथ-साथ स्थायी रूप से कृषि करना भी आरंभ कर दिया है। हिमाचल के अन्य प्रमुख चरवाहा समुदाय भोटिया, शेरपा तथा किन्नौरी हैं।


                        2. गुज्जर बकरवाल

                        इन लोगों ने 19वीं शताब्दी में जम्मू-कश्मीर में बसना आरंभ कर दिया। ये लोग भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े झुण्ड पालते हैं जिन्हें रेवड़ कहा जाता है। बकरवाल लोग अपने पशुओं के साथ मौसमी स्थानान्तरण करते हैं। सर्दियों के मौसम में यह अपने पशुओं को लेकर शिवालिक पहाड़ियों में चले आते हैं क्योंकि ऊँचे पर्वतीय मैदान इस मौसम में बर्फ से ढक जाते हैं इसलिए उनके पशुओं के लिए चारे का अभाव होने लगता है जबकि हिमालय के दक्षिण में स्थित शिवालिक पहाड़ियों में बर्फ न होने के कारण उनके पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध हो जाता है। सर्दियों के समाप्त होने के साथ ही अप्रैल माह में यह समुदाय अपने काफिले को लेकर उत्तर की ओर चलना शुरू कर देते हैं।

                        पंजाब के दरों को पार करके जब ये समुदाय कश्मीर की घाटी में पहुँचते हैं तब तक गर्मी के कारण बर्फ पिघल चुकी होती है तथा चारों तरफ नई घास उगने लगती है। सितम्बर के महीने तक ये इस घाटी में ही डेरा डालते हैं और सितम्बर महीने के अंत में पुनः दक्षिण की ओर लौटने लगते हैं। इस प्रकार यह समुदाय प्रति वर्ष दो बार स्थानांतरण करता है। हिमालय पर्वत में ये ग्रीष्मकालीन चरागाहें, 2,700 मीटर से लेकर 4,120 मीटर तक स्थित हैं।


                        3. गद्दी समुदाय

                        हिमाचल प्रदेश के निवासी गद्दी समुदाय के लोग बकरवाल समुदाय की तरह अप्रैल और सितम्बर के महीने में ऋतु परिवर्तन के साथ अपना निवास स्थान परिवर्तित कर लेते हैं। सर्दियों में जब ऊँचे क्षेत्रों में बर्फ जम जाती है, तो ये अपने पशुओं के साथ शिवालिक की निचली पहाड़ियों में आ जाते हैं। मार्ग में वे लाहौल और स्पीति में रुककर अपनी गर्मियों की फसल को काटते हैं तथा सर्दियों की फसल की बुवाई करते हैं। अप्रैल के अंत में वे पुनः लाहौल और स्पीति पहुँच जाते हैं और अपनी फसल काटते हैं। इसी बीच बर्फ पिघलने लगती है और दरें साफ हो जाते हैं इसलिए गर्मियों में अपने पशुओं के साथ ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में पहुँच जाते हैं। गद्दी समुदाय में भी पशुओं के रूप में भेड़ तथा बकरियों को ही पाला जाता है।


                        भाबर: ‘भाबर’ वह तंग पट्टी है जिसका निर्माण कंकड़ों के जमा होने से होता है जो शिवालिक की ढलान के समानांतर सिंधु एवं तिस्ता नदियों के बीच पाई जाती हैं। इस पट्टी का निर्माण पहाड़ियों से नीचे उतरते समय विभिन्न नदियों द्वारा किया जाता है। सभी नदियाँ भाबर पट्टी में आकर विलुप्त हो जाती हैं।गढ़वाल और कुमाऊँ के इलाके में पहाड़ियों के निचले हिस्से के आस – पास पाया जाने वाला सूखे जंगल के इलाके को ‘ भाबर ‘ कहा जाता है।


                        बुग्याल: ऊँचे पहाड़ों पर स्थित घास के मैदानों 'को'बुग्याल कहा जाता है।

                        खरीफ फसल: वह फसल जो वर्षा ऋतु के आरंभ में बोया जाता है तथा शीत ऋतु के आरंभ में काट लिया जाता है 'खरीफ'फसल कहलाता है।
                        जैसे- चावल आदि।

                        रवी फसल: वह फसल जो शीत ऋतु के आरंभ में बोया जाता है तथा ग्रीष्म ऋतु के आरंभ में काट लिया जाता है ‘ रवी ‘ फसल कहलाती है।
                        जैसे – गेहूँ, दलहल आदि।


                        भारत तथा विश्व में पाए जाने वाले प्रमुख घुमंतु

                        भारत

                        क्र.

                        घुमंडु चरवाहों के नाम

                        स्थान

                        1.

                        गुज्जर बकरवाल

                        जम्मू कश्मीर

                        2.

                        गद्दी

                        हिमाचल प्रदेश

                        3.

                        भोटिया

                        उत्तराखंड

                        4.

                        राइका

                        राजस्थान

                        5.

                        बंजारा

                        राजस्थान, मध्य प्रदेश

                        6.

                        मलधारी

                        गुजरात

                        7.

                        धंगर

                        महाराष्ट्र

                        8.

                        कुसमा, कुरूवा, गोल्ला

                        कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना

                        9.

                        मोनपा

                        अरूणाचल प्रदेश

                        विश्व

                        क्र.

                        घुमंडु चरवाहों के नाम

                        स्थान

                        1.

                        मसाई

                        केन्या, तंजानिया

                        2.

                        बेदुइस

                        उत्तरी अफ्रीका

                        3.

                        बरबेर्स

                        उत्तर पश्चिमी अफ्रीका

                        4.

                        तुर्काना

                        उगांडा

                        5.

                        बोरान

                        कीनिया

                        6.

                        मूर्स

                        मोरिटानिया

                        7.

                        सोमाली

                        सोमालिया

                        8.

                        नाम, जुलू

                        दक्षिण अफ्रीका

                        9.

                        बेजा

                        मिश्र, सूडान


                        घुमंतू चरवाहों के भ्रमण के कारण

                        • सालों भर फसल उगाने वाले कृषि क्षेत्र की कमी।
                        • मवेशियों के लिए चारे और पानी की खोज।
                        • विषम मौसमी दशाओं से स्वयं एवं मवेशियों को बचाने के लिए।
                        • अपने उत्पादों को बचेने के लिए।


                        औपनिवेशिक काल में घुमंतु चरवाहों के जीवन में आए परिवर्तन एवं उसके प्रभाव

                        परिवर्तन

                        • भूमिकर बढ़ाने के लिए चारागाहों का कृषि भूमि में बदलना।
                        • वन कानूनों के द्वारा वनों का वर्गीकरण।
                        • 1871 में अपराधी जनजाति नियम लागू किया गया।
                        • आमदनी बढ़ाने के लिए, भूमि, नहर, नमक, व्यापार यहाँ तक कि जानवरों पर भी टैक्स लगा दिया गया।

                        प्रभाव

                        • मवेशियों की संख्या कम होती चली गई।
                        • स्वतंत्र आवाजाही पर रोक तथा परमिट के बिना आने – जाने पर जुर्माने की व्यवस्था।
                        • उन्हें अपराधी घोषित कर दिया गया तथा एक क्षेत्र विशेष में ही उन्हें रहने का निर्देश दिया गया।
                        • स्थानीय पुलिस के सतर्क निगरानी में परमिट के आधार पर ही किये जा सकते थे।
                        • प्रत्येक समूह को मवेशियों की संख्या के आधार पर पास जारी किया गया जो उन्हें चारागाहों में घुसने से पहले दिखाना पड़ता था।
                        • इस प्रकार इस टैक्स व्यवस्था ने उनका जीवन और दूभर कर दिया।

                        बदलावों का सामना

                        • जानवरों की संख्या कम कर दी।
                        • नए चरागाहों की खोज।
                        • जमीन खरीद कर बसना एवं कृषि कार्य करना।
                        • कुछ चरवाही छोड़ कर मजदूरी करने लगे।
                        • कुछ व्यापारिक गतिविधियों में संलिप्त हो गए।
                        • आवाजाही की दिशा में बदलाव।

                        पहाड़ों में घुमंतू चरवाहे और उनकी आवाजाही

                        • जम्मू और कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोग अपने मवेशियों के लिए चरागाहों की तलाश में भटकते – भटकते 19 वीं सदी में यहां आए थे। समय बीतता गया और वह यहीं बस गए सर्दी गर्मी के हिसाब से अलग – अलग चरागाहों में जाने लगे।
                        • ठंड के समय में ऊंची पहाड़ियां बर्फ से ढक जाती थी तो वह पहाड़ों के नीचे आकर डेरा डाल लेते थे ठंड के समय में निचले इलाकों में मिलने वाली झाड़ियां ही उनके जानवरों के लिए चारा बन जाती थी।
                        • जैसे ही गर्मियां शुरू होती जमी हुई बर्फ की मोटी चादर पिघलने लगती और चारों तरफ हरियाली छा जाती। यहां उगने वाली घास से मवेशियों का पेट भी भर जाता था और उन्हें सेहतमंद खुराक भी मिल जाती थी।

                        गद्दी चरवाहों की आवाजाही

                        • पास के ही पहाड़ों में चरवाहों का एक और समुदाय रहता था हिमाचल प्रदेश के इस समुदाय को गद्दी कहते थे।
                        • यह लोग भी मौसमी उतार चढ़ाव का सामना करने के लिए इसी तरह सर्दी- गर्मी के हिसाब से अपनी जगह बदलते रहते थे। अप्रैल आते आते हुए उत्तर की तरफ चल पड़ते हैं और पूरी गर्मियां स्पीति में बिता देते थे। सितंबर तक वह दोबारा वापस चल पड़ते वापसी में वे स्पीति के गांव में एक बार फिर कुछ समय के लिए रुक जाते।


                        पठारों, मैदानों और रेगिस्तानों में घुमंतू चरवाहे और उनकी आवाजाही

                        चरवाहे सिर्फ पहाड़ों में ही नहीं रहते थे। वे पठारो, मैदानों और रेगिस्तान में भी बहुत बड़ी संख्या में मौजूद थे।

                        धंगर

                        • धंगर महाराष्ट्र का एक जाना माना चरवाहा समुदाय है। बीसवीं सदी की शुरुआत में इस समुदाय की आबादी लगभग 4,67,000 थी।
                        • उनमें से ज्यादातर चरवाहे थे हालांकि कुछ लोग कंबल और चादर भी बनाते थे और कुछ लोग भैंस पालते थे। ये बरसात के दिनों में महाराष्ट्र के मध्य पंडालों में रहते थे। यह एक ऐसा इलाका था जहां बारिश बहुत कम होती थी और मिट्टी भी कुछ खास उपजाऊ नहीं थी चारों तरफ सिर्फ कटीली झाड़ियां होती थी।
                        • बाजरे जैसी सूखी फसलों के अलावा यहां और कुछ नहीं उगता था अक्टूबर के आसपास धंगर बाजरे की कटाई करते थे। महीने भर पैदल चलने बाद वे कोंकण के इलाके में जाकर डेरा डाल देते थे। अच्छी बारिश और उपजाऊ मिट्टी की बदौलत इस इलाके में खेती खूब होती थी किसान भी इन चरवाहों का दिल खोलकर स्वागत करते थे।
                        • जिस समय वे कोकण पहुंचते थे उसी समय वहां के किसान खरीफ की फसल काटकर अपने खेतों को रबी की फसल के लिए दोबारा उपजाऊ बनाते थे बारिश शुरू होते ही धंगर तटीय इलाके छोड़कर सूखे पठारो की तरफ लौट जाते थे क्योंकि भेड़े गीले मानसूनी हालात को बर्दाश्त नहीं कर पाती।


                        बंजारा जनजाति

                        बनजारा का अर्थ घुमक्कड़ है। इनका इतिहास बहुत पुराना है। किसी समय में बनजारा शब्द किसी जाति या समुदाय विशेष का परिचायक था । इस शब्द की उत्पत्ति वनज शब्द से हुई है। चरवाहों में एक जाना पहचाना नाम बंजारों का भी है बंजारे उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में रहते थे। यह लोग बहुत दूर – दूर तक चले जाते थे और रास्ते में अनाज और चारे के बदले गांव वालों को खेत जोतने वाले जानवर और दूसरी चीजें बेचते थे।

                        ये घुमक्कड़ लोग हैं और पूरे देश में घूमते रहते है| खुले आकाश के नीचे जहाँ जो जमीन इन्हें भा गई, डेरा डाल दिया जैसे- उस ज़मीं के वे ही मालिक हों, जैसे बादशाह हो । इनकी जनजातीय पहचान अब शेष नहीं रही है | जहाँ ठहर गए वहीं के हो गए। उसी स्थान की बीती, चाल -ढाल, रहन-सहन, रीती -रिवाज को अपनाने का भरपूर प्रयास करने के क्रम में इनकी जनजातीय विशेषता बहुत कम बच गयी है |

                        घुमक्कड़ होने के कारण बनजारे पूरे देश में पाये जाते है| झारखण्ड में बंजारा जाति संथाल परगना के राजमहल और दुमका अनुमंडल में संकेंद्रित है। 1941 की जनगणना में इस क्षेत्र में 46 परिवारों के बीच इनकी संख्या 252 थी | गोड्डा के आस -पास बसे चारण, भाट, दशीनी, राय, कबीश्वर आदि अपने को बनजारा ही बतलाते हैं। 1956 में ही इन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मितित किया गया ।


                        औपनिवेशिक शासन और चरवाहों का जीवन

                        औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों की जिंदगी में बहुत ज्यादा बदलाव आया उनको इधर उधर आने जाने के लिए बंदीशे लगा दी और उनसे लगान भी वसूल किया जाता था और उस लगान में भी वृद्धि की गई और उनके पैसे और हुनर पर भी बहुत बुरा असर पड़ा।

                        पहली बात

                        • अंग्रेज सरकार चरागाहों को खेती की जमीन में तब्दील कर देना चाहते थे जमीन से मिलने वाला लगान उसकी आमदनी का एक बड़ा स्रोत था। अगर खेती का क्षेत्रफल बढ़ता तो उनकी आय में भी बढोतरी होती इतना ही नहीं कपास, गेहं और अन्य चीजों के उत्पादन में भी इजाफा होता जिनकी इंग्लैंड में बहुत ज्यादा जरूरत थी।
                        • अंग्रेज अफसरों को बिना खेती की जमीन का कोई मतलब समझ में नहीं आता था उन्हें लगता था कि इस जमीन से ना तो लगान मिल रहा है ना ही उपज हो रही है तो अंग्रेज ऐसी जमीनों को बेकार मानते थे और ऐसी जमीनों को खेती के लायक बनाना जरूरी समझते थे इसीलिए उन्होंने भूमि विकास के लिए नए नियम बनाए।

                        दूसरी बात

                        • 19 वीं सदी के मध्य तक आते – आते देश के अलग – अलग प्रांतों में वन अधिनियम पारित किए गए। इन कानूनों की आड़ में सरकार ने ऐसे कई जंगलों को आरक्षित वन घोषित कर दिया। जहां पर देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ियां पैदा होती थी जंगलों में चरवाहों के घुसने पर पाबंदी लगा दी गई।
                        • जंगलों में चरवाहों को कुछ परंपरागत अधिकार तो दिए गए लेकिन उनका आना – जाना पर अभी भी बंदिशे लगा दी गई थी वन अधिनियमों ने चरवाहों की जिंदगी बदल डाली अब उन्हें उन जंगलों में जाने से रोक दिया गया जो पहले मवेशियों के लिए बहुमूल्य चारे का एक स्रोत थी। जिन क्षेत्रों में उन्हें प्रवेश की छूट दी गई वहां भी उन पर बहुत कड़ी नजर रखी जाती थी जंगलों में दाखिल होने के लिए उन्हें परमिट लेना पड़ता था।

                        तीसरी बात

                        • अंग्रेज अफसर घुमंतू किस्म के लोगों को शक की नजर से देखते थे घुमंतूओ को अपराधी माना जाता था। 1871 में औपनिवेशिक सरकार ने अपराधी जनजाति अधिनियम (Criminal Tribes Act) पारित किया इस कानून के तहत व्यापारियों और चरवाहों के बहुत सारे समुदाय को अपराधी समुदाय की सूची में रख दिया गया।
                        • उन्हें कुदरती और जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया इस कानून के लागू होते ही ऐसे सभी समुदाय को कुछ खास बस्तियों में बस जाने का हुक्म सुना दिया गया उसको बिना परमिट आना – जाना पर रोक लगा दिया गया।

                        चौथी बात

                        • अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए अंग्रेजों ने लगान वसूलने का हर संभव रास्ता अपनाया। उन्होंने जमीन, नेहरो के पानी, नमक और यहां तक कि मवेशियों पर भी टैक्स वसूलने का ऐलान कर दिया। देश के ज्यादातर इलाकों में 19 वी सदी के मध्य से ही चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था।
                        • प्रति मवेशी टैक्स की दर तेजी से बढ़ती चली गई और टैक्स वसूली की व्यवस्था दिनोंदिन मजबूत होती गई। 1850 से 1880 के दशक के बीच टैक्स वसूली का काम बाकायदा बोली लगाकर ठेकेदारों को सौंपा जाता था। किसी भी चारागाह में दाखिल होने के लिए चरवाहों को पहले टैक्स अदा करना पड़ता था चरवाहे के साथ कितने जानवर है और उसने कितना टैक्स चुकाया है इन सभी बातों को दर्ज किया जाता था।

                        इन बदलावों ने चरवाहों कि जिंदगी को किस तरह प्रभावित किया

                        • इन चीजों की वजह से चरवाहों की जिंदगी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई क्योंकि इन चीजों की वजह से चरागाहों की कमी पैदा हो गई। चरागाह खेतों में बदलने लगे तो बचे – कुचे चरागाहों में चरने वाले जानवरों की तादाद बढ़ने लगी।
                        • चरागाहों के बेहिसाब इस्तेमाल से चरागाहों का स्तर गिरने लगा जानवरों के लिए चारा कम पढ़ने लगा फलस्वरुप जानवरों की सेहत और तादाद भी गिरने लगी चारे की कमी और जब – तब पढ़ने वाले अकाल की वजह से कमजोर और भूखे जानवर बड़ी संख्या में मरने लगे।

                        चरवाहों ने इन बदलावों का सामना कैसे किया

                        • कुछ चरवाहों ने तो अपने जानवरों की संख्या ही कम कर दी। बहुत सारे चरवाहे नई नई जगह ढूंढने लगे। अब उन्हें जानवरों को चराने के लिए नई जगह ढूंढनी थी अब वह हरियाणा के खेतों में जाने लगे जहां कटाई के बाद खाली पड़े खेतों में वे अपने मवेशियों को चरा सकते थे।
                        • समय गुजरने के साथ कुछ धनी चरवाहे जमीन खरीद कर एक जगह बस कर रहने लगे। उनमें से कुछ नियमित रूप से खेती करने लगे जबकि कुछ व्यापार करने लगे जिन चरवाहों के पास ज्यादा पैसे नहीं थे ब्याज पर पैसे लेकर दिन काटने लगे।

                        Revision Notes for पाठ 2 संविधान निर्माण| Class 9 Civics

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                        Chapter 2 संविधान निर्माण Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        संविधान निर्माण Notes for Class 9 Rajniti Vigyan is prepared by our experts. We have included all the important topics of chapter in this revision notes. By studying the revision notes of Constitutional Design in Hindi, students will be able to understand the concepts of the chapter and well as answer the questions easily.

                        Chapter 2 संविधान निर्माण Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 1 संविधान निर्माण Notes Class 9 Loktantrik Rajniti

                        Topics in the Chapter

                        • दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक संविधान
                        • संविधान की जरूरत
                        • भारतीय संविधान का निर्माण
                        • संविधान सभा
                        • भारतीय संविधान के बुनियादी मूल्य

                        दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक संविधान

                        संविधान:कुछ बुनियादी मूल्य हैं जिनका पालन नागरिकों और सरकार दोनों को करना होता है, ऐसे सभी नियमों का सम्मिलित रूप संविधान कहलाता है। देश का सर्वोच्च कानून होने की हैसियत से संविधान नागरिकों के अधिकार, सरकार की शक्ति और उसके कामकाज के तौर-तरीकों का निर्धारण करता है।

                        दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष

                        रंगभेद नस्ली भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था का नाम है जो दक्षिण अफ्रीका में विशिष्ट तौर पर चलाई गई। दक्षिण अफ्रीका पर यह व्यवस्था यूरोप के गोरे लोगों ने लादी थी। रंगभेद की राजनीति ने लोगों को उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर बाँट दिया । गोरे शासक, गोरों के अलावा शेष सबको छोटा और नीचा मानते थे।

                        रंगभेद की शासकीय नीति अश्वेतों के लिए खासतौर से दमनकारी थी ।

                        • अश्वेतों को वोट डालने का अधिकार नहीं था।
                        • उन्हें गोरों की बस्तियों में रहने-बसने की इजाजत नहीं थी।
                        • परमिट होने पर ही वे वहाँ जाकर काम कर सकते थे।
                        • रेलगाड़ी, बस, टैक्सी, होटल, अस्पताल, स्कूल औ र कॉलेज, पुस्तकालय, सिनेमाघर, नाट्यगृह, समुद्रतट, तरणताल औ सार्वजनिक शौचालयों तक में गोरों और कालों के लिए एकदम अलग-अलग इंतजाम थे। इसे पृथक्करणकहते है
                        • काले लोग गोरों के लिए आरक्षित जगह तो क्या उनके गिरजाघर तक में भी नहीं जा सकते थे।
                        • अश्वेतों को संगठन बनाने और इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध करने का भी अधिकार नहीं था ।

                        भेदभाव वाली इस शासन प्रणाली का विरोध करने वाले संगठन अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के झण्डे तले एकजुट हुए। इनमें कई मजदूर संगठन और कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल थी। अनेक समझदार और संवेदनशील गोरे लोग भी रंगभेद समाप्त करने केआन्दोलन में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के साथ आए और उन्होंने इस संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई।

                        एक नये संविधान की ओर

                        आखिरकार, 26 अप्रैल 1994 की मध्य रात्रि को दक्षिण अफ्रीका गणराज्य का नया झण्डा लहराया गया और यह दुनिया का एक नया लोकतांत्रिक देश बन गया । रंगभेद वाली शासन व्यवस्था समाप्त हुई और सभी नस्ल के लोगों की मिली-जुली सरकार के गठन का रास्ता खुला ।

                        दो वर्षों की चर्चा और बहस के बाद उन्होंने जो संविधान बनाया वैसा अच्छा संविधान दुनिया में कभी नहीं बना था। 

                        दक्षिण अफ्रीका के संविधान की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार है:

                        • इस संविधान में नागरिकों को जितने व्यापक अधिकार दिये हैं उतने दुनिया के किसी संविधान में नहीं दिए गए हैं। 
                        • साथ ही उन्होंने यह फैसला भी किया कि मुश्किल मामलों के समाधान की कोशिशों में किसी को भी अलग नहीं किया जाएगा और न किसी को बुरा या दुष्ट मानकर बर्ताव किया जाएगा।
                        • इस बात पर भी सहमति बनी कि पहले जिसने चाहे जो कुछ किया हो लेकिन अब से हर समस्या के समाधान में सबकी भागीदारी होगी।


                        संविधान की जरूरत

                        संविधान लिखित नियमों की ऐसी किताब है जिसे किसी देश में रहने वाले सभी लोग सामूहिक रूप से मानते है । संविधान सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों (जिन्हें नागरिक कहा जाता है) के बीच के आपसी सम्बन्ध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच के सम्बन्ध भी तय होते है ।

                        संविधान अनेक काम करता है जिनमें ये प्रमुख है :

                        • यह साथ रह रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है।
                        • यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा ।
                        • यह सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार है।
                        • यह अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।
                        • जिन देशों में संविधान है वे सभी लोकतांत्रिक शासन वाले हों यह जरूरी नहीं है लेकिन जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन है वहाँ संविधान का होना जरूरी है।


                        भारतीय संविधान का निर्माण

                        संविधान निर्माण का रास्ता

                        • 1928 में ही मोतीलाल नेहरू और कांग्रेस के आठ अन्य नेताओं ने भारत का एक संविधान लिखा था।
                        • 1931 में कराची में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव में यह रूपरेखा रखी गई थी कि आजाद भारत का संविधान कैसा होगा। इन दोनों ही दस्तावेजों में स्वतंत्र भारत के संविधान में सार्वभौम वयस्क मताधिकार, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की बात कही गई थी ।
                        • हमारे नेताओं में इतना आत्मविश्वास आ गया था कि उन्हें बाहर के विचार और अनुभवों को अपनी जरूरत के अनुसार अपनाने में कोई हिचक नहीं हुई। हमारे अनेक नेता फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों, ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज और अमेरिका के अधिकारों की सूची से काफी प्रभावित थे।
                        • रूस में हुई समाजवादी क्रांति ने भी अनेक भारतीयों को प्रभावित किया और सामाजिक और आर्थिक समता पर आधारित व्यवस्था बनाने की कल्पना करने लगे थे।
                        • लेकिन वे दूसरों की सिर्फ नकल नहीं कर रहे थे। हर कदम पर वे यह सवाल जरूर पूछते थे कि क्या ये चीजें भारत के लिए उपयुक्त होंगी। इन सभी चीजों ने हमारे संविधान के निर्माण में मदद की ।

                        संविधान सभा

                        चुने गए जनप्रतिनिधियों की जो सभा संविधान नामक विशाल दस्तावेज को लिखने का काम करती है उसे संविधान सभा कहते है।

                        भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई 1946 में चुनाव हुए थे । संविधान सभा की पहली बैठक दिसम्ब 1946 में हुयी। इसने 26 नवम्बर 1949 को अपना काम पूरा कर लिया लेकिन संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसी दिन की याद में हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते है।

                        इस सभा द्वारा 65 साल से भी पहले बनाए संविधान को स्वीकार किया है क्योंकि:

                        • संविधान सिर्फ संविधान सभा के सदस्यों के विचारों को ही व्यक्त नहीं करता है। । यह अपने समय की व्यापक सहमतियों को व्यक्त करता है।
                        • संविधान को मानने का दूसरा कारण यह है कि संविधान सभा भी भारत के लोगों का ही प्रतिनिधित्व कर रही थी । उस समय सार्वभौम मताधिकार नहीं था । इसलिए संविधान सभा का चुनाव देश के लोग प्रत्यक्ष ढंग से नहीं कर सकते थे। इसका चुनाव मुख्य रूप से प्रान्तीय असेम्बलियों के सदस्यों ने ही किया था ।
                        • अन्ततः जिस तरह संविधान सभा ने काम किया, वह संविधान को एक तरह की पवित्रता और वैधता देता है।संविधान सभा का काम काफी व्यवस्थित, खुला और सर्वसम्मति बनाने के प्रयास पर आधारित था।

                        इस सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों का प्रभुत्व था जिसने राष्ट्रीय आन्दोलन की अगुवाई की थी। महात्मा गांधी संविधान सभा के सदस्य नहीं थे ।


                        भारतीय संविधान के बुनियादी मूल्य

                        संविधान का दर्शन

                        • जिन मूल्यों ने स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा दी और उसे दिशा-निर्देश दिए तथा जो इस क्रम में जाँच परख लिये गये वे ही लोकतंत्र का आधार बने । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में इन्हें शामिल किया गया।
                        • संविधान की शुरूआत बुनियादी मूल्यों की एक छोटी-सी उद्देशिका के साथ होती है । इसे संविधान की उद्देशिका कहते हैं। 
                        • मेरिकी संविधान की प्रस्तावना से प्रेरणा लेकर समकालीन दुनिया के अधिकांश देश अपने संविधान की शुरूआत एक प्रस्तावना के साथ करते है ।

                        संस्थाओं का स्वरूप

                        • संविधान सिर्फ मूल्यों और दर्शन का बयान भर नहीं है। । संविधान इन मूल्यों को संस्थागत रूप देने की कोशिश है।
                        • यह एक बहुत ही लम्बा और विस्तृत दस्तावेज है। इसलिए समय-समय पर इसे नया रूप देने के लिए इसमें बदलाव की जरूरत पड़ती है ।
                        • भारतीय संविधान निर्माताओं को लगा कि इसे लोगों की भावनाओं के अनुरूप बदलना चाहिए। इसलिए उन्होंने बदलावों को समय-समय पर शामिल करने का प्रावधान रखा । इन बदलावों को संविधान संशोधनकहते है ।


                        महत्वपूर्ण शब्द:

                        • अफ्रीकन राष्ट्रीय कांग्रेस: पार्टी जिसने पृथक्करण नीति के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया।
                        • देशद्रोह:अपने राष्ट्र के खिलाफ किये जाने वाला विश्वासघात।
                        • संविधान:कानून के रूप में बने हुए मौलिक नियम और सिद्धान्त ।
                        • रंगभेद:विधान बनाकर काले और गोरों को अलग निवास करने की प्रणाली को रंगभेद कहते है ।
                        • अनुच्छेद:नियमावली का कोई एक विशिष्ट अंग, जिसमें किसी एक विषय का विवेचन होता है
                        • आमुख / प्रस्तावना: किसी पुस्तक आदि के आरम्भ का वह वक्तव्य जिससे उसकी ज्ञातव्य बातों का पता चले।
                        • मसौदा / प्रारूप:लेख का वह पूर्व रूप जिसमें सुधार किया जाना हो ।


                        Revision Notes for पाठ 3 चुनावी राजनीति| Class 9 Civics

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                        Chapter 3 चुनावी राजनीति Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

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                        Chapter 3 चुनावी राजनीति Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 3 चुनावी राजनीति Notes Class 9 Loktantrik Rajniti

                        Topics in the Chapter

                        • चुनाव की जरुरत
                        • भारतीय चुनाव प्रणाली
                        • भारतीय चुनाव कानून 
                        • भारतीय चुनाव प्रक्रिया के चरण
                        • भारत में लोकतांत्रिक चुनाव

                        चुनाव की जरुरत

                        लोकतांत्रिक देशों में, प्रत्येक नागरिक को समान मताधिकार होता है, विभिन्न दलों और प्रत्याशियों के बीच स्वतंत्र प्रतियोगिता होती है और मतदाता समयांतराल के बाद अपना प्रतिनिधि चुनते है।

                        लोकतंत्र लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए शासन है। अधिकांश लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं।

                        समयांतराल के बाद प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया को चुनावकहते है। चुनावी प्रक्रिया लोकतांत्रिक देशों में गैर-लोकतांत्रिक देशों से भिन्न होती है। चुनाव में पसंदीदा प्रतियोगी का चुनाव किया जाता है । चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से होते हैं।

                        चुनाव को लोकतांत्रिक मानने के आधार:

                        • हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो । यानि कि हर किसी को मताधिकार का अधिकार प्राप्त हो और हर किसी के मत का समान मोल हो ।
                        • चुनाव में विकल्प हों । पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की आजादी हो और वे मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करें ।
                        • चुनाव का अवसर नियमित अन्तराल पर मिलता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षों में जरूर कराए जाने चाहिए।
                        • लोग जिसे चाहें वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।
                        • चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से व्यक्ति का चुनाव कर सकें।


                        राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता: (अवगुण) दोष

                        • चुनावी प्रतिद्वन्द्विता से बँटवारे जैसी स्थिति हो जाती हैं और लोग 'पार्टी पॉलिटिक्स'के फैलने की शिकायत करते हैं।
                        • विभिन्न दलों के लोग और नेता अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते है। पार्टियाँ और उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं।
                        • कुछ लोगों का कहना है कि चुनावी दौड़ जीतने का यह दबाव सही किस्म की दीर्घकालिक राजनीति को पनपने नहीं देता ।
                        • समाज और देश की सेवा करने की चाह रखने वाले कई अच्छे लोग भी इन्हीं कारणों से चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते। उन्हें इस मुश्किल और बेढंगी लड़ाई में उतरना अच्छा नहीं लगता।


                        राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के गुण (लाभ)

                        चुनाव अच्छे होते हैं क्योंकि शासक दबाव में अच्छा निष्पादन करने के लिए बाध्य होते हैं।

                        • सरकार सचेत रहती है कि अगर लोगों की आशंकाओं पर खरे नहीं उतरे तो भविष्य में मतदान उसके खिलाफ होगा।
                        • यही दबाव दलों और नेताओं पर होता है कि लोगों की इच्छानुसार मुद्दों को उठाया तो उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी लेकिन यदि वे अपने कामकाज से मतदाताओं को संतुष्ट करने में असफल रहते हैं तो वे अगला चुनाव नहीं जीत सकते ।

                        भारतीय चुनाव प्रणाली

                        देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हर पाँच साल बाद होते हैं। इन्हें आम चुनावकहते हैं।

                        पाँच साल के बाद सभी चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोकसभा और विधानसभाएँ 'भंग'हो जाती है। फिर सभी चुनाव क्षेत्रों में एक ही दिन या एक छोटे अन्तराल में अलग-अलग दिन चुनाव होते है । कई बार सिर्फ एक क्षेत्र में चुनाव होता है जो किसी सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे से खाली हुआ होता है। इसे उपचुनावकहते है।

                        चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है। इन्हें निर्वाचन क्षेत्रकहते है। एक क्षेत्र में रहने वाले मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।

                        भारतीय चुनाव कानून :

                        • राजनीतिक दल या प्रत्याशी मतदाता को घूस और धमकी नहीं दे सकते।
                        • वे धर्म और जाति के आधार वोट नहीं माँग सकते ।
                        • वे सरकारी संसाधनों का और धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग नहीं कर सकते ।
                        • वे लोकसभा क्षेत्र के लिए ₹25 लाख और विधानसभा क्षेत्र के लिए 10 लाख से अधिक चुनाव में खर्च नहीं कर सकते ।
                        • भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान मतदान का अधिकार देता है

                        भारतीय चुनाव प्रक्रिया के चरण:

                        • निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन ।
                        • कुछ क्षेत्र अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए भी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है।
                        • लोकतांत्रिक चुनाव में मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची चुनाव से काफी पहले तैयार कर ली जाती है और हर किसी को दे दी जाती है । इस सूची को आधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं।
                        • देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं और उम्मीदवार बनने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष है।
                        • चुनाव लड़ने के इच्छुक हर एक उम्मीदवार को एक नामांकन-पत्र भरना पड़ता है और कुछ रकम जमानत के रूप में जमाकरनी पड़ती है।
                        • हाल में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उम्मीदवारों से एक घोषणा-पत्र भरवाने की नयी प्रणाली शुरू हुई है । अब हर उम्मीदवार को अपने बारे में कुछ ब्यौरे देते हुए वैधानिक घोषणा करनी होती है।
                        • हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने और मतदान की तारीख के बीच आमतौर पर दो सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है।
                        • चुनाव का आखिरी चरण है मतदाताओं द्वारा वोट देना। इस दिन को आमतौर पर चुनाव का दिन कहते है।

                        आचार संहितामें उम्मीदवारों और पार्टियों को यह सब करने की मनाही है:

                        • चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का उपयोग।
                        • सरकारी वाहन, विमान या अधिकारियों का चुनाव में उपयोग ।
                        • चुनाव की अधिघोषणा हो जाने के बाद मंत्री किसी बड़ी योजना का शिलान्यास, बड़े नीतिगत फैसले या लोगों को सुविधाएँ देने वाले वायदे नहीं कर सकते।

                        गत कुछ वर्षों से चुनावों में फोटो पहचान-पत्र की नयी व्यवस्था लागू की गयी है । सरकार ने मतदाता सूची में दर्ज सभी लोगों को यह कार्ड देने की कोशिश की है। । लेकिन मतदान के लिए यह कार्ड अभी अनिवार्य नहीं हुआ है। । वोट देने के लिए मतदाता राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान-पत्र भी दिखा सकते है ।


                        भारत में लोकतांत्रिक चुनाव

                        • चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई राजनीतिक पार्टियाँ मत पाने के गलत रास्ते अपनाती हैं। अतः कोई राजनीतिक पार्टी गलत रास्ते अपनाकर चुनाव नहीं जीत सकती ।
                        • भारत में चुनाव प्रक्रिया लोकतांत्रिक है। देश में चुनाव एक स्वतंत्र और बहुत ताकतवर चुनाव आयोग द्वारा करवाए जाते हैं। चुनाव आयोगमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है जिसके कई सहायक आयुक्त होते है।
                        • भारत का चुनाव आयोग कई कार्यों का निष्पादन करता है। अधिसूचना की घोषणा से लेकर चुनाव परिणामों की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जाती है। यानि कि यह पूरी चुनाव प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेता है। 
                        • यह आदर्श चुनाव संहिता लागू कराता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को दण्ड देता है।
                        • चुनाव के दौरान चुनाव आयोग सरकार को दिशा-निर्देश मानने का आदेश दे सकता है । इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है । चुनाव आयोग मतदान गड़बड़ी पाये जाने पर पुनर्मतदान के आदेश का अधिकार रखता है यानि कि पुनर्मतदान कराता है।
                        • लोगों की सहभागिता को मतदाताओं की भीड़ से आकलित किया जा सकता है।


                        महत्वपूर्ण शब्द:

                        • चुनाव:किसी शासन के लिए बहुतों में एक या कुछ को प्रतिनिधि के रूप में चुनने की क्रिया ।
                        • निर्वाचन क्षेत्र:वह स्थान या क्षेत्र जिसे अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार हो ।
                        • निर्वाचक वर्ग:एक क्षेत्र, देश आदि के सभी मतदाता ।
                        • मताधिकार:संसद, संस्था आदि के सदस्य या प्रतिनिधि का निर्वाचन करने के लिए वोट या मत देने का अधिकार ।
                        • वयस्क मताधिकार:हमारे देश में 18 वर्ष या इससे ऊपर की उम्र के लोगों को मत देने के अधिकार को, वयस्क मताधिकार कहते है ।
                        • चुनाव अभियान:प्रत्याशी द्वारा अपने पक्ष में मतदाता को मत देने का प्रयास करना।
                        • मतदाता पहचान:पत्र मतदाता, जब मतदान करने जाते है तब परिचय पत्र बतौर साथ रखना जरूरी होता है चुनाव आचार संहिता चुनाव के दौरान सभी पार्टियों के लिए निर्धारित मानक नियम।
                        • पदाधिकारी:वह व्यक्ति जो किसी पद पर नियुक्त हो औ र जिसे उस पद के सब अधिकार प्राप्त हों।
                        • प्रतिरूपण:किसी वस्तु को एक स्थान से निकालकर दूसरे स्थान पर लगाने की क्रिया ।
                        • निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग:संसदीय संस्था, जो देश में सवतंत्र औ र निष्पक्ष चुनाव कराती है

                        Revision Notes for पाठ 4 संस्थाओं का कामकाज| Class 9 Civics

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                        Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Notes for Class 9 Rajniti Vigyan is prepared by our experts. We have included all the important topics of chapter in this revision notes. By studying the revision notes of Working of Institution in Hindi, students will be able to understand the concepts of the chapter and well as answer the questions easily.

                        Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Notes Class 9 Loktantrik Rajniti

                        Topics in the Chapter

                        • चुनाव की जरुरत
                        • भारतीय चुनाव प्रणाली
                        • भारतीय चुनाव कानून 
                        • भारतीय चुनाव प्रक्रिया के चरण
                        • भारत में लोकतांत्रिक चुनाव

                        प्रमुख नीतिगत निर्णय कैसे लिए जाते हैं ?

                        लोकतांत्रिक सरकार में, निर्णय करने की शक्ति तीन अलग-अलग शाखाओं में विभाजित है:

                        1. विधायिका,
                        2. कार्यपालिका
                        3. न्यायपालिका

                        विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उनका पालन कराती हैं और न्यायपालिका नागरिकों और सरकार के बीच उपजे विवाद को सुलझाती है।

                        विधायिका द्वारा पारित किये गये नियम-कानूनों का पालन कराने वाले लोगों के समूह को कार्यपालिका कहा जाता है। न्यायपालिका न्यायाधीशों की प्रशासनिक और कानूनी विवादों को सुलझाने वाली संस्था है।

                        देश के सभी न्यायालयों को सामूहिक रूप से न्यायपालिका कहते है। कोई भी मुख्य नीति निर्णय सरकारी आदेश के रूप में हस्तान्तरित होता है । सरकारी आदेश को सदैव कार्यालय ज्ञापन कहा जाता है।

                        • देश में 1979 में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग जनता पार्टी की सरकार के समय, जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे, गठित किया गया।
                        • इसकी अध्यक्षता बी. पी. मंडल ने की थी और इसी कारण इसे आम तौर पर मण्डल आयोग कहते है।
                        • मण्डल आयोगके अनुसार भारत सरकार के सरकारी पदों और सेवाओं में 25 फीसदी रिक्तियाँ सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के लिए आरक्षित होंगी। इस आरक्षण मुद्दे का उन लोगों ने सख्त विरोध किया, जिनके नौकरियों के अवसर प्रभावित होने वाले थे ।

                        कुछ लोगों का मानना था कि भारत में विभिन्न जातियों के बीच असमानता के कारण ही नौकरियों में आरक्षण जरूरी है। दूसरे पक्ष का मानना था कि इस निर्णय से, जो पिछड़े वर्ग के नहीं है उनके अवसर छिनेंगे। अधिक योग्यता होने पर भी उन्हें नौकरियाँ नहीं मिलेंगी। सरकारी निर्णय से उठने वाले विवाद का उच्च न्यायालय ने 'इंदिरा साहनी'एवं अन्य बनाम भारत सरकार मामला के माध्यम से सुलझाया। उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछड़े वर्ग के अच्छी स्थिति वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

                        कोई भी लोकतंत्र तभी ठीक काम करता है जब ये संस्थाएँ अपने काम को अच्छी तरह करती है । किसी भी देश के संविधान में प्रत्येक संस्था के अधिकारों और कार्यों के बारे में बुनियादी नियमों का वर्णन होता है

                        प्रधानमंत्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएँ हैं जो सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले करती है | मंत्रियों द्वारा किये गये फैसले को करने के उपायों के लिए एक निकाय के रूप में नौकरशाह जिम्मेदार होते है । सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अन्तत: सुलझाए जाते है।


                        ये शब्द भी जानें

                        विधानमण्डल: लोकतंत्रीय शासन में जनता के प्रतिनिधियों की वह सभा जो देश के लिए कायदे-कानून बनाती है।

                        कार्यकारी: विशेष रूप से कोई कार्य करने वाला व्यक्ति।

                        न्यायपालिका: न्यायपालिका एक संस्था है, जो सरकार - सरकार, सरकार औ र नागरिकों के मध्य उपजे विवादों का निपटारा करती है।

                        सर्वोच्च न्यायालय: देश का सबसे उच्च श्रेणी का न्यायालय, जो सरकार औ र नागरिकों के मध्य उठे विवादों का निपटारा करता है।


                        संसद

                        निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को संसदकहते है । राज्य स्तर पर इसे विधानसभाकहा जाता है । किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है ।

                        • संसद नये कानून बना सकती है, मौजूदा कानूनों में संशोधन कर सकती है या मौजूदा कानून को खत्म कर सकती है। संसद में राष्ट्रीय नीति और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा औ र वाद-विवाद होता है।
                        • संसद राष्ट्रपति और दो सदनों से बनती है। भारत में संसद के दो सदन हैं:
                          (i) राज्यसभा और,
                          (ii) लोकसभा
                        • राज्यसभा को कभी-कभी 'अपर हाउस'और लोकसभा को 'लोअर हाउस'कहा जाता है । हमारे संविधान में राज्यसभा को राज्यों के सम्बन्ध कुछ विशेष अधिकार दिये गये है ।
                        • देश में अधिकतर मसलों पर सर्वोच्च अधिकार लोकसभा के ही पास है । लोकसभा राष्ट्रपति द्वारा भंग की जा सकती है। बजट और कानून पारित करती है जिसे राज्यसभा को रद्द करने का अधिकार नहीं है

                        ये शब्द भी जानें

                        संसद: निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा ।

                        राज्यसभा: भारत की संसद की 'ऊपरी सदन'।


                        राजनीतिक कार्यकारी

                        अधिकारियों के समूह को सामूहिक रूप से कार्यपालिका के रूप में जाना जाता है। कार्यपालिका के दो हिस्से होते हैं:

                        1. राजनैतिक और,
                        2. स्थायी

                        जनता द्वारा खास अवधि तक के लिए निर्वाचित लोगों को राजनैतिककार्यपालिका कहते हैं। दूसरी ओर जिन्हें लम्बे समय के लिए नियुक्त किया जाता है उन्हें स्थायी कार्यपालिका या प्रशासनिकसेवक कहते हैं।

                        राजनैतिक कार्यपालिका को स्थायी कार्यपालिका से ज्यादा अधिकार प्राप्त होते है यानि कि राजनैतिक कार्यपालिका शक्तिशाली होती है । क्योंकि वे नागरिकों के प्रतिनिधि होते हैं।

                        • देश में प्रधानमंत्रीसबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक संस्था है। फिर भी प्रधानमंत्री के लिए कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता । राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करते हैं। लेकिन राष्ट्रपति अपनी मर्जी से किसी को प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकते।
                        • राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है ।
                        • प्रधानमंत्री का कार्यकाल तय नहीं होता। वह तब तक अपने पद पर रह सकता है जब तक वह पार्टी या गठबंधन का नेता है।प्रधानमंत्री की नियुक्ति के बाद राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर दूसरे मंत्रियों को नियुक्त करते हैं। 
                        • प्रधानमंत्री मंत्रियों के चयन के लिए स्वतन्त्र होता है, बशर्ते वे संसद सदस्य हों ।

                        मंत्रिपरिषद उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री होते है । इसमें अमूमन विभिन्न स्तरों के 80 मंत्री होते हैं। मंत्री तीन स्तर में बंटे होते हैं:

                        1. कैबिनेट मंत्री
                        2. स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री,
                        3. राज्यमंत्री

                        सरकार का प्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री के व्यापक अधिकार होते हैं। वह कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करता है । वह विभिन्न विभागों के कार्य का समन्वय करता है । सारे मंत्री उसी के नेतृत्व में काम करते है ।

                        एक ओर जहाँ प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है वहीं राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है । राष्ट्रपति देश की सभी राजनैतिक संस्थाओं के काम की निगरानी करता है ताकि वे राज्य के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मिल-जुलकर काम करें।

                        ये शब्द भी जानें

                        राजनैतिक कार्यकारी: राजनेता राजनै तिक कार्यकारी होते है जो नागरिकों द्वारा एक विशेष समय के लिए चुने जाते है ।

                        स्थायी कार्यकारी: जो स्थायी नियुक्ति वाले कार्यपालिका के लोगों होते हैं, उन्हें स्थायी कार्यकारीकहते हैं।

                        कैबिनेट: कैबिनेट मंत्रिपरिषद का शीर्ष समूह होता है । इसमें करीब 20 मंत्री होते है |

                        मंत्रिपरिषद — मंत्रियों की एक संस्था, जो सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है।


                        न्यायपालिका

                        भारतीय न्यायपालिका में पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय और स्थानीय स्तर के न्यायालय होते हैं।

                        भारत में न्यायपालिका एकीकृत है। इसका मतलब यह है कि सर्वोच्च न्यायालय देश में न्यायिक प्रशासन को नियंत्रित करता है। देश की सभी अदालतों को उसका फैसला मानना होता है।

                        सर्वोच्च न्यायालय देश के नागरिकों के केन्द्र औ



                        बीच, नागरिकों औ र सरकार के बीच, दो या उससे अधिक राज्य सरकारों के बीच औ र

                        I

                        र राज्य के बीच विवादों की सुनवाई करता है भारतीय कानून दो भागों में बँटे है — दीवानी मामले औ र फौजदारी मामले। सिविल न्यायालय भूमि, सम्पत्ति औ र अधिकारों से सम्बद्ध मामले सुनते है वहीं फौजदारी न्यायालय लूट, चोरी औ र अन्य अपराधों से सम्बद्ध मामले सुनते है ।

                        न्यायपालिका, विधायिका औ र कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है । न्यायाधिकारी सत्ताधारी पार्टी या सरकार के निर्देश पर कोई कार्य नहीं करते । सर्वोच्च न्यायालय औ र उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है T न्यायाधीशों की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह ली जाती है ।

                        न्यायाधीशों को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से हटाया जा सकता है I

                        सर्वोच्च न्यायालय औ र उच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करने की शक्ति रखते है । यदि न्यायालय यह महसूस करता है कि सरकार का कोई कानून या कार्य संविधान की भावना के खिलाफ है तो उसे अवैधानिक घोषित कर सकता है। । सर्वोच्च न्यायालय

                        ने यह भी फैसला दिया है कि संसद, संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों को बदल नहीं सकती। भारतीय न्यायपालिका के अधिकार र स्वतंत्रता उसे मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में काम करने की क्षमता प्रदान करते है ।

                        न्यायपालिका सरकार के कार्य और कानून पर पुनर्विचार कर सकती है । भारतीय न्यायपालिका जजों को हटाने औ

                        स्वतंत्र है I

                        र नियुक्त करने

                        सरकार के किसी कार्यकलाप से मानव अधिकार औ र लोगों की रुचि (हित) प्रभावित होती है। , तो कोई भी न्यायालय की शरण में जनहित याचिका दायर करने जा सकता है । न्यायालय सरकार औ र सक्षम अधिकारी को निर्देश दे सकता है का दुरुपयोग न करे।

                        कि अपने अधिकारों

                        I

                        ये शब्द भी जानें

                        न्यायपालिका— न्यायपालिका एक संस्था है जो न्यायाधिकारियों पर शासन औ र विवादों का निपटारा करती है जनहित याचिका—जनहित को ठेस पहुँचाने की स्थिति में, न्यायालय में, दायर मुकदमा 'जनहित याचिका'कहलाता है

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                        Revision Notes for पाठ 5 लोकतांत्रिक अधिकार| Class 9 Civics

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                        Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Notes for Class 9 Rajniti Vigyan is prepared by our experts. We have included all the important topics of chapter in this revision notes. By studying the revision notes of Democratic Rights in Hindi, students will be able to understand the concepts of the chapter and well as answer the questions easily.

                        Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान

                        Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Notes Class 9 Loktantrik Rajniti

                        Topics in the Chapter

                        • अमेरिका द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन
                        • सऊदी अरब में मानवाधिकारों का उल्लंघन
                        • यूगोस्लाविया (कोसोवो) में नागरिक मानवाधिकारों का उल्लंघन
                        • लोकतंत्र में अधिकार
                        • भारतीय संविधान में अधिकार
                        • समानता का अधिकार
                        • स्वतंत्रता का अधिकार
                        • शोषण के खिलाफ अधिकार
                        • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
                        • सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
                        • संवैधानिक उपचार का अधिकार
                        • अधिकारों का बढ़ता दायरा
                        • दक्षिण अफ्रीका के संविधान में नागरिकों को दिये गये कई तरह के नए अधिकार

                        अधिकारों के बिना जीवन

                        अमेरिका द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन

                        • अमेरिकी फौज ने दुनिया भर के विभिन्न स्थानों से 600 लोगों को चुपचाप पकड़ लिया। इन लोगों को गुआंतानामो बे स्थित एक जेल में डाल दिया । क्यूबा के निकट स्थित इस टापू पर अमेरिकी नौ सेना का कब्जा है।
                        • अमेरिकी सरकार कहती है कि ये लोग अमेरिका के दुश्मन हैं और न्यूयार्क सितम्बर 2001 के हमलों से इनका सम्बन्ध है।
                        • इन कैदियों के परिवारवालों, मीडिया के लोगों और यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी जाती। अमेरिकी सेना ने उन्हें गिरफ्तार किया, उनसे पूछताछ की और उसी ने फैसला किया कि किसे जेल में डालना है किसे नहीं। न तो किसी भी जज के सामने मुकदमा चला और ना ही ये कैदी अपने देश की अदालतों का दरवाजा खटखटा सके।
                        • एक अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन 'एमनेस्टी इण्टरनेशनल'ने गुआंतानामो बे के कैदियों की स्थिति के बारे में सूचनाएँ इकट्ठी कीं और बताया कि उनके साथ ज्यादती की जा रही है । उनके साथ अमेरिकी कानूनों के अनुसार भी व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
                        • जिन कैदियों को अधिकारिक रूप से निर्दोष करार दिया गया था उनको भी छोड़ा नहीं गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा करायी गयी एक स्वतंत्र जाँच से भी इन बातों की पुष्टि हुई। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव ने कहा कि गुआंतानामो बे जेल को बन्द कर देना चाहिए। अमेरिकी सरकार ने इन अपीलों को मानने से इंकार कर दिया ।


                        सऊदी अरब में मानवाधिकारों का उल्लंघन

                        • देश में एक वंश का शासन चलता है और राजा या शाह को चुनने या बदलने में लोगों की कोई भूमिका नहीं होती। 
                        • शाह ही विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनाव करते हैं। जजों की नियुक्ति भी शाह करते हैं और वे उनके फैसलों को पलट भी सकते हैं।
                        • लोग कोई राजनैतिक दल या संगठन नहीं बना सकते, मीडिया शाह के खिलाफ कोई खबर नहीं दे सकती।
                        • कोई धार्मिक आजादी नहीं है। सिर्फ मुसलमान ही यहाँ के नागरिक हो सकते हैं। यहाँ रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग घर के अन्दर ही पूजा-पाठ कर सकते हैं। उनके सार्वजनिक/धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक है।
                        • औरतों को वैधानिक रूप से मर्दों से कमतर का दर्जा मिला हुआ है और उन पर कई तरह की सार्वजनिक पाबंदियां लगी है। मर्दों को जल्दी ही स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए मताधिकार मिलने वाला है  जबकि औरतों को यह अधिकार नहीं मिलेगा।


                        यूगोस्लाविया (कोसोवो) में नागरिक मानवाधिकारों का उल्लंघन

                        • कोसोवो पुराने यूगोस्लाविया का एक प्रान्त था जो अब टूटकर अलग हो गया है। इस प्रदेश में अल्बानियाई लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी पर पूरे देश के लिहाज से सर्ब लोग बहुसंख्यक थे ।
                        • उग्र सर्ब राष्ट्रवाद के भक्त मिलोशेविक ने यहाँ के चुनावों में जीत हासिल की। उनकी सरकार ने कोसोवो के अल्बानियाई लोगों के प्रति बहुत ही कठोर व्यवहार किया। उनकी इच्छा थी कि देश पर सर्ब लोगों का ही पूरा नियंत्रण हो। अनेक सर्ब नेताओं का मानना था कि अल्बानियाई लोग जैसे अल्पसंख्यक या तो देश छोड़ कर चले जायें या सर्बों का प्रभुत्व स्वीकार कर लें ।
                        • 74 वर्षीय बतीशा होक्सा अपनी रसोई में अपने 77 वर्षीय पति इजेत के साथ बैठी आग ताप रही थी तभी उनका दरवाजा खोलकर पाँच-छह सैनिक दनदनाते हुए अंदर आए और पूछा, "बच्चे कहाँ हैं?"उन्होंने इजेत की छाती में तीन गोलियां दाग दीं। जब उसका पति मर गया, सैनिकों ने उसकी अंगुली से शादी की अँगूठी उतार ली और उसे भाग जाने को कहा। बतीशा अभी दरवाजे से बाहर भी नहीं निकली थी कि उन्होंने घर में आग लगा दी।
                        • उन हजारों अल्बानियाई लोगों के साथ हुए बर्ताव में से एक की सच्चाई है । जातीय पूर्वाग्रहों के चलते हाल के वर्षों में जो सबसे बड़ नरसंहार हुए हैं, उनमें यह सम्भवतः सबसे भयंकर था ।
                        • आखिरकार मिलोशेविक की सत्ता गयी और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में उन पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा चला।


                        लोकतंत्र में अधिकार

                        हम जो दावे करते है वे तार्किक भी होने चाहिए। इसे उस पूरे समाज से भी स्वीकृति मिलनी चाहिए जिसमें हम रहते हैं। समाज जिस चीज को सही मानता है वही हमारे अधिकार होते हैं।

                        • लोकतंत्र में भरण-पोषण का अधिकार अनिवार्य है।
                        • लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को वोट देने और चुनाव लड़ कर प्रतिनिधि चुने जाने का अधिकार है।
                        • लोकतांत्रिक चुनाव हों इसके लिए लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की, राजनैतिक पार्टी बनाने और राजनैतिक गतिविधियों की आजादी होना जरूरी है।
                        • किसी अधिकार बहुसंख्यकों के दमन से अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं। ये इस बात की व्यवस्था करते हैं कि बहुसंख्यक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मनमानी न करें। अधिकार स्थितियों के बिगड़ने पर एक तरह की गारण्टी जैसे है।
                        • सरकार को नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए लेकिन कई बार चुनी हुई सरकार भी अपने ही नागरिकों के अधिकारों पर हमला करती है या सम्भव है , वह नागरिक के अधिकारों की रक्षा न करे ।
                        इसलिए कुछ अधिकरों को सरकार से भी ऊँचा दर्जा दिए जाने की जरूरत है ताकि सरकार भी उनका उल्लंघन न कर सके। अधिकांश लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में नागरिकों के अधिकार संविधान में लिखित रूप में दर्ज होते हैं।


                        भारतीय संविधान में अधिकार

                        भारतीय संविधान हमें 6 मौलिक अधिकार प्रदान करता है। ये अधिकार भारत के संविधान की महत्वपूर्ण बुनियादी विशेषता है।

                        भारतीय संविधान द्वारा दिये गये मौलिक अधिकार हैं:

                        1. समानता का अधिकार,
                        2. स्वतंत्रता का अधिकार,
                        3. शोषण के खिलाफ अधिकार,
                        4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार,
                        5. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार,
                        6. संवैधानिक उपचार का अधिकार


                        समानता का अधिकार

                        समानता के अधिकार का अर्थ है सब पर कानून समान रूप से लागू होता है । किसी व्यक्ति का दर्जा या पद, चाहे जो हो सरकार कानून से संरक्षण के मामले में समानता के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। इसे कानून का राज भी कहते है।

                        • कानून का राजकिसी भी लोकतंत्र की बुनियाद है। इसका अर्थ हुआ कि कोई भी व्यक्ति कानून के ऊपर नहीं है । किसी राजनेता, सरकारी अधिकारी या सामान्य नागरिक में कोई अन्तर नहीं किया जा सकता है।
                        • सरकार किसी से भी केवल उसके धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती।
                        • दुकान, होटल और सिनेमाघरों जैसे सार्वजनिक स्थल में किसी के प्रवेश को रोका नहीं जा सकता। इसी प्रकार सार्वजनिक कुएँ, तालाब, स्नानघाट, सड़क, खेल के मैदान और सार्वजनिक भवनों के इस्तेमाल से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता ।
                        • सरकारी नौकरियों पर भी यही सिद्धान्त लागू होता है । सरकार में किसी पद पर नियुक्ति या रोजगार के मामले में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता है। उपरोक्त आधारों पर किसी नागरिक को रोजगार के अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता या उसके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
                        • संविधान सामाजिक भेदभाव के एक बहुत प्रबल रूप, छुआछूत का जिक्र करता है और सरकार को निर्देश देता है कि वह इसे समाप्त करे। किसी भी तरह के छुआछूत को कानूनी रूप से गलत करार दिया गया है।


                        स्वतंत्रता का अधिकार

                        स्वतंत्रता का अधिकार का मतलब है, हमारे मामलों में किसी किस्म का दखल न होना । न सरकार का, न व्यक्तियों का। 

                        भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को कई स्वतंत्रताएँ दी हैं:

                        1. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
                        2. संगठन और संघ बनाने की स्वतंत्रता
                        3. शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वतंत्रता
                        4. देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता
                        5.  कोई भी काम करने, धंधा चुनने या पेशा करने की स्वतंत्रता
                        6. देश के किसी भी भाग में रहने-बसने की स्वतंत्रता


                        शोषण के खिलाफ अधिकार

                        • भारतीय संविधान मनुष्य जाति के अवैध व्यापार, किसी किस्म के 'बेगार'या जबरन काम लेने का और बाल मजदूरी का निषेध करता है।


                        धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

                        • हर किसी को अपना धर्म मानने, उस पर आचरण करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है।


                        सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

                        भारतीय संविधान ने अल्पसंख्यकों को सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार उपलब्ध कराये हैं जो इस प्रकार हैं:

                        1. सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है।
                        2. किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान पाने वाले शैक्षिक संस्थान में किसी नागरिक को धर्म या भाषा के आधार पर दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता।
                        3. नागरिकों मे विशिष्ट भाषा या संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने का अधिकार है।


                        संवैधानिक उपचार का अधिकार

                        संविधान में दिये गये मौलिक अधिकार महत्वपूर्ण है, इसलिए इन्हें लागू किया जा सकता है। हमें उपर्युक्त अधिकारों को लागू कराने की माँग करने का अधिकार है, हमारे पास उन्हें लागू कराने के उपाय हैं। इसे संवैधानिक उपचारका अधिकार कहा जाता है ।

                        यह अधिकार अन्य अधिकारों को प्रभावी बनाता है। सम्भव है कि कई बार हमारे अधिकारों का उल्लंघन कोई और नागरिक या कोई संस्था या फिर स्वयं सरकार ही कर रही हो। पर जब इनमें से हमारे किसी भी अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो तो हम अदालत के जरिए उसे रोक सकते हैं, इस समस्या का निदान पा सकते हैं। अगर मौलिक अधिकारों का मामला हो तो हम सीधे सर्वोच्च न्यायालय या किसी राज्य के उच्च न्यायालय में जा सकते हैं। इसी कारण डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचार के अधिकार को हमारे संविधान की 'आत्मा और हृदय'कहा था ।

                        न्यायालय भी व्यक्तियों या निजी संस्थाओं के खिलाफ मौलिक अधिकार के मामले में दखल दे सकती है। सर्वोच्च या उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकार लागू कराने के मामले में निर्देश देने, आदेश या रिट जारी करने का अधिकार है।

                        मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में कोई भी पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए तुरन्त अदालत में जा सकता है । पर अब, अगर मामला सामाजिक या सार्वजनिक हित का हो तो ऐसे मामलों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति अदालत में जा सकता है । ऐसे मामलों को 'जनहित याचिका'के माध्यम से उठाया जाता है । इसमें कोई भी व्यक्ति या समूह सरकार के किसी कानून या काम के खिलाफ सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय में जा सकता है । ऐसे मामले जज के नाम पोस्टकार्ड पर लिखी अर्जी के माध्यम से भी उठाए जा सकते हैं। अगर न्यायाधीशों को लगे कि सचमुच इस मामले में सार्वजनिक हितों पर चोट पहुँच रही है तो मामले को विचार के लिए स्वीकार कर सकते हैं।


                        अधिकारों का बढ़ता दायरा

                        मौलिक अधिकार बाकी सारे अधिकारों के स्रोत है। हमारा संविधान और हमारे कानून हमें और बहुत सारे अधिकार देते हैं।

                        साल-दर-साल अधिकारों का दायरा बढ़ता गया है। समय-समय पर अदालतों ने ऐसे फैसले दिए हैं जिनसे अधिकारों का दायरा बढ़ता गया है।

                        • अब स्कूली शिक्षा हर भारतीय का अधिकार बन चुकी है। 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है।
                        • संसद ने नागरिकों को सूचना का अधिकार देने वाला कानून भी पास कर दिया है। हमें सरकारी दफ्तरों से सूचना माँगने और पाने का अधिकार है।
                        • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन के अधिकार को नया विस्तार देते हुए उसमें भोजन के अधिकार को भी शामिल कर दिया है।
                        • सम्पत्ति रखने का अधिकार और चुनाव में वोट देने का अधिकार एक महत्वपूर्ण संवै धानिक अधिकार है।


                        दक्षिण अफ्रीका के संविधान में नागरिकों को दिये गये कई तरह के नए अधिकार

                        निजता का अधिकार:इसके कारण नागरिकों और उनके घरों की तलाशी नहीं ली जा सकती, उनके फोन टेप नहीं किये जा सकते, उनकी चिट्ठी-पत्री को खोलकर पढ़ा नहीं जा सकता ।

                        पर्यावरण का अधिकार:ऐसा पर्यावरण पाने का अधिकार जो नागरिकों के स्वास्थ्य या कुशलक्षेम के प्रतिकूल न हो।

                        पर्याप्त आवास पाने का अधिकार ।

                        स्वास्थ्य सेवाओं, पर्याप्त भोजन और पानी तक पहुँच का अधिकार; किसी को भी आपात चिकित्सा देने से मना नहीं किया जा सकता।

                        दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ता अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा पत्र को एक मानक मानवाधिकार के रूप में देखते हैं। इनमें शामिल हैं:

                        • काम करने का अधिकार:हर किसी को काम करने, अपनी जीवका का उपार्जन करने का अवसर। काम करने के सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद माहौ ल का अधिकार तथा मजदूरों और उनके परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन-स्तर लायक उचित मजदूरी का अधिकार।
                        • समुचित जीवन:स्तर जीने का अधिकार में पर्याप्त भोजन, कपड़ा और मकान का अधिकार शामिल है । 
                        • सामाजिक सुरक्षा और बीमा अधिकार ।
                        • स्वास्थ्य का अधिकार:बीमारी के समय इलाज, प्रजनन काल में महिलाओं का खास ख्याल और महामारियों से रोकथाम ।
                        • शिक्षा का अधिकार:मुफ्त एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्चतर शिक्षा तक समान पहुँच।

                        महत्वपूर्ण शब्द:

                        • एमनेस्टी इण्टरनेशनल:वह संगठन जो विश्व में मौलिक अधिकारों के हनन से जुड़ी खबरें और प्रतिवेदन उजागर करता है।
                        • सजातीय समूह:एक ही पूर्वज की सन्तान, जो खुद को एक ही पूर्वजों का कहकर पुकारते है ।
                        • सम्मन:न्यायालय का वह आज्ञा - पत्र जिसमें किसी को न्यायालय में उपस्थित होने की आज्ञा दी जाती है।
                        • याचिका: वह पत्र जिसमें किसी से कुछ याचना की गई हो।
                        • दलित:जो दबाकर बहुत हीन कर दिया गया हो।





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